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सोमवार, 20 मई 2013

बुआ की तंग चूत-2

हाय.... क्या स्वाद था।

बुआ मस्ती के मारे सीत्कारने लगी। उसकी आहें कमरे में गूंजने लगी- आह्हह्ह आह्ह्ह राज मैं मर जाउंगी राज आह्हह्ह.....

मैं चुपचाप बुआ की गोरी गोरी चूचियों का मजा ले रहा था। बुआ ने आहें भरते भरते हाथ नीचे ले जाकर लंड को पकड़ कर मसल दिया। मैं इस हमले के लिए तैयार नहीं था सो कसमसा उठा। लंड अकड़ा हुआ था सो थोड़ा दर्द भी हुआ पर मजा भी बहुत आया- बुआ, इसे बाहर निकाल लो ना !

बुआ कुछ नहीं बोली, बस पजामे का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया। फिर मुझे अपने ऊपर से थोड़ा उठाया और मेरा पजामा अंडरवियर सहित नीचे खींच दिया। मेरे लंड महाराज पूरे शबाब पर थे। एकदम सर उठाये अकड़ कर खड़े थे।

बुआ ने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया और बोली- राज..... हाय.......कितना बड़ा है तुम्हारा !

मेरा लंड अपनी तारीफ़ सुन कर और ज्यादा अकड़ गया और किसी नटखट बच्चे की तरह ठुनकने लगा। बुआ अपने कोमल कोमल हाथों से लंड को सहलाने लगी।

मैंने पूछा- चूसोगी?

बुआ ने मना कर दिया |फिर ना जाने क्या मन किया कि झट से लंड को पकड़ कर मुँह में ले लिया और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मेरे लिए तो ये एक बिल्कुल नया अनुभव था। बुआ बहुत मस्त चूस रही थी। लंड तो पहले ही फटने को हो रहा था। मैं ज्यादा रोक नहीं कर पाया और बुआ के मुँह में ही झड़ गया। बुआ ने शायद पहले कभी लंड का पानी नहीं चखा था तभी तो बुआ को थोड़ी उबकाई सी आईमैं एक बार ठंडा हो चुका था पर मेरे सामने जो आग पड़ी थी उसे देखते ही बदन का खून फिर से गर्म होने लगा।

अब मैंने बुआ की साड़ी उतारनी शुरू कर दी और अगले ही पल बुआ सिर्फ पेटीकोट में मेरे सामने पड़ी थी। मैंने बुआ के पाँव चूमने शुरू किये और बुआ के केले के तने जैसी टांगो पर हाथ फेरते हुए पेटीकोट को उठाते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। बुआ की गोरी गोरी टांगों पर हाथ फेरते हुए मैं उन्हें चूमता भी जा रहा था। मेरे होंठो के छुअन से बुआ मस्ती में भर गई थे और बेचैन होती जा रही थी। कुछ ही देर बाद बुआ की गोरी-गोरी जांघे दिखने लगी। मैं चूमता जा रहा था और बुआ सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी। अब मुझे पेंटी में कसी बुआ की चूत नजर आने लगी थी। बुआ मस्त हो गई थी और पूरी पेंटी गीली हो चुकी थी बुआ की चूत के पानी से।
मैंने अपना हाथ जैसे ही बुआ की चूत पर रखा, बुआ सीत्कार उठी। शायद बुआ उत्तेजना के कारण झड़ गई थी क्योंकि इस सीत्कार के साथ ही पेंटी और भी गीली हो गई थी। मैंने बुआ की गीली पेंटी को उतार दिया। बुआ की लाल-लाल चूत अब बिलकुल नंगी मेरी आँखों के सामने थी। मैंने बुआ की गीली पेंटी को सूंघा। क्या मादक खुशबू थी यार। लंड अकड़ कर लट्ठ जैसा हो गया था। इस खुशबू ने मुझे दीवाना बना दिया था। मैंने पेंटी एक तरफ़ कर अपने होंठ बुआ की चूत की पुतियों पर रख दिए। बुआ की चूत बहुत पानी छोड़ रही थी। मैं जीभ से उस अमृत को चाटने लगा। मैंने भी पहले कभी चूत का स्वाद नहीं चखा था। पर मुझे बुआ की चूत का कसैला और नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगा और मैं मस्त हो कर चाटने लगा था।बुआ बुरी तरह से सीत्कार रही थी। अब मैंने बुआ का पेटीकोट भी उतार कर एक तरफ़ रख दिया। बुआ अब बिलकुल नंगी थी। मेरे शरीर पर भी सिर्फ बनियान थी जो बुआ ने उतार फेंकी। अब हम दोनों जन्मजात नंगे थे। लंड तो पहले से ही लोहे की छड़ की तरह से हो चुका था। बुआ भी पूरी मदहोश थी।

"अब नहीं रहा जाता राज.... जल्दी से कुछ कर ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी !"

"क्या करूँ बुआ ? खुल कर बोलो ना !"

