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सोमवार, 31 दिसंबर 2012

अनोखी कहानी गाँव की

 आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो मैंने अपनी आंखों से देखा था। यह कहानी आज से दो महीने पहले की है तब मैं अपने घर आया था। इससे पहले कि मैं अपनी कहानी शुरू करुँ आपको अपने कजन और उस वृद्ध का परिचय करा दूँ। 

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मेरी कजन का नाम कोमल है। जिसकी उमर बीस साल की है। उसको देख कर कोई भी कह सकता है कि उसका नाम उसको बिल्कुल ही सूट करता है। उसका रंग गोरा और ऊंचाई पांच फ़ुट छः इन्च की है।
चेहरा इतना सुन्दर है कि जिसको देखने के बाद हर कोई अपने दिल में उतरना चाहेगा। और दूसरा आदमी जिसने उसके साथ सम्भोग किया उसे ताऊ जी कहते हैं। जिनकी उमर सत्तर साल की है। लेकिन आज भी बिलकुल पहले जैसा ही हट्टे कट्टे है।

अब मैं आपको उस दिन के तरफ़ ले चलता हूं। मैं उन दिनो अपने घर गया हुआ था। उस समय मेरे घर पर मेरे चाची और कजन और उस ओल्ड मेन जिसे हम ताऊ कह के बुलाते है, के अलावा और कोई नहीं था। उस दिन दोपहर में मैंने देखा कि मेरी चाची जिनकी उमर चालीस साल की है छत पर एक कमरे में सोई हुई थी। मैं वहीं पास के कमरे में लेटा हुआ था। ताऊ जी मेरे कमरे में आये और मुझे देखा और चाची के कमरे के तरफ़ चले गये। शायद
उन्होंने समझा कि मैं सो रहा हूं। कमरे में जाने के बाद जैसे ही उन्होंने दरवाजा बन्द किया, मैं दरवाजे के आवाज को सुन कर समझ गया कि आज कुछ गड़बड़ होने वाली है। मैंने सोचा कि क्यों ना देखा जाये। मैं उठ कर उस कमरे की खिड़की पर गया और अन्दर झांका तो देखा की जैसे ही ताऊजी चाची के पास जा कर बैठे चाची सीधा हो गई और बोली ' आप आ गये?'

ताऊजी ने बोला- हाँ, मैं आ गया।

तब चाची ने पूछा की कोमल कहा है? तो ताऊजी ने बताया कि वो नीचे सो रही है। अब ताऊजी ने चाची के पैर पर अपना हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया और धीरे धीरे चाची के कपड़ों को ऊपर उठाना शुरू कर दिया। चाची धीमी धीमी मुस्करा रही थी। ताऊजी ने जैसे ही चाची की साड़ी और साया को कमर तक उठया तो चाची की चूत को देख के बोले- वाह, क्या जिस्म पाया है तुमने। और ये कहते हुये अपने अंगुलियों से चाची के कोमल बालों को
सहलाने लगे। चाची ने अपनी आंखे बन्द कर ली और अपने हाथ को ताऊ जी के लुंगी के अन्दर डाल दिया और उनके लण्ड को बाहर निकल के उसे सहलाने लगी।

