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शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

खेत में -1

मैं उत्तर भारत में एक जमींदार परिवार का हूं. हमारी बहुत बड़ी खेती है. हमारे परिवार में सभी मर्द और औरतें अच्छे ऊंचे पूरे हैं. हमारे परिवार में मेरी मां, मामाजी, मैं और मेरी छोटी बहन प्रीति है. पिताजी बचपन में ही गुजर गये थे, तब से हम लोग मामाजी के साथ रहते हैं. मामाजी भी अकेले हैं, शादी नहीं की. 

घर के काम के अलावा मेरी मां खेतों में भी काम करती है इसलिये उसका शरीर बड़ा तंदुरुस्त और गठा हुआ है. उसका अच्छा कसा हुआ पेट है, लंबी लंबी मजबूत टांगें हैं और बड़े बड़े चौड़े कूल्हे हैं. मम्मे तो अच्छे भरावदार और मोटे हैं.

जब मैंने अम्मा के सजीले बदन को एक मर्द की निगाह से देखना शुरू किया तब मैं उन्नीस बरस का था. अपनी मां को मैं बहुत प्यार करता था और उसके रूप को अपनी जांघों और बांहों में भर लेना चाहता था. हमारा घर खेतों के बीच था और चारों ओर ऊंची दीवालें थीं जिससे कोई अंदर ना देख सके. इसलिये मां और प्रीति गरमी के मौसम में ज्यादा कपड़े पहने बिना ही घूमतीं थीं. बारीक कपड़े पहनकर दोनों बिना ब्रेसियर या जांघिये के ही रहती थीं.

मेरी अम्मा का शरीर काफ़ी मांसल और भरा पूरा है और वह बड़ी टाइट और बारीक कपड़े की सलवार कमीज़ पहनती है. जब मां गरमी में रसोई में बैठ कर खाना बनाती थी, तब मुझे मां के सामने बैठ कर उसकी ओर देखना बहुत अच्छा लगता था. अम्मा बिलकुल पतले टाइट पारदर्शक कपड़ों में चूल्हे के सामने बैठ जाती थी. गरमी से उसे जल्द ही खूब पसीना छूटने लगता था. मां की बड़ी बड़ी चूंचियां उसकी लो कट की कमीज के ऊपर उभर आतीं थीं. पसीने से भीगी कमीज में से उसके मांसल स्तन साफ़ दिखने लगते थे. 

मैं नजर गड़ा कर पसीने की बहती धारों को देखता था जो उसके गले से चूंचियों के बीच की गहरी खाई में बहने लगती थीं. अब तक पसीने से गीले बारीक कपड़े में से उसके उभरे हुए निपल भी दिखने लगते थे और मां के मतवाले उरोजों का पूरा दर्शन मुझे होने लगता था. पहले अम्मा मुझे इस गरमी में बैठने के लिये डांटती थी पर मैं उसे प्यार से कहता. "मम्मी जब आप इतनी गर्मी में बैठ सकती हैं हमारे लिये, तो मैं भी आपकी गर्मी में पूरा साथ दूंगा". 

मां इस बात पर मुस्कराकर बोलती "बेटा मैं तो गरम हो ही गई हूं, मेरे साथ तू भी गरम हो जायेगा". अब असली नाटक शुरू होता था. मां मेरी ओर बड़े प्यार से देखते हुए कहती "देख कितना पसीना आ गया है" और अपनी कमीज का किनारा उठाकर मुझे वह अपना पसीने से तरबतर थोड़ा फ़ूला हुआ नरम नरम पेट दिखाती. 

वह एक पटे पर पिशाब करने के अंदाज़ में अपनी जांघें खोल कर बैठती और फ़टाफ़ट चपाती बनाती जाती. मैं सीधा उसके सामने बैठ कर उसकी जांघों के बाच टक लगा कर देखता था. मेरी नजर खुद पर देख कर अम्मा अपना हाथ पीछे चूतड़ पर रखकर अपनी सलवार खींचती जिससे टाइट होकर वह सलवार उसकी मस्त फ़ूली फ़ुद्दी पर सट कर चिपक जाती. 

अम्मा की फ़ुद्दी कमेशा साफ़ रहती थी और झांटें न होने से सलवार उस चिकनी बुर पर ऐसी चिपकती थी कि फ़ुद्दी के बीच की गहरी लकीर साफ़ दिखती थी. उसके पेट से बह के पसीना जब फ़ुद्दी पर का कपड़ा गीला करता तो उस पारदर्शक कपड़े में से मुझे मां की बुर साफ़ दिखती. उसका खड़ा बाहर निकला क्लिटोरिस भी मुझे साफ़ दिखता और मैं नजर जमा कर सिर्फ़ वहीं देखता रहता.

अब तक मां की चूत में से चिपचिपा पानी निकलने लगता था और वह उत्तेजित हो जाती थी. बुर की महक से मेरा सिर घूमने लगता. हम दुहरे अर्थ की बातें करने लगते थे. मम्मी मेरी प्लेट पर एक चपाती रख कर पूछतीं "बेटा तेल लगा के दूं?". मैं कहता "मम्मी बिना तेल की ही ले लूंगा, तू दे तो". रात को यह बातें याद करके मैं बिस्तर में बैठ कर अपना लंड हाथ में लेकर मां के बारे में सोचता और उसकी चूत चोदने की कल्पना करते हुए मुठ्ठ मारता.अब मैं असली बात बताता हूं कि हमारा आपस का कामकर्म कैसे शुरू हुआ. मामाजी बीज खरीदने को बाहर गये थे, करीब एक हफ़्ते के लिये. वैसे पहले भी मामाजी ऐसे जाते थे पर इस बार पहली बार मैंने गौर किया कि एक दो दिन में ही मां छटपटाने सी लगी. गायें जैसी गरम हो कर करती हैं बस वैसा ही बर्ताव मां का हो गया. एक छोटे खेत की जुताई बची थी. सुबह मैंने मां से कहा "मम्मी मैं वह छोटा खेत जोत के आता हूं". मां बोली "बेटा, अभी तो बहुत गर्मी होती है, वहां कोई भी तो नहीं आता है, आज कल तो कोई भी खेतों में नहीं जाता है, पूरा वीराना होगा." 

मैंने उसके बोलने की तरफ़ ध्यान नहीं दिया और ट्रैक्टर तैयार करने लगा. जब मैं निकलने ही वाला था तो अम्मा ने पीछे से कहा "बेटा मैं दोपहर का खाना ले के आऊंगी". मैं बोला "ठीक है मम्मी पर देर मत करना". मैं फ़िर खेतों पर निकल गया. 

हमारे खेत बहुत बड़े हैं और उस दिन काफ़ी गर्मी थी. कोई भी वहां नहीं था. मैं जहां काम कर रहा था वहां चारों बाजू बाजरे की ऊंची फ़सल थी. मैंने काफ़ी देर काम किया और फ़िर बैठ कर सुस्ताने लगा. घड़ी में देखा तो दोपहर हो गयी थी. मुझे सहसा याद आया कि मां दोपहर का खाना लेकर आ रही होगी. मां का खयाल आते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा और रोंगटे खड़े हो गये. मैंने मस्ती से मचल कर धीरे से कहा "मां तेरी चूत." 

अपने मुंह से यह शब्द सुन कर मुझे इतना रोमांच हुआ कि मैंने अपना हाथ पैंट के ऊपर से ही अपने लंड पर रखा और जोर से बोला " मम्मी आज खेत में चुदवा ले अपने बेटे से." अब मैं और उत्तेजित हो उठा था और चिल्लाया "मां आज चूत ले के आ मेरे पास देख मम्मी आज तेरा बेटा हाथ में लंड ले के बैठा है". अब मैं पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और ऐसे गंदे शब्द अपनी मां के लिये बोल कर अपने आप को और जम के गरम कर रहा था. 

