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शनिवार, 1 दिसंबर 2012

लंड के कारनामे - फेमिली सागा

मेरा नाम अशोक है, और मेरी उम्र २१ साल की है, मेरे घर में मेरे अलावा मेरी मम्मी पापा और मेरी छोटी बहन ऋतू रहते हैं, मेरे पापा का अपना बिज़नस है और हम अपर मिडल क्लास में आते हैं , खेर , असली कहानी पर आते हैं, मैं आज कॉलेज से घर पहुँच कर जल्दी से अपनी अलमारी का दरवाजा खोला और उसमे बनाये हुए छेद के जरिये अपनी छोटी बहन के कमरे में झाँकने लगा, ये छेद मैंने काफी मेहनत से बनाया था और इसका मेरे अलावा किसी और को पता नहीं था, ऋतू अपने स्कूल से अभी -२ आई थी और अपनी यूनिफार्म चेंज कर रही थी,उसने अपनी शर्ट उतार दी और गोर से अपने फिगर को आईने में देखने लगी , फिर अपने दोनों हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा खोल दी, वो बेजान पत्ते के सामान जमीन की और लहरा गयी , और उसके दूध जैसे 32 साइज़ के अमृत कलश उजागर हो गए, बिलकुल तने हुए और उनके ऊपर गुलाबी रंग के दो छोटे छोटे निप्पल तन कर खड़े हो गए..मैं ऋतू से २ साल बड़ा था पर मेरे अन्दर सेक्स के प्रति काफी जिज्ञासा थी और मैं घर पर अपनी जवान होती बहन को देख कर उत्तेजित हो जाता था इसलिए तक़रीबन २ महीने पहले मैंने ये छेद अपनी अलमारी में करा था जो की उसके रूम की दूसरी अलमारी में खुलता था जिसपर कोई दरवाजा नहीं था और कपडे और किताबे रखी रहती थी, मैंने ये नोट करा की ऋतू रोज़ अपने कपडे चेंज करते हुए अपने शरीर से खेलती है, अपने स्तनों को दबाती है अपने निप्पल को उमेठती है और फिर अपनी चूत मैं ऊँगली डाल कर सिसकारी भरते हुए मुठ मारती है, ये सब देखते हुए मैं भी अपना लंड अपनी पैंट से निकाल कर हिलाने लगता हूँ और ये ध्यान रखता हूँ के मैं तभी झडू जब ऋतू झडती है, ..आज फिर ऋतू अपने जिस्म को बड़े गौर से देख रही थी, अपने चुचे अपने हाथ में लेकर उनका वजन तय करने की कोशिश कर रही थी, और धीरे-२ अपनी लम्बी उंगलियों से निप्पल्स को उमेठ रही थी, और वो फूलकर ऐसे हो रहे थे जैसे अन्दर से कोई उनमे हवा भर रहा हो, किसी बड़े मोती के आकार में आने में उनको कोई समय नहीं लगा! 


फिर उसने अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर अपने दाये निप्पल को अपने मुंह में लेने की असफल कोशिश की पर बात बनी नहीं, और उन्हें फिर से मसलने लगी और फिर से अपनी जीभ निकाली, और इस बार वो सफल हो ही गयी, शायद का असर हो गया था, मुझे भी अब उसके बड़े होते चूचो का सीक्रेट पता चल गया था.


फिर उसने अपनी स्कूल पैंट को अपने सांचे में ढले हुए कुलहो से आज़ाद किया और उसको उतार कर साइड में रख दिया , उसने अन्दर कोई पेंटी नहीं पहनी हुई थी, ये मैं पिछले २ हफ्ते से नोटिस कर रहा था, वो हमेशा बिना पेंटी के घुमती रहती थी, ये सोच कर मेरा पप्पू तन कर खड़ा हो जाता था, खैर, पैंट उतारने के बार वो बेद के किनारे पर अलमारी की तरफ मुंह करके बैठ गयी और अपनी टाँगे चोडी करके फैला दी, और अपनी चूत को मसलने लगी, फिर उसने जो किया उसे देख कर मेरा कलेजा मुंह को आ गया, उसने अपनी चूत में से एक ब्लैक डिल्डो निकाला, मैं उसे देख कर हैरान रह गया, ऋतू सारा दिन उसे अपनी चूत में रख कर घूम रही थी , स्कूल में, घर पर सभी के साथ खाना खाते हुए भी ये डिल्डो उसमी चूत में था, मुझे इस बात की भी हैरानी हो रही थी की ये उसके पास आया कहाँ से, लेकिन हैरानी से ज्यादा मुझे उत्तेजना हो रही थी, और उस डिल्डो से इष्र्या भी जो उस गुलाबी चूत में सारा दिन रहने के बाद , चूत के रस में नहाने के बाद चमकीला और तरोताजा लग रहा था,


