Grab the widget  Get Widgets

h ado

yl

ity

बुधवार, 5 दिसंबर 2012

मैं कुंवारी पापा की प्यारी, चुद गयी यारों-1


कल हमने होली और फाग दोनों मनाये.. यहाँ US में weekend में ही tyohar मानाने का रिवाज है... एक लोकल क्लब में सब इकट्ठे थे - तकरीबन ३५ से ४० भारतीय परिवार.. होली जलाई गयी.. सब खूब नाचे - दारु पी - भांग और ठंडाई खुल कर बही - सबने जम कर पी - खूब रंग खेला - सब लाल भुत बने हुए थे - पापा ने क्लब के मैनेजर से ऊपर के एक कमरे की चाबी चुप चाप ले रखी थी... मम्मी अपनी सहेलियों के साथ मगन थी - भैया अपने दोस्तों के साथ -

पापा ने इशारा किया और मैं नजर बचाकर उनके साथ होली - ऊपर कमरे में पहुँचते ही पापा ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और बेदर्दी से मेरे होठ चूसने लगे - मैं उनका पूरा साथ दे रही थी - पापा ने जब छोड़ा तब तक मैं गरम हो चुकी थी - पापा ने फटाफट अपने कपडे उतारे और मेरे सामने थे उनका मोटा लम्बा लंड - पापा का पूरा बदन रंग में रंग था सिवाय लंड के - उनका गोरा चिट्टा लंड मचल मचल कर उछल उछल कर मुझे इशारे कर रहा था - अपने पास बुला रहा था - रोक नहीं पाई खुद को और दौड़ कर मुह में ले लिया - बेतहाशा चूसने लगी - पापा मेरे बालों को कस कर पकडे हुए थे और बीच बीच में इतनी जोरों से खींचते की लंड मुह से बहार आ जाता और पापा उसी तरह बाल पकडे हुए ही मेरे मुह लौंडा घुसा कर चोदने लगते - अचानक उन्होंने पूरा का पूरा लंड मुह में ठांस दिया - समझ गयी की अब उनका गिरने वाला है - और फिर जैसे मेरे मुह में बाढ़ आ गयी हो - पापा की मलाईदार ठंडाई का कोई मुकाबला नहीं था - जो नशा लंड के इस गाढे गाढे माल में था वो दुनिया के किसी भी नशे में नहीं हो सकता....पापा ने मुझे खड़ा किया और अपने हाथों से नंगा कर पलंग पर धकेल दिया और मेरी चूत को मुह लगा चूसने लगे - थोड़ी ही देर में मैं पागलों की तरह मचलने लगी और पापा को गन्दी गन्दी गलियां देते हुए चोदने के लिए कहने लगी - अब नहीं बर्दास्त हो रहा था - मैंने पापा को अपने ऊपर खिंच लिया और उन्हें बिस्तर पर पलट उनके लंड पर चढ़ बैठी... कुछ देर मर्दों की तरह पापा को चोदती रही की अचानक पापा ने मुझे पटक कर मेरे ऊपर आ गए और मुझे चोदने लगे - हर धक्का चूत की गहराइयों तक लंड को पहुंचा रहा था - भांग के नशे ने उनके ठहरने की ताकत को और भी बढ़ा दिया था साथ ही एक बार मुह में झड चुके थे - इसलिए बिना रुके चोदे ही जा रहे थे - पता नहीं कितनी देर तक चोदते रहे और जब झडे तो लगा पूरी चूत उनके रस से भर गयी है... थोड़ी देर बाद उठे और कपडे पहन कर बोले कि मैं जा रहा हूँ तुम थोड़ी देर बाद नीचे आ जाना... मगर मुझे कुछ सुनाई नहीं दिया...