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शुक्रवार, 28 जून 2013

गलती की सजा - 1


मैं चन्दन पटना का रहने वाला हूँ, आप सभी "हिंदी सेक्सी कहानियां" के पाठकों को लण्डवत प्रणाम करता हूँ।
मैं आज आपको जो कहानी पेश करने जा रहा हूँ यह कहानी एकदम सच्ची कहानी है।
यह बात उन दिनों की है जब मैं पढ़ता था। मेरा घर तीन मंजिला है और आसपास के घरों में सबसे ऊँचा है। मैं हर दिन पढ़ने का बहाना करके छत पर चला जाता था और वहाँ जाकर छत से नीचे इधर-उधर देखता था। मेरे घर के आसपास बहुत सारी लड़कियाँ रहती हैं।
एक घर में दो बहनें रहती हैं जिनका नाम माधुरी और सुन्दरी है उन दोनों की उम्र करीब क्रमशः 22 और 24 है। दोनों बहनें कसम से क्या मस्त लौंडियाँ हैं, दोनों की शादी नहीं हुई है।
मेरा तो उन दोनों को देख कर चोदने का मन करता था लेकिन मुझे सुन्दरी ज्यादा पसंद थी क्योंकि वो बहुत गालियाँ देती है।
उन लोगों का बाथरूम जहाँ वो नहाती हैं, एकदम मेरे घर के पिछवाड़े में नीचे है, मैं हर दिन आराम से उन दोनों के नहाने का इंतज़ार करता था और सबसे ज्यादा सुन्दरी को नहाते देखता था।

कसम से ! क्या खूबसूरत बदन है उसका ! फिगर 36-30-36 है। जब वो नहाती है तब उसका गोरा, गदराया बदन देख कर मेरा तो 7 इंच का लण्ड भड़कने लगता है। मैं हर रोज उसे नहाते देख कर मुठ मारता था और गर्म-गर्म वीर्य कागज पर लेकर उस पर नीचे उसके नहाते समय ऊपर से गिरा देता था।
क्या मजा आता था !
मैं जब-जब उसकी गोल-गोल चूचियाँ देखता था, मेरा मन उन चूचियों दबा कर पीने को आतुर हो जाता था। माल ही ऐसा है !
मेरी यह शरारत बहुत दिन तक चली। एक दिन सुन्दरी को लगा कि मैं ऊपर से देख रहा हूँ तो उसने तुरंत साया अपने सरीर पर अच्छी तरह से लपेट कर पास के किसी कमरे में चली गई।
मैं तो डर गया, मेरी तो गाण्ड फटने लगी कि अगर उसने मेरे घर में कह दिया तो मेरे पापा मुझे बहुत मारेंगे।
मैं 2-3 दिन के लिए यह काम छोड़ दिया। फिर भी कहाँ मेरे मन उस गदराये बदन को देखे बिना मान रहा था। मैंने फिर से देखना शुरु कर दिया, फिर से मेरी मस्ती शुरु हो गई।
एक दिन मेरा वीर्य निकलने में देर हो गई और उसका नहाना खत्म हो गया और वो कपड़े पहन रही थी, तभी मेरा निकल गया और मैं उसके ऊपर डालने लगा।
फिर क्या ! उसे किसी गर्म पदार्थ का अनभव हुआ और वो ऊपर की तरफ देखने लगी तो उसने मुझे देख लिया, फिर मुझे गालियाँ देने लगी...
मादरचोद... जा जाकर अपनी माँ का देख !
बहनचोद...जा जाकर अपनी बहन का बदन देख !
हरामी...! साला..!
मेरी तो उस दिन गाण्ड सूख गई, मैं तो पछता रहा था, अगर घर में पता चल गया तो मेरी खैर नहीं है।
मैं फिर सच में बहुत दिनों तक छत पर नहीं गया, मुझे बहुत डर हो गया था।
एक दिन मैं अपने घर के पास के बाग में गया जहाँ हमारे कुछ फलों के वृक्ष हैं।
वहाँ पास में ही सुन्दरी के परिवार की भी जमीन है लेकिन वहाँ कुछ भी नहीं था सिर्फ पुराने बाथरूम के जो तब कोई प्रयोग नहीं करता था।
मैं अपने अमरूद के पेड़ से अमरूद तोड़ने गया था लेकिन ज्यादा अमरूद नहीं मिले बस दो ही मिले।
मैं लेकर जाने वाला था कि तभी पीछे से किसी ने आवाज़ दी- ऐ कितने अमरूद मिले?
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वहाँ सुन्दरी मुस्कुराती हुई बोली- चन्दन, मुझे नहीं खिलाओगे?
मेरी तो फट गई, मैं घबराते हुए बोला- नहीं, बस दो मिले हैं !
इस पर वो बोली- इधर आ, देखूँ तो !
मैं धीरे धीरे डरते हुए उसके पास गया, उसको दोनों अमरूद दे दिए। वो दोनों ही खा गई। उसके पास खड़े होने से ही मेरी हालत ख़राब हो रही थी, मैं पूरा ही घबराया हुआ था और ऊपर से उस हॉट सुन्दरी को देख कर मेरा लंड अंगड़ाइयाँ ले रहा था।
दोनों अमरूद खाने के बाद वो बोली- बस दो ही मिले?
मैं बोला- हाँ !
वो हुक्म सा सुनाती हुई बोली- चल आ यहाँ मेरे पास !
मेरा लण्ड तो और गर्म हो गया।
तब मेरे पास आकर बोली- चल जेब दिखा?
मैं बोला- देख लीजिये खुद ही ! कुछ नहीं है !

मेरे इतना बोलने के तुरंत बाद ही उसने मेरी जेब में हाथ डाल दिया।
फिर क्या ! सुन्दरी मेरी जेब में हाथ घुमाने लगी, मेरी जेब अंदर से फटी हुई थी, उसके कोमल हाथ का स्पर्श पाकर मेरा लण्ड अनियंत्रित हो गया।
मैंने चड्डी नहीं पहनी थी इसलिए मेरा लण्ड सीधे उसके हाथ में आ गया।
अब तो सुन्दरी हंसने लगी, बोली- यह क्या है चन्दन?
मैं धीरे से घबराते हुए बोला- अब और नहीं होगा ! मुझे माफ़ कर दीजिये !
सुन्दरी बोली- तुझसे तो बहुत पुराना हिसाब चुकाना है, तू अंदर आ !
वो बन्द पड़े पुराने बाथरूम में आने को कह रही थी।
मैं विनती करते हुए बोला- प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिये, मैं दोबारा गलती नहीं करूंगा।
सुन्दरी इस बार जोर से बोली- तेरे बाप को बोल दूँ क्या?
मैं बोला- नहीं, ऐसा मत कीजये ! नहीं तो पापा मुझे घर से निकाल देंगे। आप जो कहेंगी, मैं करूँगा, लेकिन पापा को मत बोलियेगा !
सुन्दरी बोली- सब करेगा? तू अंदर आ ! आज दिखाती हूँ तुझे किसी लड़की को नहाते हुए देखने का मजा !
उसने मुझे अंदर बुलाकर नंगा होने को कहा।
मैं बोला- प्लीज़ छोड़ दो !
तो वो बोली- ठीक है ! तुम्हारे पापा को बोलती हूँ !
मैं बोला- मत बोलो !
फिर वो बोली- तो जो मैं कहूँ, वो कर !
मैं धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगा और नंगा हो गया। मुझे नंगा देख कर वो हंसने लगी। वो मेरे पास आई और मेरे लण्ड पर एक झापड़ मारा।
झापड़ इतना जोर से मारा कि मेरा लण्ड फिर से उतना ही जोर से खड़ा होकर हिनहिनाता हुआ उसके हाथ को छू गया।
अब क्या !
सुन्दरी बोली- वाह क्या लण्ड है ! मुझे चोदेगा क्या?

sm4321@gmail.com

शनिवार, 22 जून 2013

गाँव में प्रियंका मामी !!!!!!!

