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रविवार, 6 जनवरी 2013

चुदाई का प्रोग्राम

मेरी मैं उन दिनों अपने चाचा के यहां आई हुई थी। मैं एम ए की छात्रा थी। चाचा बिजनेस के सिलसिले में कुछ दिनों के लिये दिल्ली गये हुए थे। चाची घर पर ट्यूशन पढाती थी। चाची का नाम सुमन था। उनकी उम्र 35 वर्ष की थी। उसके पास कोलेज दो के छात्र पढने आते थे। रवि और सोनू नाम था उनका। दोनो ही 20 - 21 वर्ष के थे। मुझे पहले दिन से ही वो हाय हेल्लो करने लगे थे। उन दोनों से मेरी जल्दी ही दोस्ती हो गयी थी। ऊपर का कमरा खाली था सो सुमन उन्हे वहीं पढाया करती थी।


एक बार जब सुमन ट्यूशन पढा रही थी तब मैं किसी काम से ऊपर कमरे में गयी। जैसे ही मैं कमरे के पास पहुचीं तो मुझे सिसकारी की आवाज सुनायी पडी। मैं सावधान हो गयी। तभी मुझे फिर से हाऽऽय की आवाज सुनायी पडी। मैने धीरे से खिडकी से झांक कर देखा। वो लडके सुमन की चूंचियां दबा रहे थे। सुमन ने पेन्ट के ऊपर से ही एक का लन्ड पकड रखा था। सुमन बार बार आनन्द से सिसकारियां भर रही थी। मैं दबे पांव पीछे हट गयी और नीचे उतर आई।

मेरे सारे शरीर में सनसनी फ़ैल गयी थी। मैं अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गयी। मेरी सांसे तेज चल रही थी। मेरे मन में उत्तेजना भरने लगी थी। मुझसे रहा नहीं गया…… मैं फिर से दबे पांव ऊपर गई … मैने फिर से झांक कर देखा… मुझे पसीना छूटने लग गया। कमरे में सभी नंगे थे… रवि ने अपना लन्ड सुमन की चूत में डाल रखा था…और तबियत से चोद रहा था…… सोनू ने अपना लन्ड सुमन के मुँह में दे रखा था… मैं फिर नीचे आ गयी… मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी… मैं अपनी चूत दबा कर बैठ गयी। मैं भी जवान थी…मेरे पास भी जवानी का पूरा खजाना था। मेरे मन में भी चुदवाने तेज इच्छा उठने लगी। मेरी चूंचियां कड़ी होने लगी… जवानी का जोश हिलोरें मारने लगा।

मैं मन मार कर कमरे से बाहर निकल आई… पास की दुकान से अपना मोबाईल रीचार्ज करवाने लगी। जब मैं वापस आई तो उनका कार्यक्रम समाप्त हो चुका था। रवि और सोनू जाने की तैयारी में थे। मुझे देख कर कर वो दोनों ही मुसकराये, मैने भी उन्हे तिरछी निगाहों से मुसकरा कर देखा। वो दोनो चले गये और मैं सुमन की किस्मत पर जल उठी… जो कि दो जवान लण्डों की मालकिन थी। मेरे मन में हलचल हो रही थी…। मन अशान्त था …… मुझसे सुमन की चुदाई बरदाश्त नही हो पा रही थी।

रात के करीब 10 बज रहे थे…। मैने कमरे की लाईट बन्द कर दी और सोने के लिये लेट गयी। पर नींद कहां थी। रह रह कर सुमन की चुदाई की याद आ रही थी। मैने अपनी पेन्टी उतारी , रात को मैं ब्रा नहीं पहनती थी। मैने सोचा कि चूत में उंगली करके झड़ जाती हूं…… पर मुझे उसी समय बाहर कुछ आवाज आई… मैने दरवाजे से झांक कर देखा तो रवि और सोनू सुमन के कमरे की तरफ़ जा रहे थे। मैने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में आंखे गडा दी , यह दरवाजा चाचा के कमरे में खुलता था, और सुनने का प्रयास करने लगी। मुझे ये सुन कर हैरानी हुई कि सुमन उन दोनो के साथ मेरी चुदाई का प्रोग्राम बना रही थी… पर कैसे…?

