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गुरुवार, 17 जनवरी 2013

चुदाई माँ की

चांग सिंह मेघालय राज्य के एक छोटे से गांव का रहने वाला है. वो अपने माँ - बाप का एकलौता बेटा है. गांव में घोर गरीबी के चलते उसे 15 साल की ही उम्र अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर दिल्ली आना पड़ा. दिल्ली आते ही उसे एक कारखाने में नौकरी मिल गयी. उसने तुरंत ही अपनी लगन एवं इमानदारी का इनाम पाया और उसकी तरक्की सिर्फ एक साल में ही सुपरवाइजर में हो गयी. अब उसे ज्यादा वेतन मिलने लगा था. अब वो अपने गाँव अपने माँ - बाप से मुलाक़ात करने एवं उन्हें यहाँ लाने की सोच रहा था. तभी एक दिन उसके पास उसकी माँ का फोन आया कि उसके पिता की तबियत काफी ख़राब है. चांग जल्दी से अपने गाँव के लिए छुट्टी ले कर निकला. दिल्ली से मेघालय जाने में उसे तीन दिन लग गए. मगर दुर्भाग्यवश वो ज्यों ही अपने घर पहुंचा उसके अगले दिन ही उसके पिता की मृत्यु हो गयी.

होनी को कौन टाल सकता था. पिता के गुजरने के बाद चांग अपनी माँ को दिल्ली ले जाने की सोचने लगा क्यों कि यहाँ वो बिलकुल ही अकेली रहती और गाँव में कोई खेती- बाड़ी भी नही थी जिसके लिए उसकी माँ गाँव में रहती. पहले तो उसकी माँ अपने गाँव को छोड़ना नही चाहती थी मगर बेटे के समझाने पर वो मान गयी और बेटे के साथ दिल्ली चली आयी. उसकी माँ का नाम बसंती है. उसकी उम्र 31 - 32 साल की है. वो 15 साल की ही उम्र में चांग की माँ बन चुकी थी. आगे चल कर उसे एक और संतान हुई मगर कुछ ही दिनों में उसकी मृत्यु हो गयी थी. आगे चल कर बसंती को कोई अन्य संतान नही हुई. इस प्रकार से बसंती को सिर्फ एक पुत्र चांग से ही संतुष्टी प्राप्त करना पड़ा. खैर ! चांग उसका लायक पुत्र निकला और वो अब नौकरी कर के अपना और अपनी माँ का ख़याल रख सकता था.

चांग ने दिल्ली में एक छोटा सा कमरा किराया पर ले रखा था. इसमें एक किचन और बाथरूम अटैच था. उसके जिस मकान में यह कमरा ले रखा था उसमे चारों तरफ इसी तरह के छोटे छोटे कमरे थे. वहां पर लगभग सभी बाहरी लोग ही किराए पर रहते थे. इसलिए किसी को किसी से मतलब नही था. चांग का कमरे में सिर्फ एक खिडकी और एक मुख्य दरवाजा था. बसंती पहली बार अपने राज्य से बाहर निकली थी. वो तो कभी मेघालय के शहर भी नहीं घूमी थी. दिल्ली की भव्यता ने उसकी उसकी आँखे चुंधिया दी. जब चांग अपनी माँ बसंती को अपने कमरे में ले कर गया तो बसंती को वह छोटा सा कमरा भी आलिशान लग रहा था. क्यों कि वो आज तक किसी पक्के के मकान में नही रही थी. वो मेघालय में एक छोटे से झोपड़े में अपना जीवन यापन गुजार रही थी. उसे उसके बेटे ने अपने कमरे के बारे में बताया . किचन और बाथरूम के बारे में बताया. यह भी बताया कि यहाँ गाँव कि तरह कोई नदी नहीं है कि जब मन करे जा कर पानी ले आये और काम करे. यहाँ पानी आने का टाइम रहता है. इसी में अपना काम कर लेना है. पहले दिन उसने अपनी माँ को बाहर ले जा कर खाना खिलाया. बसंती के लिए ये सचमुच अनोखा अनुभव था. वो हिंदी भाषा ना तो समझ पाती थी ना ही बोल पाती थी. वो परेशान थी . लेकिन चांग ने उसे समझाया कि वो धीरे धीरे सब समझने लगेगी.

रात में जब सोने का समय आया तो दोनों एक ही बिस्तर पर सो गए. चांग का बिस्तर डबल था. इसलिए दोनों को सोने में परेशानी तो नही हुई. परन्तु चांग तो आदतानुसार किसी तरह सो गया लेकिन पहाड़ों पर रहने वाली बसंती को दिल्ली की उमस भरी रात पसंद नही आ रही थी.वो रात भर करवट लेती रही. खैर! सुबह हुई. चांग अपने कारखाने जाने के लिए निकलने लगा. बसंती ने उसके लिए नाश्ता बना दिया. चांग ने बसंती को सभी जरुरी बातें समझा कर अपने कारखाने चला गया. बसंती ने दिन भर अपने कमरे की साफ़ सफाई की एवं कमरे को व्यवस्थित किया. शाम को जब चांग वापस आया तो अपना कमरा सजा हुआ पाया तो बहुत खुश हुआ. उसने बसंती को बाजार घुमाने ले गया और रात का खाना भी बाहर ही खाया.

अगले 3 -4 दिनों में बसंती अपने पति की यादों से बाहर निकलने लगी थी और अपने आप को दिल्ली के वातावरण अनुसार ढालने की कोशिश करने लगी. चांग बसंती पर धीरे धीरे हावी होने लगा था. चांग जो कहता बसंती उसे चुप चाप स्वीकार करती थी. क्यों कि वो समझती थी कि अब उसका भरण - पोषण करने वाला सिर्फ उसका बेटा ही है. चांग भी अब बसंती पर अधिकार के जमाने लगा था.

चांग रात में सिर्फ अंडरवियर पहन कर सोता था. एक रात में उसकी नींद खुली तो वो देखता है कि उसकी माँ बैठी हुई.

चांग - क्या हुआ? सोती क्यों नहीं?

बसंती - इतनी गरमी है यहाँ.

चांग - तो इतने भारी भरकम पहाड़ी कपडे क्यों पहन रखे हैं?

बसंती - मेरे पास तो यही कपडे हैं.

चांग - गाउन नहीं है क्या?

बसंती - नहीं.

चांग - तुमने पहले मुझे बताया क्यों नहीं? कल मै लेते आऊँगा. तू एक काम कर अभी ये सब खोल कर सो जा.

बसंती - बिना कपड़ो के ही ?

चांग ने कहा - नहीं, ब्रा और पेटीकोट है ना तेरी? वही पहन के सो जा ना . कौन तुझे रात में यहाँ देखेगा?

बसंती - नहीं. आज की रात किसी तरह काट लेती हूँ. तू कल सुबह मेरे लिए गाउन लेते आना.

अगले दिन चांग अपनी माँ के लिए एक बिलकूल पतली सी नाइटी खरीद कर लेते आया. ताकि रात में माँ को आराम मिल सके. जब उसने अपनी माँ को वो नाइटी दिखाया तो वो बड़े ही असमंजस में पड़ गयी. वो नाइटी सिर्फ पतली ही नही बल्कि छोटी भी थी. जांघ भी किसी तरह ही ढँक रहे थे. उसने आज तक कभी नाइटी नही पहनी थी. लेकिन जब चांग ने बताया कि दिल्ली में सभी औरतें इस तरह की नाइटी पहन कर ही सोती हैं तो उसने पूछा कि इसे पहनूं कैसे?

चांग ने कहा - अन्दर के ब्रा खोल कर सिर्फ नाइटी पहन लो.

बेचारी बसंती ने ऐसा ही किया. उसने किचन में जा कर अपनी पहले के सभी कपडे खोले और नाइटी पहन ली. नाइटी काफी पतली थी. जिस से नाइटी उसके बदन से चिपक गए थे. बसंती का जवान जिस्म अभी 32 साल का ही था. उस पर पहाड़ी औरत का जिस्म काफी गदराया हुआ था. गोरी और जवान बसंती की चूची बड़े बड़े थे. गाउन का गला इतना नीचे था कि बसंती की चूची का निपल सिर्फ बाहर आने से बच रहा था.

बसंती ने गाउन को पहन कर कमरे में आयी और चांग से कहा - देख तो ,ठीक है?

चांग ने अपनी माँ को इतने पतले से नाइटी में देखा तो उसके होश उड़ गए. बसंती का सारा जिस्म का अंदाजा इस पतले से नाइटी से साफ़ साफ़ दिख रहा था. चांग ने तो कभी ये सोचा भी नही था कि उसकी माँ की चूची इतनी बड़ी होगी.

वो बोला - अच्छी है. देखना गरमी नहीं लगेगी.

उस रात बसंती सचमुछ आराम से सोई. लेकिन चांग का दिमाग माँ के बदन पर टिक गया था. वो आधी रात तक अपनी माँ के बदन के बारे में सोचता रहा. वो अपनी माँ के बदन को और भी अधिक देखना चाहने लगा. उसने उठ कर कमरे का लाईट जला दिया. उसकी माँ का गाउन बसंती के जांघ के ऊपर तक चढ़ चुका था. जिस से बसंती की पेंटी भी चांग को दिख रही थी. चांग ने गौर से बसंती की चूची की तरफ देखा. उसने देखा कि माँ की चूची का निपल भी साफ़ साफ़ पता चल रहा है. वो और भी अधिक पागल हो गया. उसका लंड अपनी माँ के बदन को देख कर खड़ा हो गया. वो बाथरूम जा कर वहां से अपनी सोई हुई माँ के बदन को देख देख कर मुठ मारने लगा. मुठ मारने पर उसे कुछ शान्ति मिली. और वापस कमरे में आ कर लाईट बंद कर के सो गया. सुबह उठा तो देखा माँ फिर से अपने पुराने कपडे पहन कर घर का काम कर रही है. लेकिन उसके दिमाग में बसंती का बदन अभी भी घूम रहा था. वो बसंती का पूरा जिस्म नंगा देखना चाहता था.