प्रेषक : साहिल 
हाय दोस्तो, 
यह बात तब की है जब मैं अपने ननिहाल गाँव में गया हुआ था गर्मियों की छुट्टी में ! एक दिन मैं अपने दोस्त मुकेश के घर गया था और उसी के घर में रुकने की बात थी मेरी रात को। उसके घर में तो मैं वैसे कई बार गया था पर कभी रात को रुका नहीं था, उस दिन उसने काफी जिद की थी तो मैंने रुकने का तय कर लिया था। 
उस दिन शाम को उसके पिता जी रात को खेतों में चले गए थे और वहीं ट्यूबवेल के कमरे ही सोना था उन्हें, उसके घर में हम दोनों थे और उसकी मम्मी प्रियंका थी, जिन पर मैंने शुरू शुरू में ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। पर जब मैंने उन पर थोड़ा ध्यान दिया तो मुझे वो मस्त लगी क्योंकि उनके कूल्हे बड़े बड़े और बड़े बड़े ही चुच्चे थे, जो उनके जिस्म पे कमाल के लग रहे थे। वो मेरे ननिहाल की थी तो मक़िं उन्हें मामी कहता था। 
मैंने और मुकेश ने खाना खाया और फिर हम दोनों उसके कमरे में चले गए सोने के लिए। 
हम दोनों लेट के बातें कर रहे थे कि उसके पिताजी ने फोन किया और उसे बुला लिया खेतों में जहाँ वो काम कर रहे थे। 
वो चला गया और फिर मैं अकेला हो गया। 
मैं उसके घर में यहाँ वहाँ घूमने लगा और फिर घूमते घूमते मामी के कमरे में चला गया। 
मामी मुझे बोली- अरे आओ आओ ! अंदर आओ, तुम तो जबसे घर में आये हो, मुझसे एक बार भी बात नहीं की? 
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है मामी, वो क्या है कि हम आज बहुत घूमे हैं न तो पैरों में काफी दर्द हो रहा है, इसीलिए हम सोने लगे था कि मामा का फोन आया, इसीलिए मुकेश तो चला गया, मैं अकेला रह गया। अब मैं क्या करता इसीलिए यहाँ आ गया, वरना पैरों में दर्द हो रहा है, मैं आता ही नहीं। 
"पैरों में दर्द हो रहा है क्या? लाओ मैं दबा देती हूँ, वैसे तुम्हारे मामा भी बोलते हैं तो मैं उनके भी दबा देती हूँ।" 
"ठीक है, आप बोल रही हो तो दबा दो, पर अगर कोई देख लेगा तो?" 
"अरे अब कौन आएगा इतनी रात को? आओ यहाँ पैर ऊपर कर के बैठ जाओ।" 
मैं पैर ऊपर कर के बैठ गया और मामी के कहने से अपना पजामा ऊपर कर दिया और मामी मेरे पैरों में तेल लगाने लगी। 
पजामा घुटने के ऊपर ही नहीं जा रहा था तो तेल लगाने में दिक्कत हो रही थी, मामी ने कहा- पजामा उतार दो, तब अच्छे से तेल लगा सकती हूँ। 
मैंने कहा- मुझे अजीब सा लगेगा आपके सामने में पजामा उतारने में ! 
"अरे मुझसे क्या शर्माना? मैं कोई पराई हूँ?" 
मैंने पजामा उतार दिया और बिस्तर में लेट गया चड्डी में, फिर मामी मेरे पैरों में तेल लगाने लग गई। 
उनके हाथ पड़ते ही मेरा एकदम से तन गया और कूदियाँ मारने लग गया। मैं अपने बनियान से बार बार अपने लंड को चड्डी के ऊपर ढकने की कोशिश कर रहा था पर मामी की तेज निगाहों से नहीं बच पाया। 
"अरे रात बहुत हो गई है, आज तुम यहीं सो जाओ, वैसे भी मैं अकेले नहीं सोती हूँ और आज तुम्हारे मामा भी नहीं हैं।" 
"ठीक है, मैं यही सो जाऊँगा।" 
उन्होंने बत्ती बंद करके छोटी वाली बत्ती जला दी, अपनी साड़ी उतार दी और ब्लाउज़ के हुक खोल लिए। 
"अरे, यह आप क्या कर रही?" 
"मैं रात को ऐसे ही सोती हूँ !" और मामी मेरे बाजू में लेट गई, में बीच बीच में हिल हिल कर उनके चूचो को छू देता तो वो कुछ विरोध नहीं करती। 
फिर मैं बार बार छूने लग गया पर वो कुछ नहीं बोली। 
मेरे अंदर अब जोश भर चुका था और मैंने अब उनके छाती पर अपना हाथ रख दिया और चूचों को पकड़ के सहलाने लगा, वो कुछ नहीं बोली पर उनके मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी। मुझे अब लग रहा था कि मामी मज़े ले रही हैं तो मैंने उनके ब्लाउज़ को हटा दिया और उनके चूचों को मैंने दोनों हाथों से पकड़ लिया और मसलने लगा। 
उनकी सिसकारियाँ अब तेज होने लगी और फिर कुछ देर के बाद मैं उनके चूचों को मुँह में लेकर चूसने लगा। 
मामी मेरे सर पे हाथ रख के अपनी छाती से मुझे कसने लग गई और मैं उनके चुच्चों को और कस कस के चूसने लगा। हम दोनों को काफी मज़ा आ रहा था, मैं बीच बीच में उनके होठों को भी चूस देता और फिर से उनके चुच्चों को चूसने लग जाता। 
मैंने उठ कर उनका पेटीकोट भी उतार दिया और उनकी चूत के ऊपर हाथ फेरने लगा। 
वो भी झट से मेरा लंड पकड़ कर उसे कस कस के दबाने लगी। उनके लंड दबाने से मुझे काफी मज़ा आ रहा था, वो मेरा लंड दबाए जा रही थी और मैं उनके चुच्चे दबाए जा रहा था। 
मैं फिर अपना लंड उनके मुँह के पास ले गया तो मामी ने एकदम उछल कर लंड को मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी। करीब दस मिनट तक मामी मेरा लंड चूसती रही, फिर वो मुझे बोली- अब तुम मेरी चूत चाटो। 
मैंने मना कर दिया पर उन्होंने मुझे फिर से कहा तो मैं उनकी चूत के पास मुँह ले गया और उनकी चूत को चूमने लगा। 
चूमते हुए उनकी चूत से इतनी मस्त महक आई कि मैं उनकी चूत का दीवाना हो गया और उनकी चूत चाटने लगा और काटने लगा। उनकी चूत से लगातर पानी जैसा कुछ रिस रहा था और जब मैंने उनकी चूत का रस चाटा तो नमकीन नमकीन सा लग रहा था और बहुत मज़ा भी आ रहा था। मैं बीच बीच में उनकी चूत में पूरी जीभ डाल देता और वो सिमट सी जाती और मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत में घुसाने लग जाती थी। 
वो फिर मेरे बालों को नोचते हुए बोली- और मत तड़पा और डाल अपना ये गोलू मोलू सा लंड मेरी चूत में, और नहीं सह सकती मैं ! डाल मेरी चूत में। 
"जल्दी कर ज्ल्दी ई !" उन्होंने अपने पैर फ़ैला दिए और लेटी रही। 
मैंने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर रख दिया और रगड़ने लगा, वो अब कस कस के सिसकारियाँ भरने लगी और अपने सर को बिस्तर पर घिसने लगी और फिर मुझे नोचते हुए बोली- और कितना तड़पायेगा रे... जल्दी कर ना ! कब से तड़पा रहा है मुझे। 
अब तो मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने छेद पे लंड सटा दिया और धक्का दे दिया। 
मामी को दर्द हुआ जो उनके चेहरे से पता चल गया पर मामी ने मुँह से आवाज़ नहीं निकाली और दर्द सह गई। 
मेरे लंड ने मामी की चूत को भर दिया था। 
अब मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिया और उनकी चूत मारने लगा। मैंने मामी की टांगों को अपने कन्धों पर रख दिया और उनकी कमर पकड़ के कस कस के चोदने लगा। 
मामी अब कराहने लगी थी और उ... उ उई... ईई... उफ्फ़... ह्म्म्म्म हाय हाय हाय करने लग गई थी। 
उनको काफी मज़ा आ रहा था और वो मुझे भी वो मज़ा दे रही थी। अब मामी ने अपनी टांगों को मेरी कमर पे बाँध दिया और मुझे अपनी तरफ कसने लग गई। वो अब पता नहीं क्या क्या बड़बड़ा रही थी, मुँह से ऊईई... उफ़ उफ़... हम्म्म्म हा... हा... ईईई और... और जोर से... और जोर से ! बहुत मज़ा आ रहा है ! ह्म्म्म... और... और... हम्म और जोर से कर... कर... कर... और जोर हम्म्म्म... क्या लंड है तेरा... मज़ा आ गया... तुम्हारे मामा का मोटा लंड भी इतना मज़ा नहीं दे पाया आज तक... ह्म्म उ उ... ऐईईए... ह्म्म...अह्ह और जोर से... और जोर से करो। 
अब उन्होंने मुझे नीचे लेटा दिया और बोली- तू आराम से लेट, अब मैं तेरे ऊपर चुदूंगी। 
और वो मेरे लंड को चूत पे सेट करके उछल उछल कर चुदने लगी। 
मैंने उनकी मदद करनी भी शुरू कर दी और उन्हें नीचे से कस कस के धक्के देने लगा। 
थोड़े देर के बाद वो बोली- मेरा काम तो होने वाला है, मैं लेट जाती हूँ, तू मुझे चोद ! 
वो लेट गई, मैं उनके ऊपर आ गया और उन्हें कस कस के धक्के देने लगा। वो फिर से बड़बड़ाने लग गई पर मैंने कुछ नहीं सुना और उन्हें कस कस के धक्के पे धक्के देने लगा। 
वो अचानक से अपनी गांड उठा उठा कर मुझे नीचे से चूत देने लग गई और मुझे उन्होंने कस के पकड़ लिया और अपनी नाख़ून गाड़ने लगी मेरे शरीर में। 
वो बोलने लगी- अब मैं झड़ने वाली हूँ ! 
फिर मामी ने उ उ उ उई इस सेस हाय हय्हय सिस सिस उ उ उ उ करते हुए मुझे कस के गले लगा लिया और उनकी पकड़ ढीली हो गई। 
अब तो मेरी भी हालत खराब हो चुकी थी, मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उनको कहा- मेरा भी निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ? 
वो बोली- और कहाँ निकलेगा? जहाँ लंड है, वहीं निकाल दे ! 
और फिर मैंने अपनी गति बढ़ा दी और कस कस के उन्हें फिर से पेलने लगा पर कुछ पल से ज्यादा टिक नहीं पाया और उनकी चूत में ही झड़ गया। 
थोड़ी देर के बाद मैं उनके ऊपर ही लेट गया और सो गया। 
आधी रात को उन्होंने मुझे फिर से जगाया और फिर हमने फिर से चुदाई की और फिर सो गए। 
सुबह उन्होंने मुझे जल्दी उठा दिया ताकि मैं दूसरे कमरे में जा सकूँ किसी के दखने से पहले ! मैं उठ कर मुकेश के कमरे में चला गया। 
फिर सुबह करीब छः बजे मुकेश और मामा दोनों आ गए। इसके बाद मुझे उनकी चूत मारने का फिर से मौका नहीं मिला। 