फिर ऋतू ने उस डिल्डो को चाटना शुरू कर दिया और दुसरे हाथ से अपनी क्लिट को मसलना जारी रखा, कभी वो डिल्डो चूत में डालती और अन्दर बाहर करती , फिर अपने ही रस को चाट कर साफ़ करती, मेरे लिए अब सहन करना मुच्किल हो रहा था, और मैं जोर जोर से अपनी पप्पू को आगे पीछे करने लगा, और मैंने वही अलमारी में जोत से पिचकारी मारी और झड़ने लगा..


वहां ऋतू की स्पीड भी बाद गयी और एक आखिरी बार उसने अपनी पूरी ताकत से वो काला लंड अपनी चूत में अन्दर तक दाल दिया, वो भी अपने चरमो स्तर पर पहुँच गयी और निढाल हो कर वही पसर गयी , अब उसकी चूत में वो साला काला लंड अन्दर तक घुसा हुआ था और साइड में से चूत का रस बह कर बहार रिस रहा था ..


फिर वो उठी और लाइट बंद करके नंगी ही अपने बिस्टर में घुस गयी और इस तरह मेरा शो भी ख़त्म हो गया, मैं भी अनमने मन से अपने बिस्टर पर लौट आया और ऋतू के बारे में सोचते हुए सोने की कोशिश करने लगा..मेरे मन में विचार आ रहे थे की क्या ऋतू का किसी लड़के के साथ चक्कर चल रहा है या फिर वो चुद चुकी है ? लेकिन अगर ऐसा होता तो वो डिल्डो का सहारा क्यों लेती..ये सब सचते -२ कब मुझे नींद आ गयी, मुझे पता ही नहीं चला..
अगली सुबह मैं जल्दी से उठ कर छेद में देखने लगा , ऋतू ने एक अंगड़ाई ली और सफ़ेद चादर उसके उरोजो से सरकती हुई निप्पल्स के सहारे अटक गयी , पर उसने एक झटके से चादर साइड करके अपने चमकते जिस्म के दीदार मुझे करा दिए, फिर अपनी टाँगे चोडी करके १ के बाद १ तीन उंगलिया अपनी चूत में दाल दी और अपना दाना मसलने लगी, मेरा लंद ये मोर्निंग शो देखकर अपने विकराल रूप में आ गया और मैं उसे जोर से हिलाने लगा, फिर ऋतू के मुंह से एक आनंदमयी सीत्कारी निकली और उसने पानी छोड़ दिया, मैंने भी अपने लंद को हिलाकर अपना वीर्य अपने हाथ में लेकर अपने लंद पर वापिस रगड़ दिया और लुब्रिकैत करके उसे नेहला दिया, ऋतू उठी और टॉवेल लेकर बाथरूम में चली गयी, मैं भी जल्दी से तैयार होने लगा.

वो निचे मुझे डाइनिंग टेबल पर मिली और हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए गुड मोर्निंग कहा और इधर उधर की बातें करने लगी, उसे देखकर ये अंदाजा लगाना मुश्किल था के ये मासूम सी दिखने वाली, अपने फ्रेंड्स से घिरी रहने वाली, टीचर्स की चहेती और क्लास में अव्वल आने वाली इतनी कामुक और उत्तेजक भी हो सकती है जो रात दिन अपनी मुठ मारती है और काला डिल्डो चूत में लेकर घुमती है.