सुबह को दोनों उठे. चांग ने माँ से पूछा - माँ, रात कैसी नींद आयी?

बसंती - बेटा, कल बहुत ही अच्छी नींद आयी. गाउन पहनने से काफी आराम मिला.

चांग - लेकिन, मैंने तो सिर्फ एक ही गाउन लाया. आगे रात को तू क्या पहनेगी?

बसंती - वही पहन लुंगी.

चांग - नहीं, एक और लेता आऊँगा. कम से कम दो तो होने ही चाहिए.

बसंती - ठीक है, जैसी तेरी मर्जी.

चांग शाम कारखाने से घर लौटते समय बाज़ार गया और जान बुझ कर बिलकूल झीनी कपड़ों वाली पारदर्शी गाउन वो भी बिना बांह वाली खरीद कर लेता आया. उस की लम्बाई पिछले गाउन से भी कम थी.

उसने शाम में अपनी माँ को वो गाउन दिया और कहा - माँ, आज रात में सोते समय ये नया गाउन पहन लेना. इसे पहनने वक़्त ब्रा पहनने की कोई जरुरत नहीं है.

रात में सोते से पहले जब बसंती ने वो गाउन पहना तो उसके अन्दर सिवाय पेंटी के कुछ भी नही पहना. वह गाउन लंबा फीता वाला था. ऊपर से उस गाउन की शुरआत बसंती की आधी चूची पर आ कर हो रही थी . और नीचे किसी तरह से पेंटी से दो इंच नीचे तक जा कर समाप्त हो रही थी. ऊपर में वो गाउन बसंती की चूची की गहरी घाटी और नीचे पुरी नंगी जांघ प्रदर्शित कर रही थी. वैसे भी उसका सारा का सारा गोरा बदन उस पारदर्शी गाउन से दिख रहा था. यहाँ तक कि उसकी पेंटी भी स्पष्ट रूप से दिख रहे थे. उसकी गोरी चूची और निपल तो पूरा ही दिख रहा था. उस गाउन को पहन कर वो चांग के सामने आयी. चांग अपनी माँ के बदन को एकटक देखता रहा.

बसंती- देख तो बेटा, कैसा है, मुझे लगता है कि कुछ पतला कपडा है. और गाउन और भी छोटा है.

चांग ने गौर से अपनी माँ के चूची और उसके बीच की घाटी को निहारते हुए कहा - अरे माँ, आजकल यही फैशन है. तू आराम से पहन.

अचानक उसकी नजर अपनी माँ के कांख के बालों पर चली गयी. कटी हुई बांह वाली गाउन से बसंती के बगल वाले बाल बाहर निकल गए थे.

चांग ने आश्चर्य से कहा - माँ , तू अपने कांख के बाल नही बनाती?

बसंती - नहीं बेटे, आज तक नहीं बनाया.

चांग - अरे माँ, आजकल ऐसे कोई नहीं रखता.

बसंती - मुझे तो बाल बनाना भी नही आता.

चांग - ला , मै बना देता हूँ.

बसंती आजकल चांग के किसी बात का विरोध नहीं करती थी. चांग ने अपना शेविग बॉक्स निकाला और रेजर निकाल कर ब्लेड लगा कर तैयार किया.

उसने माँ को कहा- अपने हाथ ऊपर कर.

उसकी माँ ने अपनी हाथ को ऊपर किया और चांग ने अपनी माँ के कांख के बाल को साफ़ करने लगा. साफ़ करते समय वो जान बुझ कर काफी समय लगा रहा था. और हाथ से अपनी माँ के कांख को बार बार छूता था. और बसंती की गोरी गोरी चुचीयों को नजदीक से निहार रहा था. इस बीच इसका लंड पानी पानी हो रहा था. वो तो अच्छा था कि उसनेअंडरवियर पहन रखा था. लेकिन उसका लंड इतना तन गया था की अंडरवियर तम्बू बन चूका था. बसंती को भी पता था कि उसका बेटा उसकी चुचियों को निहार रहा है. लेकिन वो अपने बेटे के आगे बेबस थी. अचानक उसकी नजर चांग के लंड की ओर गयी. उसने चांग के अंडरवियर को तम्बू बना देख समझ गयी की चांग का लंड खड़ा हो गया है. पहले तो उसे कुछ शर्म सी आयी, लेकिन धीरे धीरे वो कुछ खुल गयी और शर्माना बंद कर के आराम से अपने कांख के बाल बनवाती रही. उसे भी मस्ती लगने लगी और मस्त हो कर आँख बंद कर ली. आँख बंद कर के वो चांग के लंड के विषय में सोच रही थी. और उसके साइज़ का अंदाजा लगा रही थी. किसी तरह से चांग ने कांपते हाथों से अपनी माँ के कांख के बाल साफ़ किये. बाल साफ़ करने के बाद बसंती तो सो गयी. मगर चांग को नींद ही नहीं आ रही थी. उसका लंड पुरे उफान पर था. वो अपना अंडरवियर खोल कर अपनी माँ के हुस्न को याद कर कर के लंड को मसल रहा था. थोड़ी देर मसलने के बाद वो बाथरूम गया और मुठ मार कर अपनी गरमी शांत की. वो वापस नंगा ही बिस्तर पर आया . अचानक उसे कब नींद आ गयी. उसे ख़याल भी नहीं रहा और उसका अंडरवियर खुला हुआ ही रह गया.

सुबह होने पर रोज़ की तरह बसंती पहले उठी तो वो अपने बेटे को नंगा सोया हुआ देख कर चौक गयी. वो चांग के लंड को देख कर आश्चर्यचकित हो गयी. उसे पता नहीं था कि उसके बेटे का लंड अब जवान हो गया है और उस पर बाल भी हो गए है. वो समझ गयी कि उसका बेटा अब जवान हो गया है. उसके लंड का साइज़ देख कर भी वो आश्चर्यचकित थी क्यों कि उसने आज तक अपने पति के लंड के सिवा कोई और जवान लंड नहीं देखा था. उसके पति का लंड इस से छोटा ही था. वो समझ गयी थी कि कल रात को चांग ने बसंती की चुचियों को इतने नजदीक से देखा इसलिए वो रात में गर्म हो गया होगा. हाय, कितना मस्त लंड है इसका लंड इतना बड़ा हो गया है और मुझे पता भी नहीं चला. काश एक बार ऐसा लंड मेरे चूत में मिल जाता. कम्बखत कितने दिन हो गए चुदाई किये हुए.

वो अभी सोच ही रही थी कि अचानक चांग की आँख खुल गयी और उसने अपने आप को अपनी माँ के सामने नंगा पाया. वो थोडा शर्मिंदा हुआ लेकिन आराम से तौलिया को लपेटा और कहा - वो रात में काफी गरमी थी , इसलिए मैंने अंडरवियर खोल दिया था. वैसे, जब तू यहाँ नही रहती थी तो मै तो इसी तरह ही सोता था.

बसंती थोडा सा मुस्कुरा कर कहा - अच्छा कोई बात नहीं बेटे .माँ से क्या शर्माना ? मै अभी तेरे लिए चाय बना देती हूँ. .

चांग ने सोचा - चलो माँ कम से कम नाराज तो नहीं हुई.

बसंती किचन में चाय बनाने तो चली गयी लेकिन वो चांग के लंड को देख कर इतनी गर्म गयी कि किचन में ही उसने अपने चूत में उंगली डाल कर मुठ मार लिया. तब कहीं उसे शान्ति मिली.

इधर चांग की भी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी. अगली रात चांग ने आधी रात को कर अपना अंडरवियर पूरी तरह खोल दिया था और बसंती के उठने से ठीक पहले पेशाब लगने की वजह से उठ गया और नंगे ही बाथरूम जा कर वापस आया और अपनी माँ के बगल में लेट गया. चांग ने देखा कि बसंती की छोटी और पतली गाउन उसकी पेंटी से पूरी तरह ऊपर हो गयी थी. बसंती की पेंटी के अन्दर से उसके चूत के बाल स्पष्ट दिख रहे थे. इस वीभत्स नज़ारे को देख कर चांग का लंड तनतना गया. और अपने लंड को सहलाने लगा. तभी बसंती की नींद खुले लगी. ये देख कर चांग झट से अपनी आँखे बंद कर के सोने का नाटक करने लगा. वो जान बुझ कर लंड को खड़ा कर के सोने का नाटक करता रहा. कुछ ही पल में ज्यों ही बसंती उठी तो देखती है कि उसका बेटा लंड तनतनाया हुआ है. . बसंती का दिमाग फिर से गर्म हो गया.
वो चांग के बगल में लेटे कर चांग के खड़े लंड को निहारते हुए सोचने लगी - हाय, अपने बेटे का ही लंड मुझे मिल जाए तो क्या बात है? साले का लंड इतना सुन्दर है कि मन कर रहा है कि अभी मुह में ले कर चूसने लगूं .

पांच मिनट तक उसके लंड को निहारने के बाद वो चांग के नंगे सीने पर प्यार से हाथ फेरते हुए चांग को जगाया. चांग उठा तो अपने आप को नंगा पाया. उसका लंड अभी भी खडा था.

बसंती की लगभग आधा बदन बिलकूल नंगा था. और शेष आधा बदन पारदर्शी गाउन से दिख रहा था. ये देख कर चांग का लंड और टाईट हो गया.
चांग थोडा झिझकने का नाटक करते हुए कहा - कल रात भी बहुत गरमी थी ना इसलिए कपडे खोल के ही सो गया था.

