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सोमवार, 18 मार्च 2013

ASACP

शनिवार, 16 मार्च 2013

मजा किया अंकल ने

अंकल
मेरे अंकल है, जो कि मेरे घर के पास ही रहते थे। मेरी उमर २३ और अंकल की उमर ३३ है। वो मेरे रियल अंकल नहीं थे सिर्फ़ मेरी फ़ैमिली को जानते थे इसलिये मैं उन्हे अंकल कहता था। हम एक दोस्त की तरह थे। हम एक साथ बी ऍफ़ देखते थे। उनका घर और हमारा घर एक ही दीवार से बना हुआ था। मेरा रूम, अंकल के रूम के ठीक बगल वाला था। उनके और मेरे रूम के बीच एक खिड़की थी। अंकल एक गर्ल्स स्कूल टीचर थे। उनके पास कई गर्ल्स टूशन के लिये आती थी। उनके पास ७-९ लड़कियां आती थी, उनमे से एक लड़की, नेहा थी। जो कि बहुत दूर से टूशन के लिये आती थी। एक दिन तेज बारिश हो रही थी सब लड़कियां अपने-अपने घर चली गईं। नेहा भी उनके साथ घर जाने के लिये निकली, पर बारिश बहुत हो रही थी इस लिये वो बापस घर में आ गई उसके कपड़े पूरी तरह भीग गये थे। उसे देख कर अंकल ने कहा कि बारिश रुकने के बाद चली जाना। उसने कहा ठीक है।फिर अंकल ने उससे कहा कि तुम कपड़े चेंज कर लो। पर अंकल के पास उसके साइज़ के लड़कियों के कपड़े नहीं थे। तो अंकल ने उसे अपनी लुंगी दी और कहा कि “लुंगी को लपेट लो और मैं चाय बना लाता हूं। और अंकल किचन में चले गये। नेहा कमरे में टीवी देख रही थी। उसने लुंगी के नीचे कुछ नही पहना था। वो एकदम नंगी थी। उसके छोटे-छोटे ‘दूध’ लुंगी के ऊपेर से साफ़ दिख रहे थे। टीवी पर ‘ऐड्स ‘ के बारे में जानकारी आ रही थी। नेहा ने ये सब पहले नहीं देखा था वो ये सब ध्यान से देखने लगी थी और उसे जोश आने लगा था वो अपने दूधों को हाथ से सहलाने लगी। इतने में अंकल चाय लेके आ गये।उन्होने नेहा को देखा तो उनका ९” लम्बा लंड तनकर लोहे की रोड की तरह कड़ा हो गया। और लुंगी से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा तो अंकल ने लुंगी के अंदर से ही अपनी चड्ढी उतार दी तो उनका लंड से उनकी लुंगी टेंट की तरह तन गई वो चाय लेके नेहा की तरफ़ गये तो नेहा ने पूछा सर आपकी लुंगी को क्या हो गया है। तो अंकल ने कहा कुछ नहीं। किसी को कम कपड़े में देखने पर ऐसा हो जाता है। ये कहते हुए अंकल ने उसकी लुंगी खींच दी और वो पूरी नंगी हो गई उसने कहा ये क्या कर रहे हो सर। कुछ नहीं वही जो तुम अभी कर रही थी। और अगर किसी से कहा तो एकज़ाम में फ़ैल कर दूंगा। तो वो डर गई और चुप हो गई।अंकल उसके दूध दबाने लगे अब उसे थोड़ा-२ कुछ हो रहा था। वो सिसकारियां लेने लगी थी और अंकल का लंड अपने हाथ से पकड़ के सहला रही थी। अंकल उसकी चूत पे हाथ घुमा रहे थे। फिर उसकी चूत चाटने लगे उसके मुंह से आह्हह्हह्हह्हह्हह्ह इस्सस्सस्सस्सस्सस म्माज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ाआअ आआयययस जैसी अजीब सी आवाजें आ रही थी। अब अंकल ने उससे कहा कि वो उनका लंड अपने मुंह में लेके चूसे तो वो मना करने लगी। तब अंकल ने उसके बाल पकड़े और उसे नीचे बैठा दिया और अपना लंड उसके मुंह मुंह में घुसा दिया और अपनी कमर को धीरे से झटका देने लगे। और अपना ९” लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो अंकल के लंड को चाटने लगी। अब दोनो ६९ की पोजिशन में हो गये। अब नेहा को मजा आने लगा था और वो लंड को जोर जोर से मुंह में अन्दर बाहर करने लगी। अंकल उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर हिला रहे थे। १५ मिनट बाद अंकल ने अपना पानी उसके मुंह में निकाल दिया। तो नेहा ने उल्टी कर दी। और कहा कि आपने अपना लंड, मेरी चूत में तो डाला ही नहीं। अब मुझे मज़ा कैसे आयेगा। क्योंकि अब अंकल का लंड खड़ा नहीं हो रहा था। तो अंकल ने कहा तू परेशान मत हो मैं अभी आया। कह कर वो कपड़े पहन के मेरे पास आये। और मुझे सब कुछ बता दिया।मैं चलने के लिये तैयार हो गया। मैं उनके घर पहुंचा। तो मैने नेहा को नंगा देखा तो मेरा लंड तुरन्त लोहे की तरह हो गया मैने अपने कपड़े उतार दिये और अपना ७” का लंड उसके मुंह में देने लगा तो वो कहने लगी कि तुम भी सर की तरह अपना पानी मेरे मुंह में तो नहीं निकालोगे? मैने कहा नहीं निकालूँगा तो वो मेरा लंड चाटने लगी मेरे लंड की टोपी एकदम लाल हो गई मैने अपना लंड उसके मुंह से निकाला और उसे बेड पर पटक दिया। उसकी दोनो टांगों को फ़ैला कर उसके पैरों के बीच में आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का मारने लगा पर लंड चूत में अंदर नहीं जा रहा था।मैने अंकल से कहा थोड़ा तेल लेकर आओ। वो तेल लेके आये तो मैने अपना पूरा लंड तेल से तर कर लिया और उसकी चूत को भी नहला दिया। मैं अपना लंड चूत पर रख के रगड़ने लगा तभी अंकल ने पीछे से जोरदार धक्का दिया तो मेरा पूरा ७” का लंड एक ही बार में नेहा की कुंवारी चूत में घुस गया। नेहा बहुत जोर से चिल्लाई आऐइएएएईस्सस्स तो मैने लंड बाहर निकाल कर एक जोरदार झटका मारा और दोबारा पूरा लंड चूत में डाल कर चोदने लगा। नेहा भी नीचे से उछल-२ कर चुदवा रही थी। उसकी चूत खून से तर हो गई थी। वो उस दिन ८ बार झड़ी थी

