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शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

अंजान आशिक

         लंड के कारनामे - फेमिली सागा ka sesh                  अगले दिन दोनों मेरे साथ ही कॉलेज से घर आ गए, हमने खाना खाया और वही पड़ने बैठ गए, शाम होते - २ , पड़ते और बाते करते हुए, हमने टाइम पास किया, फिर रात को जल्दी खाना खा कर मेरे रूम में चले गए.

वहां पहुँचते ही सन्नी बोला, "अबे कब तक इन्तजार करवाएगा, कब देखने को मिलेगी हमें नंगी लड़की, सुबह से मेरा लंड नंगी लड़की के बारे मैं सोच सोचकर खड़ा हुआ है.."

विशाल भी साथ हो लिया, "हाँ यार, अब सब्र नहीं होता, जल्दी चल कहाँ है नंगी लड़की"

"यंही है !, मैंने कहा
वो दोनों मेरा मुंह ताकने लगे

मैंने अपनी अलमारी खोली और छेद में से देखा, ऋतू अभी अभी अपने रूम में आई थी और अपने कपडे उतर रही थी, ये देखकर मैं मंद मंद मुस्कुराया और सुन्नी से बोला "ले देख ले यहाँ आकर"

सन्नी थोडा आश्चर्य चकित हुआ पर जब उसने अपनी आँख छेद पर लगे तो वो हैरान ही रह गया और बोला "अबे तेरी ऐसी की तैसी , ये तो तेरी बहिन ऋतू है "

ऋतू का नाम सुनते ही विशाल सन्नी को धक्का देते हुए छेद से देखने लगा और बोला, "हाँ यार, ये तो इसकी बहन ऋतू hai "और ये क्या ये तो अपने कपडे उतार रही है...."

दोनों के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ रही थी और मेरे चेहरे पर विजई.

विशाल, "तो तू अपनी बहन के बारे में बाते कर रहा था, तो तो बड़ा ही हरामी है."

wow ,विशाल बोला, अबे सन्नी देख तो साली की चुचिया कैसी तनी हुई है," 

सन्नी बोला, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की तू अपनी बहन को छेद के जरिये रोज़ नंगा देखता है और पैसे लेकर हमें भी दिखा रहा है..तू सही मैं भेन चोद टाइप का इंसान है,कमीना कही का.." हा हा ..

मैंने कहा "तो क्या हुआ, मैं सिर्फ देख और दिखा ही तो रहा हूँ, और मुझे इसके लिए पैसे भी तो मिल रहे हैं, और ऋतू को तो इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है, और अगर हम उसको नंगा देखते है तो उसे कोई नुक्सान नहीं है, तो मुझे नहीं लगता की इसमें कोई बुराई है.."

"अरे वो तो अपने निप्पल्स चूस रही है" विशाल बोला और अपना लंड मसलने लगा

"मुझे भी देखने दे" सन्नी ने कहा.

फिर तो वो दोनों बारी - २ छेद पर आँख लगाकर देखने लगे.

विशाल बोला "यार क्या माल छुपा रखा था तुने अपने घर पर अभी तक, क्या बॉडी है"

"वो अपनी पैंट उतार रही है....अरे ये क्या, उसने पेंटी भी नहीं पहनी हुई.ओह माय माय ...और उसने एक लम्बी सिसकारी भरते हुए अपना लंड हाहर निकाल लिया और हिलाने लगा.

"क्या चूत है...हलके -२ बाल और पिंक कलर की चूत ...wow 

अब वो अपनी चूत में उंगलिया घुसा - २ कर सिस्कारिया ले रही थी. और अपना सर इधर उधर पटक रही थी..

विशाल और सन्नी के लिए ये सब नया था, वो दोनों ये देखकर पागल हो रहे थे और ऋतू के बारे मैं गन्दी-२ बातें बोल कर अपनी मुठ मारते हुए झड़ने लगे.

तभी ऋतू झड गयी और थोड़ी देर बाद वो उठी और लाइट बंद करके सो गयी.

विशाल और सन्नी shock स्टेट में थे , और मेरी तरफ देखकर बोले "यार मज़ा आ गया, सारे पैसे वसूल हो गए"

"मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है की तुने अपनी मुठ मारती हुई बहन हमें दिखाई" सन्नी बोला.

"चलो अब सो जाते है" मने कहा.

विशाल "यार, वो साथ वाले कमरे में नंगी सो रही है, ये सोचकर तो मुझे नींद ही नहीं आएगी"

मैं बोला" अगर तुम्हे ये सब दोबारा देखना है तो जल्दी सो जाओ और सुबह देखना, वो रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले अपनी मुठ मारती है फिर नहाने जाती है." लेकिन उसके लिए तुम्हे पांच सो रूपए और देने होंगे."

"हमें मंजूर है " दोनों एक साथ बोले.

मैं अपनी अक्ल और किस्मत पर होले होले मुस्करा रहा था.

सुबह उठते ही हम तीनो फिर से छेद पर अपनी नज़र लगा कर बैठ गए, हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा, १० मिनट बाद ही ऋतू उठी, रोज़ की तरह पूरी नंगी पुंगी, अपने सीने के उभारो को प्यार किया, दुलार किया, चाटा, चूसा और अपनी उंगलियों से अपनी चूत तो गुड मोर्निंग बोला.

विशाल "यार क्या सीन है, सुबह सुबह कितनी हसीं लग रही है तेरी बहन.

फिर सुन्नी बोला "अरे ये क्या, इसके पास तो नकली लंड भी है....amazing . और वो अब उसको चूस भी रही है, अपनी ही चूत का रस चाट रही है..बड़ी गर्मी है तेरी बहन में यार"

और फिर ऋतू डिल्डो को अपनी चूत में दाल कर जोर जोर से हिलाने लगी

हम तीनो ने अपने लंड बाहर निकाल कर मुठ मारनी शुरू कर दी, हम सभी लगभग एक साथ झड़ने लगे...दुसरे कमरे में ऋतू का भी वोही हाल था, फिर वो उठी और नहाने के लिए अपने बाथरूम में चली गयी.