अपनी मां की चूत की कल्पना कर कर के मैं पागल हुआ जा रहा था. मेरा लंड तन्नाकर पूरी तरह से खड़ा हो गया था. सुनसान जगह का फ़ायदा लेकर मैं जोर जोर से खुद से बातें करता हुआ अपनी मां की चूत की सुंदरता का बखान करने लगा. पांच दस मिनट ही गुजरे होंगे कि मुझे दूर से अपनी मां आती दिखायी दी. उसके हाथ में खाने का डिब्बा था. मैंने ट्रैक्टर चालू किया और फ़िर काम करने लगा.

कुछ देर बाद मां मेरे पास पहुंची और ट्रैक्टर की आवाज के ऊपर चिल्लाकर मुझे उतरने को कहा. मैंने ट्रैक्टर बंद किया और उसकी ओर बढ़ा. मन में मां के प्रति उठ रहे गंदे विचारों के कारण मुझे उससे आंखें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. मां ने खेत के बीच के पेड़ की ओर इशारा किया और हम चल कर वहां पहुंचे. वहां पहुंच कर मां बोली "बेटा तू कितना गरम हो गया है. देख कैसा पसीना आ गया है. ला मैं तेरा पसीना पोंछ दूं." 

मेरे पास आ कर उसने प्यार से मेरा पसीना पोंछा. फ़िर हम खाने बैठे. मैं तो मां की तरफ़ ज्यादा नहीं देख पा रहा था पर वह नजर जमा कर मेरी ओर देख रही थी. खाने के बाद मैंने हाथ धोए और फ़िर ट्रैक्टर की ओर चला, इतने में मां पीछे से बोली. "बेटा एक ज़रूरी बात करनी है " मैं वापस आ कर उसके पास बैठ गया. मां काफ़ी परेशान दिख रही थी. 

सहसा वह बोली "बेटा बाजरा बड़ा हो गया है कोई चोरी तो नहीं करता." मैं बोला "नहीं मम्मी अब कौन लेगा इसे." मम्मी बोली "नहीं कोई भी चोरी कर सकता है तू देख आस पास कोई है तो नहीं. ऐसा कर तू पेड़ पे चढ़ जा और सब तरफ़ देख़ " मैंने पेड़ पर चढ़ कर सब तरफ़ देखा और उतर के बोला "मम्मी आस पास तो कोई भी नहीं है, हम दोनों बिल्कुल अकेले हैं. दूर तक कोई नहीं दिखता" 

मां ने मेरी आंखों से नजर भिड़ा कर पूछा " हम दोनों अकेले हैं क्या?" मैंने सिर हिलाकर हामी भरी तो वह बोली "तू मुझे बाजरे के खेत में ले चल" मैं खेत की सबसे घनी और ऊंची जगह की ओर चल दिया, अम्मा मेरे पीछे पीछे आ रही थी. जैसे ही हम खेत में घुसे, हम पूरी तरह से बाहर वालों की नजरों से छिप गये, अगर कोई देख भी रहा होता तो कुछ न देख पाता. 

मैंने मां का हाथ पकड़ा और उसे खींच कर और गहरे ले जाने लगा. अम्मा धीरे से मेरे कान में बोली "बेटा कोई देखेगा तो नहीं हमें यहां." मैं एक जगह रुक गया और उसकी ओर मुड़ कर बोली "यहां कौन देखेगा हमें, देखना तो दूर कोई हमारी आवाज़ भी नहीं सुन सकेगा". 

मैं मां की ओर देखकर बोला "मम्मी मेरे साथ गंदा काम करेगी?" फ़िर और पास जा कर बोला "मा चल गंदी गंदी बात कर ना?" मां मेरी ओर देख कर बोली "अच्छा, तू अब मुझे गन्दी औरत बनने को बोल" मैं अब उत्तेजित हो रहा था और मेरा लंड फ़िर खड़ा होने लगा था. मैंने इधर उधर देखा, हम लोग बिलकुल अकेले थे.मैं फ़िर बोला. "मम्मी मैं आदमी वाला काम करूंगा तेरे साथ." मां मेरी ओर देख कर बोली. "हाय मेरे साथ गंदी बात कर रहा है तू." मैंने उसकी ओर देख कर कहा "चल अब अपने कपड़े उतार के नंगी हो जा." मां का चेहरा इस पर लज्जा से लाल हो गया और वह शर्माकर बोली "नहीं पहले तू अपना लंड दिखा". 

मैंने अपनी ज़िप खोली और फ़िर अपनी अंडरवियर निकाली. अंदर हाथ डाल कर मैंने अपना लंबा तगड़ा लंड बाहर निकाला और अम्मा के हाथ पकड़कर उंगलियां खोल कर उनमें थमा दिया "ले मेरा लंड पकड़" मेरे ही लंड पर मेरी खुद की मां के नरम हाथों का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था. मैंने अब धीरे धीरे अम्मा के कपड़े उतारना शुरू कर दिये. उसकी कमीज़ के दोनों छोर पकड़ कर मैंने ऊपर खींचे और उसने भी दोनों हाथों को उठाकर मुझे कमीज़ निकाल लेने दी. 

अब वह मेरे सामने सिर्फ़ ब्रेसियर और सलवार में खड़ी थी. मैंने उसकी सलवार की नाड़ी खींच दी और सलवार को खींच कर उसके पैरों में नीचे उतार दिया. मां ने पैर उठा कर सलवार पूरी तरह से निकाल दी. अब मेरी मां सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में मेरा लंड पकड़ कर मेरे सामने खड़ी थी. मैंने उसका चुंबन लेते हुए अपने हाथ उसके नंगे कंधों पर रख कर कहा "अम्मा, तुझे नंगी कर दूं? " मां कुछ न बोली पर मेरे लंड को प्यार से दबाती और सहलाती रही जो अब खड़ा होकर खूब बड़ा और मोटा हो गया था.

मैने मां को बांहों में लिया और उसकी ब्रा के हुक खोल दिये. ब्रा नीचे गिर पड़ी और मां के खूबसूरत मोटे स्तन मेरे सामने नंगे हो गये. मां ने तुरंत शरमा कर मुझे पास खींच लिया जिससे उसकी चूंचियां न दिखें. यह देखकर मैंने उसके कान में शरारत से कहा " मां, अपने बेटे को चूंची दिखाने में इतना शरमा रही है तो तू अपनी चूत कैसे खोलेगी मेरे सामने?" मम्मी अब बोली " चल अब ज्यादा बातें मत कर, मेरे साथ काम कर" 

मुझे अब बड़ा मजा आ रहा था और मां की शरम कम करने को मैं उससे और गंदी गंदी बातें करने लगा. मैंने दबी आवाज में पूछा "मरवाएगी?" मां बोली "इतनी दूर से मरवाने के लिये ही तो आई हूं, बाजरे के खेत में नंगी खड़ी हूं तेरे सामने और तू पूछ रहा है कि मरवाएगी?" मैंने उसे और चिढ़ाते हुए पूछा "कच्छी उतार दूं क्या" 

मां अब तक मेरे धीरे धीरे सताने वाले बर्ताव से चिढ़ गयी थी. वह मुझे अलग कर के पीछे सरकी, एक झटके में अपनी पैंटी उतार के फ़ेक दी, अपने कपड़ों को नीचे बिछाया और उन पर लेट गयी. अपने घुटने मोड़ कर अपनी जांघें उसने फ़ैलायीं और अपनी चूत को मेरे सामने खोल कर बोली "और कुछ खोलूं क्या? अब जल्दी से अपना लंड डाल!"