अब ताऊजी ने अपने हाथ को वहाँ से हटा लिया और चाची ने भी अपने हाथ को हटा लिया। अब ताऊजी ने चाची के जांघों को जो की बिलकुल ही एक दूसरे से सटे हुये थे को थोड़ा सा फ़ैलाया और अपने मुह से थोड़ा सा थूक निकाल के चाची के चूत पर रगड़ दिया। इसके बाद ताऊजी चाची के जांघ पर बैठ गये। और अपने लण्ड को एक हाथ से पकड़ के जैसे ही चाची के चूत पर सटाया चाची ने अपने दोनो हाथो से चूत को फ़ैला के ताऊजी के लण्ड
को अपने चूत का रास्ता दिखाया। अब ताऊजी ने लण्ड को चाची के चूत के छेद पर रख के जोर से कमर को झटका मारा और चाची के मुह से आआआह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह की आवाज निकल गई। मैंने देखा की उनका लण्ड चाची के चूत में चला गया था। अब ताऊजी चाची के उपर लेट गये और धीरे धीरे अपने कमर को हिलाने लगे। चाची उनके हर एक झटके के साथ तेज सासे ले रही थी। इस तरह से कुछ देर तक ताऊजी चाची की
चुदाई करते रहे। लगभग पंद्रह मिनट के बद ताऊजी चाची से बोले की कोमल अब जवान हो गई है। और जोर से एक झटका मारा चाची हाआआआआआआआआआआऊऊऊऊऊऊ की आवाज निकली। अब ताऊजी ने बोला आज रात में मैं उसका रेप करुंगा तुम उसे भेज देना्। चाची ने अपनी गरदन हिला के हामी भरी। अब ताऊजी का पूरा लण्ड चाची के चूत में चला गया था। अब ताऊजी ने चाची के होठों को चूसना शुरू किया और अब जोर जोर से झटके लगने शुरू
कर दिये। अब मैं समझ गया था कि ताऊजी का गरम वीर्य चाची के चूत में गिरने वाला था। कुछ देर के बाद चाची भी अपने कमर को उठा उठा के ताऊजी का पूरा साथ देने लगी और ये दौर पाच मिनट तक चला इसके बाद दोनो लोग शान्त पड़ गये तो मैं समझ गया की अब ताऊजी का सपुरम चाची के चूत में गिर गया था। अब मैं अपने रूम में चला गया और सो गया।

रात के समय चाची ने खाना बनाया और कोमल ने मुझे और ताऊजी को खाना खिलाया। खाना खाते समय मैंने देखा की ताऊजी की नजर अधिकतम समय खाना पर कम कोमल के उपर ज्यादा रहती थी। खाना देने के लिये जैसे ही वो नीचे झुकती थी तो ताऊजी उसके बूबस को देखते रहते थे। खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में उपर चला गया। जैसे ही ताऊ जी उपर जाने के लिये तैयार हुये तो उन्होने कोमल से एक लोटे में पानी और तेल के
डिब्बे को उनके कमरे में लाने के लिये बोला। कोमल बोली ठीक है ताऊजी मैं लेके उपर पहुंचा दूंगी। खाना खाने के बाद कोमल एक लोटे में पानी लेके और डिब्बे में तेल लेके जैसे ही ताऊजी के पास जाने लगी तो चाची ने बोला की 'देखो वो तुम्हारे बाप के समान है , दूसरे घर के होके भी पूरे दिन खेतो में देख रेख करते है पूछ के तुम उनके शरीर में तेल लगा देना' कोमल ने बोला 'ठीक है'। इधर ताऊजी उसका
इन्तज़ार कर रहे थे। जैसे ही वो रूम में गई तो ताऊजी ने उससे बोला की आगे रख दो। कोमल ने बोला ताऊजी क्या मैं अपके शरीर का मालिश कर दूं। तो ताऊजी ने बोला की अच्छा होता की कर देती तो उसने बोला ठीक है मैं कर देती हूं। और वो दरवाजा को सटा के ताऊजी के बगल में बैठ गई। ताऊजी ने पहले उसे अपने पैर में तेल लगने के लिये बोला। जब उसने पैर में तेल लगा दिया तो हाथ में तेल लगने के लिये बोला।

