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सोमवार, 17 जून 2013

कैसे जीतें पत्नी का तन और मन


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परिचय-
कोई भी पुरुष जब किसी स्त्री से विवाह कर लेता है तो उसके बाद उस पुरुष का अपनी पत्नी पर पूरा अधिकार हो जाता है। पत्नी को पति के अनुसार ही अपनी आगे की जिंदगी बितानी पड़ती है। मां-बाप के घर के बाद पति का घर ही पत्नी का आसरा होता है। पत्नी जब अपने आपको पूरी तरह से पति के आसरे छोड़ देती है तो पति का भी फर्ज बनता है कि वह भी उसका अच्छी तरह से ख्याल रखे, वह अपनी पत्नी के सुख-दुख का पूरा ध्यान रखे।
हर पत्नी शादी के बाद अपने तन और मन को पति के लिए समर्पित कर देती है क्योंकि वह जानती है कि शादी के बाद पति को सबसे पहले अपनी पत्नी का शरीर चाहिए होता है। इसको इस तरह से भी देखा जा सकता है कि शादी के बाद पत्नी के लिए समर्पण जरूरी हो जाता है लेकिन यह समर्पण का भाव स्त्री के लिए हमेशा एक समान नहीं रहता कभी-कभी तो स्त्री में यह समर्पण का भाव पूरे उत्साह के साथ रहता है जिसमें वह पति के साथ संबंध बनाते समय पूरा आनंद उठाती है परंतु कभी-कभी उसके लिए यह समर्पण मजबूरी बन जाता है जिसमें स्त्री हर प्रकार के आनंद से वंचित रहती है। इसलिए पुरुष को चाहिए कि जो चीज अपनी है ही उस पर जोर-जबर्दस्ती क्या करना। जब पत्नी अपने पति को हर प्रकार के सुख देने के लिए हर समय तैयार रहती है तो फिर पति अपनी पत्नी की इच्छाओं का ख्याल क्यों नहीं रखता।
महान लोगों के अनुसार पत्नी का तन तो हर समय पति के लिए तैयार रहता है लेकिन उसका मन जीतना पति के लिए आसान नहीं होता है। अगर पति अपनी पत्नी का तन प्राप्त करने से पहले उसका मन जीत ले तो इसके बाद पत्नी के द्वारा पति को मिलने वाले शारीरिक सुख का आनंद बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे पुरुष बहुत ही कम होते हैं जो इस बात को जानते हैं कि पत्नी का तन जीतने के लिए पहले उसका मन जीतना जरूरी है। पत्नियां भी अपने पति से यही आशा करती हैं कि उनका पति उनके तन से पहले उनके मन पर कब्जा करे क्योंकि इससे वह अपने आपको संबंधों के लिए तैयार कर पाती है।
ऐसे पुरुष जो सिर्फ अपनी पत्नी का तन पाना चाहते हैं उनकी अक्सर यह शिकायत रहती है कि सेक्स संबंध बनाते समय उनको पूरा आनंद प्राप्त नहीं होता। इसका कारण भी वह अक्सर अपनी पत्नियों को ही मानते हैं लेकिन वह नहीं जानते कि इसका कारण वह स्वयं ही है।
संतान न होने की स्थिति में पत्नी को दोष देना- 
अक्सर शादी होने के कुछ समय के बाद ही ससुराल वाले बहू से अपेक्षा करने लग जाते हैं कि उनकी बहू जल्द ही उनको पोते-पोतियों की खुशखबरी सुनाएगी। शादी को पूरा 1 साल भी नहीं होता कि सब बहू को परेशान करने लगते हैं कि वह कब खुशखबरी सुनाएगी। लेकिन जब बहू उनका यह सपना पूरा नहीं करती तो सब मिलकर बहू को दोष देने लगते हैं। इतनी बातें तो शादी होने के 1 साल के अन्दर-अन्दर होने लगती हैं, लेकिन जब शादी को 3-4 साल बीत जाते हैं तो बहू को बांझ, बंजर जमीन आदि नामों से पुकारा जाने लगता है। घर में छोटी-छोटी बातों पर उसको धिक्कारा जाने लगता है। हद तो तब हो जाती है जब शादी के 6-7 सालों में जब बहू मां नहीं बन पाती तो घर वाले अपने लड़के की दूसरी शादी करवाने के लिए विचार करने लगते हैं। यही हालात तब पैदा हो जाते हैं जब लड़के की दूसरी पत्नी भी मां नहीं बन पाती और उसे भी यही सब सहना पड़ता है। लेकिन कोई लड़के की तरफ ध्यान नहीं देता कि लड़की अगर मां नहीं बन पा रही तो इसमें लड़के का दोष भी हो सकता है और उसकी भी जांच कराई जाए।
संतान न होना असल में ऐसी समस्या है जिसका सामना कर पाना पति और पत्नी दोनों के लिए ही बहुत मुश्किल होता है। इसके लिए सबसे अच्छा रास्ता यही होता है कि संतान न होने की स्थिति में पति को अपनी पत्नी के साथ-साथ अपना भी चेकअप करवा लेना चाहिए। इससे अगर पत्नी के अंदर कोई समस्या न होकर पति के अंदर कोई समस्या हो तो उसको दूर किया जा सके।
लड़का न होने पर पत्नी को दोष देना-
हमारे समाज में आज भी बहुत सी जगहों पर लड़के-लड़की में काफी भेदभाव माना जाता है। ऐसे लोगों का मानना होता है कि अगर घर में लड़का पैदा नहीं होगा तो उनका वंश आगे नहीं बढ़ेगा। इसी धारणा के अंतर्गत ऐसे लोग जब तक घर में लड़का पैदा नहीं होता तब तक अपने घर की बहू को बच्चे पैदा करने के लिए उकसाते रहते हैं चाहे लड़के के चक्कर में कितनी ही लड़कियां पैदा क्यों न हो जाएं। ऐसे लोग स्त्री की हालत नहीं देखते हैं कि उसका शरीर बच्चे पैदा करने में सक्षम है भी या नहीं। बहुत से ऐसे मामलों में लड़का पैदा करने के चक्कर में स्त्री की स्थिति इस मोड़ पर आ जाती है कि उस समय बच्चा होने पर या तो मां को बचा लिया जाए या फिर बच्चे को ही। इस तरह के मामलों में भी दोष स्त्री को ही दिया जाता है कि उसमें लड़का पैदा करने की क्षमता ही नहीं है। स्त्री को दिन-रात प्रताड़ित किया जाता है लड़का पैदा करने के लिए। ऐसे मामलों में हद तो तब हो जाती है जब खुद पति ही लड़का पैदा न होने का दोष अपनी पत्नी को ही देने लगता है। इस समय