मैंने अपने कपड़े उतारे और मां की टांगों के बीच घुटने टेक कर बैठ गया. मेरी मां अपनी नजरें गड़ा कर मेरे मस्त तन्नाये हुए लंड को देख रही थी. मैंने हाथ में लौड़ा लिया और धीरे से चमड़ी पीछे खींची. लाल लाल सूजे हुए सुपाड़े को देख कर मां की जांघें अपने आप और फ़ैल गयीं. हम दोनों अब असहनीय वासना के शिकार हो चुके थे. 

मम्मी भर्रायी आवाज में बोली "अब देर मत कर बेटे, अपना लंड मेरे अन्दर कर दे जल्दी से". मैंने लंड पकड़ कर सुपाड़ा मां की चूत के द्वार पर रखा. फ़िर उसके घुटने पकड़ कर उसकी जांघें और फ़ैलाते हुए आंखों में आंखें डाल कर पूछा "चोद दूं तुझे?" 

मां का पूरा शरीर मस्ती से कांप रहा था. उसने अपना सिर हिला कर मूक जवाब दिया ’हां’, मैंने घुटनों पर बैठे बैठे झुक कर एक धक्का दिया और लंड को उसकी बुर में घुसेड़ दिया. जैसे ही मोटा ताजा सुपाड़ा उसकी गीली बुर में घुसा, मम्मी की चूत के पपोटे पूरे तन कर चौड़े हो गये. मां सिसक कर बोली "आ बेटे मेरे ऊपर चढ़ जा." यह सुनकर लंड को वैसा ही घुसाये हुए मैं आगे झुका और अपनी कोहनियां उसकी छाती के दोनों ओर टेक दीं. फ़िर अपने दोनों हाथों में मैंने अम्मा की चूंचियां पकड़ लीं. 

हम दोनों अब एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देख रहे थे. मैंने अब एक कस कर धक्का दिया और मेरा पूरा लंड मां की चूत की गहराई में समा गया. लंबी प्रतीक्षा और चाहत के बाद लंड घुसेड़ने का काम आखिर खत्म हुआ और हमारा ध्यान अब चुदाई के असली काम पर गया. मैं मां को चोदने लगा. हम दोनों वासना में डूबे हुए थे और एक दूसरे की कामपीड़ा को समझते हुए पूरे जोर से एक दूसरे को भोगने में लग गये. 

मां की मतवाली चूत बुरी तरह से चू रही थी और मेरा लंड उसकी बुर के रस से पूरी तरह चिकना और चिपचिपा हो गया था. मैं पूरे जोर से धक्के मार मार कर मम्मी को चोद रहा था. अपनी मां को चोदते हुए मुझे जो सुख मिल रहा था वह अवर्णनीय है. मैंने उसके गुदाज बड़े बड़े स्तन अपने पंजों में जकड़ रखे थे और उसकी आंखों में देखते हुए लंबे लंबे झटकों के साथ उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था.

अम्मा का चेहरा अब कामवासना से तमतमा कर लाल हो गया था और गर्मी से पसीने की बूंदें उसके होंठों पर चमकने लगी थीं. अब जैसे मैं लंड उसकी चूत में जड़ तक अंदर घुसेड़ता, वह जवाब में अपने चूतड़ उचका कर उल्टा धक्का मारती और अपनी चूत को मेरी झांटों पर दबा देती. मैंने उसकी आंखों में झांका तो उसने नजर फ़ेर ली और बुदबुदायी, "अब तू बच्चा नहीं रहा, तू तो पूरा आदमी हो गया है." मैंने पूछा "मां, तू चुद तो रही है ना अच्छी तरह?" मां कुछ न बोली, बस चूतड़ उचका उचका कर चुदाती रही.

उस दोपहर मैंने अपनी मां को अच्छा घंटे भर चोदा और चोद चोद कर उसकी चूत को ढीला कर दिया. आखिर पूरी तरह तृप्त होकर और झड़ कर जब मैं उसके बदन पर से उतरा तो मेरा झड़ा लंड पुच्च से उसकी गीली चिपचिपी बुर से निकल आया. अम्मा चुद कर जांघें फ़ैला कर अपनी अपनी चुदी बुर दिखाते हुए हांफ़ते हुए पड़ी थी.वह धीरे से उठी और कपड़े पहनने लगी. मैंने भी उठ कर अपने कपड़े पहन लिये. हम खेतों के बाहर आ कर ट्रैक्टर तक आये और अम्मा बर्तन उठाने में लग गयी. बरतन जमाते जमाते बोली "रात को मेरे कमरे में एक बार आ जाना." मैंने पूछा "मां रात को फिर चूत मरवाएगी?" मां ने जवाब नहीं दिया, बोली "प्रीति को तो तू चोदता होगा?" 

प्रीति मेरी छोटी बहन है, मुझसे एक साल छोटी है. मैंने आंखें नीची कर लीं. मम्मी बोली "ठीक से बता ना. बहन को तो बहुत लोग चोदते हैं." 

मैं धीमी आवाज में बोला " नहीं मम्मी अभी तक तो नहीं" 

मां मेरे पास आकर बोली "बेटे, अपनी बहन को नहीं चोदा तूने आज तक? बहन को तो सबसे पहले चोदना चाहिये, बेटे, भाई का लंड सबसे पहले बहन की चूत खोलता है. बेटे पता है? गांव में जितने भी घर हैं, सब घरों में भाई बहनों की चूत नंगी कर के उनमें लंड देते हैं." मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि मेरी मां खुद मुझे अपनी बहन को चोदने को कह रही थी.

"मुझे ही देख, तेरे मामाजी रोज चोदते हैं मुझे, दो दिन नहीं चुदी तो क्या हालत हो गयी मेरी. प्रीति को मत सता, चोद डाल एक बार" मां ने फ़िर कहा.

मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ. हमारे गांव की यह प्रथा ही है. मामाजी को शादी की जरूरत क्यों नहीं पड़ी ये मुझे मालूम था.

बर्तन जमा कर के मां घर की ओर चल पड़ी. चुद कर उसके चलने का ढंग ही बदल ही गया था, थोड़े पैर फ़ैला कर वह चल रही थी. पीछे से उसकी चाल देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं तेज चलने लगा कि उसके कानों में कुछ गंदी गंदी बातें कहूं. 

तभी मैंने हमारी नौकरानी पारो को हमारी ओर आते देखा. वह हमारे यहां कई सालों से काम कर रही थी और मम्मी के बहुत नजदीक थी. मुझे लगता है मम्मी उससे कुछ भी छुपाती नहीं थी. उसके कई पुरखों से वहां की औरतें हमारे यहां काम करती थीं. करीब करीब वह मां की ही उम्र की थी. मां की ओर वह बड़ी पैनी निगाह से देख रही थी. 

पास आने पर उसने मां से पूछा "क्यों मालकिन, छोटे मालिक को खाना खिला कर आ रही हैं?" मां ने हां कहा. वे दोनों साथ साथ चलने लगीं. मैं अब भी उनकी आवाज सुन सकता था. पारो सहसा मां की तरफ़ झुकी और नीचे स्वर में कहा "मालकिन आपकी चाल बदली हुई है." मां ने धीरे से उसे डांटकर कहा "चुप चाप नहीं चल सकती है क्या". 

पारो कुछ देर तो चुप रही और फ़िर बड़ी उत्सुकता से सहेली की तरह मां को पूछा "मालकिन आप खेत में मरवा के आ रही हो?" 