सोमवार, 17 जून 2013

कैसे जीतें पत्नी का तन और मन


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परिचय-
कोई भी पुरुष जब किसी स्त्री से विवाह कर लेता है तो उसके बाद उस पुरुष का अपनी पत्नी पर पूरा अधिकार हो जाता है। पत्नी को पति के अनुसार ही अपनी आगे की जिंदगी बितानी पड़ती है। मां-बाप के घर के बाद पति का घर ही पत्नी का आसरा होता है। पत्नी जब अपने आपको पूरी तरह से पति के आसरे छोड़ देती है तो पति का भी फर्ज बनता है कि वह भी उसका अच्छी तरह से ख्याल रखे, वह अपनी पत्नी के सुख-दुख का पूरा ध्यान रखे।
हर पत्नी शादी के बाद अपने तन और मन को पति के लिए समर्पित कर देती है क्योंकि वह जानती है कि शादी के बाद पति को सबसे पहले अपनी पत्नी का शरीर चाहिए होता है। इसको इस तरह से भी देखा जा सकता है कि शादी के बाद पत्नी के लिए समर्पण जरूरी हो जाता है लेकिन यह समर्पण का भाव स्त्री के लिए हमेशा एक समान नहीं रहता कभी-कभी तो स्त्री में यह समर्पण का भाव पूरे उत्साह के साथ रहता है जिसमें वह पति के साथ संबंध बनाते समय पूरा आनंद उठाती है परंतु कभी-कभी उसके लिए यह समर्पण मजबूरी बन जाता है जिसमें स्त्री हर प्रकार के आनंद से वंचित रहती है। इसलिए पुरुष को चाहिए कि जो चीज अपनी है ही उस पर जोर-जबर्दस्ती क्या करना। जब पत्नी अपने पति को हर प्रकार के सुख देने के लिए हर समय तैयार रहती है तो फिर पति अपनी पत्नी की इच्छाओं का ख्याल क्यों नहीं रखता।
महान लोगों के अनुसार पत्नी का तन तो हर समय पति के लिए तैयार रहता है लेकिन उसका मन जीतना पति के लिए आसान नहीं होता है। अगर पति अपनी पत्नी का तन प्राप्त करने से पहले उसका मन जीत ले तो इसके बाद पत्नी के द्वारा पति को मिलने वाले शारीरिक सुख का आनंद बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे पुरुष बहुत ही कम होते हैं जो इस बात को जानते हैं कि पत्नी का तन जीतने के लिए पहले उसका मन जीतना जरूरी है। पत्नियां भी अपने पति से यही आशा करती हैं कि उनका पति उनके तन से पहले उनके मन पर कब्जा करे क्योंकि इससे वह अपने आपको संबंधों के लिए तैयार कर पाती है।
ऐसे पुरुष जो सिर्फ अपनी पत्नी का तन पाना चाहते हैं उनकी अक्सर यह शिकायत रहती है कि सेक्स संबंध बनाते समय उनको पूरा आनंद प्राप्त नहीं होता। इसका कारण भी वह अक्सर अपनी पत्नियों को ही मानते हैं लेकिन वह नहीं जानते कि इसका कारण वह स्वयं ही है।
संतान न होने की स्थिति में पत्नी को दोष देना- 
अक्सर शादी होने के कुछ समय के बाद ही ससुराल वाले बहू से अपेक्षा करने लग जाते हैं कि उनकी बहू जल्द ही उनको पोते-पोतियों की खुशखबरी सुनाएगी। शादी को पूरा 1 साल भी नहीं होता कि सब बहू को परेशान करने लगते हैं कि वह कब खुशखबरी सुनाएगी। लेकिन जब बहू उनका यह सपना पूरा नहीं करती तो सब मिलकर बहू को दोष देने लगते हैं। इतनी बातें तो शादी होने के 1 साल के अन्दर-अन्दर होने लगती हैं, लेकिन जब शादी को 3-4 साल बीत जाते हैं तो बहू को बांझ, बंजर जमीन आदि नामों से पुकारा जाने लगता है। घर में छोटी-छोटी बातों पर उसको धिक्कारा जाने लगता है। हद तो तब हो जाती है जब शादी के 6-7 सालों में जब बहू मां नहीं बन पाती तो घर वाले अपने लड़के की दूसरी शादी करवाने के लिए विचार करने लगते हैं। यही हालात तब पैदा हो जाते हैं जब लड़के की दूसरी पत्नी भी मां नहीं बन पाती और उसे भी यही सब सहना पड़ता है। लेकिन कोई लड़के की तरफ ध्यान नहीं देता कि लड़की अगर मां नहीं बन पा रही तो इसमें लड़के का दोष भी हो सकता है और उसकी भी जांच कराई जाए।
संतान न होना असल में ऐसी समस्या है जिसका सामना कर पाना पति और पत्नी दोनों के लिए ही बहुत मुश्किल होता है। इसके लिए सबसे अच्छा रास्ता यही होता है कि संतान न होने की स्थिति में पति को अपनी पत्नी के साथ-साथ अपना भी चेकअप करवा लेना चाहिए। इससे अगर पत्नी के अंदर कोई समस्या न होकर पति के अंदर कोई समस्या हो तो उसको दूर किया जा सके।
लड़का न होने पर पत्नी को दोष देना-
हमारे समाज में आज भी बहुत सी जगहों पर लड़के-लड़की में काफी भेदभाव माना जाता है। ऐसे लोगों का मानना होता है कि अगर घर में लड़का पैदा नहीं होगा तो उनका वंश आगे नहीं बढ़ेगा। इसी धारणा के अंतर्गत ऐसे लोग जब तक घर में लड़का पैदा नहीं होता तब तक अपने घर की बहू को बच्चे पैदा करने के लिए उकसाते रहते हैं चाहे लड़के के चक्कर में कितनी ही लड़कियां पैदा क्यों न हो जाएं। ऐसे लोग स्त्री की हालत नहीं देखते हैं कि उसका शरीर बच्चे पैदा करने में सक्षम है भी या नहीं। बहुत से ऐसे मामलों में लड़का पैदा करने के चक्कर में स्त्री की स्थिति इस मोड़ पर आ जाती है कि उस समय बच्चा होने पर या तो मां को बचा लिया जाए या फिर बच्चे को ही। इस तरह के मामलों में भी दोष स्त्री को ही दिया जाता है कि उसमें लड़का पैदा करने की क्षमता ही नहीं है। स्त्री को दिन-रात प्रताड़ित किया जाता है लड़का पैदा करने के लिए। ऐसे मामलों में हद तो तब हो जाती है जब खुद पति ही लड़का पैदा न होने का दोष अपनी पत्नी को ही देने लगता है। इस समय जब पत्नी को अपने पति का सहारा चाहिए होता है लेकिन पति ही उसे प्रताड़ित करे तो पत्नी का तो पूरा मनोबल टूटना स्वाभाविक है। आज के आधुनिक युग में लोगों की लड़के-लड़कियों के मामलों में ऐसी सोच रखना हमें दूसरे देशों के मुकाबले पिछड़ा साबित करती है। ऐसी सोच रखने वाले लोगों को यह समझाना बहुत जरूरी है कि गर्भ में लड़का है या लड़की यह निर्भर होता है पति और पत्नी दोनों के गुणसूत्रों पर। हर स्त्री-पुरूष की शरीर रचना में 46 गुणसूत्र काफी महत्वपूर्ण होते हैं। पुरुष के शुक्राणु तथा स्त्री के रज (अंडाणु) में एक-एक केंद्रक होता है। हर केंद्रक में 46 गुण सूत्रों में से 23 गुणसूत्र प्रजनन की क्षमता रखने वाले होते हैं। स्त्री-पुरुष के 23-23 गुणसूत्रों के योग से प्रजनन क्रिया सम्पन्न होती है। पुरुष के 22+एक्स अथवा 22+वाई और स्त्री के 22+एक्स तथा 22+एक्स के आपस में मिलने से स्त्री को गर्भ ठहरता है। लड़का या लड़की होने का निर्धारण (लड़का होना है या लड़की) पुरुष के एक्स-वाई तथा स्त्री के एक्स-एक्स के आपस में मिलने से होता है। अगर पुरुष का एक्स गुण सूत्र स्त्री के एक्स गुण सूत्र के साथ मिलता है तो स्त्री के गर्भ में लड़की ठहरती है और अगर पुरुष का वाई गुण सूत्र स्त्री के एक्स गुण सूत्र के साथ मिलता है तो स्त्री के गर्भ में लड़का ठहरता है। इसलिए अगर स्त्री के सिर्फ लड़की पैदा होती है तो इसका दोष स्त्री को देना बिल्कुल सही नहीं है क्योंकि स्त्री के तो एक्स-एक्स गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुष के एक्स-वाई गुण सूत्र होते हैं। लड़का पैदा करने के लिए स्त्री के एक्स गुण सूत्र का पुरुष के वाई गुणसूत्र से मिलना जरूरी होता है लेकिन अगर स्त्री के एक्स गुणसूत्र के साथ पुरुष का भी एक्स गुणसूत्र मिलता है तो सिर्फ लड़की ही पैदा होती है। इसलिए जो लोग लड़कियां पैदा होने का दोष सिर्फ स्त्री को देते हैं उनके लिए यह जानना जरूरी है कि लड़का-लड़का पैदा करने के लिए मुख्य भूमिका पुरुष की ही होती है।
पत्नी को अपने हर सुख-दुख में शामिल करें-
हर व्यक्ति के साथ सुख और दुख का बहुत ही गहरा रिश्ता होता है। अपनी पूरी जिंदगी में हर इन्सान को इन सुख-दुखों से गुजरना पड़ता है। लेकिन जो इन्सान इन मुश्किल हालतों में भी डटकर खड़ा रहता है वह ही अपनी इन समस्याओं से मुक्ति पा लेता है। विद्वानों का यह कहना है कि अगर सुख को किसी और के साथ बांट लिया जाए तो उसका मजा और भी बढ़ जाता है और अगर दुख को किसी और के साथ बांट लिया जाए तो वह कम हो जाता है। एक व्यक्ति के लिए सुख-दुख बांटने के लिए उसकी पत्नी से बढ़कर और दूसरा कोई साथी नहीं होता है क्योंकि एक पत्नी ही होती है जो पति के हर सुख हो या दुख उसमें उसके साथ खड़ी रहती है और उसे हौसला देती है। कई मामलों में तो पत्नी की एक सलाह ही पति को बहुत बड़ी परेशानियों को दूर कर देती है।
बहुत से व्यक्तियों के जीवन में जब भी कोई सुख या दुख के पल आते हैं तो वह व्यक्ति शराब या दूसरे नशे में अपने सुख को बढ़ाना चाहता है या फिर उस नशे में डूबकर अपने गम को भुलाना चाहता है। ऐसे समय में अगर पत्नी को ही इन सुख और दुखों में शामिल किया जाए तो व्यक्ति को किसी तरह के नशे में डूबने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
पत्नी के सामने दूसरी स्त्रियों की प्रशंसा करना-
हर इंसान के अंदर श्रेष्ठता, हीनता और जलन जैसी भावनाएं हर समय मौजूद रहती हैं चाहे वह पति हो या पत्नी। अक्सर शादी के बाद पति अपनी पत्नी को अपने पहले अफेयर के बारे में बताता है। वह अपनी पत्नी की तुलना दूसरी लड़कियों से करने लगता है जोकि बिल्कुल ही ठीक नहीं है क्योंकि कोई भी पत्नी यह बर्दाश्त नहीं कर सकती कि उसका पति उसके सामने किसी दूसरी लड़की की प्रशंसा करे। इन बातों की वजह से कई बार पति और पत्नी के बीच में नौबत तलाक तक पहुंच जाती है। बहुत से पुरुष जो महिला साथियों के साथ काम करते हैं वह अक्सर शाम को आफिस आदि से आने के बाद अपनी पत्नी को उनकी बातें बताने लगते हैं, उनके रूप-रंग की तारीफ करने लगते हैं, आफिस में उनके द्वारा लाने वाले खाने के बारे में बताने लगते हैं कि वह कितना अच्छा खाना बनाती है लेकिन इन सबके बीच में वह यह नहीं सोचता कि अपनी जिस पत्नी को वह मजे ले-लेकर दूसरी लड़कियों के बारे में बता रहा है उसके दिल पर क्या बीत रही होगी। बहुत से पुरुष तो अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाते समय भी दूसरी लड़कियों की तारीफ करने से बाज नहीं आते हैं जिसका नतीजा यह होता है कि पत्नी को सेक्स संबंधों में किसी प्रकार का आनंद नहीं आता है। इन सबके कारण स्त्री कुछ ही समय में चिड़चिड़ी हो जाती है और छोटी-छोटी बातों पर लड़ने-झगड़ने लगती है। इन सबसे बचने का तरीका यही है कि पति को अपनी पत्नी के सामने दूसरी स्त्रियों की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए, जहां तक हो सके अपनी पत्नी की ही ज्यादा से ज्यादा तारीफ करें।
शराब पीकर सेक्स करना-
बहुत से सेक्स विद्वानों का मानना है कि सिर्फ सेक्स ही एक ऐसी क्रिया है जो पुरुष और स्त्री को एक-दूसरे के बिल्कुल तन और मन के करीब कर देती है। इसलिए सेक्स संबंधों का शादीशुदा जीवन में महत्व बढ़ जाता है। अगर स्त्री या पुरुष में से कोई भी अपने बीच में होने वाले सेक्स संबंधों से असंतुष्ट हैं तो वह दिमागी रूप से खुद को अस्वस्थ महसूस करते हैं। यह समस्या पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को ज्यादा परेशान करती है अर्थात ज्यादातर मामलों में स्त्री को सेक्स संबंधों में असंतुष्ट ही रहती है। पुरुषों के साथ चाहे किसी भी तरह की सेक्स संबंधी परेशानी हो उसका सबसे बुरा असर स्त्री पर ही पड़ता है। इसके अलावा जब कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होता है, सेक्स संबंधों में पूरी तरह से सक्षम होता है लेकिन अगर शराब पीकर सेक्स संबंध बनाता है तो भी स्त्री इन संबंधों का पूरी तरह से आनंद नहीं उठा पाती। इन बातों को ज्यादातर पुरुष या तो समझते नहीं है या समझते हैं भी तो इसे अनदेखा कर देते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि पत्नी अपने तन से तो पति के नजदीक हो जाती है लेकिन मन से वह उससे दूर ही रहती है।
स्त्रियों को अक्सर शराब की दुर्गंध बर्दाश्त नहीं होती है इसी कारण जब पति शराब पीकर पत्नी के साथ संबंध बनाता है और पत्नी के साथ चुंबन आदि करता है तो उसकी सांसों में से आने वाली शराब की दुर्गंध के कारण पत्नी अपना चेहरा इधर-उधर घुमाने लगती है। उसकी कोशिश यही रहती है कि उसका पति उससे दूर ही रहे। शराब पीकर सेक्स संबंध बनाने वाले पुरुषों के लिए सेक्स संबंध सिर्फ सजा के तौर पर ही बनते हैं। कुछ समय के बाद ऐसे पतियों की पत्नियां अपने पति से कटी-कटी रहने लगती हैं, सेक्स के प्रति उनकी रुचि समाप्त होने लगती है। ऐसे लोगों का कहना होता है कि उनकी पत्नियां सेक्स संबंधों के समय उनके साथ किसी प्रकार का सहयोग नहीं करती। अगर किसी व्यक्ति को शराब पीने की बुरी लत लगी हो तो उसे चाहिए कि उसे जिस समय सेक्स संबंध बनाने हो उस समय शराब नहीं पीनी चाहिए। कई लोगों का यह भी मानना होता है कि शराब पीकर सेक्स संबंध बनाने से ज्यादा आनंद आता है लेकिन यह बात बिल्कुल गलत है। शराब पीकर सेक्स संबंध सिर्फ कुछ समय के लिए ही होते हैं उसके बाद पुरुष की सेक्स संबंध बनाने की क्षमता पहले से भी कम हो जाती है।
पत्नी के बीमार होने पर-
अक्सर स्त्रियां घर के काम-काज के कारण या बच्चों आदि में पड़कर अपने स्वास्थ्य की तरफ ध्यान नहीं देती हैं। छोटी-मोटी बीमारियों की तो वे बिल्कुल ही परवाह नहीं करती और घर के कामकाज में ही लगी रहती हैं। ऐसे में पति का यह फर्ज बनता है कि वह अपनी पत्नी का ध्यान रखें। पत्नी को यदि कोई रोग हो तो उसकी पूरी देखभाल करने का जिम्मा उसके पति पर ही आ जाता है। अगर स्त्री संयुक्त परिवार में रहती है तो घर के दूसरे लोग उसका पूरा सहयोग करते हैं लेकिन दिक्कत तो तब आती है जब पति और पत्नी अकेले रहते हैं। ऐसे में पत्नी का अपने पति के अलावा देखभाल करने का कोई आसरा नहीं रह जाता।
बहुत से लोग ऐसे होते हैं कि उनको पत्नी की किसी तरह की रोग या परेशानी नजर ही नहीं आती। उसको समय पर खाना चाहिए होता है, समय पर धुले हुए कपड़े चाहिए होते हैं। अगर यह सब समय पर नहीं मिलता तो वह गुस्से में भर जाता है और पत्नी को बुरा-भला कहने लगता है। ऐसे में पत्नी अगर अपने पति को यह बताती है कि उसकी तबीयत खराब थी जिसके कारण वह घर का कामकाज नहीं कर पाती तब भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह उल्टा अपनी पत्नी से सहानुभूति जताने के बजाय उल्टा-सीधा बोलने लगता है। ऐसे पति यह नहीं देखते कि जब वह खुद बीमार होता है या घर का कोई और सदस्य बीमार होता है तो वही पत्नी अपना सब कुछ भूलकर उनकी देखभाल में लग जाती है। उस समय उसे अपने खाने-पीने का भी ध्यान नहीं रहता। ऐसा माना जाता है कि रोग के समय रोगी को जितना लाभ अपने परिजनों की सेवा सुश्रुषा, सहानुभूति और अपनेपन द्वारा मिलता है। इससे रोगी को मानसिक रूप से ताकत मिलती है, आशा जागती है, रोग दूर भागते हैं। रोग के समय जिस व्यक्ति की देखभाल ठीक तरह से नहीं हो पाती है वह जल्दी ठीक भी नहीं होता है। इसलिए हर पति का यह फर्ज होता है कि अगर उसकी पत्नी की तबीयत खराब है तो उसको अपनी पत्नी का पूरा ख्याल रखना चाहिए। इसके लिए अगर पति को अपने काम से छुट्टी लेकर भी अपनी पत्नी की देखभाल करनी पड़े तो उसे यह भी करना चाहिए।
गर्भावस्था में खास सावधानी-
कोई भी स्त्री जब पहली बार गर्भवती होती है या ऐसी स्त्री जो शादी के काफी दिनों बाद गर्भवती हुई हो, दोनों ही स्थितियों में उसे खास देखभाल की जरूरत पड़ती है। इस समय बहुत सी स्त्रियां अंदर से डरी हुई होती हैं। ऐसी स्थिति में पुरुष पर दो तरह की जिम्मेदारियां आ जाती हैं। एक तो उसे अपनी पत्नी का पूरा ख्याल रखना पड़ता है और दूसरा खुद पर संयम रखना होता है। अक्सर गर्भधारण के कुछ समय के बाद ही स्त्री की खुद के प्रति संवेदनशीलता कम रहती है जो गर्भ ठहरने के पांचवें महीने के बाद बढ़ने लगती है। इस समय तक स्त्री को अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की उपस्थिति का साफ-साफ पता चलने लगता है। गर्भवती स्त्री को बच्चे का गर्भ में हाथ-पैर चलाना, करवट लेना आदि महसूस होने लगता है। इसी के साथ उसके भीतर मातृत्व की भावना भी जागने लगती है। यह स्थिति गर्भवती स्त्री के लिए विशेष महत्व की होती है, इसलिए उनकी देखभाल करने का दायित्व भी बढ़ जाता है। पुरुष को ऐसी अवस्था में पत्नी के साथ किसी भी प्रकार का बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका असर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ सकता है। इसलिए हर पति को चाहिए कि स्त्री की गर्भावस्था में उसका पूरा ध्यान रखें, समय-समय पर उसको दवाईयां दें, उसको समय पर खाना खिलाएं। इससे पत्नी को मानसिक रूप से काफी सहारा मिलता है और वह एक नए जीव को जन्म देने के लिए तैयार हो जाती है।
स्त्री के गर्भवती होते ही उसके पति के आत्मसंयम की परीक्षा चालू हो जाती है। इस समय उसके पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर एक तरह से प्रतिबंध लग जाता है। गर्भावस्था के समय के शुरुआती 2 महीनों में तथा आखिरी 2 महीनों में सेक्स करना बिल्कुल ही गलत माना जाता है। इसके अलावा बाकी महीनों में गर्भवती स्त्री के साथ सेक्स संबंध बनाए तो जा सकते हैं लेकिन बहुत ही सावधानी के साथ। कुछ पतियों के लिए इस स्थिति का सामना कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है उनके लिए इतने ज्यादा समय तक सेक्स से दूर रहना एक समस्या हो जाती है। कुछ पुरुष इससे बचने के लिए दूसरा रास्ता निकाल लेते हैं। कुछ पुरुष गुदामैथुन करने लगते है तो कुछ मुखमैथुन की तरफ अग्रसर होने लगते हैं। आमतौर पर स्त्रियां गुदामैथुन और मुखमैथुन को पसंद नहीं करती हैं लेकिन जब पुरुष जबर्दस्ती करता है तो वह मना ही नहीं कर पाती है। वह पुरुष को मनमानी तो करने देती है परंतु उसके मन की भावनाएं भी आहत होने लगती हैं। इसलिए ऐसे समय खुद पर काबू रखना बहुत ही जरूरी होता है।
घर का काम करने में पत्नी का हाथ बंटाना-
अक्सर पत्नी को घर के कामकाज में, बच्चों को संभालने में, मेहमानों की आवभगत करने में इतनी शारीरिक और मानसिक थकान हो जाती है जिसके कारण वह बीमार हो जाती है। ऐसे में स्त्री को महसूस होता है कि कोई ऐसा हो जो उसके कामकाज में थोड़ा हाथ बंटा लें ताकि उसे भी राहत मिले। ऐसे में पुरुष को चाहिए कि वह घर का कुछ काम अपने जिम्मे पर ले ले जिससे कि उसकी पत्नी को भी थोड़ा आराम मिल सके। आजकल ज्यादातर घरों में पति और पत्नी दोनों ही काम करते हैं इसलिए सुबह के काम पति और पत्नी को मिलकर ही करना चाहिए। इसमें चाय-नाश्ते से लेकर खाना बनाना तथा घर की साफ-सफाई शामिल होती है। पत्नी का हाथ बंटाते हुए कहीं भी हीनता का शिकार नहीं होना चाहिए। बहुत से पुरुष कुर्सी पर बैठे-बैठे, चाय पीते हुए, अखबार पढ़ते हुए काफी समय खराब कर देते हैं और फिर आफिस का समय होते ही वह अपनी पत्नी पर काम को जल्दी-जल्दी निपटाने के लिए चिल्लाने लगता है। पत्नी का तो सारा समय ही घर के छोटे-मोटे कामों को करने में ही निकल जाता है। इसलिए पति को खुद ही आगे आकर अपनी पत्नी का हाथ बंटाना चाहिए। पति अगर सारे कामों में पत्नी का हाथ नहीं बंटा सकता तो कुछ काम जैसे सुबह का नाश्ता बनाते समय पत्नी का हाथ बंटा देना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना और भी कई छोटे-छोटे काम हैं जिनमें वह अपनी पत्नी का हाथ नहीं बंटा सकता है। ऐसा करने से पत्नी के सारे काम जल्दी ही निपट जाते हैं और उसे किसी तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी नहीं होती।