बसंती ने चांग के नंगे पेट को सहलाते हुए कहा - तो क्या हुआ? यहाँ कौन दुसरा है? मै क्या तुझे नंगा नहीं देखी हूँ? माँ के सामने इतनी शर्म कैसी?

चांग - वो तो मेरे बचपन में ना देखी हो. अब बात दूसरी है.

बसंती का हाथ थोडा और नीचे गया चांग के लंड के बालों में उँगलियाँ फेरते हुए बोली - पहले और अब में क्या फर्क है ? यही ना अब थोडा बड़ा हो गया है और थोडा बाल हो गया है , और क्या? अब मेरा बेटा जवान हो गया है. लेकिन माँ के सामने शर्माने की जरुरत नहीं. तू चाहे तो कभी भी मेरे सामने बिना कपडे के सो सकता है. जा जाकर बाथरूम में पिशाब कर. देख कब से तेरे को पिशाब लगी है.

चांग - तुझे कैसे पता चला माँ, मुझे जोरों से पिशाब लगी है?

बसंती - तेरा लंड इतना टाईट हो गया है. इस से मै समझ गयी. जा जल्दी जा, फिर हम चाय पियेंगे.

चांग हँसते हुए बाथरूम गया. लेकिन वहां उसने सिर्फ पिशाब ही नही किया बल्कि अपनी माँ की मस्त चूची को याद कर कर के मुठ मारने लगा. साथ ही साथ वो जोर जोर से आह आह की आवाजें भी निकाल रहा था ताकि उसकी माँ सुन सके. बसंती ने सचमुच उसकी आवाज़ सुन ली और वो समझ गयी कि उसका बेटा बाथरूम में मूठ मार रहा है. सुन के वो फिर मस्त हो गयी. वो भी किचन में गयी और अपनी चूत की मुठ मारने लगी. यानी आग इधर भी लग गयी थी और उधर भी.

चांग समझ गया कि माँ को उसके नंगे सोने पर कोई आपत्ति नहीं है. अब वो नंगा ही सोने लगा. और उधर बसंती उसके लंड को देख देख के मुठ मारती रही. अगले दो दिन के बाद रात में आधी रात को चांग अपने खड़े लंड को मसलने लगा. माँ के चूत और चूची को याद कर कर के उसने बिस्तर पर ही मुठ मार दिया. सारा माल उसके बदन पर एवं बिस्तर पर जा गिरा. एक बार मुठ मारने से भी चांग का जी शांत नहीं हुआ. 10 मिनट के बाद उसने फिर से मुठ मारा. इस बार मुठ मारने के बाद उसे गहरी नींद आ गयी. और वो बेसुध हो कर सो गया. सुबह होने पर बसंती ने देखा कि चांग रोज़ की तरह नंगा सोया है और आज उसके बदन एवं बिस्तर पर माल भी गिरा है. उसे ये पहचानने में देर नहीं हुई कि ये चांग का वीर्य है. वो समझ गयी कि रात में उसने मुठ मारा होगा. लेकिन वो जरा भी बुरा नहीं मानी. वो गौर से अपने बेटे का लंड देखने लगी. वो उसे छूना चाहती थी. लेकिन उसने घडी देखा तो समझ गयी कि अब चांग उठने व़ा है. वो कपडे पहन कर चांग के लिए चाय बनाने चली गयी. तभी चांग भी उठ गया. वो उठ कर बैठा ही था कि उसकी माँ चाय लेकर आ गयी. चांग अभी तक नंगा ही था.

बसंती ने कहा - देख तो, तुने क्या किया? जा कर बाथरूम में अपना बदन साफ़ कर ले. मै बिछावन साफ़ कर लुंगी.

चांग बिना कपडे पहने ही बाथरूम गया. और अपने बदन पर से अपना वीर्य धो पोछ कर वापस आया तब उसने तौलिया लपेटा. तब तक बसंती ने वीर्य लगे बिछावन को हटा कर नए बिछावन को बिछा दिया. फिर उस रात ज्यों ही बिस्तर पर दोनों लेटे त्यों ही चांग ने मुठ मारना शुरू कर दिया. बसंती अँधेरे में चांग को देख तो नही पा रही थी लेकिन वो समझ गयी कि चांग मुठ मार रहा है. वो भी गर्म हो गयी. उसने भी अपने चूत में उंगली डाला और वो भी शुरू हो गयी. अब दोनों ही बिस्तर पर एक साथ मुठ मार रहे थे. हालांकी चांग नही जान पाया कि उसकी माँ भी मुठ मार रही है. दोनों अपने अपने माल को निकाल कर निढाल हो कर सो गए. लेकिन बसंती की आग बढ़ती ही जा रही थी.
दोनों इसी तरह दोनों लगातार तीन रात एक ही बिस्तर पर एक साथ ही मुठ मारते और सो जाते.

तीन दिन के बाद एक रात बसंती अपने झीनी गाउन को पहन कर बिस्तर पर लेटी हुई थी . चांग वहां तौलिया लपेटे लेटा हुआ था. चांग ने अपनी जेब से सिगरेट निकाला और माँ से माचिस लाने को कहा. बसंती ने चुप- चाप माचिस ला कर दे दिया. चांग ने माँ के सामने ही सिगरेट सुलगाई और पीने लगा. बसंती ने कुछ नही कहा क्यों कि उसके विचार से सिगरेट पीने वाले लोग आमिर लोग होते हैं.

चांग - माँ, तू सिगरेट पीयेगी?

बसंती - नहीं रे .

चांग - अरे पी ले, ये बिलकूल गाँव के हुक्के की तरह ही है. वहां तो तू हुक्का पीती थी कभी कभी . ये ले पी सिगरेट .

कहते हुए अपनी सिगरेट माँ को दे दिया. और खुद दुसरा सिगरेट जला दिया. बसंती ने सिगरेट से ज्यों ही कश लगाया वो थोड़ी खांसी .

चांग ने कहा - आराम से माँ. धीरे धीर पी. पहले सिर्फ मुह में ले. धुंआ अन्दर मत ले. बसंती ने वैसा ही किया. 3 -4 कश के बाद वो सिगरेट पीने जान गयी. आज वो बहुत खुश थी. उसने रोजाना कि तरह सिर्फ पेंटी के ऊपर ही गाउन पहन रखा था . इससे उसका गोरा बदन और गोरी चूची उसके काले झीने गाउन से साफ़ झलक रहा था.

चांग - माँ एक बात कहूँ.

बसंती - हाँ बोल.

चांग - तू रोज़ गाउन पहन के क्यों सोती है? तू सिर्फ पेंटी पहन के क्यों नहीं सोती है ?

बसंती - तेरे सामने सिर्फ पेंटी पहन कर सोने में शर्म आती है.

चांग ने अपना तौलिया खोल दिया और कहा - देख जब मै तेरे सामने नंगा होने से नही शर्माता तो तू मेरे सामने क्यों शर्माती हो? इसमें शर्माने की क्या बात है? ये दिल्ली है माँ. यहाँ कोई किसी को देखने वाला नहीं. दिल्ली में शरीर में हवा लगाना बहुत जरुरी है नहीं तो यहाँ के वातावरण में इतना अधिक प्रदुषण है कि बदन पर खुजली हो जायेंगे. देखती हो मै तो यूँ ही बिना कपडे के सो जाता हूँ. कभी कभी सिर्फ पेंटी पहन कर भी सोना चाहिए. तुझ पता है दिल्ली में सारी औरतें नंगी ही सोती हैं. ताकि पुरे शरीर को हवा लग सके.

बसंती - क्या बात कर रहे हो?

चांग - और नहीं तो क्या?

बसंती - तो अभी ये गाउन उतार दूँ?

चांग - हाँ बिलकूल.

बसंती ने खड़े ही खड़े अपना गाउन उतार दिया. दरअसल वो भी अब मस्त होना चाहती थी. वो भी चाहती थी कि उसका बेटा उसके बदन को अच्छी तरह से देखे.

बसंती अब सिर्फ पेंटी में थी. उसकी चूची खुली हवा में विशाल रसगुल्ले की तरह दिख रहे थे. बसंती को सिर्फ पेंटी में और विशाल चूची को यूँ नंगी देख चांग का माथा खराब हो गया. वो कभी सोच भी नहीं सकता था कि उसकी माँ इतनी जवान है. उसका मन किया कि वो लपक कर अपनी माँ की गोरी गोरी चुचियों को मुंह में ले के चूसने लगे. लेकिन उसने अपने आप पे कंट्रोल रखा. लेकिन उसका लंड खड़ा हो गया. लेकिन उसने अपने लंड को छुपाने की जरुरत नहीं समझी.

बसंती उसके बगल में आ कर लेट गयी और सिगरेट के कश ले रही थी.

चांग अपने खड़े लंड को सहलाते हुए बोला - हाँ , अब तेरे बदन को थोड़ी हवा लगेगी. अब अच्छा लग रहा है ना?

बसंती ने सिगरेट का कश लेते हुआ कहा - हाँ..बहुत खुला खुला सा लग रहा है.

चांग ने कहा - एक बात कहूँ, तू बुरा तो नही मानेगी न?

बसंती ने कहा - बोल ना.

चांग ने लपक कर अपनी माँ की चूची को पकड़ लिया और दबाते हुए कहा - तेरी चूची बड़ी ही गोरी है. एकदम मस्त चूची है तेरी.

बसंती थोड़ा हँसते हुए कही- हाँ वो तो है.

चांग - तेरी चूची अभी भी सख्त ही हैं. लगता है कि किसी लड़की की चूची है.

बसंती - अच्छा?? लेकिन मुझे तो नही लगता..