"क्या बोलू बेशर्म.. क्यों तड़पा रहा है ? चोद मुझे... अब बर्दाश्त नहीं होता..मेरा पहली बार था तो मैं भी जल्दी से लंड चूत में डालने के लिए मरा जा रहा था। मैंने लंड बुआ की चूत के मुँह पर रखा तो ऐसा लगा जैसे किसी भट्टी के मुँह पर रख दिया हो। बुआ की चूत बहुत गर्म थी। चूत बिल्कुल उबल रही थी। मैंने लंड को ठीक से सेट किया और एक जोरदार धक्का लगा दिया। चूत बहुत तंग थी सुपारा बुआ की चूत में उतर गया था। बुआ एक दम से कसमसा उठी दर्द के मारे।

मुझे हैरानी हुई कि बुआ की शादी तो दो साल पहले हो चुकी थी यानी बुआ पिछले दो साल से चुदवा रही थी पर फिर भी बुआ को मेरा लंड लेने में तकलीफ हो रही थी। चूत इतनी कसी थी कि लगता ही नहीं था कि इस चूत ने लंड का स्वाद चखा होगा। इसी हैरानी में मैंने एक और जोरदार धक्का लगा दिया। आधा लंड बुआ की पनियाई हुई चूत में घुस गया। बुआ दर्द के मारे छटपटाने लगी। लंड तो मेरा भी कम नहीं था पर बुआ तो पिछले दो साल से चुदवा रही थी। खैर अगले दो धक्कों में पूरा लंड बुआ की चूत में घुस गया था। बुआ की झांटें और मेरी झांटें अब संगम कर रही थी। लंड जड़ तक घुस चुका था। बुआ की आँखों में आंसू आ गए थे।

मैंने पूछा- बुआ, दर्द हो रहा है क्या ?

"नहीं रे.. तू अपना काम करता रह, मेरे आंसू मत देख..."मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। बुआ की चूत बहुत तंग थी। लंड पूरा रगड़ रगड़ कर जा रहा था चूत में। बुआ धीरे धीरे मस्त होती जा रही थी। दर्द की शिकन जो कुछ देर पहले बुआ के चेहरे पर थी वो अब खत्म हो चुकी थी। बुआ ने अब अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देना शुरू कर दिया था। मैं भी गाँव का जवान पट्ठा था। पूरे जोश के साथ बुआ की चूत का बाजा बजा रहा था। अब तो बुआ भी मस्त हो चुदा रही थी। हम दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं बोल रहे थे बस दोनों के मुँह से सीत्कारें निकल रही थी।

करीब दस मिनट के बाद बुआ का शरीर अकड़ने लगा और बुआ लगभग चिल्ला उठी= आह्हह्ह.........राज....जोर से चोद मेरे राजा....... हाय बहुत प्यासी है रे तेरी बुआ की चूत....आह्ह...मार धक्के मेरे राज मैं तो गय्ईईईई अआहह्ह ग्ईईईई मैं तो आह्ह्ह... जोर से कर और जोर से आह्ह आह जोररर से आहह...

और बुआ झड़ गई और ढेर सारा पानी बुआ की चूत से निकल कर मेरे लंड के बराबर में से बाहर निकलने लगा। मेरा अभी नहीं हुआ था तो मैं अब भी जोरदार धक्को के साथ बुआ की चूत को पेल रहा था। दो मिनट के बाद ही बुआ फिर से गांड उछाल उछाल कर लंड लेने लगी। कमरे में अब फचा फच…. फचा फच… की आवाज गूंज रही थी। लंड मस्त गति से बुआ की चूत के अंदर आ जा रहा था।आधे घंटे की मस्त चुदाई के बाद मेरा लंड भी फटने को तैयार था और बुआ की चूत भी दूसरी बार फव्वारा छोड़ने को तैयार थी। मेरे मुँह से भी अब मस्ती भरी आवाजें निकल रही थी बिल्कुल शेर के गुर्राने जैसी। बुआ भी और जोर से और जोर से चिल्लाने लगी थी। बुआ ने मुझे कस कर जकड़ लिया बुआ के नाख़ून मेरी कमर में गड़ गए थे। दोनों का शरीर बुरी तरह से अकड़ने लगा था। फिर मेरा लंड फ़ूट पड़ा और वीर्य की धार बुआ के चूत में छूट गई। मेरे गर्म वीर्य का गर्मी मिलते ही बुआ की चूत भी पिंघल गई और उसने पानी का दरिया चला दिया। बुआ झमाझम झड़ रही थी। कमरे में तूफ़ान सा आ गया था। हम दोनों ही पसीने पसीने हो चुके थे।बुआ एक बार फिर फफक पड़ी। मैंने अपने होंठों से बुआ की गालों पर आये आँसूओं को पीते हुए अपने होंठ बुआ के होंठों पर रख दिए। फिर तो एक प्यासी औरत और एक जवान लड़का दीन-दुनिया को भूल कर एक दूसरे में समाते चले गए। कब कपड़ों ने हम दोनों के शरीर को छोड़ दिया पता ही नहीं चला। कुछ देर के बाद ही हम दोनों बिलकुल नंगे एक दूसरे की बाहों में समाये हुए थे। फिर चूमा-चाटी का ऐसा दौर चला कि थोड़ी देर बाद ही मेरा लंड बुआ के मुँह में था और मेरा मुँह बुआ की चूत पर। लंड पूरा तन चुका था। मैंने बुआ को सीधा लेटाया और अपना मोटा लंड बुआ के गीली चूत पर रख दिया।

बुआ, जिसकी प्यास अब बुझने वाली थी, अपने चूतड़ एक दम से ऊपर उछाल कर मेरे लंड का स्वागत किया। जवाब में मैंने भी एक जोरदार धक्का लगा दिया। बुआ थोड़ी कसमसाई पर बोली कुछ नहीं क्यूंकि प्यासी तो वो भी थी। चूत बहुत तंग थी लंड पूरा फंस-फंस कर जा रहा था। मैंने धीरे धीरे पूरा लंड बुआ की चूत में घुसा दिया। फिर शुरू हुआ हल्के-हल्के धक्कों का दौर और फिर धीरे धीरे गति बढ़ती चली गई। बुआ चूत में होने वाले घर्षण से मस्त उठी और गांड उछाल-उछाल कर लंड अंदर लेने लगी। मस्त चुदाई हो रही थी। आधे घंटे के जबरदस्त चुदाई के दौरान बुआ तीन बार झड़ गई थी। फिर मैंने भी अपना सारा माल बुआ की मस्त चूत में डाल दिया।

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