तियों के लिए उपयोगी सुझाव 
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परिचय-
शादी के बाद दाम्पत्य जीवन में प्यार और सुख शांति बनाए रखने के लिए पति और पत्नी को मिलकर कोशिश करनी होती है। परिवार एक ऐसी गाड़ी की तरह है जिसमें पति-पत्नी के रूप में पहिए होते हैं जिसे दोनों को मिलकर खींचना होता है। इन दोनों पहियों में से अगर एक भी खराब होता है तो गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाता है।
परिवार को समृद्ध और खुशहाल बनाने के लिए पत्नियों की तरह पतियों की भी बहुत खास भूमिका होती है। अगर दोनों मिलकर कोशिश करते हैं तभी परिवार में सुख-शांति बनी रह सकती है और जहां सुख-शांति है वहीं धन और खुशहाली का निवास होता है। पति या पत्नी में से कोई भी परिवार में अपनी भूमिका से पीछे नहीं हट सकता है क्योंकि दोनों का कार्य क्षेत्र अलग-अलग है। पत्नी का क्षेत्र परिवार के अंदर आता है तो पति का परिवार के बाहर लेकिन सामूहिक रूप से अपने-अपने क्षेत्रों में दिए गए सहयोग का फल मिलकर सामने आता है। पति को परिवार के अंदर भी अपनी कुछ जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है। इसलिए पति और पत्नी दोनों को ही मिलकर अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए काम करते रहना चाहिए।
परिवार में संतुलन- 
शादी के बाद पत्नी का जो सवसे बड़ा सहारा होता है वह उसका पति ही होता है क्योंकि उसकी पत्नी बनने के बाद वह अपना सबकुछ छोड़कर उसके पास आती है। इसलिए पति की जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी पत्नी की अच्छी तरह से देखभाल करे। अक्सर देखा जाता है कि शादी के बाद सास और बहू के छोटे-मोटे झगड़े तो होते ही रहते हैं। ऐसे में पति के रात को घर में आने पर उसकी मां झगड़े की बात को बढ़ा-चढ़ाकर बताती है और चाहे गलती खुद की ही क्यों न हो फिर भी सारा इल्जाम अपनी बहू पर लगा देती है। पति भी अपनी मां की बात सुनकर सारा गुस्सा अपनी पत्नी पर निकाल देता है और कई बार तो उसे पीटने पर भी आ जाता है। ऐसा होने पर पत्नी सिर्फ आंसू ही बहा सकती है और कुछ नहीं कर सकती।
पति को इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि उसकी पत्नी उसकी वजह से ही इस घर में आई है। पत्नी पर अगर किसी तरह की परेशानी आती है तो वह सबसे पहले अपने पति से ही कहती है क्योंकि वह ही उसके लिए सबसे बड़ा सहारा होता है इसलिए पति का फर्ज बनता है कि पत्नी के मान-सम्मान की पूरी तरह से रक्षा करे। शादी के बाद पत्नियां पति को परमेश्वर इसीलिए कहती है क्योंकि जिस प्रकार से परमेश्वर सबकी रक्षा करता है वैसे ही पति भी परमेश्वर की तरह उसकी ऱक्षा करें। उसे हर तरह के दुख और तकलीफ से बचाकर रखें।
पत्नी का मजाक उड़ाना-
बहुत से घरों में पत्नी को अक्सर चिढ़ाया जाता है, उसके ऊपर कई तरह के कमेंटस मारे जाते हैं जिनको सुनकर पत्नी को बुरा तो बहुत लगता है लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाती। ऐसे में वह सोचती है कि काश उसका पति इस समय उसके साथ खड़े होकर उसका मजाक उड़ाने वालों को जवाब दे। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि उसका पति भी अपने घर वालों के साथ मिलकर ही उसका मजाक उड़ाने लग जाता है। ऐसे में स्त्री के पास आंसुओं के सिवा दूसरा कोई सहारा नहीं रह जाता। बाद में इसको एक मजाक का नाम दे दिया जाता है लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या ऐसा मजाक होता है जो सामने वाले को रोने पर मजबूर कर दे, उसके दिल को दुखाए। मजाक एक हद तक ही सही होता है। चलो मजाक हो भी रहा है तो उस समय पति का फर्ज तो यही बनता है कि अपनी पत्नी का साथ दे क्योंकि जब सब लोग एक साथ मिलकर उसकी पत्नी का मजाक उड़ा रहे हैं तो कोई पत्नी के साथ भी तो होना चाहिए। पत्नी को ऐसा कभी भी एहसास नहीं होना चाहिए कि वह अकेली है बल्कि उसे तो ऐसा लगना चाहिए कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि सबसे मुकाबला करने के लिए मेरा पति तो मेरे साथ खड़ा है।
दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित करना-
हमारे भारतवर्ष में आज भी दहेज नाम का सांप कुंडली मारकर बैठा है। दहेज के नाम पर आज भी कितनी स्त्रियां बलि चढ़ा दी जाती है। कई बार लड़की के मां-बाप शादी के बाद अपनी बेटी को काफी कुछ देकर विदा करते हैं और कुछ बाद में देने का वादा कर लेते हैं। बहुत से लोग जान-बूझकर अमीर घर की लड़की से शादी करते हैं। शादी करने से पहले वह कई तरह की डिमांड लड़की के घर वालों के सामने रख देते हैं। अगर लड़की के घर वाले उनकी डिमांड्स को पूरा भी कर देते हैं तो लड़के के घर वाले और भी चीज तथा पैसों की डिमांड करने लगते हैं। अगर लड़की शादी के बाद अपने घर से पैसा आदि नहीं लाती तो उसे तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। बहुत से पति भी दहेज के चक्कर में पत्नी के साथ बुरा बर्ताव करने लगते हैं जिसके कारण उसकी जिंदगी बहुत बदतर हो जाती है। कभी-कभी इसके परिणाम बहुत ही ज्यादा गंभीर भी निकलते हैं।
हर पति को एक बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि उनके द्वारा दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित करना बहुत बड़ा पाप होता है इसलिए पत्नी को दहेज के लिए परेशान नहीं करना चाहिए। शादी के बाद लड़की के पिता की मर्जी होती है कि वह अपनी बेटी को क्या देना चाहता है और क्या नहीं देना चाहता है। लेकिन अगर लड़के द्वारा एक भी चीज की डिमांड रखी जाती है तो उससे गिरी हुई बात कोई और नहीं हो सकती। पत्नी को कम दहेज लाने पर या बिल्कुल न लाने पर किसी प्रकार के ताने नहीं देने चाहिए और इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि घर का कोई और सदस्य भी उसे किसी प्रकार से प्रताडि़त न कर पाए। ससुराल वालों को बहू को ही सबसे बड़ा दहेज मानना चाहिए क्योंकि एक मां-बाप के लिए उसकी बेटी से बढ़कर दूसरा और कोई धन नहीं होता है।
शादी के बाद लड़की का नौकरी करना-
आज के समय में बढ़ती हुई मंहगाई के कारण पति और पत्नी दोनों का ही बाहर नौकरी करना जरूरी हो गया है और गृहस्थी को चलाने के लिए भी यह जरूरी है। लेकिन बहुत से घरों में आज भी स्त्री के बाहर काम करने को गलत नजरों से देखा जाता है क्योंकि ऐसे घर के लोगों को लगता है कि अगर स्त्री घर से बाहर रहकर दूसरे पुरुषों के साथ काम करेगी तो उसके दूसरे पुरुषों के साथ संबंध बन सकते हैं। लेकिन ऐसी सोच बिल्कुल गलत है। आज भी बहुत से ऐसे परिवार हैं जहां पर पति और पत्नी दोनों ही बाहर काम करते हैं और उनके बीच में कोई समस्या भी नहीं होती है। कुछ लोग अपनी पत्नी के ऊपर अधिकार जमाने के लिए चाहते हैं कि वह घर पर ही रहे और घर और बच्चों को संभाले। सभी पतियों को चाहिए कि अपने मन से किसी भी तरह के शक आदि को निकालकर अपनी पत्नी को बाहर नौकरी करने देना चाहिए और उसके विकास में भी सहयोग देना चाहिए।
व्यक्तिगत समस्याओं का पत्नी पर गुस्सा उतारना-
आज के समय में बहुत से व्यक्ति इस समस्या से ग्रस्त हैं कि वह अपना किसी भी तरह का गुस्सा आदि अपनी पत्नी पर उतार देते हैं जिसको कि किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता है। हर व्यक्ति किसी न किसी समस्या से ग्रस्त रहता है। अगर व्यक्ति आफिस आदि में काम करता है तो वहां पर बॉस की डांट खानी पड़ती है तो उसे गुस्सा आने लगता है, अगर व्यक्ति अपना काम करता है तो वहां पर फायदा या नुकसान उसके मन में आक्रोश भर देता है। यही गुस्सा जब तक बाहर नहीं निकल जाता तब तक अंदर ही अंदर सुलगता रहता है। इसको पति और पत्नी के बीच होने वाले झगड़ों की बहुत बड़ी वजह माना जाता है। पति को जब अपना गुस्सा निकालने का दूसरा कोई रास्ता दिखाई नहीं देता है तो वह इसे अपनी पत्नी पर निकाल देता है। वह पत्नी की छोटी-छोटी बातों में गलतियां निकालने लगता है और कुछ मामलों में तो बात मारपीट पर भी आ जाती है।
यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि पति अपने गुस्से को निकालने का कोई दूसरा रास्ता क्यों नहीं तलाश करता। पत्नी को बार-बार डांटना, उसके कामों में गलतियां निकालना कहां तक सही है। हर व्यक्ति को इस बात की कोशिश करनी चाहिए कि समस्या चाहे आफिस की हो या व्यापार की उसे घर के भीतर नहीं ले जाना चाहिए। बाहर की किसी भी तरह की समस्या का असर पत्नी पर नहीं पड़ना चाहिए नहीं तो इससे घर की सुख और शांति में बाधा पड़ सकती है।
पत्नी से कुछ छिपाना-
बहुत सी पत्नियां अक्सर यह शिकायत करती रहती है कि पति उनसे ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे वह उनकी जिंदगी का हिस्सा ही नहीं है। कई पुरुष अपने घर के सदस्यों के प्रति कुछ ज्यादा ही लगाव रखते हैं। वह घर के किसी भी सदस्य को कुछ भी देते लेते हैं तो अपनी पत्नी को या तो बताते नहीं है या बताना जरूरी नहीं समझते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि अगर मैं अपने घर वालों को कुछ देता हूं और यह बात मेरी पत्नी को पता चल जाती है तो उसे बहुत बुरा लगेगा। लेकिन जो पति ऐसा सोचते हैं या करते है वह बहुत ही गलत करते हैं क्योंकि घर की कोई भी बात हो वह कभी न कभी पत्नी के सामने आ ही जाती है।
अगर घर में किसी सदस्य को किसी भी चीज की जरूरत होती है और पति अपने घर वालों की उस जरूरत को पूरा कर देता है तो उसे अपनी पत्नी से कुछ भी छिपाना नहीं चाहिए। अगर पति का व्यवहार अपनी पत्नी के प्रति अच्छा है तो कोई भी पत्नी अपने पति की इस बात पर एतराज नहीं करती कि उसका पति अपने परिवार के लिए कुछ क्यों कर रहा है। इसलिए पति की समझदारी इसी में है कि वह हर तरह के लेने या देने में अपनी पत्नी से कुछ न छिपाएं क्योंकि अगर वह अपनी पत्नी को सब कुछ बताकर करता है तो इससे दोनों के ही बीच में प्यार और भरोसा बढ़ता है।
पत्नी को खुश रखना-
एक गृहस्थी संभालने वाली स्त्री पूरे दिन घर के कामों में इतनी थक जाती है कि शरीर के साथ उसका मन भी थकने लगता है। ऐसे में पति की एक प्यार भरी बोली स्त्री के तन और मन की थकान को तुरंत दूर कर देती है लेकिन यह पति पर निर्भर करता है कि वह अपनी पत्नी को किस प्रकार खुश रख सकता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि पत्नी को महंगे उपहारों आदि के द्वारा खुश किया जा सकता है लेकिन यह गलत है। पत्नी के लिए तो कई बार सिर्फ पति की एक मुस्कान ही काफी रहती है। इसके अलावा कुछ दूसरे तरीकों के द्वारा भी पत्नी को खुश किया जा सकता है-
• जिस दिन भी पत्नी के साथ संभोग क्रिया करनी हो तो उस दिन फूलों का एक गजरा (वेणी) लेकर आएं। फिर उसे रात के समय स्वयं अपनी पत्नी के बालों में लगाना चाहिए। इस तरह करने से पत्नी का मन आनंद से भर जाता है। 
• महीने में या सप्ताह में 1-2 बार पत्नी को कहीं बाहर घुमाने ले जाना चाहिए या फिल्म आदि दिखाने जाना चाहिए। घूमते समय पत्नी के साथ बाहों में बाहें डालकर प्यार की बातें करनी चाहिए। रोजाना घर के कामकाज करते-करते पति के साथ बाहर घूमने से पत्नी की शारीरिक और मानसिक थकान दूर हो जाती है और मन में नए उत्साह का संचार होता है। 