जब पत्नी को अपने पति का सहारा चाहिए होता है लेकिन पति ही उसे प्रताड़ित करे तो पत्नी का तो पूरा मनोबल टूटना स्वाभाविक है। आज के आधुनिक युग में लोगों की लड़के-लड़कियों के मामलों में ऐसी सोच रखना हमें दूसरे देशों के मुकाबले पिछड़ा साबित करती है। ऐसी सोच रखने वाले लोगों को यह समझाना बहुत जरूरी है कि गर्भ में लड़का है या लड़की यह निर्भर होता है पति और पत्नी दोनों के गुणसूत्रों पर। हर स्त्री-पुरूष की शरीर रचना में 46 गुणसूत्र काफी महत्वपूर्ण होते हैं। पुरुष के शुक्राणु तथा स्त्री के रज (अंडाणु) में एक-एक केंद्रक होता है। हर केंद्रक में 46 गुण सूत्रों में से 23 गुणसूत्र प्रजनन की क्षमता रखने वाले होते हैं। स्त्री-पुरुष के 23-23 गुणसूत्रों के योग से प्रजनन क्रिया सम्पन्न होती है। पुरुष के 22+एक्स अथवा 22+वाई और स्त्री के 22+एक्स तथा 22+एक्स के आपस में मिलने से स्त्री को गर्भ ठहरता है। लड़का या लड़की होने का निर्धारण (लड़का होना है या लड़की) पुरुष के एक्स-वाई तथा स्त्री के एक्स-एक्स के आपस में मिलने से होता है। अगर पुरुष का एक्स गुण सूत्र स्त्री के एक्स गुण सूत्र के साथ मिलता है तो स्त्री के गर्भ में लड़की ठहरती है और अगर पुरुष का वाई गुण सूत्र स्त्री के एक्स गुण सूत्र के साथ मिलता है तो स्त्री के गर्भ में लड़का ठहरता है। इसलिए अगर स्त्री के सिर्फ लड़की पैदा होती है तो इसका दोष स्त्री को देना बिल्कुल सही नहीं है क्योंकि स्त्री के तो एक्स-एक्स गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुष के एक्स-वाई गुण सूत्र होते हैं। लड़का पैदा करने के लिए स्त्री के एक्स गुण सूत्र का पुरुष के वाई गुणसूत्र से मिलना जरूरी होता है लेकिन अगर स्त्री के एक्स गुणसूत्र के साथ पुरुष का भी एक्स गुणसूत्र मिलता है तो सिर्फ लड़की ही पैदा होती है। इसलिए जो लोग लड़कियां पैदा होने का दोष सिर्फ स्त्री को देते हैं उनके लिए यह जानना जरूरी है कि लड़का-लड़का पैदा करने के लिए मुख्य भूमिका पुरुष की ही होती है।
पत्नी को अपने हर सुख-दुख में शामिल करें-
हर व्यक्ति के साथ सुख और दुख का बहुत ही गहरा रिश्ता होता है। अपनी पूरी जिंदगी में हर इन्सान को इन सुख-दुखों से गुजरना पड़ता है। लेकिन जो इन्सान इन मुश्किल हालतों में भी डटकर खड़ा रहता है वह ही अपनी इन समस्याओं से मुक्ति पा लेता है। विद्वानों का यह कहना है कि अगर सुख को किसी और के साथ बांट लिया जाए तो उसका मजा और भी बढ़ जाता है और अगर दुख को किसी और के साथ बांट लिया जाए तो वह कम हो जाता है। एक व्यक्ति के लिए सुख-दुख बांटने के लिए उसकी पत्नी से बढ़कर और दूसरा कोई साथी नहीं होता है क्योंकि एक पत्नी ही होती है जो पति के हर सुख हो या दुख उसमें उसके साथ खड़ी रहती है और उसे हौसला देती है। कई मामलों में तो पत्नी की एक सलाह ही पति को बहुत बड़ी परेशानियों को दूर कर देती है।
बहुत से व्यक्तियों के जीवन में जब भी कोई सुख या दुख के पल आते हैं तो वह व्यक्ति शराब या दूसरे नशे में अपने सुख को बढ़ाना चाहता है या फिर उस नशे में डूबकर अपने गम को भुलाना चाहता है। ऐसे समय में अगर पत्नी को ही इन सुख और दुखों में शामिल किया जाए तो व्यक्ति को किसी तरह के नशे में डूबने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
पत्नी के सामने दूसरी स्त्रियों की प्रशंसा करना-
हर इंसान के अंदर श्रेष्ठता, हीनता और जलन जैसी भावनाएं हर समय मौजूद रहती हैं चाहे वह पति हो या पत्नी। अक्सर शादी के बाद पति अपनी पत्नी को अपने पहले अफेयर के बारे में बताता है। वह अपनी पत्नी की तुलना दूसरी लड़कियों से करने लगता है जोकि बिल्कुल ही ठीक नहीं है क्योंकि कोई भी पत्नी यह बर्दाश्त नहीं कर सकती कि उसका पति उसके सामने किसी दूसरी लड़की की प्रशंसा करे। इन बातों की वजह से कई बार पति और पत्नी के बीच में नौबत तलाक तक पहुंच जाती है। बहुत से पुरुष जो महिला साथियों के साथ काम करते हैं वह अक्सर शाम को आफिस आदि से आने के बाद अपनी पत्नी को उनकी बातें बताने लगते हैं, उनके रूप-रंग की तारीफ करने लगते हैं, आफिस में उनके द्वारा लाने वाले खाने के बारे में बताने लगते हैं कि वह कितना अच्छा खाना बनाती है लेकिन इन सबके बीच में वह यह नहीं सोचता कि अपनी जिस पत्नी को वह मजे ले-लेकर दूसरी लड़कियों के बारे में बता रहा है उसके दिल पर क्या बीत रही होगी। बहुत से पुरुष तो अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाते समय भी दूसरी लड़कियों की तारीफ करने से बाज नहीं आते हैं जिसका नतीजा यह होता है कि पत्नी को सेक्स संबंधों में किसी प्रकार का आनंद नहीं आता है। इन सबके कारण स्त्री कुछ ही समय में चिड़चिड़ी हो जाती है और छोटी-छोटी बातों पर लड़ने-झगड़ने लगती है। इन सबसे बचने का तरीका यही है कि पति को अपनी पत्नी के सामने दूसरी स्त्रियों की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए, जहां तक हो सके अपनी पत्नी की ही ज्यादा से ज्यादा तारीफ करें।
शराब पीकर सेक्स करना-