मां ने उसे अनसुना कर आगे जाने के लिये कदम बढ़ाये पर पारो कहां मां को छोड़ने वाली थी. मां ने उससे आंखें चुराते हुए कहा "अच्छा अब छोड़ बाद में बात करेंगे" पारो ने मां के कंधों को पकड़कर बड़ी उत्सुकता से पूछा "मालकिन किसका लंड है कि आपकी चाल बदल गई है". 

मां ने उसे चुप कराने की कोशिश की. "क्या बेकार की बात करती है, चल हट." पर मां के चेहरे ने सारी पोल खोल दी. अचानक पारो ने मुड़ कर एक बार मेरी तरफ़ देखा और फिर उसका चेहरा आश्चर्य और एक कामुक उत्तेजना से खिल उठा और उसने धीमी आवाज में मां से पूछा "हाय मालकिन आखिर आपने बेटे का ले लिया?" 

मां ने बड़ी मस्ती से मुस्करा कर उसकी ओर देखा. नौकरानी खुशी से हंस पड़ी और मां को लिपट कर उसके कान में फ़ुसुफ़ुसाने लगी "मालकिन मैं कहती थी ना कि बेटे का लो तभी सुख मिलता है." फ़िर मां के चूतड़ प्यार से सहलाते हुए उसने कहा "लगता है पूरी फ़ुकला कर दी है. मालकिन मैं कहती थी ना, अपने बेटे को चूत दे दो तो चूत का भोसड़ा बना देते हैं" 

मां ने पहली बार माना कि वह खेत में मरवा कर आई है "मेरा तो पूरा भोसड़ा हो गया है री." फ़िर उत्तेजित होकर उसने पारो के कानों में कहा "हाय पारो मैं भी अब भोसड़ी वाली हो गई हूं." दोनों अब बड़ी मस्ती में बातें कर रही थीं "मालकिन अब तो तुम रोज रात बेटे के कमरे में अपना भोसड़ा ले के जाओगी" मां ने उसे डांटा "साली अपने बेटे से तू गांड भी मरवाती है और मुझे बोल रही है." 

पारो ने जवाब दिया "मालकिन मैं तो एक बेटे का गांड में लेती हूं और दूसरे का चूत में और फिर रात भर दोनों बेटों से चुदवाती हूं" फ़िर उसने कहा "मालकिन छोटे मालिक का लंड कैसा है?" मेरी मां ने कहा "चल खेत में चल के बोलते हैं, मेरी फिर चू रही है." 

मैं समझ गया कि मां भी पारो के साथ गंदी गंदी बातें करना चाहती है. दोनों औरतें खेत में चली गईं. मैं उनके पास था, पर खेत की मेड़ के पीछे छिपा हुआ था. मां और पारो एक दूसरे के सामने खड़ी थीं. पारो मां को उकसा रही थी कि गंदा बोले.मां ने आखिर उसकी आंखों में आंखें डाल कर कहा "हाय मेरा भोसड़ा, देख पारो मेरे बेटे ने आज मेरा भोसड़ा मार दिया, हाय मेरे प्यारे बच्चे ने आज मार मार के मेरी फ़ुद्दी का भोसड़ा बना दिया. पारो, मेरे बेटे ने चोद दी मेरी. मेरा भाई तो रोज चोदता है, आज बेटे ने चोद दिया पारो" पारो अम्मा को और बातें बताने को उकसा रही थी "मालकिन आप अपने बेटे के सामने नंगी हो के लेटी थी? मालकिन जब आपके बेटे ने अपना लंड पकड़ के आपको दिखाया था तो आप शरमा गई थी क्या? भाई से तो आप मस्त होकर चुदाती हो" 

पारो अब मां को विस्तार से मुझसे चुदने का किस्सा सुनाने की जिद कर रही थी. मां बोली "पारो मेरी चूत चू रही है, पारो कुछ कर." पारो बोली "मालकिन छोटे मालिक को कहूं? वो अपना लौड़ा निकाल के आ जायें और अपनी मां की चूत में डाल दें". मां बोली "हाय पारो उसको बुला के ला, मुझे उसका मोटा लंड चाहिये." 

मैं यह सुनकर मेड़ के पीछे से निकल कर उनके सामने आ कर खड़ा हो गया. दोनों मुझे देख कर सकते में आ गयीं. मैंने उन्हें कहा कि मैंने उनकी सारी बातें सुन ली हैं और मैं फ़िर से मां को चोदना चाहता हूं.

मां थोड़ी आनाकानी कर रही थी कि कोई देख न ले. पर पारो ने मेरा साथ दिया "मालकिन जल्दी से अपना भोसड़ा आगे करो" और फ़िर मुझे बोली "बेटे जल्दी से अपना लंड बाहर कर". मां ने अपनी सलवार और चड्डी अपने घुटनों तक नीचे की और अपनी चूत आगे कर के खड़ी हो गयी. मैंने भी अपना खड़ा लंड बाहर निकाल लिया. 

पारो ने मां को जल्दी करने को कहा "मालकिन जल्दी से अपना भोसड़ा आगे करो." और मुझे बोली "अब जल्दी से अपना लंड अपनी मम्मी के भोसड़े में डाल दे." मां की जांघें अब मस्ती से कांप रही थीं और उसकी बुर बुरी तरह पानी छोड़ रही थी. पारो ने मेरी ओर देखा और कहा "बेटे देख तेरी मां की कैसे चू रही है, अब जल्दी से अपना लंड अन्दर कर दे." 

कुछ ही पलों में मेरा लौड़ा मां की बुर में था और मैं उसे खड़े खड़े ही चोद रहा था. पारो के सामने मां को चोदने में जो मजा आ रहा था वह मैं कह नहीं सकता. मम्मी भी अब वासना की हद से गुजर चुकी थी. हांफ़ती हुई बोली "हाय पारो देख इसका लंड मेरी चूत में है, पारो मेरा बेटा मेरी चूत मार रहा है. पारो मेरी गांड भी लंड मांग रही है." 

पारो ने पास आकर दबी आवाज में मुझे सलाह दी "बेटा, मौका है अपनी मां की गांड मार ले." मैंने अम्मा के चेहरे की ओर देख कर कहा "मम्मी गांड ले लूं तेरी?" मां बोली "हाय ऽ बेटा .... मैं तेरे सामने झुक के अपने चूतड़ खोल के अपनी गांड का छेद तुझे दिखाऊंगी, ओह ... बेटे .... मेरे चूतड़ के अन्दर तू अपना लंड डालेगा?" 

मैने अपना लंड मां की चूत में से निकाला और हाथ में लेकर कहा "चल अब कुतिया की तरह खड़ी हो जा और अपने हाथ पीछे कर के अपने चूतड़ पकड़ कर खींच और गांड खोल." मां मेरा कहना मान कर मां घूम कर मेरी ओर पीठ कर के झुक कर खड़ी हो गई. फ़िर अपने ही हाथों से उसने अपने चूतड़ पकड़ कर जोर से फ़ैलाये जिससे उसकी गांड का खुला छेद मुझे साफ़ दिखने लगा. 

मैं अपना खड़ा मोटा लंड पकड़कर मां के पीछे खड़ा होकर बड़ी भूखी नजरों से उसके गांड के छेद को देख रहा था. मां के नितंब उसके हाथों ने फ़ैलाये हुए थे और गांड का छेद मस्ती से खुल और बंद हो रहा था. वासना से हम दोनों की टांगें थरथरा रही थीं. मैंने जोर की आवाज में पूछा "मम्मी तेरी गांड मार लूं? " मम्मी की झुकी मांसल काया कांप रही थी और सहसा उसकी बुर ने बहुत सा पानी छोड़ दिया. मैं समझ गया कि वह बस गांड चुदाने के नाम से ही झड़ गई है और गांड मराने को तैयार है.