मैं चुदाई और भांग के नशे में मदहोश पड़ी थी - नंग धडंग - न जाने कितनी देर यूँहीं पड़ी थी कि पापा के हाथ फिर से अपने बदन पर सरकते महसूस हुए - मेरी चुचियों पर उनकी पकड़ सख्त हो गयी और मेरे होठो को अपने होठो में समेट लिया - मैं मन ही मन बोली - थैंक यु पापा - मेरा कितना ख़याल रखते हैं - और मैं अध्-बेहोशी की हालत में उनका साथ देने लगी - लौंडा चूत में और आग जगा रहा था - लगता है पहली चुदाई के बाद पापा का नशा कुछ उतरा है - एक एक धक्का नाप तोल कर लगा रहे थे - चूत की दीवारों का रगड़ते हुए लौंडा जब अन्दर जाता था तो लगता था चैन आ रहा है और फिर जब खींच कर निकालते थे तो चूत पागलों की तरह लंड से चिपटने की कोशिस करती थी - एक बार फी मेरी चूत मालामाल होने जा रही थी - और जब खुलता हुआ माल चूत में गिरा तो लगा बेहोश ही हो जाउंगी - निढाल सी पलंग पर फैली पड़ी थी की पापा के नंगे बदन का सारा बोझ मेरी चुचियों पर आ पड़ा - मेरे रस और अपने वीर्य में सना लंड मेरी छाती पर बैठ मेरे मुझ में घुसेड दिया - बिना सोचे समझे आँखे बंद किये बेतहाशा लंड चूसने लगी - लौंडा फिर तन्ना गया - पापा मुझ पर से उठे और मुझे उठा कर पेट के बल पलंग के किनारे पर लिटा दिया - मेरी टाँगे जमीन को छू रही थी और चुतड पलंग के किनारे पर थे - पेट के नीचे हाथ दे कर उन्होंने मेरे चुतड हवा में उठा दिए और एक सधा हुआ निशाना और लौंडा आधा मेरी गांड में था - दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी - पापा ने मेरे मुह अपने हाथों से दबोच लिया और चीख वहीँ की वहीँ घुट कर रह गयी - दुसरे हाथ से मेरी चूची थामी और और अगले ही धक्के में पूरा का पूरा लौंडा मेरी गांड में था - मैं दर्द से बिलबिला रही थी मगर पापा मेरे दर्द से बेखबर मेरी गांड में लंड पेले ही जा रहे थे - मैं भी अब मजा लेने लगी थी - चुतड पीछे धकेल कर धक्के पर धक्के झेल रही थी - गांड के संकरे छेद में लंड ज्यादा देर टिक नहीं पाया और माल उगल दिया... मैं थकी हरी पलंग पर गिर पड़ी - पता ही नहीं चला पापा कब उठे और कब गए....कमरे में हम तीन थे और दिलीप के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी - मैंने कमरे कि चिटकनी बंद कर दी और पापा से बोली - पापा, इसने मेरी इज्जत लूट ली उसकी इसको सजा मिलनी ही चाहिए | पापा पूछने लगे क्या चाहती हो तुम - मैंने कहा ये बिना सजा भुगते भाग न जाए इसके लिए इसके कपडे उतर कर इसको नंगा कर दीजिये | दिलीप काफी हील-हुज्जत कर रहा था पर हम दोनों ने मिल कर उसे नंगा कर ही दिया | मेरे कहने पर उसे पलंग पर लिटा कर मेरी चुन्नी से उसके दोनों हाथ बांध दिए और पापा कि टी से उसके दोनों पांव. अब दिलीप मादरजाद नंगा पलंग पर बंधा पड़ा था और माफी मांग रहा था - मैंने कहा गलती करने से पहले सोचना था अब भुगतने को तैयार हो जाओ - इतना कह कर मैं भी अपने कपडे उतर कर नंगी हो गयी - पापा कुछ सोच पायें इससे पहले दिलीप का लौंडा मेरे मुह में था | थोड़ी सी चुसाई के बाद ही तन्नाने लगा - मैं पापा से बोली पापा प्लीज़ पीछे से घुसा दीजिये अपना लौंडा - मेरे तो मजे थे - एक चूत में था और एक मुह में - दिलीप ने थोड़ी ही देर में मेरे लिए dessert कि व्यवस्था कर दी और मुह मलाईदार रबड़ी से भर दिया - पापा भी और न रुक पाए और मेरी चूत भर दी |