उधर चांग अपनी माँ की चूची को बुरी तरह मसलने और दबाने लगा. बसंती की आँखें मस्ती से बंद हो रही थी.
चांग का लंड कुतुबमीनार की तरह खडा हो गया था. वो इसे सहलाने लगा. उसका लंड खड़ा हो कर किसी सांप की तरह लहरा रहा था. बसंती ने गौर कर के उसके खड़े लंड को देखा. वो समझ गयी थी कि उसके बेटे की लंड की ये हालत अपनी माँ की चूची को देखने और दबाने के कारण ही हुई है.

लेकिन वो जान बुझ के अनजान बनती हुई चांग के लंड को लपक कर पकड़ लिया औरसहलाते हुए बोली - बेटा, पिशाब लगी है क्या तुझे?

चांग - नही माँ.

बसन्ती ने चांग के लंड को जोर से दबाते हुए पूछा - तो तेरा लंड इतना खड़ा क्यों हो गया है?
चांग - ये तेरी गोरी चूची को छू के गरम हो गया. साले को ठंडा करना पड़ेगा.

बसंती - कैसे करेगा ठंडा इसे?

चांग - मुठ मारना होगा.

बसंती - तो मुठ मार ले ना. क्यों सता रहा है खुद को और अपने लंड को?

चांग - तेरे सामने ही मुठ मार दूं, माँ ? तू देखेगी मुझे मुठ मारते हुए?

बसंती - हाँ, और नही क्या ? अब तुम मुझसे इतना शर्माते क्यों हो? क्या मै नही जानती कि तुम रोज़ मुठ मारते हो. ज़रा मै भी तो देखूंगी मेरा गबरू जवान बेटा कैसे अपनी मुठ मारता है?
चांग - ठीक है. माँ.
चांग अपनी माँ के बगल में खडा हो कर बिना किसी शर्म के जोर जोर से मुठ मारने लगा और साथ ही जोर जोर से आह आह की आवाज़ भी निकाल रहा था. बसंती को अपने बेटे का मुठ मारना देख के मस्ती चढ़ रही थी. बसंती खड़े खड़े अपने बेटे को मुठ मारता देख रही थी. वो भी गर्म हो गयी थी. लेकिन वो अभी खुलना नही चाह रही थी. करीब 2 मिनट तक चांग मुठ मारने के बाद सिसकारी भरने लगा. बसंती समझ गयी कि अब चांग का माल निकलने वाला है. उसने झट से एक तौलिया उठाया और तौलिये से चांग के लंड को कस के पकड़ ली. चांग का लंड बलबला कर माल निकालने लगा. बसंती उसके माल को तौलिये से साफ़ करती रही.

चांग को आज तक मुठ मारने में इतना मज़ा नही आया था. आज उसकी माँ ने उसका मुठ मारने में साथ दिया. वो सचमुच काफी खुश था. उसने सिगरेट सुलागई. आधी सिगरेट पीते पीते नींद की आगोश में जाने लगा तो आधी सिगरेट उसने अपनी माँ को दे दिया और खुद गहरी नींद में सो गया. लेकिन बसन्ती की आँखों से तो मानों नींद ही उड़ गयी हो.उस आधी सिगरेट पीने के बाद भी उसने दूसरी सिगरेट सुलगाई. सारी रात उसने चांग के लंड और उसके मुठ को याद कर कर के 7 -8 बार बिस्तर पर ही मुठ मारते मारते और सिगरेट पीते पीते गुजार दी. रात भर में ही उसने सिगरेट का पूरा पैकेट ख़तम कर दिया. लेकिन उसकी आँखों में नींद की एक झलक तक नही आई. वो रात भर लाईट जला कर अपने बेटे के लंड को निहारती रही. और ये सोचती रही कि अब और ज्यादा देर तक इस लंड को अपने चूत से जुदा नही रख पायेगी. अब दोनों के बीच सिर्फ पेंटी की दीवार बची थी. उसने ये फैसला कर दिया था कि जल्द ही वो अपनी पेंटी चांग के सामने उतार देगी और जल्द ही अपने चूत को अपने बेटे के लंड से मिलन करवा देगी जिस से दोनों की इच्छा पुरी हो जायेगी और दोनों के ही जीवन में बदलाव आ जाएगा.

सुबह चांग बाज़ार गया और अपनी माँ के लिए बिलकुल छोटी सी पेंटी खरीद कर लाया. पेंटी भी ऐसी कि सिर्फ नाम के कपडे थे उसपर. पूरी तरह जालीदार पेंटी . शाम में उसने अपनी माँ को वो पेंटी दिए और रात में उसे पहनने को बोला. रात को खाना खाने के बाद चांग ने सिगरेट सुलगाई और उधर उसकी माँ ने सारे कपडे खोल सिर्फ नयी वाली पेंटी पहनी. उसे पहनना और ना पहनना दोनों बराबर था. क्यों कि उसके चूत का पूरा दर्शन हो रहा था. लेकिन बसंती भी चांग को अपने चूत के दर्शन कराने को बेताब थी. पेंटी तो इंतनी छोटी थी कि चूत के बाल बिलकुल बाहर थे. सिर्फ चूत एक जालीदार कपडे से किसी तरह ढकी हुई थी. उसे पहन कर वो चांग के सामने आयी. चांग को तो सिगरेट का धुंआ निगलना मुश्किल हो रहा था.

बसंती ने कहा - देख तो कैसा है?

बसन्ती ने कहा - अब देख तो पेंटी कैसी है?

चांग बोला - अच्छी है.

बसंती ने कहा - कुछ छोटी है. फिर उसने अपनी चूत के बाल की तरफ इशारा किया और कहा - देख न बाल भी नहीं ढका रहें हैं.

चांग - ओह, तो क्या हो गया. यहाँ मेरे सिवा और कौन है? इसमें शर्म की क्या बात है. खैर ! मेरे शेविंग बॉक्स से रेजर ले कर नीचे वाले बाल बना लो.

बसंती - मुझे नही आते हैं शेविंग करना. मुझे डर लगता है.

चांग - इसमें डरने की क्या बात है?

बसंती - कहीं कट जाए तो?

चांग - देख माँ, इसमें कुछ भी नहीं है. अच्छा , ला मै ही बना देता हूँ.

बसंती - हाँ, ठीक है.
.
बसंती ने उसका शेविग बॉक्स में से रेजर निकाला और चांग को थमा दिया.

चांग ने कहा - अपनी पेंटी उतार.

जिस शब्द को सुनने के लिए बसंती इतने दिनों से बेकरार थी आज वो शब्द उसके कानो में पड़ते ही खुशी के मारे बावली हो गयी. बसंती ने बिना किसी हिचक के अपनी पेंटी उतार दी. और अपनी टांगों को फैला कर चांग के सामने लेट गयी जिस से उसकी बाल भरी बड़ी चूत चांग के सामने आ गयी. चांग ने भी अपना तौलिया निकाल कर बिलकूल नंगा हो गया. उसका लंड भी लोहे की रोड की तरह सख्त हो गया था. उसने अपनी माँ के चूत को भरपूर निहारा और चूत के बाल पर हाथ घसने लगा. क्या मस्त चूत हैं. बिलकूल फुले हुए पाँव रोटी की तरह. फिर उसने पानी और शेविंग क्रीम को अपनी माँ के चूत पर लगा कर धीरे धीर घसने लगा. बसंती की साँसे उखड़ने लगी. वो लम्बी लम्बी साँसे भरने लगी. उसकी चूत ने अपने बेटे के हाथ का स्पर्श पा कर पानी छोड़ना चालु कर दिया. किसी तरह से चांग अपने आप को संभाल कर धीरे धीरे रेज़र से बाल साफ़ करने लगा. चूत साफ़ करते करते वो अपनी ऊँगली चूत में भी घुसा दिया.

बसंती ने सिसकारी भरते हुए कहा - हाय राम , ये क्या कर रहे हो मेरे बेटे?

चांग ने उसे डपटते हुए कहा - चुप रह. अच्छी तरह से बाल साफ़ कर देता हूँ. कितने बाल है तेरे चूत पर. मै ये चेक कर रहा हूँ कि कि चूत के अन्दर भी तो बाल नही हैं?

बसंती ने अब चुप रहना ही बेहतर समझा. वो नहीं चाहती थी कि अधिक टोका टोकी से कहीं उसका बेटा नाराज हो जाये और उसे जो मस्ती मिल रही है वो ना मिले. उसे अपने चूत में अपने बेटे की उंगली जाते ही मस्ती छा गयी. उसकी चूत ने पंद्रह मिनट की उंगली चुदाई के बाद पानी छोड़ दिया.

चांग ने अपनी माँ के चूत से पानी निकलता देख पानी को चूत पर पोछते हुए पूछा- माँ, क्या तू पिशाब कर रही हो?

बसंती ने अपनी आँखें बंद कर के कहा - नहीं रे, तुने मेरी चूत में जो उंगली घुसा दी है न इसलिए चूत से पानी निकल रहा है. इस से कोई दिक्कत नहीं है. तू आराम से बाल साफ़ कर.
एक घंटे तक अपनी माँ की चूत के बाल काटने के बहाने सहलाने और चूत में उंगली डालता रहा . इस एक घंटे में बसंती के चूत ने पांच छः बार पानी छोड़ दिया.

इसके बाद चांग ने कहा - अब ठीक है. अब तेरी चूत एकदम चिकनी हो गयी है. ला सिगरेट निकाल.

बसंती ने टेबल पर से सिगरेट का पैकेट उठा कर चांग को दिया. फिर चांग ने अपनी माँ को सिगरेट दिया और खुद भी पीने लगा. वो लगातार अपनी माँ के चूची और चूत को ही देख रहा था और अपने लंड को सहला रहा था.