शनिवार, 9 मार्च 2013

ख्वाहिश मेरी कौसिन की

मेरी 


कुछ टाइम पहले की बात है मेरी मौसी की लड़की है जिसकी उमर मुझसे कम है हम अक्सर मिलते थे पर कभी दिमाग में उसके लिये गलत ख्याल नहीं आया। कभी वो हमारे घर आती थी रहने कभी मैं जाता था एक दिन वो हमारे घर आये वो हमेशा स्कर्ट पहनती थी मैं दोपहर को बाल्कोनी मैं बैठा था वो आये बोली कि आ मैं तेरा सिर देखती हूं मैने कहा ठीक है मम्मी नीचे धूप सेकने गई ठी क्योंकि सर्दियां थी और हम दूसरी मंजिल पर रहते थे मम्मी सामने पार्क में बैठी थी जो हमारी बाल्कोनी और एक रूम से दिखता था फ़िर मैने कहा अब मैं देखता हूं तो उसने कहा ठीक है मैने कहा पहले मैं नहा लूं तो बोली ठीक है मैं नहा कर टोवल लपेट कर बाहर आ गया मैने कहा क्या मैं थोड़ी देर धूप देख लूं तो बोली ठीक है मैने कहा लाओ मैं तब तक तुम्हारा सिर देखूं मैं सामने चेयर पर बैठ गया तो वो दूसरी तरफ़ चेहरा करके बैठ गई फ़िर मैने कहा इस साइड से देख लिया है।
अब मेरी तरफ़ सिर घुमा लो अब इस साइड से भी देख लूं वो बोली कोई चीज़ भी नहीं है जिस पर मैं बैठुं नीचे ठंड चढ़ रही है क्योंकि उसने खाली स्केर्ट पहनी थी मैने कहा मैरे पैरों पर बैठ जा वो बोली ठीक है उसने मेरी तरफ़ चेहरा कर लिया मुझे ध्यान नहीं रहा कि मैं सिर्फ़ टोवल मे हूं वो घूमी तो उसने देखा कि मेरे टोवल मैं से मेरा लंड दिख रहा है पर वो चुप रही फ़िर मैने महसूस किया कि उसकी स्कर्ट मुझे चुभ रही है मैने कहा कि तेरी स्कर्ट मेरे पैरों में चुभ रही है थोड़ी ऊपर कर लो उसने कर ली थोड़ी सी जिस कारण उसकी चूत मेरे पैरों पर छूने लगी पर एक टक मेरा लंड देख रही थी
बाद में मैने देखा फ़िर वो बोली कि पैरों पर बैठ कर मैं गिर जाउंगी क्या कुरसी और तेरे पैरों को पकड़ कर बैठ सकती हूं मैने कहा हां उसको मज़ा आ रहा था उसने मैरे पैरों को पकड़ लिया फ़िर धीरे २ मेरे लंड पर हाथ रख दिया मैं हड़बड़ा कर उठा तो टोवल खुल गया मैं पूरा नंगा हो गया वो हंस पड़ी मैं एक दम टोवल बांधा और अंदर भाग गया फ़िर तो मैं आंख भी नहीं मिला पा रहा था उससे वो मेरे पास आयी और बोली अरे इसमे शरमा क्यों रहा है भाई क्या हुआ अगर मैने देख लिया तो मैने कहा अगर मैं तुम्हारे साथ ऐसा करुं तो वो चुप हो गई