फिर तो ये हफ्ते में २-३ बार का नियम हो गया, वो मुझे हर बार १५०० रूपए देते, और इस तरह से धीरे धीरे मेरे पास लगभग साठ हज़ार रूपए हो गए..

अब मेरा दिमाग इस business को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने के लिए सोचने लगा.

एक दिन मैंने सब सोच समझ कर रात को करीब आठ बजे ऋतू का दरवाजा खटकाया.मैं अन्दर जाने से पहले काफी नर्वस था, पर फिर भी मैंने हिम्मत करी और जाने से पहले छेद मैं से देख लिया की वो स्कूल होमेवोर्क कर रही है और बात करने के लिए यह समय उपयुक्त है, मैंने दरवाज़ा खड्काया, अन्दर से आवाज आई "कोंन है ?" 


"मैं हूँ ऋतू" मैंने बोला.


"अरे आशु (घर मैं मुझे सब प्यार से आशु कहते है), तुम, आ जाओ.."


"आज अपनी बहन की कैसे याद आ गयी, काफी दिनों से तुम busy लग रहे हो, जब देखो अपने रूम मैं पड़ते रहते हो, अपने दोस्तों के साथ ग्रुप study करते हो, आई ऍम रेअल्ली इम्प्रेस .." ऋतू ने कहा.


"बस ऐसे ही..तुम बताओ लाइफ कैसी चल रही है."


"ठीक है"


" ऋतू आज मैं तुमसे कुछ ख़ास बात करने आया हूँ" मैंने झिझकते हुए कहा ..


"हाँ हाँ बोलो, किस बारे में"


"पैसो के बारे में" मैं बोला.


ऋतू बोली "देखो आशु , इस बारे मैं तो मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर पाउंगी, मेरी जेब खर्ची तो तुमसे भी कम है "


"एक रास्ता है, जिससे हमें पैसो की कोई कमी नहीं होगी" मेरे कहते ही ऋतू मेरा मुंह देखने लगी और बोली "ये तुम किस बारे में बात कर रहे हो, ये कैसे मुमकिन है"


"मैं इस बारे में बात कर रहा हूँ" और मैंने उसके टेबल के अन्दर हाथ डाल के उसका ब्लैक डिल्डो निकाल दिया और बेड पर रख दिया.


"ओह माई god "वो चिल्लाई और उसका चेहरा शर्म और गुस्से के मारे लाल सुर्क हो गया और उसने अपने हाथो से अपना चेहरा छुपा लिया, उसकी आँखों से आंसू बहने लगे.


"ये तुम्हे कैसे पता चला, तुम्हे इसके बारे में कैसे पता चल सकता है...इट्स नोट पोस्सीबल " वो रोती जा रही थी.


"please dont cry ऋतू " मैं उसको upset देखकर घबरा गया.


"तुम मेरे साथ ये कैसे कर सकते हो, तुम मम्मी पापा को तो नहीं बताओगे न ? वो कभी ये सब समझ नहीं पांएगे .."ऋतू रोते रोते बोल रही थी, उसकी आवाज में एक याचना थी.


"अरे नहीं बाबा , मैं मम्मी पापा को कुछ नहीं बताऊंगा, मैं तुम्हे किसी परेशानी में नहीं डालना चाहता, बल्कि मैं तो तुम्हारी मदद करने आया हूँ, जिससे हम दोनों को कभी भी पैसो की कोई कमी नहीं होगी." मैं बोला.


ऋतू ने पूछा "लेकिन पैसो का इन सबसे क्या मतलब है" उसने डिल्डो की तरफ इशारा करके कहा.


मैंने डिल्डो को उठाया और हवा में उछालते हुए कहा "मैं जानता हूँ, तुम इससे क्या करती हो, मैंने तुम्हे देखा है"


"तुमने देखा है ???" वो लगभग चिल्ला उठी "ये कैसे मुमकिन है"


"यहाँ से.."मैंने उसकी अलमारी के पास गया और उसे वो छेद दिखाया और बोला, "मैं तुम्हे यहाँ से देखता हूँ."


"हे भगवान् ...ये क्या हो रहा है, ये सब मेरे साथ नहीं हो सकता.."और उसकी आँखों से फिर से अश्रु की धारा बह निकली.


"देखो ऋतू, मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है, मैं सिर्फ तुम्हे देखता हूँ, मेरे हिसाब से इसमें कोई बुराई नहीं है, और सच कहूं तो ये मुझे अच्छा भी लगता है:"


ऋतू थोड़ी देर के लिए रोना भूल गयी और बोली "अच्छा ! तो तुम अब क्या चाहते हो"


"तुम मेरे फ्रेंड्स को तो जानती ही हो, विशाल और सन्नी, मैं उनसे तुमको ये सब करते हुए देखने के १५०० रूपए चार्ज करता हूँ "


"ओह नो.."वो फिर से रोने लगी, "ये तुमने क्या किया, वो मेरे स्कूल में सब को बता देंगे, मेरी कितनी बदनामी होगी, तुमने ऐसा क्यों किया, अपनी बहन के साथ कोई ऐसा करता है क्या...मैं तो किसी को अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही "ऋतू रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी.


"नहीं वो ऐसा हरगिस नहीं करेंगे, अगर करें तो उनका कोई विश्वास नहीं करेगा, मेरा मतलब है तुम्हारे बारे में कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता,"मैंने जोर देते हुए कहा, "और उन्हें मालुम है की अगर वो ऐसा करेंगे तो मैं उन्हें कभी भी तुमको ये सब करते हुए नहीं देखने दूंगा."




"और तुमने उनका विश्वास कर लिया" ऋतू रोती जा रही थी..."तुमने मुझे बर्बाद कर दिया"


"हाँ मैंने उनपर विश्वास कर लिया और नहीं मैंने तुम्हे बर्बाद नहीं किया, ये देखो "और मैंने पांच पांच सो के नोटों का बण्डल उसको दिखाया, "ये साठ हजार रूपए हैं, जो मैंने विशाल और सन्नी से चार्ज करें हैं तुम्हे छेद मैं से देखने के !.."