हाथ में तेल लगने के बाद ताऊजी ने पीठ और कमर में तेल लगवाया। इसके बाद अपने सिर पर तेल लगवाया। जब पूरे बदन में तेल लग गया तो ताऊजी ने कोमल का हाथ पकड़ के अपने लण्ड को पकड़ते हुये बोला की जब पूरे शरीर में तेल लगा दिया है तो इसमे भी तेल लगा दो।कोमल ने अपना हाथ वहा से हटा लिया। ताऊजी ने दोबारा उसके हाथ को पकड़ा और अपने लण्ड को पकड़ा दिया और उपर नीचे हिलाने लगे। अब वो उठ के बैठ गये और कोमल
को बेड पर पटक दिया। बेड पर पटकने के बाद एक ही झटके में उन्होने कोमल के स्कर्ट और पेण्टी को उतार दिया। अब उन्होने कोमल को उलटा लेटा दिया। अब कोमल का गाण्ड साफ़ दिख रहा था। कोमल वैसे तो विरोध कर रही थी लेकीन उसका असर कुछ भी नही पड़ रहा था। अब ताऊजी ने दिबे से तेल निकाल के कोमल के गाण्ड में डाल दिया और कोमल के जांघ पर बैठ गये। अब उन्होने अपने लण्ड को कोमल के गाण्ड पर सटाके एक जोर के
झटका मारा और कोमल के मुह से एक जोर की आवाज निकली आआआह्हह्हहमाआआआआआआआ अब ताऊजी अपने कमर को धीरे धीरे हिलाने लगे और कोमल आआआह्हह्ह्हह्हह्ह आआअह्हह्ह ऊऊओआआआआआआ ऊऊह्हह्हह ईईईईस्सस्सस्सस्स ईईईस्सस्सस्सस्सस्सस्स की आवाज के साथ सिसकी लेने लगी। इस तरह के आवाज से ताऊजी की उमंग तो जैसे और भी बढ रही थी। ताऊजी ने अब कुछ देर के बाद अपने कमर की स्पीड को बढा दिया और कोमल और जोर के
साथ आआह्हहह्हह्हह्ह आआआआऔऊऊऊऊऊ आआऊऊनाआअ औऊऊऊऊऊ ऊओह्हह्हह्हह्हह आआह्हह की आवाज के साथ चिल्ला रही थी। कुछ देर के बाद मैंने देखा की ताऊजी का पूरा लण्ड कोमल के गाण्ड में चला गया था। अब ताऊजी जोर जोर से झटके मार रहे थे और कुछ देर के बाद वो कोमल के ऊपर ही ढेर हो गये कोमल भी शान्त पड़ गई तो मैं समझ गया की ताऊजी ने अपने सपुरम को कोमल के गाण्ड में गिरा दिया है।

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अब ताऊजी ने कोमल के टॉप को खोल दिया और इसके बाद उसके ब्रा को खोल दिया। सारे कपड़े उतरने के बाद ताऊजी ने अपने लण्ड को कोमल की गाण्ड से निकल दिया और उसके उपर से हट गये।

अब ताऊजी बेड से उतर के खड़े हो गये और कोमल को पेशाब करने के लिये उठने के लिये बोला। कोमल ताऊजी के साथ पेसाब करने के लिये गई। वहा ताऊजी ने कोमल के चूत को अपने पेसाब से धोया और तब कोमल ने बैठ के पेशाब किया। पेशाब करने के बाद दोनो रूम में वपस अये। अब ताऊजी बेड पर बैठ गये और कोमल के हाथ को पकड़ के अपने लण्ड को पकड़ा दिया और बोले की अभी तुम मेरी आधी औरत बनी हो पूरी औरत बनाऊंगा लो ये
ठण्डा पड़ गया है इसे गरम करो इसे अपने मुह में ले के चूसो। कोमल ने ताऊजी के लण्ड को अपने हाथ में लेके कुछ देर तक देखती रही तब अपने मुह में लेके चाटने लगी।

कुछ देर के बाद अब वो लण्ड को अपने मुह के अन्दर बाहर करने लगी। इधर ताऊजी अब गर्म हो रहे थे। कुछ देर के बाद ताऊजी ने कोमल के मुह से लण्ड को निकल दिया और उसे लेटने के लिये बोला। वो बेड पर लेट गई। ताऊजी उसके चूत को कुछ देर तक देखते रहे और तब दिबे से तेल निकल के पहले कोमल के चूत को तेल से पूरी तरह से भीगो दिया तब अपने लण्ड जो की लगभग सात से आठ इन्च का लम्बा था, को भी दिबे में डाल दिया।
दिबे से निकलने के बाद ताऊजी ने अपने लण्ड को कोमल के चूत पर रख के उसे फ़ैलने के लिये बोला। कोमल ने अपने चूत को फ़ैला दिया। ताऊजी ने एक हलके से झटके के सथ लण्ड के अगले सिरे को अन्दर ले जाने में तो सफ़ल हुये। अब जैसे ही अपने लण्ड को थोड़ा और अन्दर करने के लिये एक जोर का झटका मारा तो कोमल पूरी तरह से सिहर उठी। ताऊजी ने बोला पहले थोड़ा दर्द होगा बाद में बहुत मजा आयेगा। लेकिन इसमे ही कोमल
की हालत खराब हो रही थी। अब ताऊजी ने अपने दोनो हाथो में तेल लगया और कोमल के दोनो चुचिंयों पर तेल लगाने के बाद दोनो को अपने मुह में लेक ए बरि बरि से चुसना शुरू कर दिया। कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मैंने देखा की कोमल ने अपने पैर को धिला कर दिया और अपने जांघों को फ़ैला दिया। अब ताऊजी ने अपने कमर को धीरे धीरे हिलाना शुरू किया। कोमल आआहह्हहह आआआआआहह्हह्हह अहीईईईइस्ससस्सस्स
आआआऔऊऊऊऊआ इस्ससस्सस सिस्सस्सस्स इस्सस्सस्सुआआआआ की वाज़ निकलने लगी। अब ताऊजी ने अपने दोनो हाथो में कोमल के चूचियों को मसलना शुरू किया।

