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सोमवार, 28 जनवरी 2013

हस्तमैथुन

हस्तमैथुन करने से मन के अंदर हीन भावना पैदा हो जाती है। इस क्रिया को करने के बाद हस्तमैथुन करने वाला यह सोचता है कि वह इस प्रकार की गलती दुबारा कभी नहीं करेगा परन्तु वह पुरुष अपने मन को काबू न रख पाने की वजह से पुनः हस्तमैथुन की क्रिया करने को मजबूर हो जाता है और इस तरह से हीनभावना के शिंकजे में फंस जाता है। इस रोग को एंजाएटी न्यूरोसिस के नाम से भी जाना जाता है।आप की इस पोस्ट से पूरी तरह असहमत हूँ ,वैसे लगता है आप भी उसी पीढ़ी का

प्रतिनिधित्व करते हैं जो सेक्स को घृणित कार्य की श्रेणी में रख कर उस से बचने

की शिक्षा देते है ,



अभी के तथाकथित सेक्स ,गुरु और नीम हाकिम अपना धंधा चमकाने और इस डर

का फ़ायदा उठा कर उन्हें जड़ी बूटियाँ और ऐसी भस्मे जिनमे लेड की अशुद्धि होती है

.और शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को भी मानसिक रोगी बना देते है ,

मास्टर एंड जानसन (विख्यात सेक्स वैज्ञानिक और इसी नाम के ग्रन्थ के रचियता )
जो की कई शोध और रोगियों को देखने के बाद यह लिखते हैं

वीर्य का बनना और उस का स्खलन एक पूर्ण तयः नैसर्गिक क्रिया है ....

और हस्त मैथुन या किसी और प्रकार इस का क्षय हानिकारक नहीं है


अमेरिकन आर्मी मे तो नौसैनिकों का यह तनाव कम करने और रिलेक्स होने का

माध्यम है ,और तो और कई प्रतिस्पर्धाओं मे प्रतियोगी ठीक अपने प्रदर्शन

के पूर्व तनाव दूर करने के लिये हस्त मैथुन का सहारा लेते है


अगर आप हाथ से नहीं निकालेंगे तो night-fall होगा जिसे हम सामान्यतयः छूट

हो गयी कह देते हैं , कोई मुठ नहीं मारता और उस का ऐसे वीर्य पतन हो जाता है

तो भी उसे आप जैसे जैसे लोग फिर रात्रि-दोष का नाम दे कर फिर उस सामान्य व्यक्ति को

रोगी बता देते हो

पुराने आश्रम से लेकर ग्रीक रोमन और दूसरी संस्कृतियों मे हस्त मैथुन ही नहीं

स्खलन के लिये mutual आपसी सहमती से भी एक दुसरे से चिपक कर शारीर

रगड़ कर या दुसरे के जनानांग रगड़ कर अथवा दुसरे तरीके गर्म पानी की धार गिराना

कई बार गाय बकरी कुत्ता गधा सुवर तक से के गुदा मैथुन का वर्णन मिलता है


हाँ .स्त्रियाँ भी हस्त मैथुन करती है उसमे ऊपर से vulva को सहलाना या कोई बाहरी

वस्तु प्रविष्ट करना उन्हें अत्यंत सावधानी की आवश्यकता है सफाई का विशेष

ध्यान और भीतरी अंग पर चोट खरोंच या ज़ख़्म न लगे इस का विशेष ध्यान ....


अति सर्वत्र वर्जयते

किसी भी काम की अति न हो .इसे आदत न बनाया जाये ,गरीदार फल बादाम ,काजू ,पिस्ता

खारक खोपरा शुद्ध घी का सेवन जननांगों की सफाई हल्का फुल्का व्यायाम धर्म कर्म जाप ध्यान

सब करें अपने आप को अपराधी समझ कर स्वयं को हीन भावना से ग्रस्त न करे

ये एक नैसर्गिक क्रिया है , इसका आनंद ले संयमित हस्त-मैथुन मे कोई बुराई नहीं

ये मैं नहीं मेडिकल साइंस भी कहता है

चलते चलते दुनिया मे 99 % लोग हस्त-मैथुन करते हैं और जो 1% यह कहते हैं

हम नहीं करते वो झूठ बोल रहे है .....

तो हाथ रस मे जो मज़ा वो किसी और मे कहाँ
आप भी आनद से बैठो हाथ भी हिलता रहे

1 टिप्पणी:

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