बहुत से सेक्स विद्वानों का मानना है कि सिर्फ सेक्स ही एक ऐसी क्रिया है जो पुरुष और स्त्री को एक-दूसरे के बिल्कुल तन और मन के करीब कर देती है। इसलिए सेक्स संबंधों का शादीशुदा जीवन में महत्व बढ़ जाता है। अगर स्त्री या पुरुष में से कोई भी अपने बीच में होने वाले सेक्स संबंधों से असंतुष्ट हैं तो वह दिमागी रूप से खुद को अस्वस्थ महसूस करते हैं। यह समस्या पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को ज्यादा परेशान करती है अर्थात ज्यादातर मामलों में स्त्री को सेक्स संबंधों में असंतुष्ट ही रहती है। पुरुषों के साथ चाहे किसी भी तरह की सेक्स संबंधी परेशानी हो उसका सबसे बुरा असर स्त्री पर ही पड़ता है। इसके अलावा जब कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होता है, सेक्स संबंधों में पूरी तरह से सक्षम होता है लेकिन अगर शराब पीकर सेक्स संबंध बनाता है तो भी स्त्री इन संबंधों का पूरी तरह से आनंद नहीं उठा पाती। इन बातों को ज्यादातर पुरुष या तो समझते नहीं है या समझते हैं भी तो इसे अनदेखा कर देते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि पत्नी अपने तन से तो पति के नजदीक हो जाती है लेकिन मन से वह उससे दूर ही रहती है।
स्त्रियों को अक्सर शराब की दुर्गंध बर्दाश्त नहीं होती है इसी कारण जब पति शराब पीकर पत्नी के साथ संबंध बनाता है और पत्नी के साथ चुंबन आदि करता है तो उसकी सांसों में से आने वाली शराब की दुर्गंध के कारण पत्नी अपना चेहरा इधर-उधर घुमाने लगती है। उसकी कोशिश यही रहती है कि उसका पति उससे दूर ही रहे। शराब पीकर सेक्स संबंध बनाने वाले पुरुषों के लिए सेक्स संबंध सिर्फ सजा के तौर पर ही बनते हैं। कुछ समय के बाद ऐसे पतियों की पत्नियां अपने पति से कटी-कटी रहने लगती हैं, सेक्स के प्रति उनकी रुचि समाप्त होने लगती है। ऐसे लोगों का कहना होता है कि उनकी पत्नियां सेक्स संबंधों के समय उनके साथ किसी प्रकार का सहयोग नहीं करती। अगर किसी व्यक्ति को शराब पीने की बुरी लत लगी हो तो उसे चाहिए कि उसे जिस समय सेक्स संबंध बनाने हो उस समय शराब नहीं पीनी चाहिए। कई लोगों का यह भी मानना होता है कि शराब पीकर सेक्स संबंध बनाने से ज्यादा आनंद आता है लेकिन यह बात बिल्कुल गलत है। शराब पीकर सेक्स संबंध सिर्फ कुछ समय के लिए ही होते हैं उसके बाद पुरुष की सेक्स संबंध बनाने की क्षमता पहले से भी कम हो जाती है।
पत्नी के बीमार होने पर-
अक्सर स्त्रियां घर के काम-काज के कारण या बच्चों आदि में पड़कर अपने स्वास्थ्य की तरफ ध्यान नहीं देती हैं। छोटी-मोटी बीमारियों की तो वे बिल्कुल ही परवाह नहीं करती और घर के कामकाज में ही लगी रहती हैं। ऐसे में पति का यह फर्ज बनता है कि वह अपनी पत्नी का ध्यान रखें। पत्नी को यदि कोई रोग हो तो उसकी पूरी देखभाल करने का जिम्मा उसके पति पर ही आ जाता है। अगर स्त्री संयुक्त परिवार में रहती है तो घर के दूसरे लोग उसका पूरा सहयोग करते हैं लेकिन दिक्कत तो तब आती है जब पति और पत्नी अकेले रहते हैं। ऐसे में पत्नी का अपने पति के अलावा देखभाल करने का कोई आसरा नहीं रह जाता।
बहुत से लोग ऐसे होते हैं कि उनको पत्नी की किसी तरह की रोग या परेशानी नजर ही नहीं आती। उसको समय पर खाना चाहिए होता है, समय पर धुले हुए कपड़े चाहिए होते हैं। अगर यह सब समय पर नहीं मिलता तो वह गुस्से में भर जाता है और पत्नी को बुरा-भला कहने लगता है। ऐसे में पत्नी अगर अपने पति को यह बताती है कि उसकी तबीयत खराब थी जिसके कारण वह घर का कामकाज नहीं कर पाती तब भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह उल्टा अपनी पत्नी से सहानुभूति जताने के बजाय उल्टा-सीधा बोलने लगता है। ऐसे पति यह नहीं देखते कि जब वह खुद बीमार होता है या घर का कोई और सदस्य बीमार होता है तो वही पत्नी अपना सब कुछ भूलकर उनकी देखभाल में लग जाती है। उस समय उसे अपने खाने-पीने का भी ध्यान नहीं रहता। ऐसा माना जाता है कि रोग के समय रोगी को जितना लाभ अपने परिजनों की सेवा सुश्रुषा, सहानुभूति और अपनेपन द्वारा मिलता है। इससे रोगी को मानसिक रूप से ताकत मिलती है, आशा जागती है, रोग दूर भागते हैं। रोग के समय जिस व्यक्ति की देखभाल ठीक तरह से नहीं हो पाती है वह जल्दी ठीक भी नहीं होता है। इसलिए हर पति का यह फर्ज होता है कि अगर उसकी पत्नी की तबीयत खराब है तो उसको अपनी पत्नी का पूरा ख्याल रखना चाहिए। इसके लिए अगर पति को अपने काम से छुट्टी लेकर भी अपनी पत्नी की देखभाल करनी पड़े तो उसे यह भी करना चाहिए।
गर्भावस्था में खास सावधानी-