"और मैं उन दोनों से इससे भी ज्यादा चार्ज कर सकता हूँ अगर तुम मेरी मदद करो तो .." मैं अब लाइन पर आ रहा था.


"तुम्हे मेरी हेल्प चाहिए " वो गुर्राई .."तुम पागल हो गए हो क्या.""नहीं मैं पागल नहीं हुआ हूँ, तुम मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर ठन्डे दिमाग से सोचना., देखो मैं तुमसे सब पैसे बांटने के लिए तैयार हूँ, और इनमे से भी आधे तुम ले सकती हो, " ये कहते हुए मैंने बण्डल में से लगभग ३० हजार रूपए अलग करके उसके सामने रख दिए.

"लेकिन मेरे पास एक ऐसा आइडिया है जिससे हम दोनों काफी पैसे बना सकते हैं.,,"मैं दबे स्वर में बोला.

"अच्छा , मैं भी तो सुनु की सो क्या आइडिया है.."वो कटु स्वर में बोली.

फिर मैं बोला, "क्या तुम्हारी कोई फ्रेंड है जो ये सब जानती है, की तुम क्या करती हो..? तुम्हे मुझे उसका नाम बताने की कोई जरुरत नहीं है, सिर्फ हाँ या ना बोलो "

"हाँ , है., मेरी एक फ्रेंड जो ये सब जानती है, इन्फक्ट ये डिल्डो भी उसी ने दिया है मुझे."

"अगर तुम अपनी फ्रेंड को यहाँ पर बुला के, उससे ये सब करवा सकती हो, तो मैं अपने फ्रेंडस से ज्यादा पैसे चार्ज कर सकता हूँ, और तुम्हारी फ्रेंड को कुछ भी पता नहीं चलेगा..."मैंने उसे अपनी योजना बताई.

"लेकिन मुझे तो मालुम रहेगा ना..और वोही सिर्फ मेरी एक फ्रेंड है जिसके साथ मैं सब कुछ शेयर करती हं, अपने दिल की बात, अपनी अन्तरंग बांते सभी कुछ, मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती" ऋतू ने जवाब दिया.

"तुम्हे तो अब मालुम चल ही गया है, और हम दोनों इसके बारे में बातें भी कर रहे हैं..है ना.." मैं तो तुम्हे सिर्फ पैसे बनाने का तरीका बता रहा हूँ, जरा सोचो, छुट्टियाँ आने वाली है, मम्मी पापा तो चाचा - चाची के साथ हर साल की तरह पहाड़ों में कैंप लगाने चले जायेंगे,और पीछे हम दोनों घर पर बिना पैसो के रहेंगे, अगर ये पैसे होंगे तो हम भी मौज कर सकते हैं, लेट night पार्टी, और अगर चाहो तो कही बाहर भी जा सकते हैं...छुट्टियों के बाद अपने दोस्तों से ये तो सुनना नहीं पड़ेगा की वो कहाँ कहाँ गए और मजे किये, हम भी ये सब कर सकते हैं ..हम भी अपनी छुट्टियों को यादगार बना सकते हैं , जरा सोचो.."


"अगर मैं मना कर दूं तो" ऋतू बोली "तो तुम क्या करोगे"

"नहीं तुम ऐसा नहीं करोगी," मैंने कहा "ये एक अच्छा आईडिया है, और इससे किसी का कोई नुक्सान भी नहीं हो रहा है, विशाल और सन्नी तो तुम्हे देख देखकर पागल हो जाते हैं, वो ये सब बाहर बताकर अपना मजा खराब नहीं करेंगे, मेरे और उनके लिए ये सब देखने का ये पहला और नया अनुभव है."

"और अगर मैंने मन कर दिया तो मैं ये सब नहीं करूंगी, और ये छेद भी बंद कर दूँगी, और आगे से कभी भी अपने रूम में ये सब नहीं करूंगी, फिर देखते रहना मेरे सपने..."ऋतू बोली.

"please ऋतू.." मैं गिढ़गिराया "ये तो साबित हो ही गया है के तुम काफी उत्तेजना फील करती हो और अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए अपनी मुठ मारती हो और इस डिल्डो से मजे भी लेती हो, अगर तुम्हे और कोई ये सब करते देखकर उत्तेजना में अपनी मुठ मारता है तो इसमें बुरे ही क्या है, तुम भी तो ये सब करती हो और तुम्हे देखकर कोई और भी मुठ मारे तो इसमें तुम्हे क्या परेशानी है."

"मेरे कारण वो मुठ मारते हैं, मतलब विशाल और सन्नी ? वो आश्चर्य से बोली.

"मेरे सामने तो नहीं, पर मुझे विश्वास है घर पहुँचते ही वो सबसे पहले अपनी मुठ ही मारते होंगे " मैंने कुछ बात छिपा ली.

"और तुम ?..क्या तुम भी मुझे देखकर मुठ मारते हो.??"

"हाँ !!मैं भी मारता हूँ , मैंने धीरे से कहा, "मुझे लगता है की तुम इस दुनिया की सबसे खुबसूरत और आकर्षक जिस्म की मालिक हो."

"तुम क्या करते हो ?"उसकी उत्सुकता बदती जा रही थी.

"मैं तुम्हे नंगा मुठ मारते हुए देखता हूँ और अपने ममम..से खेलता हूँ." मैं बुदबुदाया ..

"और क्या तुम....मेरा मतलब है ..~!!

"क्या ?" मैंने पूछा.

"क्या तुम्हारा निकलता भी है जब तुम मुठ मारते हो..?:

"हाँ , हमेशा..मैं कोशिश करता हूँ की मेरा तब तक ना निकले जब तक तुम अपनी चरम सीमा तक नहीं पहुँच जाओ, पर ज्यादातर मैं तुम्हारी उत्तेजना देखकर पहले ही झड जाता हूँ"

"मुझे ये सब पर विश्वास नहीं हो रहा है" ऋतू ने अपना डिल्डो उठाया और उसको वापिस बेद के निचे draw में रख दिया.

