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मंगलवार, 11 सितंबर 2012

ट्रेन में अनजान लड़की के साथ - हिंदी सेक्स कहानियाँ - hindi sex stories » हिंदी सेक्स कहानियाँ – hindi sex stories

ट्रेन में अनजान लड़की के साथ - हिंदी सेक्स कहानियाँ - hindi sex stories » हिंदी सेक्स कहानियाँ – hindi sex stories
एक बार मैं काम के सिलसिले में विसखापत्नाम से बैंगलोर जा रहा था। मैने एक एसी ट्रेन  में टिकट बुक कराई थी। मुझे ट्रेन मै बगल वाली सिट मिली | मैंने सोचा पता नहीं कौन आयेगा मेरे साथ ! मगर जब ट्रेन चलने लगी तब तक कोई भी नहीं आया तो मैं सो गया और मुझे नींद आ गई। अचानक मेरी नींद खुली मुझे ऐसा लगा कि शायद कोई मुझसे टकरा गया |लेकिन जब मैंने देखा तो पता चला कि एक आदमी अपनी सीट ढूंड रहा था । तब ट्रेन स्टेशन पर रुक गई थी।
तभी वो आदमी मुझसे पूछा कि यहाँ पर कोन हें ?
मैंने कहा- मुझे क्या पता  !
वो चला गया, थोड़ी देर में ट्रेन भी रवाना हो गई। मैं भी सो गया। मुझे नींद तो आ नहीं रही थी सो मैंने अपने मोबाईल में सेक्सी विडियो क्लिप्स चालू कर ली और आवाज़ कम कर दी ताकि किसी को आवाज़ न जाये।
तभी एक औरत जो कि कोई 20-25 साल की होगी, वो मेरे साथ सिट में आ गई और वो मेरे साथ बैठ गई। फिर उसने अपना मोबाईल निकला और शायद अपने भाई से बात करने लगी, थोड़ी देर में फोन काट कर बंद कर दिया और मुझसे बातें करने लगी। उसने मुझसे मेरे काम के बारे में पूछा तो मैंने उसे मजाक मै बताया कि मेरा अन्डरगारमेंट का काम है। फिर थोड़ी देर इधर-उधर की बात करने लगी। वैसे वो देखने में सुंदर और गोरी चिट्टी थी।
थोड़ी देर के बाद मुझे नींद आने लगी और मैं बोला- मुझे सोना है, आप जाके अपनी सिट पे बैठ जाये !
और मैं अपना कम्बल ले कर सो गया। वो भी मेरे निचे वाली सिट पे लेट गई।
मैं सोच रहा था कि इतना अच्छा मौका हैं, एक तो एसी ट्रेन और उपर से एक सुंदर औरत जो मेरे साथ ही लेटी हुई है !
मैं बस अपने लण्ड को पकड़ के लेटा था, कुछ कर नहीं पा रहा था, क्योंकि मुझे डर था कि यह कुछ कह न दे ! और मैं ऐसे ही लेटा रहा और अपने मोबाईल पर क्लिप्स देखने लग गया। वो अभी भी जग रही थी, उसे नींद नहीं आ रही थी तो उसने पूछा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं ! मैं तो बस अपनी ही वीडियो रिकॉर्ड देख रहा हूँ।
तब उसने कहा की मुझे भी देखना है, तो मेने कहा ऊपर आ जाओ, फिर साथ मै देखेंगे |
वो ऊपर आ गयी और मुझसे कहने लगी की अब दिखाओ मुझे |शायद उसे आवाज़ सुनाई दे गई थी और उसने मुझसे मेरा मोबाईल मांग कर कहा- मुझे भी दिखाओ !
मैंने मना किया- क्या करोगी देख कर ! ख़राब है !
तभी उसने अचानक मेरे हाथ से मेरा मोबाईल छीन लिया और देखने लगी, फिर मुझे कहने लगी- तुम्हे ये देख के मज़ा आता हें या फिर करने मै |
मैं तो चोक गया और उससे बोला- आप यह क्या कह रही हैं?
उसने कहा- जब ऊपर वाले ने हमें ऐसी चीजें दी है तो उन्हें काम में भी तो लेना चाहिए न ! वरना कई चीजें पड़ी पड़ी सड़ जाती हैं।
उसकी बात में दम तो था मगर मैंने बात को टालते हुए सोने के लिए कहा। फिर हम दोनों सो गए, वो निचे न सो के मेरे हें सिट पे लेटी रही| करीब कोई एक घंटे के बाद मुझे लगा कि मेरी गांड पर कुछ लग रहा है। मैंने ध्यान किया तो उसका घुटना मेरी गांड से लग रहा था और ट्रेन के झटकों की वजह से मेरी गांड में लग रहा था। तभी मुझे लगा कि शायद यह जानबूझकर कर रही है। तो मैंने यह जानने के लिए की वो जन्बुज के कर रही हें या अपने आप हो रहा हैं, मेने उसकी तरफ मुँह कर लिया और अब उसका पैर मेरे लंड पर लगने लगा जो कि एकदम खड़ा हुआ था। मुझे मजा आने लगा। पर धीरे-धीरे मुझे लगा कि कुछ और भी मेरे लण्ड पर लग रहा है। मैंने हाथ लगाकर देखा तो उस औरत का हाथ था जो मेरा लण्ड सहला रही थी। जैसे ही मैंने उसका हाथ पकड़ा तो उसने मेरा लंड जोर से पकड़ लिया और दबाने लगी।