कोई भी स्त्री जब पहली बार गर्भवती होती है या ऐसी स्त्री जो शादी के काफी दिनों बाद गर्भवती हुई हो, दोनों ही स्थितियों में उसे खास देखभाल की जरूरत पड़ती है। इस समय बहुत सी स्त्रियां अंदर से डरी हुई होती हैं। ऐसी स्थिति में पुरुष पर दो तरह की जिम्मेदारियां आ जाती हैं। एक तो उसे अपनी पत्नी का पूरा ख्याल रखना पड़ता है और दूसरा खुद पर संयम रखना होता है। अक्सर गर्भधारण के कुछ समय के बाद ही स्त्री की खुद के प्रति संवेदनशीलता कम रहती है जो गर्भ ठहरने के पांचवें महीने के बाद बढ़ने लगती है। इस समय तक स्त्री को अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की उपस्थिति का साफ-साफ पता चलने लगता है। गर्भवती स्त्री को बच्चे का गर्भ में हाथ-पैर चलाना, करवट लेना आदि महसूस होने लगता है। इसी के साथ उसके भीतर मातृत्व की भावना भी जागने लगती है। यह स्थिति गर्भवती स्त्री के लिए विशेष महत्व की होती है, इसलिए उनकी देखभाल करने का दायित्व भी बढ़ जाता है। पुरुष को ऐसी अवस्था में पत्नी के साथ किसी भी प्रकार का बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका असर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ सकता है। इसलिए हर पति को चाहिए कि स्त्री की गर्भावस्था में उसका पूरा ध्यान रखें, समय-समय पर उसको दवाईयां दें, उसको समय पर खाना खिलाएं। इससे पत्नी को मानसिक रूप से काफी सहारा मिलता है और वह एक नए जीव को जन्म देने के लिए तैयार हो जाती है।
स्त्री के गर्भवती होते ही उसके पति के आत्मसंयम की परीक्षा चालू हो जाती है। इस समय उसके पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर एक तरह से प्रतिबंध लग जाता है। गर्भावस्था के समय के शुरुआती 2 महीनों में तथा आखिरी 2 महीनों में सेक्स करना बिल्कुल ही गलत माना जाता है। इसके अलावा बाकी महीनों में गर्भवती स्त्री के साथ सेक्स संबंध बनाए तो जा सकते हैं लेकिन बहुत ही सावधानी के साथ। कुछ पतियों के लिए इस स्थिति का सामना कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है उनके लिए इतने ज्यादा समय तक सेक्स से दूर रहना एक समस्या हो जाती है। कुछ पुरुष इससे बचने के लिए दूसरा रास्ता निकाल लेते हैं। कुछ पुरुष गुदामैथुन करने लगते है तो कुछ मुखमैथुन की तरफ अग्रसर होने लगते हैं। आमतौर पर स्त्रियां गुदामैथुन और मुखमैथुन को पसंद नहीं करती हैं लेकिन जब पुरुष जबर्दस्ती करता है तो वह मना ही नहीं कर पाती है। वह पुरुष को मनमानी तो करने देती है परंतु उसके मन की भावनाएं भी आहत होने लगती हैं। इसलिए ऐसे समय खुद पर काबू रखना बहुत ही जरूरी होता है।
घर का काम करने में पत्नी का हाथ बंटाना-
अक्सर पत्नी को घर के कामकाज में, बच्चों को संभालने में, मेहमानों की आवभगत करने में इतनी शारीरिक और मानसिक थकान हो जाती है जिसके कारण वह बीमार हो जाती है। ऐसे में स्त्री को महसूस होता है कि कोई ऐसा हो जो उसके कामकाज में थोड़ा हाथ बंटा लें ताकि उसे भी राहत मिले। ऐसे में पुरुष को चाहिए कि वह घर का कुछ काम अपने जिम्मे पर ले ले जिससे कि उसकी पत्नी को भी थोड़ा आराम मिल सके। आजकल ज्यादातर घरों में पति और पत्नी दोनों ही काम करते हैं इसलिए सुबह के काम पति और पत्नी को मिलकर ही करना चाहिए। इसमें चाय-नाश्ते से लेकर खाना बनाना तथा घर की साफ-सफाई शामिल होती है। पत्नी का हाथ बंटाते हुए कहीं भी हीनता का शिकार नहीं होना चाहिए। बहुत से पुरुष कुर्सी पर बैठे-बैठे, चाय पीते हुए, अखबार पढ़ते हुए काफी समय खराब कर देते हैं और फिर आफिस का समय होते ही वह अपनी पत्नी पर काम को जल्दी-जल्दी निपटाने के लिए चिल्लाने लगता है। पत्नी का तो सारा समय ही घर के छोटे-मोटे कामों को करने में ही निकल जाता है। इसलिए पति को खुद ही आगे आकर अपनी पत्नी का हाथ बंटाना चाहिए। पति अगर सारे कामों में पत्नी का हाथ नहीं बंटा सकता तो कुछ काम जैसे सुबह का नाश्ता बनाते समय पत्नी का हाथ बंटा देना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना और भी कई छोटे-छोटे काम हैं जिनमें वह अपनी पत्नी का हाथ नहीं बंटा सकता है। ऐसा करने से पत्नी के सारे काम जल्दी ही निपट जाते हैं और उसे किसी तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी नहीं होती।

तियों के लिए उपयोगी सुझाव 
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परिचय-
शादी के बाद दाम्पत्य जीवन में प्यार और सुख शांति बनाए रखने के लिए पति और पत्नी को मिलकर कोशिश करनी होती है। परिवार एक ऐसी गाड़ी की तरह है जिसमें पति-पत्नी के रूप में पहिए होते हैं जिसे दोनों को मिलकर खींचना होता है। इन दोनों पहियों में से अगर एक भी खराब होता है तो गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाता है।
परिवार को समृद्ध और खुशहाल बनाने के लिए पत्नियों की तरह पतियों की भी बहुत खास भूमिका होती है। अगर दोनों मिलकर कोशिश करते हैं तभी परिवार में सुख-शांति बनी रह सकती है और जहां सुख-शांति है वहीं धन और खुशहाली का निवास होता है। पति या पत्नी में से कोई भी परिवार में अपनी भूमिका से पीछे नहीं हट सकता है क्योंकि दोनों का कार्य क्षेत्र अलग-अलग है। पत्नी का क्षेत्र परिवार के अंदर आता है तो पति का परिवार के बाहर लेकिन सामूहिक रूप से अपने-अपने क्षेत्रों में दिए गए सहयोग का फल मिलकर सामने आता है। पति को परिवार के अंदर भी अपनी कुछ जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है। इसलिए पति और पत्नी दोनों को ही मिलकर अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए काम करते रहना चाहिए।
परिवार में संतुलन- 