कुछ देर के बाद जब उनका लण्ड कोमल के चूत में कुछ अन्दर चला गया तो ताऊजी ने बोला की अब मैं तुम्हे अपनी सच्ची औरत बनने जा रहा हूं। और जोर से एक झटका मरा। कोमल की तो जैसे जान ही निकल गई वो आआह्हह्हह्हह्हह आआह्हह्हह्हह्हह अहीईईईस्सस्सस्स आआऔऊऊऊऊऊउआ इस्सस्स्सस सिस्सस्स्सस्स इस्सस्सस्सुआआआआ बाआआअप्पप्परीईईईआआआऊऊऊऊ माआआआआआईईईईईई आआआह्हह्हह्हह नाआआआआहीईईईईई
आआआऔऊऊऊऊऊउ की आवाज़ के सथ चिल्ला उठी । ताऊजी ने अपने होठों को उनके होठों को दबा दिया और चूसने लगे। कुछ देर के बाद कोमल शान्त होने लगी तो ताऊजी ने उनके होठों को आजाद करते हुये बोले अब तुम मेरी पूरी तरह से औरत बन गई हो। आज बहुत दिन के बाद कोई जवान और कुंवारी लड़की की चूत मिली है। वो जोर जोर के झटके मार रहे थे। कभी कभी तो कोमल अपने हाथ को अपने चूत के पास ले जाने की कोशिश करती थी
लेकिन ताऊजी उसके हाथ को वहा से खींच लेते थे। कुछ देर के बाद ताऊजी का पूरा लण्ड कोमल के चूत के अन्दर चला गया था। अब कोमल हल्की सिसकी के साथ अपने चुदाई की मज़ा ले रही थी। कुछ देर के बाद ताऊ जी ने कोमल के होठों को चूसना शुरू किया तो मैं समझ गया कि इस बार उनका सपुरम कोमल के चूत में गिरने जा रहा था। अब कोमल भी ताऊजी का साथ दे रही थी।

कुछ देर तक दोनो ही दोनो एक दूसरे के होठों को चूसते रहे। अब ताऊजी शान्त पड़ गये और कोमल के उपर ढेर हो गये। कुछ देर के बाद जब ताऊजी ने अपने लण्ड को निकला तो मैंने देखा की कोमल की कोमल चूत बुरी तरह से फ़ूल गई थी। उस पर सपुरम के कुछ अंश दिखाई दे रहे थे। कुछ देर के बाद कोमल उठ के ताऊजी के साथ बाहर नालि के पास गई और ताऊजी ने उसके चूत पर पानी गिराया और कोमल ने अपने चूत को धोकर साफ़ किया।
इसके बाद अपने कपड़े को पहन के जब नीचे जाने लगी तो ताऊजी ने बोला कि यह बात किसी को बताना नहीं। वो बोली- ठीक है और नीचे चली गई। ताऊजी अपने रूम में जा कर सो गये मैं भी अपने रूम में सो गया। सुबह मैं जब जगा तो ताऊजी को तैयार होते देखा। मैंने जब उनसे पूछा तो वो बोले की वो अपने गाव जा रहे है। वो अपने गाँव के लिये निकल गये।