• घर पर पत्नी अगर खाने में कुछ नया बनाती है तो उसकी दिल खोलकर प्रशंसा करनी चाहिए। हर पत्नी चाहती है कि वह अगर अपने पति के लिए कुछ भी करती है तो पति उसकी बहुत तारीफ करें इसमें पत्नी के द्वारा बनाया गया खाना सबसे अहम होता है। बहुत से पति अपनी पत्नी के द्वारा किए गए किसी भी काम की तारीफ नहीं करते हैं जिससे पत्नी का उत्साह किसी भी काम को करने में नहीं लगता है इसलिए पत्नी की तारीफ करने में किसी तरह की कंजूसी नहीं करनी चाहिए। 
• पत्नी जब भी यह शिकायत करती है कि मेरी तबीयत कुछ खराब है या कुछ अच्छा नहीं लग रहा है तो उसको घर के सारे कामों से छुट्टी दे देनी चाहिए। अगर पति और पत्नी घर में अकेले ही रहते हैं तो पति को ही घर की पूरी जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। पत्नी भी जब देखती है कि उसके पति ने पूरा घर संभाल रखा है तो वह भी बहुत खुश हो जाती है और जल्दी ही ठीक हो जाती है। 
• पत्नी की अगर कोई सहेली घर पर आती है तो उसके साथ सही तरह से व्यवहार करना चाहिए। बहुत से पुरुषों की आदत होती है कि वह अपनी पत्नी की सहेलियों के संग कुछ ज्यादा ही घुलमिल जाते हैं और उनसे कुछ ज्यादा ही मजाक आदि करने लगते हैं। इससे पत्नी को अपने पति पर शक होने लगता है और उसकी नजरों में पति की इज्जत कम होने लगती है। इसलिए जब भी पत्नी की कोई सहेली आदि घर पर आए तो अच्छा है कि वह अपनी पत्नी और सहेली को अकेला छोड़ दें। 
• हर पति को अपनी पत्नी के लिए त्यौहार या शादी की सालगिरह पर कोई न कोई गिफ्ट आदि देते रहने चाहिए। उपहार चाहे छोटा हो या बड़ा ये उपहार देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। पत्नी भी यह नहीं देखती कि मेरे पति ने मुझे छोटा उपहार दिया है या बड़ा। पति के द्वारा मिलने वाला उपहार उसे बहुत ज्यादा खुशी देता है। 
• पति को कभी भी अपनी पत्नी की सालगिरह या जन्मदिन नहीं भूलना चाहिए। बहुत से पति इन खास तारीखों को भूल जाते हैं लेकिन पत्नी कभी ऐसी तारीखों को नहीं भूलती है। इसलिए हर पति को चाहिए कि इन खास तारीखों को कभी न भूलें। पति को शादी की सालगिरह या पत्नी के जन्मदिन पर उसके लिए कोई तोहफा देना चाहिए या पहले से ही कोई उपहार लेकर रखना चाहिए और रात के 12 बजते ही पत्नी को उपहार देकर चौंका देना चाहिए। 
सेक्स संबंध-
पति और पत्नी के बीच के रिश्तों को सही तरह से निभाने के लिए बाकी सब चीजों के साथ एक चीज और भी बहुत जरूरी है जिसके जरा सा भी खराब होने से पति और पत्नी के बीच बहुत बड़ी दरार पड़ सकती है। यह हैं दोनों के बीच में बनने वाले सेक्स संबंध। इन्हीं सेक्स संबंधों के कारण ही पति और पत्नी के बीच व्यक्तिगत संबंधों का निर्धारण होता है। अगर यह संबंध सही है तो सब कुछ सही चलता है लेकिन इन संबंधों में अगर स्त्री असंतुष्ट रह जाती है तो इससे उनकी बसी-बसाई गृहस्थी में उथल-पुथल हो सकता है।
बहुत से मामलों में पुरुष की सेक्स क्षमता किसी न किसी कारण से प्रभावित हो सकती है और स्तंभन शक्ति कम होने लगती है। पुरुष की इस कमजोरी का असर उसकी पत्नी पर पड़ता है। पत्नी की रोजाना की आवश्यकताओं की पूर्ति दूसरे माध्यमों से हो सकती है लेकिन सेक्स संबंधों में उसे जो संतुष्टि चाहिए वह उसे उसके पति के अलावा कहीं और से प्राप्त हो नहीं सकता।
पति के अंदर अगर शीघ्रपतन (संभोग के समय जल्दी स्खलन होना) का रोग हो तो यह उन दोनों के बीच परेशानियों को बढ़ा देता है। जब पति की इस समस्या के कारण पत्नी हर बार सेक्स संबंधों से मिलने वाले चरम सुख से वंचित रह जाती है तो पत्नी के दिल में धीरे-धीरे अपने पति के लिए विरक्ति पैदा होने लगती है और पत्नी अपनी शारीरिक संतुष्टि के लिए दूसरे पुरुष के पास जाने को मजबूर हो जाती है। यही कारण होता है गृहस्थी बिगड़ने का। पुरुषों को इस बारे में बहुत ही गंभीरता से सोचना चाहिए। अगर उसके साथ सेक्स से संबंधित कोई परेशानी हो जाती है तो उसको उपचार करवाने में देरी नहीं करनी चाहिए। अगर इस मामलें में जरा सी भी लापरवाही की जाए तो बहुत खतरनाक हो सकती है।
शारीरिक आकर्षण-
शादी के बाद अपने शारीरिक आकर्षण को बनाए रखना सिर्फ स्त्रियों के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि पुरुषों के लिए भी उतना ही जरूरी है। अक्सर पति शादी के बाद इस बात की जरूरत महसूस नहीं करते कि उन्हें अब अपनी पत्नी को आकर्षित करने के लिए शरीर को अच्छा बनाकर रखने की जरूरत है। बहुत से लोगों का यह भी मानना होता है कि अगर शादी के कुछ साल बाद पति अपने पहनावे को लेकर या अपने शरीर को लेकर कुछ ज्यादा ही चिंतित होने लगता है तो समझना चाहिए कि वह किसी और स्त्री के चक्कर में पड़ता जा रहा है। शादी के बाद जिस रफ्तार से स्त्रियां अपने शरीर के प्रति लापरवाह हो जाती हैं उससे ज्यादा पुरुष लापरवाह हो जाते हैं। बहुत से व्यक्ति तो पूरे-पूरे सप्ताह तक शेव करने से भी परहेज करने लगते हैं। छुट्टी वाले दिन तो पुरुष उठकर नहाने धोने में भी आलस्य करने लगता है। आस-पास अगर कहीं भी जाना पड़ता है तो जो कपड़े उसने पहने होते हैं उन्हीं में उठकर चल देता है। इससे पति के प्रति पत्नी का आकर्षण कम होने लगता है जिसका असर उनके बीच बनने वाले शारीरिक संबंधों पर भी पड़ता है। हर पति के लिए यह ध्यान देने वाली बात है कि जिस तरह से वे चाहते हैं कि उनकी पत्नी हर तरह से आकर्षक लगे उसी प्रकार स्त्रियां भी चाहती है कि उनके पति भी सबसे ज्यादा आकर्षक दिखाई दें।
घर में आने वाली आर्थिक समस्या-
शादी के बाद अक्सर छोटे-मोटे इतने खर्चे हो जाते हैं कि घर में आर्थिक समस्या पैदा हो जाती है। पति की तनख्वाह में घर का खर्च नहीं चल पाता है या किसी की शादी वगैरा आ जाती है जिसके लिए धन की जरूरत होने पर किसी से पैसे उधार लेने पड़ते हैं और कुछ समय बाद उसे वापस भी दे दिया जाता है। ऐसे ही पैसों की जरूरत पड़ने पर ससुराल आदि से भी पैसा उधार ले लिया जाता है लेकिन कई लोग ससुराल का पैसा वापिस नहीं करते जोकि गलत है। अगर ससुराल से पैसे लिये जाते हैं तो उन्हें भी जल्दी वापिस कर देने चाहिए नहीं तो इससे ससुराल में नाम खराब होता है।
ससुराल के प्रति सहयोगात्मक रहना-
हर परिवार में कोई न कोई शादी-ब्याह या दूसरे कोई से फंक्शन चलते ही रहते हैं। इसी तरह से पत्नी के घर में भी कोई न कोई फंक्शन आदि होते ही रहते हैं। ऐसे में पत्नी चाहती है कि उसका पति उसके साथ रहे क्योंकि उसे पता होता है कि पति के साथ रहने पर ही उसका सम्मान बढ़ता है। ऐसे में अगर उसका पति उसे पूरी तरह से सहयोग देता है तो उसके आनंद की कोई सीमा नहीं रहती। लेकिन बहुत से पति ऐसे होते हैं जो अपने ससुराल में किसी तरह का सहयोग नहीं करते हैं। ऐसे पति अक्सर पत्नी के मायके में होने वाले कार्यों में कोई न कोई विवाद पैदा कर देते हैं और ऐसे किसी कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर देते हैं। ससुराल वाले ऐसे दामादों को मनाते-मनाते थक जाते है लेकिन वह किसी की बात सुनते ही नहीं हैं।
पति के इस तरह के व्यवहार से पत्नी का काफी दिल दुखता है। मायके में भी उसे तरह-तरह की बातें सुननी पड़ती हैं कि तेरा पति कैसा है किसी की बात नहीं सुनता है। इसलिए हर पति का यह कर्त्तव्य होता है कि वह अपनी पत्नी के किसी भी हाल में अपमान न होने दें। ससुराल में पड़ने वाले हर काम में बढ़-चढकर हिस्सा लेना चाहिए। इससे ससुराल में पति का मान-सम्मान बढ़ने से पत्नी को भी बहुत खुशी मिलती है।
पतियों के लिए कुछ और जरूरी बातें-
• बहुत से पतियों की आदत होती है कि वह सोचते हैं कि हमारी शादी हो चुकी है तो मुझे अपनी पत्नी को अपने प्रेम का इजहार करने की कोई जरूरत ही नहीं है लेकिन यह बात गलत है। हर पति को चाहिए कि समय-समय पर अपनी पत्नी से किसी न किसी रूप में अपने प्रेम का इजहार करते रहना चाहिए क्योंकि पति चाहे अपनी पत्नी से कितना भी प्रेम करे लेकिन फिर भी उसे एक आस रहती है कि मेरा पति मुझे रोजाना कहे कि मै तुमसे बहुत प्यार करता हूं। अगर कोई पति अपनी पत्नी से सुबह काम पर जाते समय या शाम को आने के बाद प्यार के दो शब्द बोलता है तो पत्नी के लिए वह दो शब्द सबसे अनमोल होते हैं। 
• पति को कभी-कभी अपनी पत्नी के किसी न किसी गुण की प्रशंसा करते रहना चाहिए जिसमें सबसे ऊपर पत्नी की खूबसूरती आती है। अगर पति बहुत ही रोमांटिक मूड में अपनी पत्नी के रूप-रंग की तारीफ करता है तो इससे पत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। 
• अक्सर स्त्रियों में प्यार या काम उत्तेजना की लहर उठने पर वह मुंह से कुछ नहीं कहती लेकिन अपने हाव-भाव से अपने अंदर उठने वाली तरंगों का प्रदर्शन करती है। इसलिए हर पति को चाहिए कि पत्नी के इन हाव-भाव के जरिए उसके दिल की बात जानने की कोशिश करें। 
• अपने बच्चों के सामने अपनी पत्नी की कोई बुराई नहीं करनी चाहिए या उसके बारे में कोई ऐसी बात नहीं करनी चाहिए जिससे कि बच्चों की नजर में अपनी मां की छवि खराब हो।
• घर के किसी भी छोटे-बड़े फैसलों में एक बार अपनी पत्नी की राय जरूर लेनी चाहिए। कभी-कभी पत्नी की एक छोटी सी राय भी पति की बड़ी से बड़ी परेशानी को पल भर में दूर कर देती है। 
• अगर पत्नी किसी बात पर गुस्से में हो तो उसे तुरंत ही अपने सीने से लगा लेना चाहिए। पति की यह छोटी सी हरकत पत्नी का गुस्सा पलभर में ही गायब कर देती है। 
• बहुत सी स्त्रियां होती हैं जोकि अपने पति को तो अच्छे से अच्छा भोजन कराती हैं लेकिन खुद कुछ भी खाने में ही अपना कर्त्तव्य समझती है। पति भी सोचता है कि पत्नी जो खा रही है चलो सही है। लेकिन पति को इस बात का ख्याल रखना चाहिए और उसे अच्छे से अच्छा खाना खिलाना चाहिए क्योंकि स्त्री के भोजन पर ही उसके होने वाले बच्चे का स्वास्थ्य निर्भर करता है। 
• अगर आपकी पत्नी ज्यादा खूबसूरत नहीं है तो इसमें उसे दोष देने की या बात-बात में उसे ताने मारने की कोई जरूरत नहीं है। पत्नी की सुंदरता उसके रूप-रंग को न देखकर उसके गुणों और समझदारी पर निर्भर करती है। अगर आपकी पत्नी में सबका दिल जीतने की कला है तो वह दुनिया की सबसे खूबसूरत स्त्री है। 
• अगर पति-पत्नी के बीच किसी भी तरह की अनबन होती है तो उसके बारे में किसी बाहर के व्यक्ति को पता नहीं चलना चाहिए। यहां तक कि पत्नी के घर वालों को भी इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए क्योंकि बहुत से मामलों बात सुलझने की बजाय और बिगड़ जाती है। पति-पत्नी के बीच की किसी भी तरह की समस्या को वह दोनों आपस में ही मिलकर आसानी से सुलझा सकते हैं। 
चार बातों पर सदा अमल करने से पति और पत्नी के बीच किसी भी तरह की समस्या होने की आशंका नहीं रहती है-
• दोनों के बीच में सच्चा प्यार होना चाहिए। 
• दोनों को एक-दूसरे पर पूरा भरोसा रखना चाहिए।
• पति-पत्नी को एक-दूसरे के स्वभाव का अच्छी तरह से पता होना चाहिए कि उन्हें क्या पसंद है और क्या पसंद नहीं है।
• दोनों को एक-दूसरे की छोटी-मोटी गलतियों को नजरअंदाज करते रहना चाहिए और अगर गलती हो भी जाए तो उसे क्षमा कर देना चाहिए।