शादी के बाद पत्नी का जो सवसे बड़ा सहारा होता है वह उसका पति ही होता है क्योंकि उसकी पत्नी बनने के बाद वह अपना सबकुछ छोड़कर उसके पास आती है। इसलिए पति की जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी पत्नी की अच्छी तरह से देखभाल करे। अक्सर देखा जाता है कि शादी के बाद सास और बहू के छोटे-मोटे झगड़े तो होते ही रहते हैं। ऐसे में पति के रात को घर में आने पर उसकी मां झगड़े की बात को बढ़ा-चढ़ाकर बताती है और चाहे गलती खुद की ही क्यों न हो फिर भी सारा इल्जाम अपनी बहू पर लगा देती है। पति भी अपनी मां की बात सुनकर सारा गुस्सा अपनी पत्नी पर निकाल देता है और कई बार तो उसे पीटने पर भी आ जाता है। ऐसा होने पर पत्नी सिर्फ आंसू ही बहा सकती है और कुछ नहीं कर सकती।
पति को इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि उसकी पत्नी उसकी वजह से ही इस घर में आई है। पत्नी पर अगर किसी तरह की परेशानी आती है तो वह सबसे पहले अपने पति से ही कहती है क्योंकि वह ही उसके लिए सबसे बड़ा सहारा होता है इसलिए पति का फर्ज बनता है कि पत्नी के मान-सम्मान की पूरी तरह से रक्षा करे। शादी के बाद पत्नियां पति को परमेश्वर इसीलिए कहती है क्योंकि जिस प्रकार से परमेश्वर सबकी रक्षा करता है वैसे ही पति भी परमेश्वर की तरह उसकी ऱक्षा करें। उसे हर तरह के दुख और तकलीफ से बचाकर रखें।
पत्नी का मजाक उड़ाना-
बहुत से घरों में पत्नी को अक्सर चिढ़ाया जाता है, उसके ऊपर कई तरह के कमेंटस मारे जाते हैं जिनको सुनकर पत्नी को बुरा तो बहुत लगता है लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाती। ऐसे में वह सोचती है कि काश उसका पति इस समय उसके साथ खड़े होकर उसका मजाक उड़ाने वालों को जवाब दे। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि उसका पति भी अपने घर वालों के साथ मिलकर ही उसका मजाक उड़ाने लग जाता है। ऐसे में स्त्री के पास आंसुओं के सिवा दूसरा कोई सहारा नहीं रह जाता। बाद में इसको एक मजाक का नाम दे दिया जाता है लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या ऐसा मजाक होता है जो सामने वाले को रोने पर मजबूर कर दे, उसके दिल को दुखाए। मजाक एक हद तक ही सही होता है। चलो मजाक हो भी रहा है तो उस समय पति का फर्ज तो यही बनता है कि अपनी पत्नी का साथ दे क्योंकि जब सब लोग एक साथ मिलकर उसकी पत्नी का मजाक उड़ा रहे हैं तो कोई पत्नी के साथ भी तो होना चाहिए। पत्नी को ऐसा कभी भी एहसास नहीं होना चाहिए कि वह अकेली है बल्कि उसे तो ऐसा लगना चाहिए कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि सबसे मुकाबला करने के लिए मेरा पति तो मेरे साथ खड़ा है।
दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित करना-
हमारे भारतवर्ष में आज भी दहेज नाम का सांप कुंडली मारकर बैठा है। दहेज के नाम पर आज भी कितनी स्त्रियां बलि चढ़ा दी जाती है। कई बार लड़की के मां-बाप शादी के बाद अपनी बेटी को काफी कुछ देकर विदा करते हैं और कुछ बाद में देने का वादा कर लेते हैं। बहुत से लोग जान-बूझकर अमीर घर की लड़की से शादी करते हैं। शादी करने से पहले वह कई तरह की डिमांड लड़की के घर वालों के सामने रख देते हैं। अगर लड़की के घर वाले उनकी डिमांड्स को पूरा भी कर देते हैं तो लड़के के घर वाले और भी चीज तथा पैसों की डिमांड करने लगते हैं। अगर लड़की शादी के बाद अपने घर से पैसा आदि नहीं लाती तो उसे तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। बहुत से पति भी दहेज के चक्कर में पत्नी के साथ बुरा बर्ताव करने लगते हैं जिसके कारण उसकी जिंदगी बहुत बदतर हो जाती है। कभी-कभी इसके परिणाम बहुत ही ज्यादा गंभीर भी निकलते हैं।
हर पति को एक बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि उनके द्वारा दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित करना बहुत बड़ा पाप होता है इसलिए पत्नी को दहेज के लिए परेशान नहीं करना चाहिए। शादी के बाद लड़की के पिता की मर्जी होती है कि वह अपनी बेटी को क्या देना चाहता है और क्या नहीं देना चाहता है। लेकिन अगर लड़के द्वारा एक भी चीज की डिमांड रखी जाती है तो उससे गिरी हुई बात कोई और नहीं हो सकती। पत्नी को कम दहेज लाने पर या बिल्कुल न लाने पर किसी प्रकार के ताने नहीं देने चाहिए और इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि घर का कोई और सदस्य भी उसे किसी प्रकार से प्रताडि़त न कर पाए। ससुराल वालों को बहू को ही सबसे बड़ा दहेज मानना चाहिए क्योंकि एक मां-बाप के लिए उसकी बेटी से बढ़कर दूसरा और कोई धन नहीं होता है।
शादी के बाद लड़की का नौकरी करना-
आज के समय में बढ़ती हुई मंहगाई के कारण पति और पत्नी दोनों का ही बाहर नौकरी करना जरूरी हो गया है और गृहस्थी को चलाने के लिए भी यह जरूरी है। लेकिन बहुत से घरों में आज भी स्त्री के बाहर काम करने को गलत नजरों से देखा जाता है क्योंकि ऐसे घर के लोगों को लगता है कि अगर स्त्री घर से बाहर रहकर दूसरे पुरुषों के साथ काम करेगी तो उसके दूसरे पुरुषों के साथ संबंध बन सकते हैं। लेकिन ऐसी सोच बिल्कुल गलत है। आज भी बहुत से ऐसे परिवार हैं जहां पर पति और पत्नी दोनों ही बाहर काम करते हैं और उनके बीच में कोई समस्या भी नहीं होती है। कुछ लोग अपनी पत्नी के ऊपर अधिकार जमाने के लिए चाहते हैं कि वह घर पर ही रहे और घर और बच्चों को संभाले। सभी पतियों को चाहिए कि अपने मन से किसी भी तरह के शक आदि को निकालकर अपनी पत्नी को बाहर नौकरी करने देना चाहिए और उसके विकास में भी सहयोग देना चाहिए।