वह बोली " बेटा मैं तो कुतिया हो गई हूं, मेरी गांड मार दे जल्दी से." पारो ने अपनी चूत को पकड़े पकड़े मुझसे कहा "देख क्या रहा है, चढ़ जा साली पे और मार साली की गांड." मैंने हाथ में लंड पकड़कर आगे एक कदम बढ़ाया और मां की पीठ पर दूसरा हाथ टिका कर मेरा तन्नाया हुआ लंड मां की गांड में उतार दिया. जैसे लंड अंदर गया, मां की गांड खोलता गया. आधा लंड अंदर घुस चुका था. अब मैंने अपने दोनों हाथ मां की कमर पर रखे और कमर को जोर से पकड़ कर उसके कूल्हों को अपनी ओर खींचा, साथ ही सामने झुकते हुए मैंने अपना लंड पूरे जोर से आगे पेला. लंड जड़ तक मां के चूतड़ों के बीच की गहरायी में समा गया. 

मैने अब मां का गुदा चोदना शुरू कर दिया. मैं और अम्मा दोनों अब बुरी तरह से उत्तेजित थे. मैंने उसे धीरे से पूछा "भोसड़ी की, मजा आ रहा है ना ?" मां बोली "हाय तू चुप चाप चोद रे हरामी, साला कितना मोटा लौड़ा है तेरा. मेरी फ़ाड़ रहा है, तेरे मामाजी जैसा ही है" अब मेरा पूरा लंड मां की गांड में गड़ा हुआ था. मेरे लंड का मोटा डंडा उसकी गांड में टाइट फ़ंसा हुआ था और मां के गुदा की पेशियां उसे कसके पकड़े हुए थीं. मां के स्तन लटक रहे थे और जब जब मैं गांड में लंड को घुसेड़ता तो धक्के से वे हिलने लगते. 

कुछ देर मराने के बाद मां उठ कर सीधी खड़ी होने की कोशिश करने लगी. मैंने उसे पूछा कि सीधी क्यों हो रही है. मेरा लंड अब भी उसकी गांड में था और जैसे ही वह सीधी हुई, उसकी पीठ मेरी छाती से सट गयी. मैंने उसकी कांखों के नीचे से अपने हाथ निकालकर उसके मम्मे पकड़ लिये और दबाते हुए उसे जकड़ कर बाहों में भींच लिया. मेरा लंड अब भी उसकी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. मैंने पूछा "मम्मी मजा आ रहा है ना?" मां ने गर्दन हिलायी और धीरे से कहा "बेटा मेरा चुम्मा ले ले के चोद." 

मैने उसे अपना सिर घुमाने को कहा और फ़िर मां के होंठों को अपने मुंह में लेकर चूमता हुआ खड़े खड़े उसकी गांड मारता रहा. बीस मिनट की मस्त चुदाई के बाद मैंने अपना वीर्य मां की गांड के अंदर झड़ा डाला. अपना लंड मैंने बाहर निकाला और मां ने कपड़े पहनना चालू कर दिया. अपनी उंगली से उसने अपने चुदे हुए गुदा द्वार को टटोला. अब तक पारो आगे जा चुकी थी. 

मां ने तृप्त निगाहों से मेरी ओर देखा और कहा "बेटा आज रात को प्रीति की गांड पूरी लूज़ कर दे." मैं बहुत उत्तेजित था. मैंने कहा "मम्मी आज की रात मैं अपनी बहन को नंगी कर के अपने लंड के नीचे कर के उसकी गांड में लंड दूंगा." 

मां भी मस्त थी और आगे झुककर मेरे होंठ चूमने लगी, बोली "बेटा मेरे चूतड़ों में भी लंड डाल के मेरी गांड मारेगा ना?" मैंने कहा "मम्मी तेरी गांड तो मैं पूरी खोल दूंग." 

मां मेरी ओर देख कर प्यार से बोली "साला मादरचोद!" मैंने उसके गाल सहला कर कहा "साली चुदैल रन्डी!" मां घर की ओर चल दी और मैंने अपने लंड की ओर नीचे देखा. मां की गांड के अंदर की टट्टी के कतरे उसपर लिपटे हुए थे. मुझे तो ऐसा लगा कि मैं खुद अपना लंड चूम लूं या उसे मां या पारो के मुंह में दे दूं.मैं खुशी खुशी फ़िर काम पर निकल गया क्योंकि मुझे पता था कि आज रात मुझे मां के साथ साथ अपनी ही बहन को चोदने का मौका मिलेगा. अपनी छोटी बहन प्रीति को चोदने की कल्पना से ही मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया. मैंने हमारे नौकरानी को कई बार उसके परिवार में होने वाली भाई-बहन की चुदाई के किस्से सुनाते हुए सुना था. मुझे यह भी पता था कि हमारे गांव में बहुत से घरों में रात को भाई अपनी बहनों के कमरे में जाकर उनकी सलवार और चड्डी निकालकर चोदते हैं. मामाजी को मां को चोदते हुए कभी देखा तो नहीं था पर पूरा अंदाजा था मुझे.

उस शाम मैं एक दोस्त के साथ खेतों में घूमने गया. सुनसान जगह थी और आसपास कोई नहीं था. मैंने मौका देख कर उससे पूछा. "यार एक बात बता, जब तेरा लंड कंट्रोल में नहीं रहता है तो तू क्या करता है?" 

उसने मेरी ओर शिकायत की नजर से देखा और कहा "तूने जवान होने के बाद हम दोस्तों के बीच में बैठना बन्द कर दिया है" 

मैंने आग्रह किया "बता ना यार." 

वह बोला "मैं और मेरी दोनों बहनें साथ में सोते हैं, रात को दोनों को नंगी कर देता हूं. जब घर में ही माल है तो लंड क्यों भूखा रहे." 

फ़िर वह बोला "हमारे ग्रूप में सब दोस्त यही करते हैं. मैं तो अपनी मां को भी चोदता हूं. यार घर में अपनी मां बहनों को चोद के तो हम लोग अपने लंडों की गरमी दूर करते हैं." 

फ़िर उसने अपना लंड निकाल कर मुझे दिखाया "देख मेरा लंड, देख रात को मैं नंगा हो के घर में घूमता हूं और रात को मेरी मम्मी और बहनें लेट कर अपनी चूत से पानी छोड़ती हैं तो मैं उन सब की चूत मार के ठन्डी करता हूं. तुझे तो पता है मेरी मां कैसी है और मेरी बहनें भी मां जैसी ही हैं, रात को सब अपनी अपनी चूतें नंगी कर के लेट जाती हैं और चूत की खुशबू सारे घर में फ़ैल जाती है." 

फ़िर उसने भी मुझे घर जाकर अपनी मां और बहन को चोदने की सलाह दी. तभी खेत में से उसकी मां की आवाज सुनाई दी. मैं घबरा गया और जाने लगा पर उसे कोई शरम नहीं लगी. वह मुझे भी साथ ले जाना चाहता था पर मैं घर जाने का बहाना कर के वहां से चल पड़ा. मैं कुछ देर चलने के बाद चुपचाप वापस आया क्योंकि देखना चाहता था कि वे क्या करते हैं. छुप कर मैं ज्वार की बालियों में से उन्हें देखने लगा. वे पास ही थे. शाम हो चुकी थी पर अब भी देखने के लिये काफ़ी रोशनी थी. 

