यार, मुझे जितना मज़ा खुद चुदवाने में आता है उतना ही मज़ा अपने हसबैंड को लड़कियां चोदते हुए देखने में आता है . इसलिए मैं खुद मौका पाते ही अपने हसबैंड का लण्ड अपनी सहेलियों को पकड़ा देती हूँ . इस तरह अब मेरी कोई भी ऐसी दोस्त नहीं है जिसने मेरे हसबैंड का लण्ड पकड़ा न हो ? और जब लण्ड पकड़ लिया तो फिर चुदवाना जरुरी हो जाता है . मेरी सभी दोस्त मेरे सामने ही मेरे हसबैंड से खूब मस्ती से चुदवाती है . मैं भी उस चुदाई में शामिल होती हूँ और खूब मज़ा लेती हूँ .
दोस्तों, ये सब आपको अजूबा लग रहा होगा परन्तु यह सच है . वास्तव में मुझे खुद लडको से चुदवाने का बहुत बड़ा शौक है जिसे मैं शादी के बाद भी छोड़ न सकी . मैं शादी के बाद कुछ दिन तक तो यही सोचती रही की क्या किया जाये ? कैसे अपने शौक को बरकरार रखा जाए ? तब मुझे एक उपाय सूझा . मैं सोचने लगी अगर मेरा हसबैंड लौडियां चोदने लगे तो फिर मैं भी निडर होकर दूसरे लडको से चुदवा सकती हूँ . बस मैं यह आदत अपने हसबैंड में डालना चाहती थी . मैं कामयाब भी हो गयी . पहले मैंने अपनी दो तीन सहेलियों को लालच देकर उसका लण्ड पकड़ाने का सिलसिला चालू किया .सबसे अच्छी बात यह है की मेरे हसबैंड का लण्ड बड़ा है और मोटा भी है . ८" से ज्यादा लम्बा है और ५ १/२ " से ज्यादा मोटा है . जो लड़की एक बार लण्ड पकड़ लेती है वह बार बार पकड़ने आती है और फिर चुदवा कर ही जाती है . मेरे हसबैंड को मज़ा आने लगा . फिर धीरे धीरे मैंने उसके अन्दर लड़कियां चोदने की आदत डालने लगी . अब आलम यह है की मेरा हसबैंड मुझे नहीं बल्कि कॉलेज की लड़कियां मेरे सामने ही चोदता है . मैं इस बात का खूब फायदा उठाती हूँ और मैं भी उसके सामने ही लड़कों से जम कर चुदवाती हूँ . मेरा घर बहन चोद चुदाई खाना बन गया है . एक तरफ मेरा हसबैंड लड़कियां चोदता रहता है और दूसरी तरफ मैं लडको से चुदवाती रहती हूँ . बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे अपनी सेक्स लाईफ का ?
मैं हूँ मिसेज रीतिका खन्ना और मेरे हसबैंड है राजेश . मैं एक डिग्री कॉलेज में टीचर हूँ और मेरे हसबैंड भी टीचर है लेकिन दूसरे कॉलेज में . इसलिए हमारे पास न लडको की कमी है और न लड़कियों की ? मैं जब स्टूडेंट थी तो अपनी टीचरों ने काफी नजदीक थी यहाँ तक की २/३ टीचरों के लण्ड पकडती थी . उनका मुठ्ठ मारती थी और मजे से लण्ड पीती थी . कभी कभी मस्ती में आकर चुदवा भी लेती थी . तभी से मुझे चुदवाने की आदत पड़ गयी . एक लण्ड से चुद्वाती तो दूसरे लण्ड याद आती थी . दूसरे से चुदवाती तो तीसरे लण्ड की याद आती थी . इसी तरह मुझे तरह तरह के लण्ड पकड़ने की आदत पड़ गयी और अदल बदल कर लण्ड बुर में लेने की आदत पड़ गयी . मैं हमेशा अपनी पर्श में कंडोम रखती थी और आज भी रखती हूँ . क्योंकि लण्ड और मौत का कोई भरोषा नहीं कब आ जाये ? शादी के बाद यह सिलसिला कुछ समय के लिए रुक गया और मैं छटपटाने लगी .
दोस्तों, ये सब आपको अजूबा लग रहा होगा परन्तु यह सच है . वास्तव में मुझे खुद लडको से चुदवाने का बहुत बड़ा शौक है जिसे मैं शादी के बाद भी छोड़ न सकी . मैं शादी के बाद कुछ दिन तक तो यही सोचती रही की क्या किया जाये ? कैसे अपने शौक को बरकरार रखा जाए ? तब मुझे एक उपाय सूझा . मैं सोचने लगी अगर मेरा हसबैंड लौडियां चोदने लगे तो फिर मैं भी निडर होकर दूसरे लडको से चुदवा सकती हूँ . बस मैं यह आदत अपने हसबैंड में डालना चाहती थी . मैं कामयाब भी हो गयी . पहले मैंने अपनी दो तीन सहेलियों को लालच देकर उसका लण्ड पकड़ाने का सिलसिला चालू किया .सबसे अच्छी बात यह है की मेरे हसबैंड का लण्ड बड़ा है और मोटा भी है . ८" से ज्यादा लम्बा है और ५ १/२ " से ज्यादा मोटा है . जो लड़की एक बार लण्ड पकड़ लेती है वह बार बार पकड़ने आती है और फिर चुदवा कर ही जाती है . मेरे हसबैंड को मज़ा आने लगा . फिर धीरे धीरे मैंने उसके अन्दर लड़कियां चोदने की आदत डालने लगी . अब आलम यह है की मेरा हसबैंड मुझे नहीं बल्कि कॉलेज की लड़कियां मेरे सामने ही चोदता है . मैं इस बात का खूब फायदा उठाती हूँ और मैं भी उसके सामने ही लड़कों से जम कर चुदवाती हूँ . मेरा घर बहन चोद चुदाई खाना बन गया है . एक तरफ मेरा हसबैंड लड़कियां चोदता रहता है और दूसरी तरफ मैं लडको से चुदवाती रहती हूँ . बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे अपनी सेक्स लाईफ का ?
मैं हूँ मिसेज रीतिका खन्ना और मेरे हसबैंड है राजेश . मैं एक डिग्री कॉलेज में टीचर हूँ और मेरे हसबैंड भी टीचर है लेकिन दूसरे कॉलेज में . इसलिए हमारे पास न लडको की कमी है और न लड़कियों की ? मैं जब स्टूडेंट थी तो अपनी टीचरों ने काफी नजदीक थी यहाँ तक की २/३ टीचरों के लण्ड पकडती थी . उनका मुठ्ठ मारती थी और मजे से लण्ड पीती थी . कभी कभी मस्ती में आकर चुदवा भी लेती थी . तभी से मुझे चुदवाने की आदत पड़ गयी . एक लण्ड से चुद्वाती तो दूसरे लण्ड याद आती थी . दूसरे से चुदवाती तो तीसरे लण्ड की याद आती थी . इसी तरह मुझे तरह तरह के लण्ड पकड़ने की आदत पड़ गयी और अदल बदल कर लण्ड बुर में लेने की आदत पड़ गयी . मैं हमेशा अपनी पर्श में कंडोम रखती थी और आज भी रखती हूँ . क्योंकि लण्ड और मौत का कोई भरोषा नहीं कब आ जाये ? शादी के बाद यह सिलसिला कुछ समय के लिए रुक गया और मैं छटपटाने लगी .
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