मेरे उरोजों पे रेंगते तेरे होंठ, मुझे मदहोश किये जाते हैं
कुछ करो ना हम तेरे आगोश में बिन पिए बहक जाते हैं

 दो घंटे तक मैं थी - चुदास कुतिया और मेरे चूत पर जुटे थे दो कुत्ते - पापा और दिलीप | मेरे तीनो छेदों में दे पिचकारी दे पिचकारी होली खेली गयी | अब और ताकत नहीं थी चुदने कि और हम तीनो ही निढाल पलंग पर पड़े थे कि इतने में कोई जोरों से कमरे का दरवाजा खटखटाने लगा | हम तीनो ही उठे - मैं और पापा अपने कपडे उठा कर भाग कर बाथरूम में छुप गए और दिलीप ने झटपट चादर लपेटी और दरवाजा खोला - बाथरूम के दरवाजे कि फांक से हमें सब दिखाई दे रहा था - दरवाजे पर मम्मी कड़ी थी - नशे में लडखडाती मदहोश सी - कमरे में अन्दर आकर पलंग पर बैठते हुए दिलीप से बोली - तुने सोनी और उसके पापा को देखा क्या - सारी जगह ढूंढ चुकी - कहीं घर ना चले गए हों और इस तरह बडबडाते हुए वहीँ पलंग पर पसर गयी - पलंग पर रखे दिलीप के कपडे उनके नीचे दब गए - दिलीप उन्हें निकालने के लिए मम्मी के कंधे पकड़ कर उठाने लगा ही था कि एक जोरदार झापड़ उसके मुह पर पड़ा | मम्मी गुस्से में आग बबूला हो उसपर टूट पड़ी - हरामखोर साला कुतिया का जना मुझे हाथ लगाता है ठहर अभी सब को बुलाती हूँ और इसी हाथापाई में दिलीप कि चद्दर खुल गयी और वो मादरजाद नंगा था - दिलीप ने दौड़ कर कमरे का दरवाजा बंद किया और उनके माफी मांगने लगा - मम्मी एकटक उसके लंड को देखे जा रही थी - ढीला ढाला दिलीप का लंड भी काफी आलिशान था - मम्मी ने हाथ बढ़ा कर उसका लंड थाम लिया - बिना सोच हिप्नोटाइज नीचे बैठ गयी और लंड हाथो से हिलाने लगी - लंड तन्नाने लगा था और कब मम्मी ने पूरा का पूरा मुह में समेट लिया न हमें समझ आया और न ही दिलीप को |पापा बाथरूम से सब देख रहे थे और आग बबूला हो रहे थे मगर कुछ नहीं कर सकते थे | सबसे खस्ता हालत तो दिलीप की थी जिसे पता था पापा बाथरूम में हैं और उनके सामने ही उनकी बीबी उसका लंड चूस रही है | करे तो क्या करे | उगले तो अँधा निगले तो कोढ़ी | हमारी आँखों के सामने मामी ने दिलीप से अपनी चूत भी मरवाई और मम्मी की मस्त गांड देख कर अगर दिलीप बिना गांड मारे उन्हें छोड़ देता तो मैं दिलीप को हिजड़ा समझ लेती - मगर दिलीप पक्का मर्द था औरे मामी की हर एंगल से चुदाई की - जम कर चुदाई की | बाद में मम्मी को उसने समझा बूझा कर भेज दिया की वो थोड़ी देर बाद आएगा ताकि किसी को शुबहा नहीं हो |

______________________________
मेरे उरोजों पे रेंगते तेरे होंठ, मुझे मदहोश किये जाते हैं
कुछ करो ना हम तेरे आगोश में बिन पिए बहक जाते हैं

मैं और पापा बाथरूम से   sehs  bhag -2 me 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

AddThis Smart Layers

ch 1

c

ch b