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रविवार, 30 दिसंबर 2012

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मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

हिन्दी मैं मस्त कहानियाँ: आंटी और उनकी बेटी की चुदाई

आंटी और उनकी बेटी की चुदाई
वहाँ पर हमारे पड़ोस में एक अंकल-आंटी रहते थे जो मकान मालिक के चचेरेभाई थे। उनकी एक लड़की थीक्या बताऊँ आपकोवो इतनी सेक्सी थी किदेखते ही लंड खड़ा हो जाये। आंटी भी जबरदस्त थी। हमारे उनके सम्बन्धबहुत ही अच्छे थे। वो हमारे घर हर रोज आया करती थी और माँ के साथ बैठकर गप्पें लगाती थी। वो जब भी आती थी तो मैं उनके इर्द-गिर्द ही रहता थाक्योंकि मैं खेल खेल में मस्ती में ही उनके बोबे दबा लिया करता था जो बहुतही नर्म थे।
एक दिन की बात हैमेरे घर पर कोई नहीं था। मेरी माँ और पिताजी भाई केसाथ किसी रिश्तेदार की शादी में गए थे। माँ आंटी को कहकर गई थी कि मेराखाना बनाकर घर भिजवा दें।
दोपहर को एक बजे मैं क्लास से घर पंहुचा ही था कि आंटी खाना लेकर गई। वो लाल साड़ी पहने हुए थी और सफ़ेद ब्लाऊज़। ब्रा का रंग कला था जोसफ़ेद ब्लाऊज़ में से साफ़ दिख रही थी।
मैं रोज की तरह मस्ती में उनके बोबे दबाने लगा।
वो बोलीतुम खाना खा लो !
मैंने कहाआप प्यार से खिलाओ !
वो मान गई और प्लेट में खाना निकाल कर मेरे सामने बैठ गई। तभी वोबोलीगर्मी ज्यादा हैपंखा चला दो !
मैंने खड़े होकर पंखा चला दिया और उनके सामने बैठ गया। तभी उनकाआँचल पंखे की हवा से उड़ा और उनके दोनों चूचियों के बीच की खाई मुझेसाफ दिखने लगी। मेरा लंड खडा होने लगा। वो मुझे खिलाती गई और मेरीनजर उनके वक्ष पर टिक गई।अचानक उनकी नजर मुझ पर पड़ी। वो समझगई कि मैं क्या देख रहा था पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मेरा लंड पूरातन गया। अचानक उनकी नजर मेरी पैंट पर पड़ीवो हंसने लगी।
मैंने पूछाक्या हुआ?
तो उन्होंने कुछ बताया नहीं और मेरे लिए पानी लेने चली गई। वो जब पानीलेकर वापस आई तो मैंने पूछाआप क्यों हंस रही थी?
तो वो बोलीतेरा लंड मेरे बोबे देखकर ही तन गया !
मैं समझ गया कि आंटी को मस्ती करनी है। मैंने आंटी से कहाक्या मैंआपके बोबे पूरे देख सकता हूँ?
तो वो झट से मान गई और साड़ी उतार दी। मुझसे कहाबाकी ब्लाऊज़ औरब्रा तू निकाल ले।मैं झट से उनके बोबे दबाने लगाअआह .......... क्यामुलायम बोबे थे !
मैं तो उनके बोबे जोर-जोर से मसलने लगा। वो भी आहें भरने लगी। फिर मैंनेउनका ब्लाऊज़ निकाला। वह क्या लग रही थी काली ब्रा में !
मैंने ब्रा के साथ ही उनके बोबे फिर से दबाना शुरु कर दिया।
वो आह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ईईईईए ऊऊऊऊ .....जैसी आवाजें निकालने लगी। 5मिनट के बाद मैंने ब्रा भी निकाल दी और देखा तो वाह ! क्या बोबे थे ! जैसेदूध की डेयरी !
मैं तो प्यासी बिल्ली की तरह उनके बोबे पर दूध पीने टूट पड़ा। मेरा लण्ड काबूके बाहर हो गया था।