एक दिन वो नहा कर बाहर आयी तो रूम मैं छुप गया वो अंदर आयी और कपड़े चेंज करने लगी जब उसने सारे कपड़े उतार लिये तो मैं भी तब तक कपड़े उतार चुका था उसे पता नहीं लगा फ़िर मैने एक दम उसे पकड़ लिया वो हैरान हो गई और छूटने की कोशिश करने लगी मैने कहा अब क्या हुआ अपनी बारी में तो बोली अब देख लिया है न सब अब छोड़ो मुझे मैने कहा अब नहीं छूट सकोगी तो बोली अब और नहीं मैने कहा अच्छा एक बार देखने दो सब और छूने दो फ़िर कुछ नहीं कहुंगा वो खड़ी हो गई मैने एक २ चीज़ यानि चूची और चूत को छू कर देखा फ़िर मैने कपड़े पहन कर बाहर आ गया फ़िर तो हम खुल चुके थे
एक दिन रात को हम सो रहे थे तो मैने कहा आज न्यूड सोये क्या तो बोली कुछ करेगा तो नहीं मैने कहा नहीं तो वो तैयार हो गई हम पूरी रात मस्ती करते रहे कभी उसके ऊपर कभी नीचे फ़िर मैने कहा क्या पीचे से कर लूं बहुत इच्छा हो रही है तो बोली सिर्फ़ पीचे से मैने कहा हां तब मैने उसकी गांड पर खूब तेल लगाया और अपना लंड अंदर डाल दिया वो चीख रही थी पर मैं रुका नहीं फ़िर थोड़ी देर बाद शांत हो गई उसे मज़ा आने लगा फ़िर सुबह ४ बजे मैने देखा कि वो टांग खोल कर सो रही है मैने धीरे से उसके खूब तेल लगाया और अपना लंड धीरे २ अंदर डालने लगा अभी आधा ही अंदर गया था कि वो एक दम उठ गई मैने कहा कि थोड़ी देर करने दे प्लीज़ तो उसने मना किया पर फ़िर भी मैने मना लिया और उसके बाद मैने उसकी चूत में अपना मोटा सा लंड डाल दिया और अचानक उसकी चीख निकली देखा कि सील टूट गई है पर उसने साथ दिया और मैने जी भर कर चुदाई की।

शनिवार, 2 मार्च 2013

भाभी को चुदना ही पड़ता है -2


उसने स्पष्ट रूप से मेरा अपना रिश्ता बता दिया। मुझे कुछ शर्मिंदगी सी भी हुई... बुरा भी लगा, गुस्सा भी आया...

पर मैंने अपने आप को सम्भाला...

"ओह अंकित... ऐसा कुछ भी नहीं है... बस तुझे नीचे देखा तो ऊपर ले लिया... अब सो जा..."

हम दोनों इस झूठ को समझते थे... पर एक नाकामयाब परदा सा डालने का प्रयत्न किया था। मैं दूसरी ओर करवट लेकर लेट गई और आत्मग्लानि से भर उठी।

इतना कुछ तो वो करने लगा था ! फिर यह ना नुकुर...? समझ में नहीं आई थी।

कुछ ही देर बाद पीछे से उसने मेरा पेटीकोट ऊपर सरकाया।

अरे ! यह अब क्या करने लगा है? मैं बस इन्तजार करने लगी। उसने मेरा पेटीकोट उठा कर मेरी कमर से ऊपर कर लिया और फिर से मेरे चूतड़ों की गोलाइयों पर हाथ घुमाना आरम्भ कर दिया। इस बार तो वो पक्का जानता ही था कि मैं नींद में नहीं हूँ ! फिर...?