"देखो ऋतू, मैं तुम्हे इसमें से आधे पैसे दे सकता हूँ, बस जरा सोच कर देखो, वैसे भी मेरे हिसाब से ये रूपए तुमने ही कमाए है."

"हाँ ये काफी ज्यादा पैसे है, मैंने तो इतने कभी सपने में भी नहीं सोचे थे"

"तुम ये आधे रूपए रख लो और बस मुझे ये बोल दो की तुम इस बारे में सोचोगी" मैंने कहा.

"लेकिन सिर्फ एक शर्त पर"...ऋतू बोली.

"तुम कुछ भी बोलो...मैं ख़ुशी से उछल पड़ा "मैं तुम्हारी कोई भी शर्त मानने को तैयार हूँ"

"तुम मुझे देखते रहे हो, ठीक "

"हाँ तो ?"

"मैं भी तुम्हे हस्त्मेथुन करते देखना चाहती हूँ." ऋतू बोली..

"क्या ..........!!!!???"

"तुम अभी हस्त्मेथुन करो...मेरे सामने, .

"नहीं ये मैं नहीं कर सकता,,,मुझे शर्म आएगी .."मैंने कहा.

"तो फिर भूल जाओ, मैं इस बारे में सोचूंगी भी नहीं..

"अगर मैंने करा तो क्या तुम सोचोगी"

"हाँ ! बिलकुल".. ऋतू ने अपनी गर्दन हाँ में हिलाई.

"और कभी कुछ भी हो जाए, तुम ये अलमारी का छेद कभी बंद नहीं करोगी." मैंने एक और शर्त राखी.

"अगर तुम मुझे बिना बताये अपने दोस्तों को यहाँ लाये तो कभी नहीं.."

" wow , क्या सच में " मुझे तो अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ.

"तो क्या तुम अभी मेरे सामने हस्मेथुन करोगे.." उसने फिर से पूछा.

"हाँ" 

"तो ठीक है "स्टार्ट now ....."मैंने शर्माते हुए अपनी जींस उतारी और अपना boxer भी उतार कर साइड में रख दिया, और अपने लंड को अपने हाथ में लेकर मन ही मन में बोला , चल बेटा तेरे कारनामे दिखाने का टाइम हो गया..धीरे -२ उसने विकराल रूप ले लिया और मैं उसे आगे पीछे करने लगा.


मैंने ऋतू की तरफ देखा तो वो आश्चर्य से मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी,उसकी आँखों में एक ख़ास चमक आ रही थी.


मैं अपने हाथ तेजी से अपने लंड पर चलने लगा, ऋतू भी धीरे-२ मेरे सामने आ कर बैठ गयी, उसका चेहरा मेरे लंड से सिर्फ एक फूट की दुरी पर रह गया, उसके गाल बिलकुल लाल हो चुके थे, उसके गुलाबी लरजते होंठ देखकर मेरा बुरा हाल हो गया, वो उनपर जीभ फेरा रही थी और उसकी लाल जीभ अपने गीलेपन से उसके लबों को गीला कर रही थी. मेरा लंड ये सब देखकर १ मिनट के अन्दर ही अपनी चरम सीमा तक पहुँच गया और उसमे से मेरे वीर्य की पिचकारी निकल कर ऋतू के माथे से टकराई, वो हडबडा कर पीछे हुई तो दूसरी धार सीधे उसके खुले हुए मुंह में जा गिरी और पीछे होते होते तीसरी और चोथी उसकी ठोड़ी और गले पर जा लगी.


"wow ...मुझे इसका बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था.." ऋतू ने चुप्पी तोड़ी.


"मतलब तुमने आज तक ये....मेरा मतलब असली लंड नहीं देखा.." मैंने पूछा,


उसने ना में गर्दन हिलाई.


"और मुझे इस बात का भी अंदाज़ा नहीं था की ये पिचकारी मारकर अपना रस निकलता है. लेकिन ये रस है बड़ा ही टेस्टी." ऋतू ने अपने मुंह में आये वीर्य को निगलते हुए चटखारा लिया..


"क्या इसका स्वाद तुम्हारे रस से अलग है.." मैंने पूछा. "मैंने भी तुम्हे डिल्डो को अपनी योनी में डालने के बाद चाटते हुए देखा है"


"हाँ..थोडा बहुत,,तुम्हारा थोडा नमकीन है..पर मुझे अच्छा लगा."


"मेरा इतना गाड़ा नहीं है पर थोडा खट्टा-मीठा स्वाद आता है.....क्या तुम टेस्ट करना चाहोगे." ऋतू ने मुझसे पूछा.


"हाँ....बिलकुल...क्यों नहीं..पर कैसे."


वो मुस्कुराती हुई धीरे धीरे अपने बेड तक गयी और अपना डिल्डो निकला,उसको मुंह में डाला और मेरी तरफ हिला कर फिर से पूछा..."क्या तुम मेरा रस चखना चाहोगे.."


मैंने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई..


उसको डिल्डो चूसते देखकर मेरे मुरझाये हुए लंड ने एक चटका मारा..जो ऋतू की नजरों से नहीं बच सका..


फिर उसने अहिस्ता से अपनी जींस के बटन खोले और उसको उतार दिया, हमेशा की तरह उसने अंडर वेअर नहीं पहना हुआ था, उसकी चूत मेरी आँखों के सामने थी, मैंने पहली बार इतनी पास से उसकी चूत देखि, उसमें से रस की एक धार बह कर उसकी जींस को गीला कर चुकी थी, वो काफी उत्तेजित थी.