चांग ने कहा - अब ठीक है. चूत के बाल साफ़ करने के बाद तू एकदम सेक्सी लगती है रे.

बसंती ने हँसते हुए कहा - तेरा लंड भी कितना बड़ा हो गया है रे.

चांग ने अपना खड़े लंड को सहलाते हुए कहा - देख ना माँ, तुझे देख कर मेरा लंड भी खडा हो गया है.

बसंती ने कहा - वो तो तेरा रोज ही खड़ा होता है. रोज की तरह आज भी मुठ मार ले.

चांग ने हँसते हुए कहा - तेरी चूची को देख कर मै इतना पागल हो जाता हूँ कि बर्दाश्त नहीं होता. इसलिए मुठ मार लेता हूँ. .

बसंती ने कहा - रोज़ तो तू अपने से ही मुठ मारता है. आजा मेरे लाल, मेरे पास आ. आज मै तेरा मुठ मार देती हूँ.

चांग ने कहा - हाँ आज तू ही मेरा मुठ मार दे.
बसंती और चांग बिस्तर पर लेट गए. बसंती ने चांग के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और आगे पीछे करने लगी. आज बसन्ती की हसरत भी पूरी हो रही थी. वो अपने जवान बेटे का लंड से खेल रही थी. खुद बसंती को अहसास नही था की चांग का लंड इतना जबरदस्त है. वो बड़े ही प्यार से चांग का लंड सहलाने लगी. चांग तो मानो अपने सुध बुध ही खो बैठा. वो अपने आप को जन्नत में पा रहा था. बसंती भी मस्त हो गयी.चांग का लंड तो पिछले एक घंटे से तनाव पर था ही. माँ का स्पर्श पाते ही ये बेकाबू हो गया और पांच मिनट मुठ मरवाने के बाद ही चांग के लंड ने माल निकालने का सिग्नल दे दिया. वो जोर से आवाज़ करने लगा.उसने झट से अपनी माँ को एक हाथ से लपेटा और अपने लंड को उसके चूत पर दबा दिया. वो अपना लंड अपनी माँ के चूत पर दबा दबा कर सारा माल बसंती के चूत पर निकाल दिया. ये सब इतना जल्दी में हुआ कि बसंती को संभलने का मौक़ा भी नही मिला. जब तक वो संभलती और समझती तन तक चांग का माल उसके चूत पर निकलना शुरू हो गया था. बसंती भी अपने बेटे के पीठ और चुत्तद को सहला रही थी ताकि उसे कुछ आराम मिल सके. . उधर चांग अपनी माँ के चूत पर अपना लंड घस घस कर मज़े से माल निकाल रहा था. बसंती आराम से अपने शरीर पर अपने बेटे को लिटा कर अपने चूत के ऊपर माल निकालने दिया. 2 मिनट तक चांग के लंड लावा उगलता रहा. थोड़ी देर में चांग का माल की खुशबु रूम में फ़ैल गयी. बसंती का बदन भी चांग के माल से गीला हो गया. थोड़ी देर में चांग शांत हो गया. और अपनी माँ के बदन पर से हट गया. लेकिन थोड़ी ही देर में उसने अपनी माँ के नंगे शरीर और चूत को अच्छी तरह दबा कर देख चुका था. बसंती भी गर्म हो चुकी थी.

बसंती - देख तो बेटा, तुने अपना सारा माल मेरे चूत पर ही निकाल दिया. तेरा मुठ मारने के बाद मेरा मन भी अपनी चूत का मुठ मारने को कर रहा है.

चांग - माँ, तू भी मार ले ना मुठ. मै भी तो देखूं तू कैसे मुठ मारती हो.

बसंती - तू देखेगा मुझे मुठ मारते हुए?

चांग -- हाँ, दिखा ना.

बसंती - अच्छा तू लेट जा.

चांग लेट गया. बसंती उसके बगल में उस से सट कर लेट गयी और अपने एक पैर को ऊपर किया और अपनी चूत को चौड़ी कर उंगली को चूत में डाला और अन्दर बाहर करने लगी. साथ में ही अजीब सी सिसकारी निकाल रही थी. वो बिस्तर पर अपने बेटे के सामने ही मुठ मारने लगी. करीब तीन मिनट तक मुठ मारने के बाद उसके चूत ने पानी निकालने का सिग्नल दे दिया. बसंती झट से चांग के बदन पर इस प्रकार से लेट गयी कि अपनी चूत से चाग के लंड को दबाने लगी. अपनी भारी भरकम चूची को अपने बेटे के सीने में दबाने लगी और उसकी चूत ने माल निकालना चालु कर दिया. वो तड़प कर सिसकारी भरने लगी. जब तक उसके चूत ने माल निकालना जारी रखा तब तक बसंती अपने बेटे के बदन से अपने बदन को कस कर लपेटे रखा. और उसके गाल और गले को पागलों की तरह चूमती रही. उसने अपना माल निकाल कर अनोखी शांती पायी और थोड़ी देर के बाद अलग हो कर शांत हो कर सो गयी . दोनों नंगे ही बिस्तर पर सो गए.

आधी रात को चांग की नींद खुल गयी. अब चांग अपनी माँ का चोदना चाहता था. उसने अपनी टांग को पीछे से अपनी माँ की जांघ पर रखा. बसंती की नींद खुल गयी. उसकी माँ उसकी तरफ पीठ कर के थी. वो अपनी टांगो से अपनी माँ के चिकने जाँघों को घसने लगा. उसका लंड खडा हो रहा था. चांग ने अपनी माँ को पीछे से पकड़ कर अपने लंड को अपनी माँ के गांड में सटाने लगा. उसका तना हुआ लंड बसंती की गांड में चुभने लगा. बसंती को भी मज़ा आ रहा था. उसकी भी साँसे गरम होने लगी थी.

बसंती - क्या हुआ मेरे बेटे? नींद नही आ रही है क्या?

उसने माँ से कहा - माँ, एक बार और मेरा मुठ नही मारेगी क्या? .

बसंती - ला ना मार देती हूँ . मैंने मना किया है क्या?

कह कर वो चांग की तरफ पलटी और उसके लंड को पकड़ ली.

वो बोली - रुक बेटा , इस बार मै दुसरे तरीके से तेरा से मुठ मारती हूँ.

कह कर वो नीचे झूकी और अपने बेटे चांग का लंड को मुह में ले ली. चाग को जब ये अहसास हुआ कि उसकी माँ ने उसके लंड को मुह में ले लिया है तो वो उत्तेजना के मारे पागल होने लगा. उधर बसंती चांग के लंड को अपने कंठ तक भर कर चूस रही थी. वो अपने बेटे के लंड को इस तरह से चूस रही थी मानो गन्ने चूस रही हो. थोड़ी ही देर में चांग का लंड माल निकलने वाला था.

वो बोला - माँ - छोड़ दे लंड को माल निकलने वाला है.

लेकिन बसन्ती ने उसके लंड को चुसना चालु रखा. अचानक चांग के लंड ने माल का फव्वारा छोड़ दिया. बसंती ने सारा माल अपने मुह में ही भर लिया और सब पी गयी. अपने बेटे का वीर्य पीना का आनंद ही कुछ और था. थोड़ी देर में बसन्ती ने चांग के लंड को मुह से निकाल दिया. और वो बाथरूम जा कर कुल्ला कर के आई.

तब चांग ने कहा - माँ , तुने तो कमाल कर दिया.

बसन्ती ने बेड पर लेटते हुए कहा - तेरा लंड का माल काफी अच्छा है रे.

कह कर वो चांग की में लिपट गयी. और अपनी चूची को चांग के सीने पर दबाने लगी. चांग भी कम नही था. वो उसकी चूची को दबाने लगा. उसका लंड फिर खड़ा हो गया. बसंती भी गर्म थी.

चांग ने कहा - माँ अपनी दूधू पिलाओ ना.

बसंती ने कहा - अब इसमें दूध थोड़े ही है?

चांग ने लाड करते हुए कहा - नहीं , मुझे फिर भी पीना है.

बसंती - अच्छा मेरे बेटे , ले पी ले.

कह कर बसंती सीधी लेट गयी . चांग बसंती के नंगे बदन पर चढ़ गया और उसकी चूची को अपने मुह ले ले कर चूसने लगा. बसंती तो मस्ती से पागल हुए जा रही थी. वो एक हाथ से चांग के गांड पर हाथ फेर रही थी तथा दुसरे हाथ से चांग के सर को अपनी चूची की तरफ जोर जोर से दबा रही थी. बसंती ने एक हाथ से चांग का लंड पकड़ा और सहलाने लगी.

बसंती - हाय मेरा बेटा.. कितना बड़ा हो गया है रे तू? तेरा लंड तो तेरे बाप के लंड से भी ज्यादा बड़ा है रे.

चांग - माँ, मै तुझे चोदना चाहता हूँ.

बसंती - हाँ मेरे लाल, अगर तू मुझे चोदना चाहता है तो जरूर चोद. मेरी चूत है ही किस लिए. अपने बेटे की खुशी में ही मेरी ख़ुशी है. वैसे जब से मैंने तेरे लंड को देखा है मै भी यही चाहती हूँ.

चांग - माँ , जब से मैंने तेरी चूची को देखा है तब से ही मै भी तेरा दीवाना हो गया हो हूँ. तुझे देख देख कर कितनी बार मैंने मुठ मारा. अब देर ना कर मेरी रानी.

बसंती ने अपनी टांग को ऊपर किया और अपनी चिकनी चूत को चांग के सामने फैला कर कहा - बेटा, मेरे चूत में अपना लंड डाल. आजा मेरी प्यासी चूत का उद्धार कर दे मेरे ला. मुझ पर बड़ी कृपा होगी तेरी.