मैने देखा कि मां और बेटे आपस में लिपट गये और आलिंगन में बंधे हुए चूमा चाटी करने लगे. दोनों बहुत गरमी में थे. आस पास कोई नहीं था. उसकी मां बोली "बेटा, हम अकेले ही हैं ना यहां?" वह बोला "हां मम्मी, कोई नहीं है, मजा आयेगा मां, चलो शुरू करें?" 

फ़िर वह कुछ शरमा कर धीमी आवाज में बोला "मम्मी, आज तेरी गांड खाने का मन कर रहा है, खिला दे ना."

उसकी मां ने घबरा कर आस पास देखा और कहा "बेटे, धीरे बोलो, कोई सुन लेगा, किसीको पता न चले कि हम आपस में क्या करते हैं." फ़िर उसने हौले से मेरे मित्र से पूछा "मेरी गांड खायेगा बेटा?" 

"हां अम्मा एक हफ़्ते से ज्यादा हो गया. मेरा बस चले तो रोज खाऊं" मेरा मित्र बोला.

उसने कपड़े उतारे और जमीन पर बैठ गयी. मेरा दोस्त उसके पीछे जाकर लेट गया और अपना मुंह उसकी मां की गांड के नीचे रख दिया. उसकी मां उसके मुंह पर बैठ गई. मुझे कुछ दिख नहीं रहा था. बीच बीच में वो जोर लगाती तो तो उसके पेट की कसी मांस पेशियां दिखतीं. मेरी मित्र मां की गांड से मुंह लगाकर कुछ खा रहा था. उसका मुंह चल रहा था, बीच बीच में वह निगल लेता. कुछ देर बाद उसकी मां घूम कर बैठ गयी और अपने बेटे के मुंह में मूतने लगी. उसने चुपचाप मां का मूत पी लिया. 

इसके बाद दोनों चोदने में जुट गये जिसके दौरान उत्तेजित होकर उसकी मां कहने लगी "बेटा, अपना बीज अपनी मां के गर्भ में डाल दे, उसे गर्भवती कर दे, बेटा, मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनना चाहती हूं, अपनी मां को चोद कर उसे बच्चा देगा ना?" 

वह बोला, "हां मां, मैं तुझे चोद कर अभी अपना बीज तेरे पेट में बो देता हूं, तुझे मां बना देता हूं. अपना भाई पैदा करूंगा तेरे पेट से. वो बड़ा होगा तो वो भी अपनी बुढ़िया मां को चोदेगा" फ़िर वह हचक हचक कर सांड़ की तरह अपनी मां को चोदने लगा. मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था और वहां से घर की ओर चल पड़ा.

जब मैं घर पहुंचा तो दरवाजा अंदर से बंद था. मैं पिछवाड़े से धीरे से अंदर गया तो देखा कि मां गांव की एक महिला, अपनी सहेली के साथ बैठी गपशप कर रही थी. मैं उसे जानता था, हम उसे चाची कहते थे. पलंग पर बैठ कर वे किसी बात पर हंस रही थीं. 

मैंने उसे कहते सुना "मैं तो रात को अपनी चूत नंगी कर के वरान्डे में लेट जाती हूं. रात को जिसका भी दिल करता है, आ के मेरी चूत मार जाता है." 

मां हंस रही थी, बोली "तेरी चूत का तो सुबह तक पूरा भोसड़ा बन जाता होगा?" 

चाची बोली "हां मेरा जो दूसरा लड़का है, वह भी कोशिश करता है पर उसका लंड मेरी चूत में फंसता ही नहीं." मां बोली "उसको गांड दे दिया कर." चाची बोली "उसका तो मैं चूस देती हूं." 

उस रात खाने के बाद मैं पिछवाड़े गया. कुछ खेतों के बाद हमारी नौकरानी पारो की झोपड़ी है. रात काफी हो गयी थी. चारों ओर सन्नाटा था. मैंने पारो को झोपड़ी के बाहर आते देखा. शायद वह मूतने आयी थी. उसके पीछे पीछे मैंने किसी और को भी बाहर आते देखा. देखा तो उसका बेटा था. पारो खेत की मेड़ के पीछे गयी थी. उसके पीछे पीछे उसका बेटा भी अपना लंड पाजामे के ऊपर से ही पकड़ कर हिलाता हुआ गया, वह बड़ी मस्ती में लग रहा था.हमारी नौकरानी पारो एक स्थान पर खड़ी हो गयी और अपनी सलवार की नाड़ी खोली. फ़िर दोनों को नीचे करके पैरों में से निकाल कर वह टांगें फ़ैला कर मूतने के अंदाज में बैठ गयी. 

उसका लड़का उसके पास खड़ा होकर ललचायी निगाहों से उसकी ओर देख रहा था. बेटे की ओर देख कर पारो ने उसे साथ में बैठने को कहा. वह बैठ गया. पारो डांट कर बोली "अपना लंड निकाल के बैठ." मां का कहा मानकर उसने लंड निकाल कर हाथ में ले लिया. फ़िर हाथ अपनी मां की जांघों के बीच बढ़ाकर उसने सीधे उसकी बुर को छू लिया. 

पारो ने अपने पैर और दूर कर लिये और अपनी जांघें पूरी फ़ैला दीं. उसकी चूत के पपोटे अब बिल्कुल खुले थे. उसके बेटे ने फ़िर चूत छू कर कहा "मां तेरी चूत पूरी चौड़ी हो गई है." पारो ने हाथ बढ़ा कर उसका लंड पकड़ लिया

फ़िर उसकी ओर देख कर बोली "चल अब मूत लेने दे." बेटे ने मां की ओर देख कर कहा "मां आज अपना मूत पिला दे ना." पारो यह सुनकर उत्तेजित हो गयी और उसकी ओर मुंह कर के बोली "साला हरामी मादरचोद." उसके पैर मस्ती से थरथरा रहे थे. उसने अपने बेटे के गले में बाहें डालीं और उसके कान में पूछा "बेटे, मेरा मूत पियेगा?" फ़िर खड़ी होकर उसने इधर उधर देखा और अपनी टांगें फ़ैला कर बेटे से कहा "बेटा मेरी चूत मुंह में ले." 

लड़के ने तुरंत मां की मान कर अपना मुंह खोला और पारो की बुर पर रख दिया. पारो अब उसके मुंह में मूतने लगी. वह अपनी मां का मूत पीने लगा. पारो उत्तेजित होकर गंदी गंदी गालियां देने लगी. "साले मादरचोद ले पी अपनी मां का मूत. भोसड़ी के मां की पिशाब पी ले." 

मूतना खत्म होने पर वह खड़ा हो गया, उसका लंड तन्ना कर उसकी जांघों के बीच खड़ा था. उसकी मां उसके सामने पैर फ़ैला कर खड़ी थी और उसकी जांघों के बीच का छेद पुकपुका रहा था. वह बोली. "बेटा अपनी मां का छेद भर दे." लड़के ने अपने कूल्हे आगे किये और मां से कहा "मां अपना छेद आगे कर." पारो ने पैर और फ़ैलाये और चूत आगे करके अपनी बुर का छेद अपने बेटे के लिये पूरा खोल दिया. 

मैं अब मां की चूत मे बेटे का लंड डलता देख उत्तेजित था. लड़के ने लंड अंदर घुसेड़ा और अपनी मां की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने शरीर से चिपका लिया. मां को दबोचे हुए वह बोला "साली जरा पास आ. बदन से बदन चिपका." पारो ने भी उसे आलिंगन में भर के कहा. "हाय जरा लंड पूरा अंदर दे के चोद." 