शनिवार, 15 जून 2013

नींद का बहाना




मैं उस समय लगभग अट्ठारह साल की थी, तब का यह किस्सा है। मेरे माता-पिता किसी की शादी में बाहर गए हुए थे।

उस दिन मैं एक सेक्सी प्रोग्राम टीवी पर देख रही थी। उसमें एक लड़का लेटा था तथा एक लड़की उसके पास बैठ कर उसके बदन से मस्ती कर रही थी। फिर लड़की ने अपना कुरता खोल दिया, अब वो ब्रा में थी। फिर लड़के से उसने अपनी ब्रा का हुक खुलवा लिया। फिर लड़की ने लड़के के कमीज के सारे बटन खोल दिए। अब लड़का उसके स्तनों से खेलने लगा। लड़की को बड़ा मजा आ रहा था, लड़के का लंड भी उठ गया था तथा वो ऊपर को तन गया था। लड़के ने लड़की की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया। अब लड़की ने भी लड़के की पैंट के बटन खोल कर उसकी चड्डी में हाथ डाल दिया।

मैं यह सब देख रही थी तथा बहुत मजा आ रहा था। मेरी भी चूत अभी गीली हो रही थी। मैंने अपनी चूत में अंगुली डाली तो बड़ा मजा आया। मैंने सोचा कि बिस्तर पर लेट कर मजा लूँगी लेकिन इसी वक्त मुझे लगा कि मरे पीछे भी कोई टीवी देख रहा है। मैंने जल्दी से टीवी बंद किया और पीछे देखा। मेरे अंकल जो फौज में काम करते थे, वो भी देख रहे थे। मैं उनको देख कर मुस्करा दी और बिस्तर पर चली गई, मैं नींद का बहाना करने लगी।

आधे घंटे बाद मुझे लगा कि मेरे साथ कोई सोया हुआ है। मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह फौजी अंकल ही होंगे। उन्होंने अपने शरीर को मेरे शरीर से छुआ दिया। मैंने नींद का बहाना जारी रखा। धीरे धीरे उन्होंने अपना हाथ मेरे वक्ष पर रखा। फिर थोड़ी देर के बाद वो अपने हाथ को फिराने लगे। एक चूची से दूसरी चूची तक धीरे धीरे हाथ फिराते रहे।

मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।

धीरे धीरे वो अपने हाथ को मेरी कमर पर ले गए और फिर वो अपना हाथ मेरी टांगों के बीच में ले गए। उन्होंने मेरी चूत पर अपना हाथ फेरा।

मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।

अब वो मेरी कुर्ती के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगे। वो अपने हाथ मेरी कमर के नीचे डाल कर मेरी कुर्ती की ज़िप तक पहुँचाना चाहते थे लेकिन कर नहीं पाए। मैं धीरे से टेढ़ी हो गई। इसका फायदा उन्होंने उठाया और जल्दी से मेरी कुर्ती की ज़िप खोल दी। इसके बाद उन्होंने मेरी कुर्ती को भी उतार दिया।

मैंने फिर भी नींद का बहाना जारी रखा।

अब मेरी कमर पे सिर्फ ब्रा थी। अंकल मेरी ब्रा में हाथ डाल कर मेरी चूची को दबाने लगे। अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मेरे तन-बदन में आग लग रही थी।

इसी बीच मेरे हाथ के पास एक कड़क चीज थी, यह अंकल का लंड था। अंकल अपना हाथ मेरे नंगे बदन पर घुमाने लगे, मेरे बदन पर चूमने लगे। अब उनका हाथ मेरी सलवार तक पहुँच गया और वो मेरा नाड़ा खोलने की कोशिश करने लगे। उनसे नाड़ा खुला नहीं और उल्टा उलझ गया।

अब मैं सोचने लगी कि क्या किया जाए !