तब मैंने उसे बोला की – मैं एक काल बॉय हूँ !
उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और कहा- मैं तुम्हें उम्मीद से ज्यादा दूंगी ! लेकिन जो मैं कहूँ, वैसा तुम्हें करना पड़ेगा !
अब मैं आगे क्या बोलता, चुप रहा और कुछ नहीं कह सका, अपना हाथ हटा लिया, उसकी साड़ी पर हाथ लगाने लगा और धीरे धीरे उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा, उसकी चूत पर ऊपर से हाथ फिराने लगा। फिर वो मेरे और पास सरक आई और मुझे चूमने लगी।
मुझे बहुत मजा आ रहा था। हम लोगों ने कुछ 20 मिनट चूमा-चाटी करने के बाद ट्रेन के परदे इस ढंग से लगा दिए ताकि कोई देखे नहीं ! वैसे तो एसी में सुविधा अच्छी होती है पर हम बेफिक्र होना चाहते थे।
इतना करने के बाद वो मेरा लंड को बहार निकाल कर चूसने लगी और उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट भी उतार दी। अब वो सिर्फ चड़डी और ब्रा में थी। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अब मैं सिर्फ चड्डी में था। उसने एकदम से मेरी चड्डी उतार दी और मेरा लंड चूसने लगी।
फिर मुझे बोली- तुम भी मेरी चूत चाटो !
तो मैंने उसे कहा- पहले इसे साफ़ तो करलो !
उसने मेरी बोतल से पानी लगाया और अपने पेटीकोट से साफ़ कर लिया। वैसे तो मैं भी पागल हो रहा था चूत चाटने के लिए और फिर मैंने उसकी ब्रा और चड्डी भी उतार दी। वो एक दम नंगी हो गई थी। मैं तो बस पागल हो रहा था और उसको चूमने लगा। फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गये।
कोई 15 -20 मिनट तक चाटने के बाद वो बोली- अब मुझे शांत कर दो !
मैंने पूछा- कैसे शांत करू ?
तो बोली- अपना लंड मेरी चूत में डाल दो !
उसने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मैं अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा तो लंड ढंग से नहीं जा पा रहा था। उसने हाथ से लण्ड को पकड़ा और अपनी चूत पर रखकर बोली- अब करो !
मैंने जैसे ही झटका मारा तो थोड़ा सा ही लंड अंदर गया क्योंकि उसकी चूत बहुत छोटी थी। फिर मैं धीरे धीरे डालने लगा और जब लंड पूरा घुस गया तो मैं झटके मारने लगा। मेरे झटके और ट्रेन के झटकों से हम दोनों को अलग ही मजा आ रहा था। 40-45 झटकों के बाद वो झड़ने लगी तो उसने मुझे बहुत जोर से पकड़ लिया और अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगी। पर मेरा अभी झड़ा नहीं था तो मैंने उसकी चूत से लंड नही निकाला और तेज-तेज करने लगा। फिर 10-12 झटकों के बाद मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसको चूमता रहा।
इस तरह हमने पूरी रात तीन बार चुदाई की।
जब मैंने अपने मोबाईल में समय देखा तो उस वक़्त 5.30 हो रहे थे यानि सुबह हो गई थी और हम लोग बैंगलोर पहुँचने ही वाले थे।
मैंने उसे कहा- चलो, अब कपड़े पहन लो ! अब हमर अलग होने का समय आ गया है !
फिर हम दोनों बैंगलोर के स्टेशन पर उतर गए! जब मैंने उसकी आँखों में देखा तो एक अजीब सी कशिश उसकी आँखों में थी और साथ में आंसू भी !
फिर हम दोनों स्टेशन से बाहर आये और चाय पीने बैठ गए।
उसने अपना मोबाईल निकल कर चालू किया और अपने भाई को फोन लगाया और कहा- मेरी ट्रेन अभी लगभग एक घंटा देरी से चल रही है और मैं अपनी एक सहेली के साथ हूँ जो मुझे ट्रेन में ही मिली है, वो ऑस्ट्रेलिया में रहती है तो मैं दो दिन उसी के साथ में रहूँगी, फिर घर आऊँगी।
तो उसके भाई ने उसे इजाजत दे दी।
उसके बाद क्या हुआ हम दोनों कहाँ गए, उसने किस सहेली के बारे में बात की, वो में आपको अगली कहानी में बताऊंगा !
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी???

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