मेरी माँ, पूर्णिमा किचन में कुक के साथ खड़े होकर breakfast बनवा रही थी, वो एक आकर्षक शरीर की स्वामी है, ४१ की उम्र में भी उनके बाल बिलकुल काले और घने है, जो उनके कमर से नीचे तक आते हैं , मेरे पिता भी जो डाइनिंग टेबल पर बैठे थे सभी को हंसा - २ कर लोट पोत करने में लगे हुए थे, कुल मिला कर उनकी चेमिस्ट्री मेरी मम्मी के साथ देखते ही बनती थी, वो लोग साल में एक बार अपने फ्रेंड्स के साथ पहाड़ी इलाके में जाते थे और कैंप लगाकर खूब एन्जॉय करते थे.

मैंने कॉलेज जाते हुए ऋतू को अपनी bike पर स्कूल छोड़ा और आगे निकल गया, रास्ते में मेरे दिमाग में एक नयी तरकीब आने लगी, मुझे और मेरी बहन को हमेशा एक लिमिटेड जेब खर्ची मिलती थी, हमें मेरे दोस्तों की तरह ऐश करने के लिए कोई एक्स्ट्रा पैसे नहीं मिलते थे , जबकि मेरे दोस्त हमेशा ग्रुप पार्टी करते, मूवी जाते पर कम पैसो की वजह से मैं इन सबसे वंचित रह जाता था, मैंने अपनी बहन के बारे में कभी भी अपने फ्रेंड्स को नहीं बताया था , वो कभी भी ये यकीं नहीं करते की ऋतू इतनी कामुक और वासना की आग में जलने वाली एक लड़की हो सकती है, उनकी नजर में तो वो एक चुलबुल औए स्वीट सी लड़की थी.

मैं कॉलेज पहुंचा और अपने दो सबसे करीबी फ्रेंड्स विशाल और सन्नी को एक कोने में लेकर उनसे पूछा के क्या उन्होंने कभी नंगी लड़की देखि है, उनके चेहरे के आश्चर्य वाले भाव देखकर ही मैं उनका उत्तर समझ गया.

मैंने आगे कहा, "तुम मुझे क्या दोगे अगर मैं तुम्हे १० फीट की दुरी से एक नंगी लड़की दिखा दूं "

विशाल "मैं तुम्हे सारी उम्र अपनी कमाई देता रहूँगा "..."पर ये मुमकिन नहीं है, तो इस टोपिक को यही छोड़ दो" 

मैंने कहा "लेकिन अगर मैं कहूँ की जो मैं कह रहा हूँ, वो कर के भी दिखा सकता हूँ,...."तब तुम मुझे कितने पैसे दे सकते हो"

सन्नी बोला "अगर तुम मुझे नंगी लड़की दिखा सकते हो तो मैं तुम्हे १००० रूपए दे सकता हूँ,"

"मैं भी एक हज़ार दे सकता हूँ" विशाल बोला. "पर हमें ये कितनी देर देखने को मिलेगा"

मैंने कहा "दस से पंद्रह मिनट "

"अबे चुतिया तो नहीं बना रहा, कंही कोई बच्ची तो नहीं दिखा देगा,गली में नंगी घुमती हुई " हा. हा. हा ...दोनों हंसने लगे.

मैं बोला "अरे नहीं, वो उन्नीस साल की है, गोरी, मोटे चुचे, और तुम्हारी किस्मत अच्छी रही तो शायद वो तुम्हे मुठ भी मरते हुए दिख जाए"

सन्नी ने कहा "अगर ऐसा है तो ये ले " और अपनी पॉकेट से एक हज़ार रूपए निकाल कर मुझे दिए और कहा "अगर तू ये ना कर पाया तो तुझे डबल वापिस देने होंगे, मंजूर है"

"हाँ मंजूर है" मैंने कहा.

सन्नी को देखकर विशाल ने भी पैसे देते हुए कहा "कब दिखा सकता है"

"कल, तुम दोनों अपने घर पर बोल देना की मेरे घर पर रात को ग्रुप स्टडी करनी है, और रात को वही रहोगे"

"ठीक है !" दोनों एक साथ बोलेअबे चुतिया तो नहीं बना रहा, कंही कोई बच्ची तो नहीं दिखा देगा,गली में नंगी घुमती हुई " हा. हा. हा ...दोनों हंसने लगे.
verry hot

sesh kahani अंजान आशिक me 

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