मैं भी अब अपनी मां बहन को चोदने के लिये उतावला था. मैं जानता था कि कुछ ही देर में मेरा लंड मेरी मां की चूत में होगा. पर घर जाने के पहले मैं अपने दूसरे दोस्त से मिलना चाहता था जो खेतों के पास ही रहता था. रात बहुत हो गयी थी पर मुझे पता था कि वह मुझे जरूर कुछ बतायेगा. उसके घर के पीछे एक खलिहान था जहां वे अनाज रखा करते थे. खलिहान में से रोशनी आ रही थी. मुझे एक छोटी सी खिड़की दिखी. मैं देखना चाहता था कि वहां कौन है इसलिये एक पत्थर पर चढ़कर अंदर झांकने लगा. 

अंदर दो खटिया थीं. मेरे दोस्त की अम्मा एक खाट पर पैर लटका कर बैठी थी और मेरा दोस्त उसके सामने जमीन पर मां के घुटनों को पकड़ा हुआ बैठा था. वे बातें कर रहे थे जो मुझे साफ़ सुनाई दे रही थीं. 

मेरा मित्र बोला. "मम्मी थोड़ी टांगें खोल ना." उसकी मां ने जरा सी अनिच्छा से अपनी जांघें थोड़ी सी फ़ैला दीं. ऐसा लगता था कि वह मां को सलवार उतारने को मना रहा था. "मम्मी सलवार उतार दे ना." शायद उसकी मां चुदने को अभी तैयार नहीं थी, मुझे मालूम था कि शुरू में ऐसा होता है. मेरा मित्र मां को मनाता रहा. 

वह धीरे धीरे रास्ते पर आ रही थी और चुदने की उसकी अनिच्छा कम हो रही थी. वह बोली "बेटा देख कोई देख तो नहीं रहा है." वह उठा और आंगन में देखने के बाद दरवाजे की सिटकनी लगाकर वापस आ गया. बोला "मम्मी सब दरवाजे बंद हैं. हम दोनों अकेले हैं." उसकी मां ने फ़िर पूछा "ठीक से देखा है ना?" वह बोला "हां मम्मी सब तरफ़ देखा है चल अब अपनी सलवार उतार." मां को नंगा करने को वह मचल रहा था.

उसकी मां खड़ी हो गयी और अपनी कमीज ऊपर उठा कर सलवार का नाड़ा खोल दिया. सलवार अब ढीली होकर उसके पैरों में गिर पड़ी और उसमें से पैर निकाल कर वह आकर फ़िर खाट पर बेटे के सामने बैठ गयी. मेरा दोस्त अब उतावला हो रहा था. अपनी मां की जांघों के बीच हाथ डालकर उसने अपना हाथ बढ़ाया और पैंटी के ऊपर से ही मां की चूत सहलाने लगा. उसके छूने से मस्त होकर उसकी मां ने भी टांगें और फ़ैला दीं.दोनों अब जम के उत्तेजित थे. वह बोला "मम्मी कच्छी भी उतार दे." वह उसकी ओर देख कर बोली "तू अपना लंड बाहर निकाल." वह बोला "ठीक है, तू मेरा लंड देख़" उसने फ़िर अपने पैंट की ज़िप खोली और अपना एक फ़ुट लंबा मोटा लंड बाहर निकाल लिया. 

उसका मस्त लंड देखकर उसकी मां ने हाथ बढ़ाकर लंड हाथ में ले लिया और बोली "बड़ा भारी लौड़ा है तेरा. देख कैसा तोप की नाल की तरह खड़ा है" वह बोला "मम्मी इसको अपनी चूत तो दिखा." उसकी मां खड़ी हो गयी और अपनी पैंटी भी उतार दी. उसकी फ़ूली सूजी हुई चूत अब उसके बेटे की आंखों के सामने थी और वह उसे बड़ी भूखी नजर से देख रहा था. उसकी जांघों के बीच उसका लंड अब और तन्ना रहा था. मां ने उसके चेहरे की ओर देख कर कहा "हाय बेटे तेरा लंड खड़ा हो गया है." 

उसने अपने मचलते लंड को देखा और फ़िर मां के चेहरे को तकने लगा. फ़िर बोला "मम्मी मेरे लंड को तेरी चूत चाहिये." मां की कलाई पकड़ कर खींच कर उसने अपनी मां को गोद में बिठा लिया और फ़िर उसका बांयां स्तन पकड़ कर दबाते हुए बोला "मम्मी मरवाएगी?" उसकी मां हल्के से बोली "अपनी मां की चूत मारेगा?" मेरे मित्र ने अपनी मां की बुर मे उंगली करनी शुरू कर दी. फ़िर उसे खाट पर पटक कर उसकी जांघें खोलीं और अपना मुंह मां की बुर पर रख दिया. 

फ़िर मुंह खोल कर मां की चूत चूसने लगा. कुछ ही देर में मां मस्त हो गयी और उसे बोली "रुक बेटे, मैं तेरे लिये चूत ठीक से खोलती हूं, जरा खाट के किनारे मुझे बैठने दे." वह जमीन पर बैठ गया और मां खाट पर चढ़कर मूतने के अंदाज में जांघें फ़ैला कर बैठ गयी. फ़िर उसने अपने बेटे के कंधे सहारे के लिये पकड़ लिये और उसका मुंह खींच कर अपनी चूत पर दबा लिया. वह जोर जोर से मां की खुली हुई चूत चूसने लगा.

खुछ देर बाद बत्ती बंद हो गई. सब तरफ़ अंधेरा और सन्नाटा था. मैंने उसकी मां की धीमी आवाज सुनी. मां काफ़ी उत्तेजित लग रही थी. "बेटे मेरे साथ गांड खाने वाला काम करेगा?" वह मां की चूत रस ले लेकर चूसता रहा और कुछ न बोला. उसने फ़िर पूछा "हाय सुन मेरी गांड खा ना." वह धीरे से बोला "मां, पूरा खिलाएगी? या बीच में छोड़ देगी जैसा उस दिन किया था" उसने उत्तर दिया "हाय गांड पूरी खिलाऊंगी बेटा, खाएगा?" 

वह अब मस्त होकर मुठ्ठ मार रहा था, बोला "मम्मी मौका है आज तुझे, पता है तान्त्रिक भी कह रहा था कि मां की गांड का माल खाने से आदमी पूरा मस्त हो जाता है. मां बता ना तूने तान्त्रिक के मुंह में टट्टी की थी ना." 

वह बोली "हाय बेटे, वो तो साले सब गांड का माल खाते हैं. उनकी बात छोड़. तू खायेगा मां की गांड से?" मेरा मित्र बोला "मम्मी अपनी गांड आगे कर." उसकी मां ने टांगें फ़ैला कर अपना गुदाद्वार बेटे के मुंह के आगे कर दिया. वह मां की गांड चाटने लगा. उसका लंड बड़ा बुरी तरह से खड़ा था और मस्ती में वह मां की चूत भी चूस रहा था. "मां, खिला ना"

"सबर कर, सुबह खिला दूंगी, मेरे कमरे में आ जाना" उसकी मां बोली.

उन्हें चोदते हुए देख कर मैंने अपनी मां की चूत के बारे में सोचना शुरू किया. मैंने आज देखा था कि मां की बुर का छेद बड़ा है, जिसे भोसड़ा कहते हैं. मुझे मां का भोसड़ा आराम से ठीक से देखने की तीव्र लालसा थी. मैं भाग कर घर पहुंचा. दरवाजा खटखटाया तो मेरी प्यारी सुंदर छोटी बहन प्रीति ने दरवाजा खोला. वह आधी नींद में थी. मुझे दरवाजा खोल कर वह अपने कमरे की ओर सोने चल दी.पीछे से मैंने उसके भरे हुए कसे कमसिन चूतड़ देखे तो मन ही मन धीरे से बोला "साली क्या मस्त गांड है तेरी मेरी प्यारी बहना. ठहर जा आज रात तेरी गांड में लंड दूंगा." मेरी बहन ने बड़े निर्दोष भाव से पीछे मुड़ कर पूछा "भैया कुछ कहा क्या." 