अब समय आ गया था कि शर्मो हया को पीछे छोड़ पुरुष और औरत के बीच वास्तविक रिश्ते को कायम करने की. चांग ने अपनी माँ के टांगो को फैलाया. अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और अपनी माँ की चूत में डाल दिया. उसकी माँ बिना किसी प्रतिरोध के अपने बेटे को सीने से लगाया और आँखों आखों में ही अपनी चूत चोदने का स्वीकृती प्रदान कर दी. चांग के लंड ने बसंती की चूत की जम के चुदाई की. कई साल पहले इसी चूत से चांग निकला था. आज उसी चूत में चांग का लंड समाया हुआ था. लेकिन बसंती की हालत चांग के लंड ने खराब कर दी. बसंती को यकीन नहीं हो रहा था कि जिस चूत में से उसने चांग को कभी निकाला था आज उसी चूत में उसी चांग ला लंड वो नही झेल पा रही थी. वो इस तरह से तड़प रही थी मानो आज उसकी पहली चुदाई थी. उसकी आँखों से खुशी के आंसू निकलने लगे. दस मिनट में उसने तीन बार पानी छोड़ा. दस मिनट तक दमदार शॉट मारने के बाद चांग का लंड माल निकाल दिया. उसने सारा माल अपनी माँ के चूत में ही डाल दिया. वो अपने माँ के बदन पर ही गहरी सांस ले कर सुस्ताने लगा. थोड़ी देर सुस्ताने के बाद उसने अपनी माँ के चूत से लंड निकाला. बसंती भी काफी संतुष्ट लग रही थी. वो उठ कर चांग के लिए गरमा गरम कॉफी लायी और मुस्कुरा कर उसे दिया. काफी पीने के बाद उस रात चांग ने दो बार और अपनी माँ की चूत की चुदाई की.

अगले दो दिन तक कारखाना बंद है. इसलिए सुबह सुबह ही चांग ब्लू फिल्म की सीडी लाया. आज उसकी माँ ने बड़े ही चाव से मुर्ग मस्सल्लम बनाया. दोनों ने दोपहर के बारह बजे तक खाना पीना खा पी कर बिस्तर पर चले आये.

बिस्तर पर आते ही चांग ने अपने सभी कपडे खोले और कहा - आज मै तुम्हे फिल्म दिखाऊंगा.

बसंती ने ब्रा और पेंटी खोलते हुए कहा - हिंदी तो मुझे समझ में आती नहीं. मै क्या समझूँगी फिल्म.

चांग - अरे, ये नंगी फिल्म है. इसमें समझने वाली कोई बात नही है.

चांग ने ब्लू फिल्म की सीडी चला दी. बसंती ने भी ब्रा और पेंटी खोल कर नंगी हो कर अपने बेटे के बगल में ही लेट गयी और फिल्म देखने लगी. फिल्म ज्यों ही अपने रंग में आने लगी चांग का लंड खडा होने लगा. बसंती भी फिल्म देख कर अकड़ने लगी. अब वो दोनों एक दूजे से सट कर बैठ गए और ब्लू फिल्म का आनंद उठाने लगे. चांग तो पहले भी कई बार ब्लू फिल्म देख चुका था. लेकिन बसंती पहली बार ब्लू फिल्म देख रही थी. चुदाई के सीन आते ही उसकी चूत इतनी गीली हो गयी कि उस से पानी टपकने लगा. इधर चांग भी अपने लंड को सहला रहा था.

उसने बसंती के हाथ को पकड़ा और अपने लंड पर रखा और कहा - इसे पकड़ कर फिल्म देख, कितना मज़ा आएगा.

उसकी माँ ने बड़े ही प्यार से चांग का लंड सहलाने लगी. चांग भी अपनी माँ की चूत सहलाने लगा. चूत सहल्वाते ही बसंती की हालत खराब हो गयी. उधर चांग अपने दुसरे हाथ से उसने अपनी माँ की चूची को मसलना चालु किया. उधर टीवी पर लड़का एक लडकी की चूत को चूसने लगा. ये देख कर बसंती बोली - हाय देख तो , कैसे चूत चूस रहा है वो.

चांग - लड़की को चूत चुस्वाने में बहुत मज़ा आता है. बापू भी तो तेरी चूत चूसता होगा.

बसंती - नहीं रे, उसने कभी मेरी चूत नही चुसी.

चांग - अच्छा रुक, आज मै तेरी चूत चूस कर बताता हूँ कि लड़की को कितना मज़ा आता है.

उसने अपनी माँ की दोनों चुचियों को चुसना चालु किया. बसंती को काफी मज़ा आ रहा था. चांग ने अपनी माँ के चुचियों को जबरदस्त तरीके से चूसा. फिर वो धीरे धीरे नीचे की तरफ गया. कुछ ही सेकेंड में उसने अपनी माँ के बुर के सामने अपनी नजर गड़ाई. क्या मस्त चूत थी उसकी माँ की. मादक सी खुशबू आ रही थी. उसने धीरे से अपने ओठ को माँ की चूत पर लगाया. उसकी माँ की तो सिसकारी निकलने लगी. पहले चांग ने बसंती के चूत को जम के चूसा. फिर उसने अपनी जीभ को बसंती की चूत में अन्दर डालने लगा. ऐसा देख कर बसंती की आँख मादकता के मारे बंद हो गयी. चांग ने अपनी पूरी जीभ बसंती के चूत में घुसा दी. बसंती की चूत से पानी निकल रहा था. थोड़ी देर तक चांग बसंती की चूत को जीभ से चोदता रहा. बसंती को लग रहा था कि अब उसका माल निकल जाएगा.

वो कराहते हुए बोली - बेटा , अब मेरा माल निकलने वाला है.

चांग - निकलने दे ना. आज इसे पियूँगा. जैसे कल तुने मेरा पिया था.

इसके पहले कि बसंती कुछ और बोल पाती उसके चूत के उसके माल का फव्वारा निकल पड़ा. चांग ने अपना मुह बसंती के चूत पर इस तरह से सटा दिया ताकि माल का एक भी बूंद बाहर नहीं गिर पाए. वो अपनी माँ के चूत का सारा माल पीने लगा. कम से कम 200 ग्राम माल निकला होगा बसंती के चूत से. चांग ने सारा माल पी कर चूत को अच्छी तरह से चाट कर साफ़ किया. उसकी माँ तो सातवें आसमान में उड़ रही थी. उसकी आँखे बंद थी. चांग उसके छुट पर से अपना मुह हटाया और उसके चूची को अपने मुह में भर कर चूसने लगा. बसंती मस्ती के मारे मस्त हुए जा रही थी.

थोड़ी देर चूची चूसने के बाद चांग ने बसंती को कहा - बसंती , तू कितनी मस्त है है रे.

बसंती - तू भी कम मस्त नहीं है रे. आज तक इतनी मस्ती कभी नहीं आई.

चांग ने कहा - बसंती रानी , अभी असली मस्ती तो बांकी है.

बसंती ने कहा - हाँ मेरे राजा , आजा और अब डाल दे अपने प्यारे लंड को मेरी प्यासी चूत में.

चांग - नहीं बसंती, आज चूत नहीं.. आज अपनी गांड मुझे दे दे.

बसंती ने मुस्कुराते हुआ कहा-- जैसी तुम्हारी इच्छा मेरे लाल राजा .

वो झट से उलटे हो कर कुतिया की पोजीशन में आ गयी और अपनी गांड को चांग के सामने पेश कर दिया. चांग ने बसंती की गांड में थोड़ा क्रीम लगा और उंगली डाल के गांड का मुंह खोला. गांड का द्वार खुल जाने के बाद इसने अपना लंड जोर लगा कर डालना चालु किया. बसंती की तो जैसे जान पे बन आई. लेकिन अपने बेटे की इच्छा को उसने हँसते हुए स्वीकार किया और दर्द को दांत से होठ को दबा कर बर्दाश्त करने लगी. चांग ने अपना पूरा लंड बंसंती की गांड में घुसा दिया. थोड़ी देर उसी पोजीशन में रहने के बाद उसने धीरे धीरे अपने लंड को बसंती की गनद में आगे पीछे करना शुरू किया. पहले तो बसंती को काफी दर्द हुआ लेकिन 3 -4 बार आगे पीछे करने के कारण उसका गांड भी कुछ ढीला हो गया. वो भी अब मज़े लेने लगी. वो बार बार पीछे मुड मुड कर अपने बेटे को देख कर मुस्कुरा रही थी. चांग ने बसंती की बालों को कास के पकड़ा और ऊपर की तरफ खीचने लगा. बसंती तो दर्द से छटपटाने लगी. वो अपने बेटे से रहम की मिन्नतें मांगने लगी.

वो कहने लगी- छोड़ दे बेटा. हाय राम, आज मार ही डालेगा क्या?

चांग - चुप कर कुतिया. आज मै तेरी गांड का रांड ना बना दिया तो मेरा नाम नहीं.

कह कर उसने अपनी माँ की नंगी चूतड पर कस के चपत लगाई. पहले तो बसंती अपने बेटे का ये रौद्र रूप देख कर डर गयी. लेकिन उसे भी गांड मरवाने में इतना मज़ा कि वो सारा दर्द बर्दाश्त कर रही थी. फिर चांग ने बसंती के कमर को कस के पकड़ा और पूरी तरह से ऊपर कर दिया. अब बसंती की गांड ऊपर और सिर जमीन पर था. चांग धपाधप धकाधक पुरे वेग से अपना लंड अपनी माँ के गांड में आगे पीछे कर रहा था. उधर बसंती की तो मानो आधी जान निकल रही थी.