फिर वो अपनी टाँगे चोडी करके बेड के किनारे पर बैठ गयी, और वो डिल्डो अपनी चूत में दाल कर अंदर बाहर करने लगी..मैं ये सब देखकर हैरान रह गया, वो आँखे बंद किये, मेरे सामने, २ फीट की दुरी से अपनी चूत में डिल्डो डाल रही थी.जब वो डिल्डो उसके अन्दर जाता तो उसकी चूत के गुलाबी होंठ अन्दर की तरफ मुद जाते और बाहर निकालते ही उसकी चूत के अन्दर की बनावट मुझे साफ़ दिखा जाते. मैं तो उसके अंदर के गुलाबीपन को देखकर और रस से भीगे डिल्डो को अन्दर बाहर जाते देखकर पागल ही हो गया. मैं मुंह फाड़े उसके सामने बैठा था. उसने अपनी स्पीड बड़ा दी और आखिर में वो भी जल्दी ही झड़ने लगी, फिर उसने अपनी आँखे खोली, मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और अपनी चूत में से भीगा हुआ डिल्डो मेरे सामने करके बोली..."लो चाटो इसे ...घबराओ मत..तुम्हे अच्छा लगेगा...चाटो.."


मैंने कांपते हाथों से उससे डिल्डो लिया और उसके सिरे को अपनी जीभ से छुआ, मुझे उसका स्वाद थोडा अजीब लगा,पर फिर एक दो बार चाटने के बाद वोही स्वाद काफी मादक लगने लगा और मैं उसे चाट चाटकर साफ़ करने लगा..ये देखकर ऋतू मुस्कुराई और बोली.."कैसा लगा." ?


"इट्स रेअल्ली टेस्टी " मैंने कहा.


ऋतू ने डिल्डो मेरे हाथ से लेकर वापिस अपनी चूत में डाला और खुद ही चूसने लगी..और बोली "मज़ा आया".


"हाँ"


"मुझे भी मज़ा आता है अपने रस को चाटने मैं, कई बार तो मैं सोचती हूँ की काश मैं अपनी चूत को खुद ही चाट सकती.."


"क्या तुमने कभी अपना रस चखा है.."उसने मुझसे पूछा..


"नहीं ...क्यों.."


"ऐसे ही...एक बार ट्राई करना"


"आज रात सब के सोने के बाद तुम मेरे लिए एक बार फिर से मुठ मारोगे और अपना रस भी चाट कर देखोगे.." ऋतू बोली.


"मैं अपना वीर्य चाटूं ???पर क्यों." मैंने पूछा.


"क्योंकि मैं चाहती हूँ, और अगर तुमने ये किया तभी मैं तुम्हे अपना जवाब दूंगी." ऋतू ने अपना फैसला सुनाया.
ठीक है... मैंने कहा.

ऋतू : "अब तुम जल्दी से यहाँ से जाओ, मुझे अपना होमेवोर्क भी पूरा करना है."

मैंने जल्दी से अपना underwear और जींस पहनी, लेकिन मेरे खड़े हुए लंड को अन्दर डालने में जब मुझे परेशानी हो रही थी तो वो खिलखिलाकर हंस रही थी, और उसके हाथ में वो काला डिल्डो लहरा रहा था. मैं जल्दी से वहां से निकल कर अपने रूम में आ गया.

अपने रूम में आने के बाद मैंने छेद से देखा तो ऋतू भी अपनी जींस पहेन कर पढाई कर रही थी.

रात को सबके सोने के बाद मैंने देखा की उसके रूम की लाइट बंद हो चुकी है, थोड़ी ही देर मैं मैंने अपने दरवाजे पर हलकी दस्तक सुनी, मैंने वो पहले से ही खुला छोड़ दिया था, ऋतू दरवाजा खोलकर अन्दर आ गयी.उसने nightgown पहन रखा था.

"चलो शुरू हो जाओ " वो अन्दर आते ही बिना किसी भूमिका के बोली.

मैं चुपचाप उठा और अपना पायजामा उतार कर खड़ा हो गया, अपने लंड के ऊपर हाथ रखकर आगे पीछे करने लगा, वो मंत्र्मुघ्ध सी मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी, इस बार वो और ज्यादा करीब से देख रही थी, उसके होठों से निकलती हुई गर्म हवा मेरे लंड तक आ रही थी..मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया,

तभी ऋतू बोली "अपना वीर्य अपने हाथ में इक्कठा करो."

मैंने ऐसा ही किया, मेरे लंड के पिचकारी मारते ही मैंने अपनी मुठ से अपने लंड का मुंह बंद कर दिया और सारा माल मेरी हथेली में जमा हो गया.

"वाह ...मजा आ गया, तुम्हे मुठ मरते देखकर सच में मुझे अच्छा लगा...अब तुम इस रस को चख कर देखो" ऋतू बोली.

मैंने झिझकते हुए अपने हाथ में लगे वीर्य को अपनी जीभ से चखा.

ऋतू ने पुचा "कैसा लगा" ?

"तुम्हारे रस से थोडा अलग है" मैंने जवाब दिया.

ऋतू : "कैसे "?

मैं : "शायद इसमें मादकता कम है".

वो मुस्कुराई.

ऋतू : "चलो मुझे भी चखाओ "

मैं : "ये लो"

और मैंने अपना हाथ ऋतू की तरफ बड़ा दिया, वो अपनी गरम जीभ से धीरे धीरे उसे चाटने लगी फिर अचानक सड़प-२ कर वो मेरा पूरा हाथ साफ़ करने के बाद बोली...यम्मी ..मुझे तुम्हारा रस बहुत स्वाद लगा. और काफी मीठा भी. क्या तुम मेरे रस के साथ अपने रस को compare करना चाहोगे.

मैं : "हाँ हाँ ...क्यों नहीं"

फिर वो थोडा पीछे हठी और अपना gown आगे से खोल दिया..मैं देख कर हैरान रह गया, वो अन्दर से पूरी तरह नंगी थी.

उसकी ३४ब साइज़ की सफ़ेद रंग की चूचियां तन कर खड़ी थी, और उन स्तनों की शोभा बढ़ाते दो छोटे-२ निप्पल्स किसी हीरे की तरह चमक रहे थे.