मैं बोला "कुछ नहीं तू जा." मैं जानता था कि प्रीति को चोदने के लिये अभी वक्त था, पहले तो मुझे अपनी मां चोदना थी. मैंने अपनी बहन को पूछा "मम्मी कहां है?" 

वह तपाक से मुड़ कर बोली "बाथरूम में भोसड़ा खोल के मूत रही है." मैं उसे देखने लगा. प्रीति मेरी ओर देखकर शैतानी से मुस्कराई और अपनी चूत पर हाथ रखकर बोली "यह मेरा भोसड़ा है भैया, आज मम्मी का भोसड़ा मारा है आपने खेत में, मेरा भी मार दो." मैंने उसकी ओर मुस्कराकर कहा "पहले मम्मी की चोद लेने दे, फिर तेरी मारूंगा. और भोसड़ा तो ममी का है, तेरी तो बुर है" 

मैंने फ़िर ज़िप खोल कर अपना लंबा तगड़ा लंड उसे दिखाया और कहा "यह मेरा लंड देख रही है ना, यह साला पूरा तेरी चूत में दूंगा आज रात को" 

वह मेरे खड़े लंड को देखकर चुप हो गयी. मैंने कहा "बहन, फ़िकर मत कर, मम्मी को चोद लेने दे, फ़िर आ के तुझे चोदता हूं" तभी मैंने देखा कि मां दरवाजे पर खड़ी थी. अभी अभी मूत कर आयी थी. मेरे लंड को देखकर बोली "बेटे, अपनी छोटी बहन को अपना लौड़ा दिखा रहा है?"

फ़िर मां मेरी छोटी बहन की ओर मुड़ कर बोली "तू क्या कर रही है खड़ी खड़ी, चल अपने भाई को अपनी चूत खोल कर दिखा". प्रीति शरमा कर हिचकिचा रही थी तो मां ने उसे डांटा. "चूत जल्दी से नंगी कर ना ऽ अपनी" फ़िर मां हमें बोली. "जब मैं छोटी थी ना तब मैं अपने भाई को अपनी चूत पूरी नंगी करके दिखाती थी." 

अब तक मेरी बहन ने अपनी सलवार निकाल दी थी और अब चड्डी उतार रही थी. चड्डी उतार कर वह खड़ी हो गयी पर मां ने उसे डांट कर अपनी जांघें खोलने को कहा जिससे मैं ठीक से उसकी चूत देख सकूं. जैसे ही मेरी बहन ने अपनी जांघें खोल कर अपनी गोरी कमसिन चूत मुझे दिखाई, मेरा तन्नाकर और खड़ा हो गया. जब मां ने मेरा खड़ा लंड देखा तो बोली "हाय, भाई का खड़ा ना हो अपनी बहन की चूत देखकर, ऐसा कभी नहीं हो सकता है"

फ़िर मां बोली "जो लड़के अपनी मां बहनों की चोदते हैं, उनके लंड हमेशा टाइट रहते हैं." फ़िर वह बोली कि सिर्फ़ मैं ही पीछे रह गया था नहीं तो हमारे इलाके में परिवार में चुदाई तो आम बात थी. बाहर कोई नहीं जानता पर सब परिवार के लोग आपस में एक दूसरे को खूब चोदते हैं.

मैंने पूछा "मां. सच बता, मामाजी चोदते हैं तुझे?" 

"तू तो जानता है बेटा. मेरा भाई तब से मुझे चोदता है जब मैं इतनी सी थी." मां ने कहा.

फ़िर मां मेरे पास आ कर बोली "बेटा, अब तो अपनी मां बहन को नंगी करके नचा दे" मैं अब बहुत उत्तेजित था और उन दोनों को कलाई पकड़ कर बेडरूम की ओर घसीटते हुए बोला "अच्छा! क्या तुम दोनों मेरे लिये नंगी होकर नाचोगी?" मां ने मुड़कर कहा "ठहर मैं घर के सारे दरवाजे बंद करके आती हूं, फ़िर तेरे सामने नंगी होकर ऐसे नाचूंगी कि तू मुझे रंडी कहेगा"

मां जब दरवाजा बंद करने गयी तो मेरी बहन मेरी ओर मुड़कर बोली "भैया, मेरी सब सहेलियों के भाइयों ने उनकी चूतें मार मार के खोल दीं हैं, वो तो सब बैठ के अपने भाइयों के लंड के बारे में बोलती हैं. पर भैया आपने मेरी चूत पहले क्यों नहीं मारी? मामाजी कितना चोदते हैं मां को हर रात, मुझे सब सुनाई देता है. तुम नहीं चोदोगे तो मैं मामाजी से चुदा लूंगी" 

मैंने उसे बाहों में लेकर कहा. "सुन, आज तेरी चूत खोल दूंगा." वह बोली "भैया आज मेरे साथ गंदी गंदी बातें करो." मैंने कहा "जरा मां को तो आने दे" हम पलंग पर बैठ कर मां का इंतजार करने लगे. मां वापस आकर हमारे पलंग पर बैठ गयी, मैं बहुत खुश था. आज मैं एक साथ अपनी मां और बहन को चोदने वाला था.

मां आयी और बोली "ऐसे ही बैठा है लंड पकड़कर? मुझे तो लगा था कि अब तक तू प्रीति की ले चुका होगा."

"पहले तेरी लूंगा मां, फ़िर तेरे सामने प्रीति की खोलूंगा" मैंने लंड हाथ में लेकर कहा.

"हाय आज ली तो थी बेटा तूने खेत में! फ़िर पीछे से गांड भी ले ली थी. चल फ़िर से चोद ले मुझे" मां अपनी बुर को सलवार पर से रगड़ते हुए बोली. मैं मां का हाथ पकड़कर अंदर ले गया. 

"प्रीति तू भी आ, मेरे बाद तेरी बारी है" मां ने कहा.

मां के कमरे में जाकर मैंने उससे कपड़े उतारने को कहा. मां ने सलवार का नाड़ा खोल दिया. उसकी सलवार नीचे गिर गयी. अंदर उसने कुछ नहीं पहना था.

"मां, कुरता भी निकाल दे, तेरे को नंगी देखूंगा" अपने लंड को पकड़कर मैं बोला.

मां मुझे तकती हुई बोली "हाय, बहन के सामने नंगी करेगा अपनी मां को"

"हां, मैं तो बहन के सामने मां को चोदूंगा. अब नखरे मत कर" प्रीति मेरे पीछे खड़ी थी. उसने अपनी कुरती उतार दी. मेरी छोटी बहन अब मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी. 

"मां नखरा कर रही है भैया, तुम मेरी ले लो जल्दी से" मेरे लंड को पकड़कर वो बोली.

"प्रीति रुक, अभी देर है तुझे चुदने में" मां ने अपना कुरता उतार दिया. उसके भरे भरे मांसल स्तन अब मेरे सामने थे. उन्हें दबाते हुए मैंने मां को पूछा "बोल, गांड मरवायेगी या चुदवायेगी?"

"अभी तो चोद दे अपनी अम्मा को" मां ने कहा. अब तक गरमाकर वह अपनी फ़ुद्दी में उंगली कर रही थी.

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