वो चिल्ला के बोली- मादरचोद, तेरे बाप ने भी कभी मेरी चुदाई इतनी बेरहमी से नही की. तू इतना ज़ालिम कैसे हो गया रे कुत्ता? आदमी का लंड है कि गधे का? कुछ तो रहम कर सूअर.

चांग - चुप रह, कमीनी बुढिया, साली , रंडी, आज तेरे चूत और गांड की आग बुझा ना दिया तो मेरे मुंह पे तू मूत देना.

और वो बेरहम की तरह अपनी माँ की परवाह किये बगैर अपनी माँ की गांड मारता रहा. पांच - छः मिनट में बसंती भी मस्त हो गयी. उसे भी गांड मरवाने में परम आनंद आने लगा.

फिर वो बोली- शाबाश मेरे शेर, आखिर मेरा दूध पिया है. तू ही है जो मुझे मज़ा दे सकता है. आज सचमुच मेरी गांड की चुदाई भरपूर हुई है.

दस मिनट तक चांग ने जम के अपनी माँ की गांड मारी. उसके बाद जब चांग हो अहसास हुआ कि उसका लंड माल निकालने वाला है तो उसने अपनी माँ के गांड में से लंड निकाल कर अपनी माँ को सीधा लिटाया. बसंती समझ गयी कि चांग का माल निकलने वाला है. उसने झट से अपनी टाँगे फैलाए और चूत को चौड़ा कर के चांग के सामने पेश कर दिया. चांग ने काफी तेज़ी दिखाते हुए बसंती के चूत में लंड घुसा दिया और सारा वीर्य चूत में ही गिरा दिया. उसने अपना लंड माँ के चूत में ही पड़े रहने दिया.

चांग - बसंती, मैंने तुझे गालिया दी, इसका बुरा मत मानना मेरी रानी.

बसंती - नही मेरे बाबु, आज तुने मुझे तृप्त कर दिया. मुझे पता नही था कि तू इतना शक्तीशाली है.

चांग- अभी तो तेरी चूत की चुदाई बांकी है ना मेरी जान?

बसंती - हाँ, मेरे जान. शुरू कर ना.

लगभग 10 मिनट के बाद चांग ला लंड फिर से अपनी माँ के ही चूत में खड़ा हो गया. इस बार बसंती का चूत भी कुछ फैल गया था. वो दोनों दुबारा चालु हो गए. इस बार लगभग 30 मिनट तक बसंती की चूत की चुदाई चली. इस बार उसके चूत से 6 -7 बार पानी निकला मगर अब उसके चूत में पहले इतना दर्द नही हो रहा था. अब वो अपने बेटे से अपनी चूत की चुदाई का आनंद उठा रही थी. उसे अपने बेटे की मर्दानगी पर गर्व हो रहा था. तीस मिनट के बाद चांग का लंड जवाब दे दिया और पहले से भी अधिक माल अपनी माँ के चूत में छोड़ दिया.

उस दिन शाम पांच बजे तक में चांग ने अपनी माँ के साथ 5 बार चुदाई की जिसमे दो बार उसकी गांड की चुदाई भी शामिल थी. फिर रात भर दोनों चुदाई का नया नया गेम खेलते रहे.

उसी रात से चांग ने अपनी माँ को माँ नहीं कह कर बसंती कह कर बुलाना चालु कर दिया. बसंती ने अभी तक परिवार नियोजन का आपरेशन नहीं करवाया था. 20 -22 दिन के लगातार जम के चुदाई के बाद बसंती को अहसास हुआ कि वो पेट से हो गयी है. उसने चांग को ये बात बतायी. चांग उसे ले कर डाक्टर के पास गया. वहां उसने अपना परिचय बसंती के पति के रूप में दिया.

डाक्टर ने कहा - बसंती माँ बनने वाली है.

घर वापस आते ही बसंती ने फैसला किया कि वो इस बच्चे को जन्म नहीं देगी. लेकिन चांग ने मना किया.

बसंती बोली - कौन होगा इस बच्चे का बाप?

चांग ने कहा - यूँ तो ये मेरा खून है, लेकिन इस बच्चे का बाप मेरा बाप बनेगा.

बसंती - मै कुछ समझी नहीं.

चांग - देख बसंती, हम लोग किसी और जगह किराया पर मकान ले लेंगे. और लोगों को कहेंगे कि मेरा बाप आज से 20 -22 दिन पहले ही मरा है. बस मै यही कहूँगा कि उसने मरने से पहले तुझे पेट से कर दिया था. फिर इस दिल्ली में किसे किसकी परवाह है ? और हम दोनों अगले कई साल तक पति - पत्नी के रूप में रहेंगे. और ये बच्चा मेरे भाई या बहन के रूप में रहेगा. इस बच्चे के जन्म के बाद तू परिवार नियोजन करवा लेना ताकि हमारे बीच कोई और ना आ सके.
इतना सुनने के बाद बसंती ने चांग को अपनी चूची से सटा लिया. उस दिन रात भर चांग अपनी माँ , मतलब अपनी नयी पत्नी को चोदता रहा.

दो दिन बाद ही चांग ने अपने लिए दुसरे मोहल्ले में किराया पर मकान खोज लिया और बसंती को ले कर वहां चला गया. थोड़े ही दिन में उसे बगल के ही फैक्ट्री में पहले से भी अच्छी जॉब लग गयी. आस पास के लोगों को उसने बताया कि ज्यों ही उसके बापू का निधन हुआ त्यों ही पता चला कि उसकी माँ पेट से है. थोड़े ही दिन में लोग यही समझने लगे कि चांग की माँ को उसके पति ने पेट से कर के दुनिया से चल बसा. और सारी जिम्मेदारी चांग पर छोड़ दी. ठीक समय पर बसंती ने अपने बेटे चांग की बेटी को अपनी कोख से जन्म दिया. इस प्रकार वो बच्ची हकीकत में चांग की बेटी थी लेकिन दुनिया की नजर में वो चांग कि बहन थी. अगले 5 - 6 सालों तक चांग और बसंती जमाने से छुप छुप कर पति पत्नी के समबन्धों को कायम रखते हुए जिस्मानी सम्बन्ध बनाए रखा. उसके बाद चांग ने लोक- लाज की भय तथा बड़ी होती बेटी के सवालों से बचने के लिए अपनी माँ को ले कर मुंबई चला गया और वहां अपनी माँ को अपनी पत्नी बता कर सामान्य तरीके से जीवन यापन गुजारने लगा. बसंती भी अपने बेटे को अपना पति मान कर आराम सी जीवन गुजारने लगी. अब बसंती का पति खुद उसका बेटा चांग ही था जो उस से 15 साल का छोटा था.

मुंबई आने के सात- आठ सालों बाद चांग की उम्र 30 साल की हो गयी थी तथा उसकी माँ की उम्र 45 - 46 साल की हो गयी थी. उन दोनों की बेटी की उम्र 14 साल की हो गयी थी. उसका नाम तुन्शी था. वो चांग को अपना पिता और बसंती को अपनी माँ मानती थी. इधर चांग अब और अधिक चुदाई चाहने लगा था जबकी उसकी माँ बसंती की जवानी ढल चुकी थी. वो किसी तरह से चांग का साथ देती थी. लेकिन चांग को बसंती का ये रवैया पसंद नही आ रहा था. वो उसे रोज़ चोदने के लिए बेताब रहता था लेकिन बसन्ती की हिम्मत जवाब दे रही थी.

एक रात चांग बसंती को नंगा कर उसकी चूत चाट रहा था. मगर बसंती को काफी नींद आ रही थी. वो चांग का साथ नही दे पा रही थी.

चांग ने कहा - तेरे चक्कर में मैंने अपनी जवानी बर्बाद कर दी, और तू सो रही है. अगर आज मै किसी जवान बीबी का पति होता तो क्या मुझे वो मज़ा नहीं देती?

बसंती ने उदास आवाज़ में कहा- मै क्या करूं? अब मेरी उम्र नहीं रह गयी है तेरी गरम जवानी का जवाब देने के लिए. अब रोज़ रोज़ की चुदाई मेरे वश की बात नहीं रह गयी है. मै मानती हूँ कि मै तेरी जवानी बर्बाद करने की दोषी हूँ. लेकिन उपाय ही क्या है?

चांग ने कहा- देख, मेरी जवानी तेरे कारण ही खराब हो रही है. और इसका हर्जाना भी तुझे ही देना होगा.

बसंती ने कहा - हाँ मै मानती हूँ कि तेरी जवानी खराब होने का पाप मेरे सर पर ही है. बोल , क्या करूँ मै तेरे लिए. ताकि मेरे पापों का प्रायश्चित हो सके.

चांग - तेरे पापों का प्रायश्चित तेरी बेटी तुन्शी को करना होगा. उसे चोद कर ही मेरी जवानी को संतुष्टि मिलेगी.

एक पल के लिए तो बसंती हक्की बक्की रह गयी. लेकिन जब उसने महसूस किया कि जब एक माँ अपने बेटे के साथ चुदाई कर सकती है तो एक बेटी अपने बाप के साथ क्यों नहीं.

उसने कहा - ठीक है, मै तुम्हे तुन्शी को चोदने की इजाज़त देती हूँ.