फिर उसने अपने हाथ अपनी जांघो के बीच में डाला और अपनी चूत में से वो काला डिल्डो निकाला , वो पूरी तरह से गीला था, उसका रस डिल्डो से बहता हुआ ऋतू की उँगलियों तक जा रहा था,

मैंने उसके हाथ से डिल्डो लिया और उसको चाटने लगा, गर्म और ताज़ा,मैं जल्द ही उसे पूरी तरह से चाट गया, वो ये देखकर खुश हो गई.

मैं : " मुझे भी तुम्हारा रस अच्छा लगा"

ऋतू बोली "अब मुझे भी तुम्हारा थोडा रस और चखना है...अपना लंड अपने हाथ में पकड़ो..."

मेरे लंड के हाथ में पकड़ते ही वो झुकी और मेरे लंड के चारो तरफ अपने होंठो का फंदा बना कर उसमे बची हुई आखिरी बूँद को झट से चूस गई..

मैं तो सीधा स्वर्ग में ही पहुँच गया.

"wow ..." मैंने कहा "ये तो और भी अच्छा है"

ऋतू बोली " तुम्हारा लंड भी इस नकली से लाख गुना अच्छा है"

"क्या मैं भी तुम्हे टेस्ट कर सकता हूँ"...मैंने शर्माते हुए ऋतू से पुचा.

"तुम्हारा मतलब है जैसे मैंने किया....क्यों नहीं....ये लो."

इतना कहकर वो मेरे बेड पर अपनी कोहनी के बल लेट गयी और चोडी करके अपनी टाँगे मोड़ ली, उसकी गीली चूत मेरे बिलकुल सामने थी.मैं अपने घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और उसकी जांघो को पकड़ कर अपनी जीभ उसकी चूत में दाल दी...वो सिसक पड़ी और अपना सर पीछे की तरफ गिरा दिया..

उसकी मादक खुशबु मेरे नथुनों में भर गयी ...फिर तो जैसे मुझे कोई नशा सा चढ़ गया, मैं अपनी पूरी जीभ से उसकी चूत किसी आइसक्रीम की तरह चाटने लगा, ऋतू का तो बुरा हाल था, उसने अपने दोनों हांथो से मेरे बाल पकड़ लिए और खुद ही मेरे मुंह को ऊपर नीचे करके उसे कण्ट्रोल करने लगी, मेरी जीभ और होंठ उसकी चूत में रगड़कर एक घर्षण पैदा कर रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था की मैं किसी गरम मखमल के गीले कपडे पर अपना मुंह रगड़ रहा हूँ....उसकी सिस्कारियां पुरे कमरे में गूंज रही थी..और फिर वो एक झटके के साथ झड़ने लगी और उसकी चूत में से एक लावा सा बहकर बाहर आने लगा.

मैं जल्दी से उसे चाटने और पीने लगा, और जब पूरा चाटकर साफ़ कर दिया तो पीछे हटकर देखा, ऋतू का शारीर बेजान सा पड़ा था और उसकी अद्खुली ऑंखें और मुस्कुराता हुआ चेहरा हलकी रौशनी में गजब का लग रहा था.

मेरा पूरा चेहरा उसके रस से भीगा हुआ था.

वो हंसी और बोली "मुझे विश्वास नहीं होता की आज मुझमें से इतना रस निकला....ऐसा लग रहा था की आज तो मैं मर ही गई"

मैंने पूछा "तो तुम्हारा जवाब क्या है"?

"हाँ बाबा हाँ, मैं तैयार हूँ" वो हँसते हुए बोली.

वो आगे बोली "लेकिन वो भी पहली बार सिर्फ तुम्हारे लिए , तब तुम अपने दोस्तों को नहीं बुलाओगे....फिर बाद में हम decide करेंगे की आगे क्या करना है"

"ठीक है...मुझे मंजूर है" मैंने कहा.

मैंने उसे खड़ा किया और उसे नंगे ही गले से लगा लिया "तुम्हे ये सब करना काफी अच्छा लगेगा "

वो कसमसाई और बोली "देखेंगे..."

और अपना gown पहन कर अपने डिल्डो को अंडर छुपा लिया और बोली "मुझे भी अपनी चूत पर तुम्हारे होंठो का स्पर्श काफी अच्छा लगा..ये एहसास बिलकुल अलग है...और मुझे इस बात की भी ख़ुशी है की मेरा अब कोई सिक्रेट भी नहीं है"

"हम दोनों मिलकर बहुत सारे पैसे कमाएंगे..." मैंने कहा..." और बहुत मज़ा भी करेंगे...."

"good night " मैंने बोला.

"good night " ये कहकर वो अपने रूम में चली गयी.

मैं भी ऋतू के बारे में और आने वाले समय के बारे में सोचता हुआ अपनी आगे की योजनायें बनाने लगा..
अगले दिन जब मैं उठा तो कल रात की बातें सोचकर मुस्कुराने लगा, फिर कुछ सोचकर झटके से उठा और छेद में देखने लगा, पहले तो मुझे कुछ दिखाई ही नहीं दिया पर जब गौर से देखा तो हैरान रह गया, ऋतू की चूत मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी, वो छेद के पास खड़ी हुई अपनी चूत में डिल्डो अन्दर बाहर कर रही थी....बिलकुल नंगी.

मैं तो ये देखकर पागल ही हो गया., मैंने झट से अपना तना हुआ लंड बाहर निकाला और उसे तेजी से आगे पीछे करने लगा, मेरा मन कर रहा था की मैं अपनी जीभ छेद में दाल कर अपनी बहन की चूत में दाल दू और उसे पूरा चाट डालूं. मैं ये सोचते-२ जल्दी ही झड़ने लगा....तभी छेद में से ऋतू को अपनी तरफ देखते देखकर मैं पास गया तो उसने पुछा "क्या तुम्हारा हो गया...?"

"हाँ..."मैंने जवाब दिया "और तुम्हारा ...?"

"हाँ मेरा भी..." वो मुस्कुराई.

"मुझे तो बड़ा ही मजा आया" मैंने कहा.