मैंने उसे पीछे घूम कर देखा। वो मदहोशी में मेरे चूतड़ों को जोर जोर से दबा रहा था... सिसकार भी रहा था।

अब तो उसके हाथ मेरे सीने पर भी आ गये थे। एक हाथ उसका लण्ड पर भी था। मेरे तने हुये उरोज और भी कठोर हो गये... निप्पल कड़े होकर सीधे तन गए।

मुझे बहुत तेज आनन्द आने लगा था। उफ़्फ़्फ़ ! करने दो जो यह करना चाहता है।

उसके हाथ अब मेरे कठोर स्तन को दबा रहे थे। मेरी चूत तो पानी पानी हो रही थी। मेरा मन तो चुदने को बेताब होने लगा था।

"अंकित... प्लीज अब कुछ कर ना..."

"अह... नहीं भाभी... नहीं, आप बहुत अच्छी हैं..." कहकर उसने मुझे चूम लिया।

फिर तो मैं तड़प सी उठी। उसका कड़ा तन्नाया हुआ लण्ड मेरी गाण्ड में घुस कर छल्ले को कुरेदने लगा। उसके हाथों ने मेरी चूत पर कब्जा जमा लिया, मेरी चूत को वो जोर जोर से दबाने लगा। तभी उसके लण्ड ने जोर से मेरी गाण्ड में बिना लण्ड घुसाये ही छल्ले से लण्ड दबा कर वीर्य उगल दिया। मेरी चूतड़ों की गोलाइयाँ उसके वीर्य से गीली हो गई... चिकनाई से भर गई।

उफ़ ! यह क्या कर दिया लाला... बिन चोदे ही माल निकाल दिया?

मैंने धीरे से दो अंगुलियाँ अपनी चूत में घुसा ली और अन्दर-बाहर करके अपना भी रस निकाल लिया।

चलो मेरे लिये आज तो इतना ही बहुत है। धीरे धीरे जोश आने पर तो मुझे वो चोद ही देगा। मेरे दिल से एक ठण्डी आह निकल गई।

सवेरे मेरी आँख जल्दी खुल गई। देखा तो सवेरे के पांच बज रहे थे। मैंने देखा तो अंकित मेरे पास नंगा पड़ा बेहाल सो रहा था। मैं जल्दी से उठी और वीर्य जो कि सूख कर कड़ी परत की तरह जम गया था उसे धोने के लिये बाथरूम में चली आई। मैं तो स्नान करके तरोताजा हो गई फिर अपना तौलिया गीला करके अंकित के पास आ गई। उसका लण्ड भी सूखे वीर्य से सना हुआ था पर खड़ा हुआ था। साला अभी भी कोई चोदने का सपना देख रहा है।

मुझे हंसी भी आई पर ना चुदने का अफ़सोस भी हुआ। मैंने उसका लण्ड गीले तौलिये से अच्छी तरह से साफ़ कर दिया। आस पास का बिखरा हुआ वीर्य भी साफ़ कर दिया।

उसका लण्ड इस दौरान और भी सख्त हो गया था। मैंने खेल खेल में उसके लण्ड को हौले हौले से मुठ्ठ मारना आरम्भ कर दिया। मुठ्ठ मारने से उसका लण्ड और भी खिल गया। सुपाड़ा रक्ताभ होने लगा था। लण्ड फ़ूल कर मोटा और कठोर हो गया था। उसके टोपे को मैंने अपनी अंगुली से सहलाया। उसके चीरे पर गुदगुदाया...

चीरे में से दो बून्द रस की छलक आई। मैंने धीरे से उसे चाट लिया। फिर मन मचल गया... मैंने उसका लण्ड अपने मुख में ले लिया... और चूसने लगी।

उसकी सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मेरी सांसें अब तेज हो गई थी... कुछ करने को मन मचल गया था... मैं उसके ऊपर बैठ गई और उसकी कमर जकड़ ली... मैंने अपनी चूत को दोनों अंगुलियों से चौड़ा कर के उसका रक्ताभ सुपाड़ा अपनी खुली हुई चूत में डाल लिया।

"अरे भाभी... प्लीज ये मत करो... प्लीज... प्लीज !"