कह कर उसने अपनी बेटी तुन्शी को आवाज़ दिया और आने को कहा. तुन्शी बगल वाले कमरे में सो रही थी. सोते समय वो सिर्फ कच्छे पहनती थी. हालांकी उसके सीने पर भी नीम्बू के आकार का स्तन आकार ले रहा था. लेकिन वो अपने बाप से पर्दा नही करती थी क्यों कि उसका बाप उसके सामने ही बसंती की चुदाई किया करता था. इसलिए उसने कई बार अपने बाप को नंगा देखा था. और तो और उसका बाप यानी चांग उसे अभी भी बाथरूम में खुद नंगा हो कर उसे भी नंगा कर देता और उसे नहलाता था. यानी बाप बेटी के बीच कोई पर्दा नही था. नहलाने के दौरान ही कई बार चांग अपनी बेटी के चूत में उंगली डाल देता था और कहता था अच्छी तरह सफाई कर देता हूँ. यही नहीं जब तुन्शी को मासिक शुरू हुआ तो चांग ने ही उसके चूत की सफाई की थी. तुन्शी ने कई बार अपने बाप चांग को बसंती की चूत और गांड में माल गिराते देखा था. उसके लिए चुदाई कोई नयी चीज नहीं रह गयी थी.

तुन्शी जब अपने माँ-बाप के कमरे में आई तो देखा कि बाप उसकी माँ की चूत को चाट रहा है. वो पलंग पर चढी और अपनी नंगी माँ से लिपट कर बोली - क्यों बुलाया मुझे इस वक़्त?

बसंती ने उसके नंगी पीठ को सहलाते हुए कहा - जरा अपनी पेंट खोल तो.

तुन्शी ने एक सेकेंड में अपनी पेंट उतार दी. उसके चूत पर बाल हो चले थे.

बसंती ने कहा - ये बाल क्यों नहीं बनाती तू? इतने बड़े बाल ठीक नहीं होते.

तुन्शी ने कहा - मुझे नहीं आता बाल बनाने. तू बना दे ना.

बसंती ने कहा - मैंने कभी अपने चूत के बाल खुद बनाए हैं क्या. सब दिन तेरे पापा ही मेरे चूत साफ़ करते हैं. बिलकूल एक्सपर्ट हैं. तरी चूत भी तेरे पापा ही साफ़ कर देंगे. चांग जरा तुन्शी के चूत के बाल तो साफ़ कर दो. देखो तो कितने बड़े हो गए हैं.

चांग ने कहा - ठीक है. जरा मेरा रेजर ला.

बसंती ने बगल से रेजर निकाल कर चांग को दिया. और तुन्शी की टांगों को चांग के सामने फैला दिया ताकि चूत खुल के दिखे. चांग ने तुन्शी के चूत पर क्रीम लगाया और उसे घसने लगा. तुन्शी को मस्ती चढ़ने लगी. उसकी चूत गीली होने लगी. थोड़ी देर में चांग ने तुन्शी की चूत पर रेज़र चलाने लगा. थोड़ी ही देर में उसके सारे बाल साफ़ हो गए. चांग ने जान बुझ कर तुन्शी की चूत पर रेज़र थोडा कस के दबा दिया जिस से उसकी चूत थोड़ी सी कट गयी.

बसंती ने कहा - हाय , ये देख तुन्शी की चूत कट गयी. जल्दी से इसे मुह ले लो और दबाओ नहीं तो बहुत खून निकल जाएगा.

चांग ने झट से तुन्शी की चूत को अपने मुह में चूसने लगा. इतने सालों तक पुरानी चूत को चूसने के बाद इतनी जवान चूत चूसने का वो भरपूर आनंद उठा रहा था. वो कुत्ते की तरह तुन्शी की चूत चाटने लगा. तुन्शी का चूत पानी पानी हो रहा था. उसे मज़ा आ रहा था. चांग ने अपनी जीभ तुन्शी की चूत में घुसा दिया और जीभ से ही उसकी चूत चोदने लगा. बसंती बगल में बैठ कर देख रही थी.

बसंती ने कहा - चांग, देखो ना मेरी बेटी की चूत पर बाल हो गए हैं लेकिन इसकी छेद कितनी छोटी है? जरा इसमें अपना लंड डाल कर इसे बड़ा करो न.

चांग ने कहा - अच्छा ठीक है.

बसंती ने तुन्शी की टांग को चांग के कंधे पर रखा और चांग के लंड पर क्रीम लगाया. फिर तुन्शी की चूत की छेद में भी क्रीम लगाया और चूत सहलाते हुए तुन्शी से कहा - बेटी, घबराना नहीं. देख तेरी चूत का साइज़ सही हो जाएगा.

चांग ने अपने बाएं हाथ से अपना लंड पकड़ा और दाहिने हाथ से तुन्शी की चूत का छेद में उंगली करी और धीरे धीरे अपना लंड अपनी बेटी तुन्शी के चूत में डालने लगा. लंड और चूत में क्रीम लगे होने के कारण आधा लंड तुन्शी के चूत में बिना किसी ख़ास दर्द के चला गया. चांग धीरे धीरे अपनी बेटी की चूत चोदना चालु किया. पहले तो तुन्शी को ज्यादा कष्ट नहीं हो रहा था लेकिन ज्यों ही चांग ने कस के उसकी चूत में धक्का लगाया उसकी चूत की झिल्ली फट गयी. वो दर्द से बिलबिला गयी क्यों कि उसे इस दर्द का अंदाजा नहीं था. वो जोर जोर से कराहने लगी लेकिन उसकी माँ ने उसे कस के पकड़ रखा था और उसका बाप उसकी जम के चुदाई कर रहा था.

बसंती बोली - बस बेटी, कुछ नहीं हुआ है. सब ठीक हो जायेगा. .

चांग लगभग 5 मिनट तक अपनी बेटी की चूत चोदता रहा. उसके बाद उसके लंड ने माल निकलने का सिग्नल दे दिया. वो झट से अपना लंड अपनी बेटी के चूत से निकाला और बसंती को बोला - जल्दी से अपनी मुह में ले इसे.

बसंती ने झट से चांग के लंड को अपने मुह में लिया और चूसने लगी. चांग के लंड माल का फव्वारा निकल पड़ा. बसंती सारा माल पी गयी. इधर तुन्शी निढाल सी पड़ी थी और अपनी माँ को माल पीते हुए देख रही थी. जब बसंती ने माल पी लिया तब वो तुन्शी के गालों को चूमने लगी और बड़े ही प्यार से पूछा - कैसा लग रहा है बेटी?

तुन्शी ने कहा - थोडा सा दर्द हो रहा है. क्या तुखे भी दर्द होता है जब पापा तुझे चोदते हैं..

बसंती - नहीं बेटा . अब नहीं होता है. तुझे भी नहीं होगा. जब तू रोज़ चुद्वायेगी. रोज़ चुद्वायेगी ना अपने पापा से.

तुन्शी - हाँ, क्यों नहीं, इसमें कौन से बड़ी बात है.

बसंती बोली -- शाबाश मेरी बच्ची .

बसंती ने चांग की तरफ मुखातिब हो कर कहा - ये लो जी, अब तो तुम खुश हो न. अब मेरे पापों का प्रायश्चित हो गया न?

चांग ने कहा - हाँ, लेकिन अभी पूरी तरह से नहीं.

बसंती ने कहा - क्या मतलब है तुम्हारा?

चांग ने कहा - अगर इसकी शादी किसी और से हो गयी तो?

बसंती ने कुछ सोचते हुए कहा - नहीं, तुम ही इसके साथ शादी कर लो. क्यों मेरी बच्ची? करेगी ना अपने पापा से शादी?

तुन्शी ने अपने स्तन सहलाते हुए कहा - अपने पापा से शादी?

बसंती ने उदास आवाज़ में कहा - हाँ बेटी, जैसा कि जानती है, तेरी इस विधवा माँ को इसी ने सहारा दिया. इसने अपनी जवानी मेरे नाम कर दी ताकि मेरी और तेरी जिन्दगी संवर सके. लेकिन खुद इसकी जवानी खराब हो रही है. तेरा ये फ़र्ज़ बनता है कि अब तू इसके अहसानों का बदला चुकाए. और तुझे अपनी जवानी इसके नाम कर देनी चाहिए.

तुन्शी ने अपनी चूत में उंगली डालते हुए कहा- ठीक है माँ, मुझे भी कोई ऐतराज़ नहीं है. वैसे भी जिसके माल से मेरा जन्म हुआ है, जिसने मुझे खाना-पीना दिया है उसका मेरे शरीर पर सबसे पहला हक है. मेरे पापा चाहे मेरे साथ कुछ भी करें मुझे कूई ऐतराज़ नहीं है.
चांग ने अपने लंड को खड़ा करते हुए कहा - शाबाश मेरी बच्ची . इसी बात पर एक बार और चुदाई का मज़ा ले ले.

तुन्शी ने मुस्कुराते हुए कहा - हाँ पापा क्यों नहीं..

बसंती ने कहा - आज से ये तेरा पापा नहीं तेरा पति है. आज से तू इसे पापा नहीं चांग कह.

चांग ने हँसते हुए तुन्शी की होठ को अपने होठो में लिया और अपने लंड को तुन्शी की चूत में डाल दिया. इस बार तुन्शी ने पत्नी की तरह चांग को मज़े दिए.

कुछ ही दिनों में चांग तुन्शी और बसंती को लेकर कलकत्ता चला गया. जहाँ उसने तुन्शी को अपनी बीबी का दर्ज़ा दिया और बसंती को अपनी सासू माँ का दर्ज़ा दिया. लेकिन वो दोनों के ही एक साथ मज़े लुटता रहा. बसंती कभी चांग की माँ बनी, कभी उसकी पत्नी और अब उसकी सासू माँ. तुन्शी को आज तक पता नहीं चला कि बसंती ही चांग की असली माँ भी है. वो हमेशा यही सोचती रही कि उसकी माँ ने विधवा होने के बाद अपने से काफी छोटे उम्र के व्यक्ति के साथ शादी रचायी और चांग की जवानी बर्बाद ना हो जाए इसलिए उसकी माँ ने अपनी ही बेटी को अपने पति के साथ शादी करा दी.

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