"मुझे भी....चलो अब नीचे breakfast टेबल पर मिलते है.." ये कहकर वो बाथरूम में चली गयी, अपनी गांड मटकाती हुई.
आज मेरे दिल में एक अजीब सी ख़ुशी मचल रही थी, जिंदगी के ये नए रंग मुझे सचमुच अच्छे लग रहे थे,हांलांकि भाई बहिन के बीच ये सब पाप की नजर से देखा जाता है पर ना जाने क्यों ये पाप करना मुझे अच्छा लग रहा था.

मैं नाश्ता करके अपनी bike पर ऋतू को स्कूल छोड़ने चल दिया, रास्ते भर हम अपने इस नए "बिज़नस" के बारे में बातें करते रहे, की कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ, अगर १ हफ्ते में २ बार हम २ लोगो को या फिर ४ लोगो को, या फिर ३ से ४ बार "स्पेशल शो" दिखाएँ तो कितने पैसे मिलेंगे...और calculation के हिसाब से पैसे हमेशा बड़ते जा रहे थे, ये देखकर ऋतू काफी खुश हो रही थी.

उसी रात डिन्नर के टाइम ऋतू ने मम्मी पापा से कहा की उसकी सहेली पूजा कल रात यहीं पर रहेगी क्योंकि उनके एक्साम्स आ रहे हैं और वो उसकी तय्यारी करना चाहतें हैं. पूजा का नाम सुनते ही मैं चौंक गया, मैंने कई बार पूजा को अपने घर पर ऋतू के साथ देखा है, वो एक पंजाबी लड़की है, काफी सांवली जैसे पुराने जमाने की एक्ट्रेस रेखा हुआ करती थी, पर उसके मुम्मे और हांड ग़जब की है, एकदम tight और फेली हुई गांड और तने हुए छोटे खरबूजे जैसे मुम्मे.मैंने उनके बारे में सोच सोचकर कई बार मुठ भी मारी थी.

तो वोही वो लड़की है जिसने ऋतू को वो डिल्डो दिया था, तब तो वो काफी अडवांस होगी और मुझे भी काफी मौज करने को मिलेगी,,मैं यह सोचकर हलके - २ मुस्कुराने लगा. मुझे मुस्कुराते देखकर ऋतू भी रहस्यमयी हंसी हंस दी.

अपने कमरे में आने के बाद मैंने छेद में से झाँकने की कोशिश की पर वहां तो बिलकुल अँधेरा था, ऋतू ने लाइट बंद कर दी थी और वो अपने बिस्टर पर सो रही थी, मैं भी अपने बिस्तर पर जा कर सोने की कोशिश करने लगा.

तक़रीबन १ घंटे के बाद मुझे अपने दरवाजे पर हलचल महसूस हुई और मैंने देखा की ऋतू चुपके से मेरे कमरे मैं दाखिल हो रही है. उसने वोही night gown पहन रखा था.

"क्या हुआ ..इतनी रात को तुम्हे क्या चाहिए ?" मैंने पुछा.

"क्या तुम फिर से मेरी चूत चाट सकते हो, हैसे कल चाटी थी, मुझे सच में बड़ा मजा आया था.." ऋतू ने कहा.

"क्या सच मैं..." मुझे तो अपने luck पर विश्वास ही नहीं हुआ..

"हाँ ...और अगर तुम चाहो तो बदले में मैं तुम्हारा लंड चूस दूंगी क्योंकि मेरे डिल्डो में से रस नहीं निकलता...हे हे ." वो खिलखिलाई.

"wow , ठीक है मैं तैयार हूँ " मैंने कहा.

"ओके..then " ..फिर ऋतू ने एक झटके से अपना gown उतार फेंका उसने कल की तरह अन्दर कुछ भी नहीं पहन रखा था,...एकदम नंगी..मैंने अपने बेड के साइड का बल्ब जला दिया, दुधिया रौशनी में उसका गोरा बदन चमक उठा. वो आकर मेरे बेद पर अपनी टाँगे फैला कर लेट गयी , मैंने भी अपना मुंह उसकी चूत पर टिका दिया, और उसके निचले अधरों का रस पान करने लगा, आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी, उसकी गीली चूत में मुंह मारने में काफी मजा आ रहा था, वो लम्बी-२ सिस्कारियां ले रही थी और आशु...आशु...बडबडा रही थी.

आआआआआआआआह .......आआअशु ....म्म्म्मम्म्म्मम्म . मैंने उसकी clit अपने दांत में लेकर चुब्लाना शुरू कर दिया...वो तो पागल ही हो गयी. मैंने सांस लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया,उसने एक झटके से मेरे सर को दोबारा अपनी चूत पर टिका दिया और बोली.....बस्स्सस्स्स्सस्स्स थोडा आआआआआआऔर .......म्म्मम्म्म्मम्म ...चुसो मेरी चूत को....पी जाओ मेरा रस.......माआआआआआ ......

फिर तो जैसे एक सैलाब आया, मैं दीवानों की तरह उसकी चूत में अपनी जीभ और दांत से हमले करता चला गया....अंत में जब वो धराशायी हुई तो उसका पूरा बदन कांपने लगा और शरीर ढीला हो गया. मैंने जल्दी से उसका रस पीना शुरू कर दिया...अंत में वोह बोली...बस करो आशु...मैं मर जाउंगी...बस करो..please ..

मैं हटा तो उसकी आँखों में मेरे लिए एक अलग ही भाव था. मैंने कहा "मुझे तो तुम्हारी चूत का रस काफी अच्छा लगता है, काफी मीठा है, मुझे तो अब इसकी आदत ही हो गयी है..."

वो उठी और बोली "लाओ अब मैं तुम्हारा लंड चूस देती हूँ..."

"नेकी और पूछ पूछ.." मैं तेजी से उठा और अपना पायजामा jocky समेत उतार दिया और बेड के किनारे पर लेट गया.