व्यक्तिगत समस्याओं का पत्नी पर गुस्सा उतारना-
आज के समय में बहुत से व्यक्ति इस समस्या से ग्रस्त हैं कि वह अपना किसी भी तरह का गुस्सा आदि अपनी पत्नी पर उतार देते हैं जिसको कि किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता है। हर व्यक्ति किसी न किसी समस्या से ग्रस्त रहता है। अगर व्यक्ति आफिस आदि में काम करता है तो वहां पर बॉस की डांट खानी पड़ती है तो उसे गुस्सा आने लगता है, अगर व्यक्ति अपना काम करता है तो वहां पर फायदा या नुकसान उसके मन में आक्रोश भर देता है। यही गुस्सा जब तक बाहर नहीं निकल जाता तब तक अंदर ही अंदर सुलगता रहता है। इसको पति और पत्नी के बीच होने वाले झगड़ों की बहुत बड़ी वजह माना जाता है। पति को जब अपना गुस्सा निकालने का दूसरा कोई रास्ता दिखाई नहीं देता है तो वह इसे अपनी पत्नी पर निकाल देता है। वह पत्नी की छोटी-छोटी बातों में गलतियां निकालने लगता है और कुछ मामलों में तो बात मारपीट पर भी आ जाती है।
यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि पति अपने गुस्से को निकालने का कोई दूसरा रास्ता क्यों नहीं तलाश करता। पत्नी को बार-बार डांटना, उसके कामों में गलतियां निकालना कहां तक सही है। हर व्यक्ति को इस बात की कोशिश करनी चाहिए कि समस्या चाहे आफिस की हो या व्यापार की उसे घर के भीतर नहीं ले जाना चाहिए। बाहर की किसी भी तरह की समस्या का असर पत्नी पर नहीं पड़ना चाहिए नहीं तो इससे घर की सुख और शांति में बाधा पड़ सकती है।
पत्नी से कुछ छिपाना-
बहुत सी पत्नियां अक्सर यह शिकायत करती रहती है कि पति उनसे ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे वह उनकी जिंदगी का हिस्सा ही नहीं है। कई पुरुष अपने घर के सदस्यों के प्रति कुछ ज्यादा ही लगाव रखते हैं। वह घर के किसी भी सदस्य को कुछ भी देते लेते हैं तो अपनी पत्नी को या तो बताते नहीं है या बताना जरूरी नहीं समझते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि अगर मैं अपने घर वालों को कुछ देता हूं और यह बात मेरी पत्नी को पता चल जाती है तो उसे बहुत बुरा लगेगा। लेकिन जो पति ऐसा सोचते हैं या करते है वह बहुत ही गलत करते हैं क्योंकि घर की कोई भी बात हो वह कभी न कभी पत्नी के सामने आ ही जाती है।
अगर घर में किसी सदस्य को किसी भी चीज की जरूरत होती है और पति अपने घर वालों की उस जरूरत को पूरा कर देता है तो उसे अपनी पत्नी से कुछ भी छिपाना नहीं चाहिए। अगर पति का व्यवहार अपनी पत्नी के प्रति अच्छा है तो कोई भी पत्नी अपने पति की इस बात पर एतराज नहीं करती कि उसका पति अपने परिवार के लिए कुछ क्यों कर रहा है। इसलिए पति की समझदारी इसी में है कि वह हर तरह के लेने या देने में अपनी पत्नी से कुछ न छिपाएं क्योंकि अगर वह अपनी पत्नी को सब कुछ बताकर करता है तो इससे दोनों के ही बीच में प्यार और भरोसा बढ़ता है।
पत्नी को खुश रखना-
एक गृहस्थी संभालने वाली स्त्री पूरे दिन घर के कामों में इतनी थक जाती है कि शरीर के साथ उसका मन भी थकने लगता है। ऐसे में पति की एक प्यार भरी बोली स्त्री के तन और मन की थकान को तुरंत दूर कर देती है लेकिन यह पति पर निर्भर करता है कि वह अपनी पत्नी को किस प्रकार खुश रख सकता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि पत्नी को महंगे उपहारों आदि के द्वारा खुश किया जा सकता है लेकिन यह गलत है। पत्नी के लिए तो कई बार सिर्फ पति की एक मुस्कान ही काफी रहती है। इसके अलावा कुछ दूसरे तरीकों के द्वारा भी पत्नी को खुश किया जा सकता है-
• जिस दिन भी पत्नी के साथ संभोग क्रिया करनी हो तो उस दिन फूलों का एक गजरा (वेणी) लेकर आएं। फिर उसे रात के समय स्वयं अपनी पत्नी के बालों में लगाना चाहिए। इस तरह करने से पत्नी का मन आनंद से भर जाता है। 
• महीने में या सप्ताह में 1-2 बार पत्नी को कहीं बाहर घुमाने ले जाना चाहिए या फिल्म आदि दिखाने जाना चाहिए। घूमते समय पत्नी के साथ बाहों में बाहें डालकर प्यार की बातें करनी चाहिए। रोजाना घर के कामकाज करते-करते पति के साथ बाहर घूमने से पत्नी की शारीरिक और मानसिक थकान दूर हो जाती है और मन में नए उत्साह का संचार होता है। 
• घर पर पत्नी अगर खाने में कुछ नया बनाती है तो उसकी दिल खोलकर प्रशंसा करनी चाहिए। हर पत्नी चाहती है कि वह अगर अपने पति के लिए कुछ भी करती है तो पति उसकी बहुत तारीफ करें इसमें पत्नी के द्वारा बनाया गया खाना सबसे अहम होता है। बहुत से पति अपनी पत्नी के द्वारा किए गए किसी भी काम की तारीफ नहीं करते हैं जिससे पत्नी का उत्साह किसी भी काम को करने में नहीं लगता है इसलिए पत्नी की तारीफ करने में किसी तरह की कंजूसी नहीं करनी चाहिए। 
• पत्नी जब भी यह शिकायत करती है कि मेरी तबीयत कुछ खराब है या कुछ अच्छा नहीं लग रहा है तो उसको घर के सारे कामों से छुट्टी दे देनी चाहिए। अगर पति और पत्नी घर में अकेले ही रहते हैं तो पति को ही घर की पूरी जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। पत्नी भी जब देखती है कि उसके पति ने पूरा घर संभाल रखा है तो वह भी बहुत खुश हो जाती है और जल्दी ही ठीक हो जाती है। 