किस तरह नींद में रह कर नाड़े को खोला जाए?

मैंने नींद में ही कहा- दरवाजा खुला न रहे ! नहीं तो बिल्ली आकर सब दूध पी लेगी।अंकल जल्दी से उठ कर दरवाजा बंद करने चले गए. मैंने जल्दी से अपना नाड़ा खोल कर इस तरह थोड़ा सा बांध दिया कि आसानी से खुल सके।

अंकल दरवाज़ा बंद करके आये। थोड़ी देर बाद हाथ फिरा का मेरा नाड़ा भी खोल दिया। अभी सलवार उतारने के लिए मुझे फिर अंकल की मदद करनी जरुरी थी। अंकल ने मेरी सलवार को नीचे खिसकाना चालू किया तो मैं थोड़ा सा ऊपर हो गई ताकि मेरी सलवार आसानी से उतर सके। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। अंकल का लंड भी बहुत बड़ा और कड़ा हो गया था जो कि मेरे बदन, जांघ से तथा मेरे हाथ से छू रहा था। अंकल कभी मेरी ब्रा में हाथ डालते तो कभी मेरी पैंटी में !

मैं अब तरपने लगी थी। अब अंकल ने अपने होंट मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूमने लगे। अब मैंने भी अपनी आँखें खोल दी और उनको चूमने लगी।

अंकल ने पूछा- यह तुमको अच्छा लग रहा था?

मैंने कहा- बहुत अच्छा लग रहा था।

उन्होंने बोला- अब मैं जो करूँगा वो तुम्हें बहुत ज्यादा मजा देगा।

उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी। फिर अपनी लुंगी भी खोल दी। उनका लंड एक दम कड़ा और लम्बा था। फिर उन्होंने मुझे पूछा- वैसलीन या घी कहाँ रखा है?

मैंने उनको पूछा- यह क्यों चाहिए?

तब उन्होंने बताया- तुम पहली बार चुदवा रही हो, इसलिए जरुरी है। इससे मेरा लंड तुम्हारी चूत में आराम से घुस जायेगा।

मेरी चूत तथा अपने लंड पर वैसलीन लगा कर वो मेरा चुम्मा लेने लगे तथा जोर जोर से मेरे वक्ष की मालिश करने लगे।

उन्होंने कहा- अब तुम अपने दोनों पांव फ़ैला लो !

मैंने दोनों पांव फ़ैला लिए।

उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया, फिर धीरे धीरे उसे दबाने लगे। मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा था तथा दर्द भी हो रहा था। फिर उन्होंने थोड़ा सा लंड और दबा दिया।

अंकल बोले- घबराओ नहीं ! पहली बार दर्द होता हैं लेकिन इतना मजा आता है कि पूछो मत !

सही था, मैं तो पूरा लंड लेना चाहती थी। थोड़ी सी देर में उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मुझे भी दर्द हुआ तथा खून भी निकला लेकिन इतना मजा आया कि पूछो मत।

अब अंकल ऊपर-नीचे होने लगे और मैं भी अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी। बहुत ज्यादा मजा आ रहां था...

कुछ मिनट तक ऊपर-नीचे करने के बाद अंकल एकदम अकड़ से गए और इसी बीच मेरे चूत के अन्दर भी जूस निकल गया।

इसके बाद तो अंकल मुझे एक जगह लेकर गए, वहाँ हमने चुदाई का बहुत मजा लिया। लेकिन यह सब अगली कहानी में लिखूंगी।