वो मेरे सामने बैठी और बोली "मेरे पास डिल्डो सिर्फ एक वजह से है क्योंकि मेरे पास ये चीज असली में नहीं हैं.." उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और मसलने लगी.. नरम हाथों में आते ही मेरा पप्पू अपनी औकात पर आ गया और फूल कर कुप्पा हो गया.

"ये कितना नरम और गरम है" ऋतू बोली.

फिर उसने मेरे लंड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया..जल्दी ही मेरे लंड के सिरे पर precum की बूँद चमकने लगी, वो थोडा झुकी और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसे चाट गयी और फिर धीरे धीरे अपनी जीभ मेरे लंड के सुपदे पर फिरने लगी, मैं कोहनियों के बल बैठा आँखे फाड़े ये सब देख रहा था, फिर ऋतू ने अपने होंठ खोले और मेरे लंड को अपने मुंह में दाल लिया...वो तब तक नहीं रुकी जब तक मेरा सात इंच का लंड उसके गले से नहीं टकरा गया. फिर उसने अपने लब बंद कर लिए और अन्दर ही अन्दर अपनी जीभ मेरे लंड के चारो तरफ फिराने लगी.

मेरा तो बुरा हाल हो गया, उसके मुंह के अन्दर जाते ही वो कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा हो गया था, मैं अपने लंड की नसें चमकते हुए देख सकता था. फिर उसने धीरे-२ लंड को बाहर निकला और बोली...ये तो टेस्टी भी है,,,और ये कहकर दुगने जोश के साथ उसको फिर मुंह में लेकर चूसने लगी. वो अपने एक हाथ से मेरी बाल्स को भी मसल रही थी, मैं जल्दी ही झड़ने के कगार पर पहुँच गया और जोर -२ से साँसे लेने लगा, वो समझ गयी और जोर से चूसने लगी, तभी मेरे लंड ने पिचकारी मार दी जो सीधे उसके गले के अन्दर टकराई, वो रुकी नहीं और हर पिचकारी को अपने पेट में समाती चली गयी, और अंत में जब कुछ नहीं बचा तभी उसने मेरा लंड छोड़ा.."वओ ...मजा आ गया...लंड चूसने में तो मजा है ही...रस पीने का मजा भी अलग ही है."

"ईट फील unbelievable " मैंने उखड़ी सांसो से कहा.

"वेल... गुड night " वो बोली और उठते हुए मेरे लंड पर एक kiss करदी.

"गुड night "

फिर वो अपना gown पहन कर चुपके से अपने रूम मैं चली गयी और मैं कल के बारे में सोचकर रंगीन सपने बुनने लगा.
______________________________अगले दिन ऋतू को स्कूल छोड़कर जब मैं collage गया तो मेरा मन पढाई में नहीं लगा, सारा दिन मैं होने वाली रात के बारे में सोचता रहा, जब सन्नी और विकास ने भी मुझसे बात करने की कोशिश की तो उन्हें भी मैंने कहा बाद में बात करेंगे, वो दरअसल अगले "शो" के बारे मैं जानना चाहते थे. शाम को जब मैं घर पहुंचा तो मुझे ऋतू का इन्तजार था, थोड़ी देर में ही दरवाजे की बेल बजी और मैं भागकर गया, दरवाजा खोला तो ऋतू अपनी सहेली पूजा के साथ खड़ी थी, मुझे देखते ही ऋतू ने मुझे आँख मारी और बोली "भाई दरवाजे पे ही खड़े रहोगे या हमें अन्दर भी आने दोगे." और ये कहकर वो पूजा की तरफ देखकर जोर से खिखिअकर हंस दी. मैं साइड हो गया, पूजा ने अन्दर जाते हुए मुझे मुस्कुराके धीरे से hi बोला, मैं तो उसकी white शर्ट में फंसी हुई चूचियां ही देखता रह गया, जो शर्ट फाड़कर बाहर आने को तैयार थी, मैंने मन में सोचा ये लडकियां इतना भार अपने सीने पर संभालती कैसे हैं?. 

अन्दर जाकर दोनों ने change किया ,डिन्नर के टाइम में दोनों स्कूल, बोयस, movies और आने वाली छुट्टियों के बारे में ही बातें करते रहे, फिर दोनों अपने रूम में चले गए, मैंने जल्दी से जाकर छेद से देखा तो दोनों बेड पर बैठकर पढाई कर रहे थे, मैं वापिस आकर लेट गया...उसके बाद कई बार चेक किया पर हर बार उन्हें पड़ते हुए ही पाया.

१ घंटे बाद मम्मी पापा ने सबको गुड night बोला और अपने कमरे में सोने चले गए, मैंने फिर से छेद में देखा टी पाया की दोनों अपनी कीताबें समेत रही हैं, फिर थोड़ी देर बैठकर बातें करने के बाद ऋतू ने धीरे से अपना gown खोल दिया ...लेकिन आज उसने अन्दर ब्रा और पेंटी पहन रखी थी, फिर पूजा ने भी अपनी टी शर्ट और केप्री उतार दी, उसने अन्दर ब्लैक कलर का सेट पहन रखा था. फिर दोनों ने बारी बारी से बाकी बचे कपडे भी उतार दिए, मेरी नजर अब सिर्फ पूजा पर ही थी, क्या ग़जब के चुचे थे यार..एकदम गोल-२ और तने हुए ऐसा लग रहा था जैसे कोई ताकत उन्हें ऊपर खींच रही है, और वो तन कर खड़े हुए हैं,उसके निप्पलस डार्क ब्लैक कलर के थे और एरोहोले काफी बड़े और फैले हुए थे, पेट एकदम सपाट, नाभि अन्दर की और घुसी हुई ,चूत पर हलके - २ काले रंग के बाल थे, मोती टाँगे और कासी हुई पिंडलियाँ, वो पलटी तो उसकी गांड देखकर ऐसा लगा की कोई गद्दा फिट किया हुआ हाई साली ने अपनी गांड में....मैंने एक मिनट में ही उसकी बॉडी का xray कर डाला, मेरा पप्पू अपने फुल मूड में आ चूका था.

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