• पत्नी की अगर कोई सहेली घर पर आती है तो उसके साथ सही तरह से व्यवहार करना चाहिए। बहुत से पुरुषों की आदत होती है कि वह अपनी पत्नी की सहेलियों के संग कुछ ज्यादा ही घुलमिल जाते हैं और उनसे कुछ ज्यादा ही मजाक आदि करने लगते हैं। इससे पत्नी को अपने पति पर शक होने लगता है और उसकी नजरों में पति की इज्जत कम होने लगती है। इसलिए जब भी पत्नी की कोई सहेली आदि घर पर आए तो अच्छा है कि वह अपनी पत्नी और सहेली को अकेला छोड़ दें। 
• हर पति को अपनी पत्नी के लिए त्यौहार या शादी की सालगिरह पर कोई न कोई गिफ्ट आदि देते रहने चाहिए। उपहार चाहे छोटा हो या बड़ा ये उपहार देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। पत्नी भी यह नहीं देखती कि मेरे पति ने मुझे छोटा उपहार दिया है या बड़ा। पति के द्वारा मिलने वाला उपहार उसे बहुत ज्यादा खुशी देता है। 
• पति को कभी भी अपनी पत्नी की सालगिरह या जन्मदिन नहीं भूलना चाहिए। बहुत से पति इन खास तारीखों को भूल जाते हैं लेकिन पत्नी कभी ऐसी तारीखों को नहीं भूलती है। इसलिए हर पति को चाहिए कि इन खास तारीखों को कभी न भूलें। पति को शादी की सालगिरह या पत्नी के जन्मदिन पर उसके लिए कोई तोहफा देना चाहिए या पहले से ही कोई उपहार लेकर रखना चाहिए और रात के 12 बजते ही पत्नी को उपहार देकर चौंका देना चाहिए। 
सेक्स संबंध-
पति और पत्नी के बीच के रिश्तों को सही तरह से निभाने के लिए बाकी सब चीजों के साथ एक चीज और भी बहुत जरूरी है जिसके जरा सा भी खराब होने से पति और पत्नी के बीच बहुत बड़ी दरार पड़ सकती है। यह हैं दोनों के बीच में बनने वाले सेक्स संबंध। इन्हीं सेक्स संबंधों के कारण ही पति और पत्नी के बीच व्यक्तिगत संबंधों का निर्धारण होता है। अगर यह संबंध सही है तो सब कुछ सही चलता है लेकिन इन संबंधों में अगर स्त्री असंतुष्ट रह जाती है तो इससे उनकी बसी-बसाई गृहस्थी में उथल-पुथल हो सकता है।
बहुत से मामलों में पुरुष की सेक्स क्षमता किसी न किसी कारण से प्रभावित हो सकती है और स्तंभन शक्ति कम होने लगती है। पुरुष की इस कमजोरी का असर उसकी पत्नी पर पड़ता है। पत्नी की रोजाना की आवश्यकताओं की पूर्ति दूसरे माध्यमों से हो सकती है लेकिन सेक्स संबंधों में उसे जो संतुष्टि चाहिए वह उसे उसके पति के अलावा कहीं और से प्राप्त हो नहीं सकता।
पति के अंदर अगर शीघ्रपतन (संभोग के समय जल्दी स्खलन होना) का रोग हो तो यह उन दोनों के बीच परेशानियों को बढ़ा देता है। जब पति की इस समस्या के कारण पत्नी हर बार सेक्स संबंधों से मिलने वाले चरम सुख से वंचित रह जाती है तो पत्नी के दिल में धीरे-धीरे अपने पति के लिए विरक्ति पैदा होने लगती है और पत्नी अपनी शारीरिक संतुष्टि के लिए दूसरे पुरुष के पास जाने को मजबूर हो जाती है। यही कारण होता है गृहस्थी बिगड़ने का। पुरुषों को इस बारे में बहुत ही गंभीरता से सोचना चाहिए। अगर उसके साथ सेक्स से संबंधित कोई परेशानी हो जाती है तो उसको उपचार करवाने में देरी नहीं करनी चाहिए। अगर इस मामलें में जरा सी भी लापरवाही की जाए तो बहुत खतरनाक हो सकती है।
शारीरिक आकर्षण-
शादी के बाद अपने शारीरिक आकर्षण को बनाए रखना सिर्फ स्त्रियों के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि पुरुषों के लिए भी उतना ही जरूरी है। अक्सर पति शादी के बाद इस बात की जरूरत महसूस नहीं करते कि उन्हें अब अपनी पत्नी को आकर्षित करने के लिए शरीर को अच्छा बनाकर रखने की जरूरत है। बहुत से लोगों का यह भी मानना होता है कि अगर शादी के कुछ साल बाद पति अपने पहनावे को लेकर या अपने शरीर को लेकर कुछ ज्यादा ही चिंतित होने लगता है तो समझना चाहिए कि वह किसी और स्त्री के चक्कर में पड़ता जा रहा है। शादी के बाद जिस रफ्तार से स्त्रियां अपने शरीर के प्रति लापरवाह हो जाती हैं उससे ज्यादा पुरुष लापरवाह हो जाते हैं। बहुत से व्यक्ति तो पूरे-पूरे सप्ताह तक शेव करने से भी परहेज करने लगते हैं। छुट्टी वाले दिन तो पुरुष उठकर नहाने धोने में भी आलस्य करने लगता है। आस-पास अगर कहीं भी जाना पड़ता है तो जो कपड़े उसने पहने होते हैं उन्हीं में उठकर चल देता है। इससे पति के प्रति पत्नी का आकर्षण कम होने लगता है जिसका असर उनके बीच बनने वाले शारीरिक संबंधों पर भी पड़ता है। हर पति के लिए यह ध्यान देने वाली बात है कि जिस तरह से वे चाहते हैं कि उनकी पत्नी हर तरह से आकर्षक लगे उसी प्रकार स्त्रियां भी चाहती है कि उनके पति भी सबसे ज्यादा आकर्षक दिखाई दें।
घर में आने वाली आर्थिक समस्या-
शादी के बाद अक्सर छोटे-मोटे इतने खर्चे हो जाते हैं कि घर में आर्थिक समस्या पैदा हो जाती है। पति की तनख्वाह में घर का खर्च नहीं चल पाता है या किसी की शादी वगैरा आ जाती है जिसके लिए धन की जरूरत होने पर किसी से पैसे उधार लेने पड़ते हैं और कुछ समय बाद उसे वापस भी दे दिया जाता है। ऐसे ही पैसों की जरूरत पड़ने पर ससुराल आदि से भी पैसा उधार ले लिया जाता है लेकिन कई लोग ससुराल का पैसा वापिस नहीं करते जोकि गलत है। अगर ससुराल से पैसे लिये जाते हैं तो उन्हें भी जल्दी वापिस कर देने चाहिए नहीं तो इससे ससुराल में नाम खराब होता है।