शुक्रवार, 14 जून 2013

मुझे शर्म आती है !-2

 प्रेषिका : पिंकी शर्मा

मुझे शर्म आती है !-2
सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था। लाख रग़ड़ लो तकिये पर
लेकिन चूत में लंड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या।
बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि मुकेश के कुंवारे लंड को कैसे अपनी चूत
का रास्ता दिखाया जाए। फिर उठकर तैयार हुई, मुकेश भी स्कूल जाने को तैयार था।
नाश्ते की मेज हम दोनों आमने-सामने थे। नज़रें मिलते ही रात की याद ताज़ा हो गई और
हम दोनों मुस्करा दिए, मुकेश मुझसे कुछ शरमा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ। मुझे
लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जाएगा इसलिए चाहते हुए भी ना बोली।
चलते समय मैंने कहा- चल, आज तुझे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ।
वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया। वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग
बैठा था, वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था।
मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तू उसका संतुलन बिगड़ गया और संभालने के लिए उसने मेरी कमर
पकड़ ली।
मैं बोली- कस कर पकड़ ले, शरमा क्यों रहा है?
"अच्छा दीदी !" और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया। उसका लंड खड़ा हो गया था और वह अपनी जांघों के बीच मेरे
चूतड़ों को जकड़े था।
"क्या रात वाली बात याद आ रही है मुकेश?"
"दीदी रात की बात ही मत करो। कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल में भी शुरू हो जाऊँ।"
"अच्छा तो बहुत मज़ा आया रात में?"
"हाँ दीदी इतना मज़ा ज़िंदगी में कभी नहीं आया। काश कल की रात कभी ख़त्म ना होती। आपके जाने के बाद मेरा फिर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ में
जो बात थी वो कहाँ ! ऐसे ही सो गया।"
"तो मुझे बुला लिया होता। अब तो हम तुम दोस्त हैं, एक दूसरे के काम आ सकते हैं।"
"तो फिर दीदी आज रात का प्रोग्राम पक्का।"
"चल हट, केवल अपने बारे में ही सोचता है, यह नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है, मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास !"
"अरे आप तो नाराज़ हो गई दीदी। आप जैसा कहेंगी वैसा ही करूँगा। मुझे तो कुछ भी पता नहीं, अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा।"
तब तक उसका स्कूल आ गया था, मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बग़ैर आगे चल दी।
स्कूटर के शीशे में देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है, मैं मन ही मन बहुत ख़ुश हुई कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया।
शाम को मैं अपने कॉलेज से जल्दी ही वापस आ गई थी। मुकेश 2 बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया। मुझे लेटी देखकर बोला-
दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?
"ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या?"
"दीदी कल इतवार है ही। वैसे कल रात का काफ़ी होमवर्क बचा हुआ है।"
मैंने हँसी दबाते हुए कहा- क्यों? पूरा तो करवा दिया था। वैसे भी तुझे यह सब नहीं करना चाहिए। सेहत पर असर पड़ता है, कोई लड़की पटा ले, आजकल
की लड़कियाँ भी इस काम में काफ़ी इंटेरेस्टेड रहती हैं !"
"दीदी। आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिए सलवार नीचे और कमीज़ ऊपर किए तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो।"
"नहीं ऐसी बात नहीं है, लड़की पटानी आनी चाहिए।"
फिर मैं उठकर नाश्ता बनाने लगी, मन में सोच रही थी कि कैसे इस कुंवारे लंड को लड़की पटा कर चोदना सिख़ाऊँ।
लंच पर उससे पूछा- अच्छा यह बता, तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?
"हाँ दीदी, सुधा से !"
"कहाँ तक?"
"बस बातें करते हैं और स्कूल में साथ ही बैठते हैं !"
मैंने सीधी बात करने के लिए कहा- कभी उसकी लेने का मन करता है?
"दीदी, आप कैसी बात करती हैं !"
वह शरमा गया तो मैं बोली- इसमें शरमाने की क्या बात है? मुट्ठ तो तू रोज़ मारता है, ख़्यालों में कभी सुधा की ली है या नहीं? सच बता !"
"लेकिन दीदी, ख़्यालों में लेने से क्या होता है?"
"तो इसका मतलब है कि तू उसकी असल में लेना चाहता है?" मैंने कहा।
"उससे ज़्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहुत ही अच्छी लगती है।"
"जिसकी कल रात ख़्यालों में ली थी?"
उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया, इतना ज़रूर कहा कि उसकी चुदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम
सबसे पहले मुझे बताएगा।
मैंने ज़्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फिर से गीली होने लगी थी, मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लंड के लिए बेचैन हो, वह ख़ुद मेरी चूत में
अपना लंड डालने के लिए गिड़गिड़ाए। मैं चाहती थी कि वह लंड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो।
मेरा दिमाग़ ठीक से काम नहीं कर रहा था, इसलिए बोली- अच्छा चल कपड़े बदल कर आ, मैं भी बदलती हूँ।
वह अपनी यूनिफ़ोर्म बदलने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक़ अपनी सलवार कमीज़ उतार दी, फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त
मौक़े पर ये दिक्कत करते। अपना देसी पेटिकोट और ढीला ब्लाऊज़ ही ऐसे मौक़े पर सही रहते हैं। जब बिस्तर पर लेटो तो पेटिकोट अपने आप आसानी से
घुटनों तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है, जहाँ तक ब्लाऊज़ का सवाल है तू थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ
जाता है। बस यही सोचकर मैंने पेटिकोट और ब्लाऊज़ पहना था।
वह सिर्फ़ पजामा और बनियान पहनकर आ गया। उसका गोरा चिट्टा चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था। एकाएक मुझे एक आईडिया आया, मैं
बोली- मेरी कमर में दर्द हो रहा है ज़रा बाम लगा दे।
यह बेड पर लेटने का परफ़ेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गई। मैंने पेटिकोट थोड़ा ढीला बाँधा था इसलिए लेटते ही वह नीचे खिसक
गया और मेरे चूतड़ों के बीच की दरार दिखाई देने लगी। लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिए जिससे ब्लाऊज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिए
ज़्यादा जगह मिल गई। वह मेरे पास बैठकर मेरी कमर पर आयोडेक्स लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा।
उसका स्पर्श बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर मुकेश की ओर मुँह कर लिया और उसकी जाँघ पर
हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा। करवट लेने से मेरी चूचियाँ ब्लाऊज़ के ऊपर से आधी से ज़्यादा बाहर निकल आई थी। उसकी जाँघ पर हाथ रखे रखे ही मैंने
पहले की बात आगे बढ़ाई- तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाई जाती है?
"अरे दीदी, अभी तो मैं बच्चा हूँ। ये सब आप बताएँगी तब मालूम होगा मुझे।"
आयोडेक्स लगाने के दौरान मेरा ब्लाऊज़ ऊपर खिंच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाईयाँ नीचे से भी झाँक रही थी। मैंने देखा कि वह एकटक
मेरी चूचियों को घूर रहा है। उसके कहने के अंदाज़ से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले में ज़्यादा बात करना चाह रहा है।
"अरे यार, लड़की पटाने के लिए पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, यह मालूम करने के लिए कि वह बुरा तो नहीं मानेगी।"
"पर कैसे दीदी?" उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किए।
मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिए जगह बनाई और कहा- देख, जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज़्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुड़ाती है
और जब पीछे से उसकी आँख बंद करके पूछो कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो। जब कान में कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रग़ड़
दो। वो अगर इन सब बातों का बुरा नहीं मानती तो आगे की सोचो।
मुकेश बड़े ध्यान से सुन रहा था, वह बोला- दीदी, सुधा तो इन सब का कोई बुरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी यह सोचकर नहीं किया था।
कभी कभी तो उसकी कमर में हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती।
"तब तो यार छोकरी तैयार है, और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर !"
"कौन सा दीदी?"
"बातों वाला ! यानि कभी उसके संतरों की तारीफ़ करके देख, क्या कहती है, अगर मुस्कुरा कर बुरा मानती है तो समझ ले कि पटाने में ज़्यादा देर
नहीं लगेगी।"
"पर दीदी, उसके तो बहुत छोटे-छोटे संतरे हैं, तारीफ़ के काबिल तो आपके हैं।" वह बोला और शरमा कर मुँह छुपा लिया।
मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था, मैंने उसका चेहरा पकड़कर अपनी ओर घूमाते हुए कहा- मैं तुझे लड़की पटाना सिखा रही हूँ और तू मुझी पर नज़र जमाए है?
"नहीं दीदी, सच में आपकी चूचियाँ बहुत प्यारी हैं बहुत दिल करता है !" और उसने मेरी कमर में एक हाथ डाल दिया।
"अरे क्या करने को दिल करता है, यह तो बता?" मैंने इठला कर पूछा।
"इनको सहलाने का और इनका रस पीने का !" अब उसके हौसले बुलंद हो चुके थे और उसे यक़ीन था कि अब मैं उसकी बात का बुरा नहीं मानूंगी।
"तो कल रात बोलता, तेरी मुट्ठ मारते हुए इनको तेरे मुँह में लगा देती। मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता। चल आज जब तेरी मुट्ठ मारूंगी तो उस वक़्त
अपनी मुराद पूरी कर लेना।" इतना कह उसके प्यजमा में हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था।
"अरे यह तो अभी से तैयार है।"
तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया। मैंने उसको बांहों में भरकर अपने क़रीब लिटा लिया और कस के दबा लिया। ऐसा करने से
मेरी चूत उसके लंड पर दबने लगी। उसने भी मेरी गर्दन में हाथ डाल मुझे दबा लिया।
तभी मुझे लगा कि वो ब्लाऊज़ के ऊपर से ही मेरी एक चूची को चूस रहा है। मैंने उससे कहा- अरे, यह क्या कर रहा है? मेरा ब्लाऊज़ ख़राब हो जाएगा।
उसने झट से मेरा ब्लाऊज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिए बग़ैर नहीं रह सकी। वह मेरे साथ
पूरी तरह से आज़ाद हो गया था। अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आज़ादी देती हूँ। अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं
ज़्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिए और अगर उसे मना करती तो उसका मूड ख़राब हो जाता और शायद फिर वह मुझसे बात भी ना करे। इसलिए मैंने बीच
का रास्ता लिया और बनावटी ग़ुस्से से बोली- अरे, यह क्या, तू तो ज़बरदस्ती करने लगा। तुझे शरम नहीं आती?
"ओह दीदी, आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाऊज़ मत ख़राब कर। रस पीने को तो मना नहीं किया था, इसलिए मैंने ब्लाऊज़ को ऊपर उठा दिया।"
उसकी नज़र मेरी नंगी चूची पर ही थी जो ब्लाऊज़ से बाहर थी।
वह अपने को और नहीं रोक सका और फिर से मेरी चूची मुँह में ले ली और चूसने लगा।
मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी। कुछ देर बाद मैंने ज़बरदस्ती उसका मुँह चूची से हटाया और दूसरी चूची की तरफ़ लाते हुए बोली- अरे
साले, ये दो होती हैं, और दोनों में बराबर का मज़ा होता है।
उसने दूसरे मम्मे को भी ब्लाऊज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह में लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी नंगी चूची को सहलाने लगा।
कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा- कभी किसी को क़िस किया है?
"नहीं दीदी, पर सुना है कि इसमें बहुत मज़ा आता है?"
"बिल्कुल ठीक सुना है, पर क़िस ठीक से करना आना चाहिए।"
"कैसे?"
उसने पूछा और मेरी चूची से मुँह हटा लिया। अब मेरी दोनों चूचियाँ ब्लाऊज़ से आज़ाद खुली हवा में तनी थी लेकिन मैंने उन्हें छुपाया नहीं बल्कि अपना मुँह
उसके मुँह के पास ले जाकर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए फिर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी। क़रीब दो मिनट तक उसके
होंठ चूसती रही, फिर बोली- ऐसे !
वह बहुत उत्तेजित हो गया था।
इससे पहले कि मैं उसे बोलूं कि वह भी एक बार किस करने की प्रैक्टिस कर ले, वह ख़ुद ही बोला- दीदी मैं भी करूँ आपको एक बार? "कर ले।" मैंने मुस्कराते हुए
कहा।
मुकेश ने मेरी ही स्टाइल में मुझे क़िस किया। मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दोगुनी हो गई
थी। उसका क़िस ख़त्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहो में लेकर फिर से उसके होंठ चूसने लगी, इस बार मैं थोड़ा ज़्यादा जोश से उसे चूस
रही थी। उसने मेरी एक चूची पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था। मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लंड पर दबाई। लंड एकदम तन कर
डण्डा हो गया था। चुदवाने का एकदम सही मौक़ा था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिए भीख मांगे और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने
की इज़ाज़त दूं।
मैं बोली- चल अब बहुत हो गया, ला अब तेरी मुट्ठ मार दूँ।
"दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ?"
"क्या?" मैंने पूछा- लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिए कि मुझे बुरा ना लगे।
ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है, बस अपनी कहे जा रहा है, वह बोला- दीदी, मैंने सुना है कि अंदर डालने में बहुत मज़ा आता है,
डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी। मैं भी एक बार अंदर डालना चाहता हूँ।
"नहीं मुकेश, तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन।"
"दीदी, मैं आपकी लूंगा नहीं, बस अंदर डालने दीजिए।"
"अरे यार, तो फिर लेने में क्या बचा?"
"दीदी, बस अंदर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूँगा नहीं ! प्लीज दीदी।"
मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा- तुम मेरे भाई हो इसलिए मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती, पर मेरी एक शर्त है, तुमको बताना होगा कि अक्सर
ख़्यालों में किसको चोदते हो?
और मैं बेड पर पैर फैला कर चित्त लेट गई और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा।
वह बैठा तो उसके पजामे के नाड़े को खोलकर पजामा नीचे कर दिया। उसका लंड तनकर खड़ा था। मैंने उसकी बाँह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल
लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटनों और कोहनी पर आ गया। वह अब और नहीं रुक सकता था। उसने मेरी एक चूची को मुँह में भर
लिया जो ब्लाऊज़ से बाहर थी।
मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी- सुन मुकेश, ब्लाऊज़ ऊपर होने से चुभ रहा है, ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे संतरे ढांप दे।
"नहीं दीदी, मैं इसे खोल देता हूँ।" और उसने ब्लाऊज़ के बटन खोल दिए।
अब मेरी दोनों चूचियाँ पूरी नंगी थी। उसने लपककर दोनों को क़ब्ज़े में कर लिया। अब एक चूची उसके मुँह में थी और दूसरी को वह मसल रहा था।
वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटिकोट ऊपर करके उसके लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रग़ड़ना शुरू कर दिया। कुछ देर
बाद लंड को चूत के मुँह पर रखकर बोली- ले अब तेरे चाकू को अपने खरबूजे पर रख दिया है पर अंदर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तू बहुत दिन से
लेना चाहता है और जिसे याद करके मुट्ठ मारता है।
वह मेरी चूचियों को पकड़कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए, मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी। कुछ देर बाद मैंने कहा-
हाँ, तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है?
"दीदी आप बुरा मत मानिएगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुट्ठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों में रखकर !"
"हाय भाई, तू कितना बेशरम है, अपनी बड़ी बहन के बारे में ऐसा सोचता है>"
"ओह दीदी, मैं क्या करूँ ! आप बहुत ख़ूबसूरत और सेक्सी हैं !मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लंड डालना चाहता था। आज
दिल की आरज़ू पूरी हुई !"
और फिर उसने शरमा कर आँखे बंद करके धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डाला और वादे के मुताबिक़ चुपचाप लेट गया।
"अरे तू मुझे इतना चाहता है ! मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर में ही एक लंड मेरे लिए तड़प रहा है। पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे
देती !"
और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी। बीच-बीच में उसकी गांड भी दबा देती।
"दीदी मेरी किस्मत देखिए कितनी झांटू है, जिस चूत के लिए तड़प रहा था, उसी चूत में लंड पड़ा है पर चोद नहीं सकता। पर फिर भी लग रहा है कि स्वर्ग
में हूँ।"
वह खुल कर लंड चूत बोल रहा था पर मैंने बुरा नहीं माना।
"अच्छा दीदी, अब वायदे के मुताबिक़ बाहर निकलता हूँ।" और वह लंड बाहर निकालने को तैयार हुआ।
मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत में लंड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उल्टा कर रहा था। मुझे उस पर बड़ी दया आई, साथ
ही अच्छा भी लगा कि वायदे का पक्का है !
अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफ़ादारी का इनाम अपनी चूत चुदवा कर दूं, इसलिए उससे बोली- अरे यार, तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में
इतनी पूजा की है और तूने अपना वादा भी निभाया इसलिए मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी, चल अगर तू अपनी बहन को चोद कर बहनचोद
बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत।"
मैंने जानकार इतने गंदे शब्द प्रयोग किए थे पर वह बुरा ना मानकर ख़ुश होता हुआ बोला- सच दीदी !
और फ़ौरन मेरी चूत में अपना लंड धकाधक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ।
"तू बहुत किस्मत वाला है मुकेश !" मैं उसके कुंवारे लंड की चुदाई का मज़ा लेते हुए बोली।
"क्यों दीदी?"
"अरे यार, तू अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई अपनी ही बहन की कर रहा है और उसी बहन की जिसकी तू जाने क़ब से चोदना चाहता था।"
"हाँ दीदी, मुझे तो अब भी यक़ीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ, जैसे रोज़ आपको चोदता था।" फिर वह मेरी एक चूची को मुँह में दबा कर
चूसने लगा। उसके धक्कों की रफ़्तार अभी भी कम नहीं हुई थी। मैं भी काफ़ी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिए मैं भी चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी।
वह एक पल रुका, फिर लंड को गहराई तक ठीक से पेल कर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।
वह अब झड़ने वाला था, मैं भी सातवें आसमान पर पहुँच गई थी और नीचे से कमर उठा-उठाकर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी। उसने मेरी चूची छोड़ कर मेरे
होंठों को मुँह में ले लिया जो मुझे हमेशा अच्छा लगता था। मुझे चूमते हुए कसकस कर दो चार धक्के दिए और "हाए मेरी जान !" कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक
गया।
मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिए और 'हाए मेरे राजा' कहते हुए झड़ गई।
चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था। हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे। कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा- क्यों मज़ा आया मेरे
बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत मारने में?
उसका लंड अभी भी मेरी चूत में था, उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपने लंड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला- बहुत मज़ा आया दीदी।
यक़ीन नहीं होता कि मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ।
"तो क्या तुझे अब अफ़सोस लग रहा है अपनी बहन को चोद कर बहनचोद बनने का?"
"नहीं दीदी, यह बात भी नहीं है, मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोडद बनने में ! मन तो कर रहा है कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रस
ही पीता रहूँ। हाय दीदी, बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी। अगर एक दो और होती तो सबको चोदता। दीदी मैं
तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसी चुदाई हुई कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं।"
"कोई बात नहीं, मज़ा तो पूरा लिया ना?"
"हाँ दीदी, मज़ा तो ख़ूब आया।"
"तू घबराता क्यों है, अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है, अब सब कुछ तुझे दिखाऊँगी। जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूंगी और तुझे अपनी चूत
भी चटवाऊँगी और तेरा लंड भी चूसूंगी। बहुत मज़ा आता है।"
"सच दीदी?"
"हाँ, अच्छा एक बात है, तू इस बात का अफ़सोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है, मैं तेरे लिए और चूत का जुगाड़ कर दूँगी.."
"नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने में मज़ा ही अनोखा है, बाहर क्या मज़ा आएगा?"
"अच्छा चल एक काम कर, तू माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा !"
"ओह दीदी, यह कैसे होगा?"
"घबरा मत, पूरा इंतज़ाम मैं कर दूँगी। माँ अभी 38 साल की है, तुझे मादरचोद बनने में भी बड़ा मज़ा आएगा।"
"हाय दीदी, आप कितनी अच्छी हैं, दीदी एक बार अभी और चोदने दो ! इस बार पूरी नंगी करके चोदूँगा।"
"जी नहीं ! आप मुझे अब माफ़ करिए !"
"दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार !" और लंड को चूत पर दबा दिया।
"सिर्फ़ एक बार ना?" मैंने ज़ोर देकर पूछा।
"सिर्फ़ एक बार दीदी ! पक्का वादा !"
"सिर्फ़ एक बार करना है तो बिल्कुल नहीं !"
"क्यों दीदी?" अब तक उसका लंड मेरी चूत में अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था।मैंने उसे झटके देते हुए कहा- अगर एक बार बोलूँगी तब तुम
अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे?
"हाँ दीदी !"
"ठीक है, बाक़ी दिन क्या होगा? बस मेरी देखकर मुट्ठ मारा करेगा क्या? और मैं क्या बाहर से कोई लाऊँगी अपने लिए? अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है
तो बिल्कुल नहीं।"
उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ में आई तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आई और उसे मेरी चूत पर रग़ड़ते हुए बोला- ओह दीदी, यू आर ग्रेट !
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