उसने अपनी आँखें खोल कर मुझे धकेलने की कोशिश की। पर मैंने इतनी देर में अपनी चूत उसके लण्ड पर दबा दी थी। लण्ड चूत को चीरता हुआ काफ़ी अन्दर तक उतर गया था।

"उफ़ ! यह क्या कर दिया भाभी... मुझे अब पाप लगेगा...!"

मैंने उसे और दबाते हुये लण्ड को पूरा चूत में घुसा लिया, उसके ऊपर मैं लेट ही गई।

"कुछ नहीं होगा देवर जी... यह सब काम तो देवर भाभी के रिश्ते में समाया हुआ होता है। देवर से तो भाभी को चुदना ही पड़ता है... फिर देवर तो भाभी को कब चोदने की तलाश में रहता ही है।"

"आह्ह्ह... मार डालोगी आप तो मुझे... बहुत मजा आ रहा है भाभी।"

"तभी तो... भाभियाँ देवर पर मरती हैं... बहुत मजा आता है देवर से चुदाने में..."

"बस करो भाभी... अब मार डालो मुझे ! जोर से भचीड़ दो ना..."

"अरे तू ऊपर आकर मुझे दबा कर चोद दे..."

उसने पलटी मारी और मेरे ऊपर सवार हो गया और जोर जोर से मुझे भचीड़ कर चोदनेलगा।

आह... साले ने बहुत नखरे दिखाये... पर पट ही गया ना।

"उह्ह्ह ! मेरे देवर... मार और जोर से... चोद दे मेरे राजा... दे... और दे... फ़ाड़ दे मेरी भोसड़ी राजा..."

"उफ़्फ़ मेरी भाभी... मार डालो मुझे आज... कितनी मस्त हो आप... आपकी ये चूचियां... कितनी कठोर हैं।"

मैं अपनी चूचियां दबने से बेहाल थी... इतनी जोर से तो मेरे पति ने भी नहीं चोदा था मुझे और अब क्या चोदेगा... अब तो देवर ही मेरा सब कुछ है।

उस सुबह मैं उससे दो बार चुद गई... एक बार उसने मेरी गाण्ड भी चोद दी थी।

उसने मुझे पूरी तरह से सन्तुष्ट कर दिया था... पर यह तो शुरूआत थी।

"देवर जी रात को तो बड़े नखरे दिखा रहे थे?"

"सच बताऊँ भाभी... आपको देख कर मैंने बहुत बार मुठ्ठ मारी थी... पर रिश्ता तो भाभी का था ना... फिर भैया का आदर... यह तो पाप होता ना..."

"कुछ पाप नहीं होता है... बस जब कोई दूसरा चोदता है तो लोग जल जाते हैं और जलकर बुरा भला कहते हैं... यदि उन्हें कोई चूत मिल जाये तो देखो... उनकी कैसी लार टपकती है।"

"पर जब आपने दीवार तोड़ ही दी तो मैंने आपका यह पाप अपने सर ले लिया..."

"नहीं यह पाप नहीं है... भैया तो अब कुछ कर नहीं सकते हैं ना... बाहर जाकर चुदवाने से तो बड़ी बदनामी होती, तो घर की बात घर में... कितना सुरक्षित और रोमान्टिक है ना। ना कहीं जाना ना कोई खतरा... देवर का टनाटन लण्ड... और भाभी की चिकनी रस भरी चूत..."

"धत्त भाभी... आप तो बेशरम होने लगी है..."

अंकित धीरे धीरे मेरे पास आने लगा और धीरे से उसने हाथ मेरी तरफ़ बढ़ाये।

"शरमाओ मत मेरे देवर जी... अब तो मै आपकी हूँ... चाहे जैसे दबा लो मुझे... चाहो जब चोद दो मुझे..."

अंकित शरमा गया और पास आकर उसने मेरी दोनों चूचियों के मध्य अपना चेहरा दबा लिया।

उफ़्फ़ दैया ! मेरी तो धड़कनें बढ़ने लगी... चूचियां फ़ूलने लगी। चूत गुदगुदाने लगी... तभी अंकित के मोटे और टन्टनाते हुये लण्ड ने मेरी चूत पर दस्तक दी... उसने मुझे उठा कर बिस्तर पर पटक दिया... पलंग चूं चर्रर्रर्र करने लगा...

"अरे धीरे देवर जी... पलंग टूट जायेगा !!!" मैं उसके नीचे दब गई... मेरी सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मैं चुदने लगी...

निशा भागवत
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