ससुराल के प्रति सहयोगात्मक रहना-
हर परिवार में कोई न कोई शादी-ब्याह या दूसरे कोई से फंक्शन चलते ही रहते हैं। इसी तरह से पत्नी के घर में भी कोई न कोई फंक्शन आदि होते ही रहते हैं। ऐसे में पत्नी चाहती है कि उसका पति उसके साथ रहे क्योंकि उसे पता होता है कि पति के साथ रहने पर ही उसका सम्मान बढ़ता है। ऐसे में अगर उसका पति उसे पूरी तरह से सहयोग देता है तो उसके आनंद की कोई सीमा नहीं रहती। लेकिन बहुत से पति ऐसे होते हैं जो अपने ससुराल में किसी तरह का सहयोग नहीं करते हैं। ऐसे पति अक्सर पत्नी के मायके में होने वाले कार्यों में कोई न कोई विवाद पैदा कर देते हैं और ऐसे किसी कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर देते हैं। ससुराल वाले ऐसे दामादों को मनाते-मनाते थक जाते है लेकिन वह किसी की बात सुनते ही नहीं हैं।
पति के इस तरह के व्यवहार से पत्नी का काफी दिल दुखता है। मायके में भी उसे तरह-तरह की बातें सुननी पड़ती हैं कि तेरा पति कैसा है किसी की बात नहीं सुनता है। इसलिए हर पति का यह कर्त्तव्य होता है कि वह अपनी पत्नी के किसी भी हाल में अपमान न होने दें। ससुराल में पड़ने वाले हर काम में बढ़-चढकर हिस्सा लेना चाहिए। इससे ससुराल में पति का मान-सम्मान बढ़ने से पत्नी को भी बहुत खुशी मिलती है।
पतियों के लिए कुछ और जरूरी बातें-
• बहुत से पतियों की आदत होती है कि वह सोचते हैं कि हमारी शादी हो चुकी है तो मुझे अपनी पत्नी को अपने प्रेम का इजहार करने की कोई जरूरत ही नहीं है लेकिन यह बात गलत है। हर पति को चाहिए कि समय-समय पर अपनी पत्नी से किसी न किसी रूप में अपने प्रेम का इजहार करते रहना चाहिए क्योंकि पति चाहे अपनी पत्नी से कितना भी प्रेम करे लेकिन फिर भी उसे एक आस रहती है कि मेरा पति मुझे रोजाना कहे कि मै तुमसे बहुत प्यार करता हूं। अगर कोई पति अपनी पत्नी से सुबह काम पर जाते समय या शाम को आने के बाद प्यार के दो शब्द बोलता है तो पत्नी के लिए वह दो शब्द सबसे अनमोल होते हैं। 
• पति को कभी-कभी अपनी पत्नी के किसी न किसी गुण की प्रशंसा करते रहना चाहिए जिसमें सबसे ऊपर पत्नी की खूबसूरती आती है। अगर पति बहुत ही रोमांटिक मूड में अपनी पत्नी के रूप-रंग की तारीफ करता है तो इससे पत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। 
• अक्सर स्त्रियों में प्यार या काम उत्तेजना की लहर उठने पर वह मुंह से कुछ नहीं कहती लेकिन अपने हाव-भाव से अपने अंदर उठने वाली तरंगों का प्रदर्शन करती है। इसलिए हर पति को चाहिए कि पत्नी के इन हाव-भाव के जरिए उसके दिल की बात जानने की कोशिश करें। 
• अपने बच्चों के सामने अपनी पत्नी की कोई बुराई नहीं करनी चाहिए या उसके बारे में कोई ऐसी बात नहीं करनी चाहिए जिससे कि बच्चों की नजर में अपनी मां की छवि खराब हो।
• घर के किसी भी छोटे-बड़े फैसलों में एक बार अपनी पत्नी की राय जरूर लेनी चाहिए। कभी-कभी पत्नी की एक छोटी सी राय भी पति की बड़ी से बड़ी परेशानी को पल भर में दूर कर देती है। 
• अगर पत्नी किसी बात पर गुस्से में हो तो उसे तुरंत ही अपने सीने से लगा लेना चाहिए। पति की यह छोटी सी हरकत पत्नी का गुस्सा पलभर में ही गायब कर देती है। 
• बहुत सी स्त्रियां होती हैं जोकि अपने पति को तो अच्छे से अच्छा भोजन कराती हैं लेकिन खुद कुछ भी खाने में ही अपना कर्त्तव्य समझती है। पति भी सोचता है कि पत्नी जो खा रही है चलो सही है। लेकिन पति को इस बात का ख्याल रखना चाहिए और उसे अच्छे से अच्छा खाना खिलाना चाहिए क्योंकि स्त्री के भोजन पर ही उसके होने वाले बच्चे का स्वास्थ्य निर्भर करता है। 
• अगर आपकी पत्नी ज्यादा खूबसूरत नहीं है तो इसमें उसे दोष देने की या बात-बात में उसे ताने मारने की कोई जरूरत नहीं है। पत्नी की सुंदरता उसके रूप-रंग को न देखकर उसके गुणों और समझदारी पर निर्भर करती है। अगर आपकी पत्नी में सबका दिल जीतने की कला है तो वह दुनिया की सबसे खूबसूरत स्त्री है। 
• अगर पति-पत्नी के बीच किसी भी तरह की अनबन होती है तो उसके बारे में किसी बाहर के व्यक्ति को पता नहीं चलना चाहिए। यहां तक कि पत्नी के घर वालों को भी इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए क्योंकि बहुत से मामलों बात सुलझने की बजाय और बिगड़ जाती है। पति-पत्नी के बीच की किसी भी तरह की समस्या को वह दोनों आपस में ही मिलकर आसानी से सुलझा सकते हैं। 
चार बातों पर सदा अमल करने से पति और पत्नी के बीच किसी भी तरह की समस्या होने की आशंका नहीं रहती है-
• दोनों के बीच में सच्चा प्यार होना चाहिए। 
• दोनों को एक-दूसरे पर पूरा भरोसा रखना चाहिए।
• पति-पत्नी को एक-दूसरे के स्वभाव का अच्छी तरह से पता होना चाहिए कि उन्हें क्या पसंद है और क्या पसंद नहीं है।
• दोनों को एक-दूसरे की छोटी-मोटी गलतियों को नजरअंदाज करते रहना चाहिए और अगर गलती हो भी जाए तो उसे क्षमा कर देना चाहिए।

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