अचानक आंटी बोलीबस ! अब मेरी बारी !
मैं समझ नहीं पाया। वो उठी और मेरी पैंट की जिप खोल दीफिर पैंट हीनिकाल दीमेरा अंडरवियर भी निकाल दिया और मेरा लण्ड देखकर बोली-वाहक्या लण्ड है ! कम से कम सात इंच का होगा ! और उसे पकड़ करहिलाने लगी। मुझे अच्छा लगने लगा। अचानक उन्होंने मेरा लण्ड मुँह में लेलिया और जोर-जोर से चूसने लगी।
मुझे तो बड़ा मज़ा  रहा था। दस मिनट तक वो मेरे लण्ड को चूसती हीरही। अचानक मुझे लगा कि मैं छोड़ने वाला हूँ तो मैंने आंटी को कहाछुटरहा है !
वो बोलीछोड़ दे मेरे मुँह में !
और मैं झड़ गया।
वो बोलीक्या मस्त स्वाद है तेरे वीर्य का !
मेरा लण्ड ठंडा पड़ गया पर वो बहुत ही गरम हो चुकी थी। वो बोलीचल एककाम कर ! आज मैं तेरा कुंवारापन दूर करती हूँ।
मैंने पूछाकैसे ?
तो बोलीतू जानता है कि सुहागरात में क्या होता है ?
मैंने कहानहीं !
तो बोलीचल मैं तुझे बताती हूँ !
और उन्होंने अपना चनिया निकाल दिया और पेंटी भी निकाल दी। मैं तोदेखता ही रह गया।
वो बोलीअब नीचे मेरी चूत में उंगली डाल !
मैंने वैसा ही किया।
वो चिल्लाने लगीएक नहीं तीन उंगलियाँ दल कर अंदर-बाहर कर !
मैंने वैसा ही किया।
वो आहें भरने लगीआह्ह्ह्ह् ........ऊऊ ऊऊऊऊउह्ह्ह्ह्...........उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्.........चु हूउदूऊ ऊउ..........
मैंने लगभग 15 मिनट तक उंगली-चोदन किया। अचानक उनकी चूत सेपानी निकलने लगा। मैं समझ गया कि आंटी झड़ गई हैं। पर मेरा लंड फिर सेतन गया था तो मैंने भी आंटी से कहाआंटीअब मेरे लंड को अपने मुँह मेंले लो ! वो फिर से तन गया है !
वो बोलीचोदू ! सिर्फ मुँहचोदन ही करेगा या चूत भी चोदेगा ?
मैं झट से तैयार हो गया। मैंने आंटी की टाँगें फ़ैलाईउनकी चूत पर अपनालण्ड रखा और जोर से धक्का दिया।
आंटी चिल्ला उठीलौड़े ! धीरे से डाल ! बेनचोद ! 6 महीने के बाद इतनाबाद लण्ड चूत में एक ही झटके में डाल रहा है ?
मैं उनके बोबे दबाने लगाफिर दूसरे धक्के में मैंने अपना पूरा लण्ड आंटी कीचूत में डाल दिया।वो चिल्लाने लगीनिकाल बाहर ! फाड़ दी मेरी चूत !निकाल बाहर !
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और ऊपर पड़ा रहा। जैसे ही मुझे लगाकि वो अब दर्द कम हुआ है तो मैं धीरे-धीरे झटके देने लगा।
उनको मज़ा आने लगा थावो भी उछल-उछल कर साथ दे रही थीआः ह्ह्ह्ह ! ऊऽऽऽ फ़्फ़्फ़ ! आऽऽ आऽ  ईऽऽए चोद ...जोर से ! मज़ा  गया !जैसी आवाजें निकाल रही थी।
मैंने अपने झटकों की रफ्तार और तेज़ कर दी। वो भी मजे से चुदवा रही थी।15 मिनट के बाद मुझे लगा कि मेरा निकल रहा हैतो मैं आंटी से बोला-आंटी मेरा निकलने वाला है !
तो वो बोलीअंदर ही निकाल दे !
और मैं अंदर ही झड़ गया।
उस रोज़ हमने तीन बार चुदाई की और वो अपने घर चली गई। शाम को मेराखाना लेकर उसकी बेटी आई। वो बड़ी ही सेक्सी थी।
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