वे तीनों मेरे कमरे की ओर आने लगे। मैं भाग कर अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी। मुझे लगा कि वो तीनों मेरे कमरे के बाहर आ गये है…… तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला… मैने देखा सुमन पहले अन्दर आयी… फिर दोनो उनके पीछे पीछे आये……। मैने सोने का बहाना किया। सोनू ने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। पर तीनों मेरे साथ क्या करेंगे …… क्या बलात्कार… यानी मेरी चुदाई… मेरा मन खुशी के मारे उछलने लगा…बिना कुछ किये मन की मुराद पूरी हो जाये तो… फिर ऊपर वाले का धन्यवाद करो…। मेरा सोचना बिलकुल सही निकला। रवि ने लाईट जला दी… मुझे देख कर उन दोनो के मुंह में पानी आ गया। मैने पेन्टी और ब्रा वैसे भी नहीं पहन रखी थी। स्कर्ट भी जांघों से उपर आ चुका था। अन्दर से मेरी चूत झांक रही थी।

रवि ने बिस्तर पर पास बैठ कर मेरी छोटी सी कमीज़ को ऊपर कर दिया। मेरे नंगी चूंचियां उसके सामने तनी हुयी खडी थी। मेरे शरीर में रोमांच भर आया… मुझे लग रहा था कि मेरी चूंचियां पकड कर मसल दे… लेकिन उसने बडे प्यार से मेरे स्तन सहलाये… मेरी नोकों को हौले हौले से पकड कर मसलते हुये घुमाया। इतने में सोनू ने मेरे स्कर्ट को ऊंचा करके मेरी चूत नंगी कर दी। अचानक मुझे मेरी चूत पर गीलापन लगा…… सोनू की जीभ से थूक मेरी चूत पर टपका कर उसे चाट लिया था…… मैं तड़प उठी… पर मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पडा। सुमन ने मेरे दोनो हाथ ऊपर कस कर पकड़ लिये। सोनू ने मेरी टांगे चीर कर फ़ैला दी। और मेरी टांगों के बीच में आ गया। अब मुझे लग गया कि मैं चुदने वाली हूं……तो मैने नाटक शुरु कर दिया…… मैने जाग जाने का नाटक किया…

"अरे ये क्या…… छोडो मुझे……… चाची…"

"चुप हो जा…कुतिया… मजे ले अब…"

" चाची… नहीं प्लीज़……"

इतने में सोनू का लन्ड मेरी चूत में घुस गया। मन में मस्ती छा गयी। चूत को लन्ड मिल गया था… तेज गुदगुदी सी उठी।

"सोनू…ये क्या कर दिया तूने… मुझे छोड दे……मत कर ना…मादरचोद…"

"रीता रानी … ऐसी मस्त जवान लड़की को तो चुदना ही पड़ता है… देख क्य टाइट चूत है…अब हम तेरी बहन चोद देंगे।" सोनू मस्त हो कर बोला।

रवि मेरे चूंचकों को चूस रहा था… सुमन ने खुद के कपड़े उतार फ़ेंके…वो पूरी नंगी हो गयी। हम सभी को पता था कि कार्यक्रम सफ़ल हो चुका है। सुमन ने रवि की पेन्ट और कमीज़ उतार कर उसे नन्गा कर दिया। सोनू पहले ही नंगा हो चुका था। चाची मुझे समझा रही थी

"देख रीता… लन्ड तो तेरी चूत में फ़िट हो ही गया है… अब मजा ले ले…ना'

"चाची… प्लीज़… मत करो ना…देखो मैं मर जाऊगीं…" मैने फिर नाटक किया। चाची ने मेरे होंठ चूमते हुये कहा

"अच्छा… दो मिनट के बाद छोड देंगे… मजा नहीं आये… तो नहीं सही… बस"

चाची समझ चुकी थी…कि मै यूं ही ऊपर से कह रही हूं और वास्तव में मुझे मजा आ रहा है।

"सोनू …मत करो…… इसे अच्छा नहीं लग रहा है… चलो मेरी मां चोद दो…"

अरे ये क्या हो गया…मैने तुरन्त पासा पलटा……

"चाची… तुम बडी खराब हो…एक दम हरामी … मां की लौड़ी"

मैने नीचे से सोनू को नीचे से चूतड़ उछाल कर एक तेज धक्का दिया…। और रवि का लन्ड पकड कर अपने मुख में डाल दिया। मेरी फ़ुर्ती देख कर दोनों को मस्ती आ गयी। दोनो सिसकारियां भरने लगे। चाची ने रवि और सोनू को रोक दिया।

"अब देखो कोई जबरदस्ती नहीं करना है…ये मादरचोद तो… रीता राज़ी है …"

सभी बिस्तर पर बैठ गये… मेरे बचे हुये शरीर के कपडे भी उतार दिये। फिर सुमन सभी को बताने लगी कि उन्हे क्या करना है… मैने अपनी बात रख दी,"पहले सोनू को मेरे पर चढने दो… उसका लन्ड मेरी चूत में रहने दो…फिर बात करो…"

"चलो सोनू तुम रीता को चोद डालो…रवि तुम मुझे चोदो… फिर बदल लेंगे…"

सोनू मुझसे लिपट गया… मुझे बुरी तरह से चूमने चाटने लगा… उस ने मुझे तुरन्त मुझे घोड़ी बनाया… और अपना कड़क लन्ड मेरी गान्ड पर मारने लगा। तो सोनू अब मेरी गान्ड चोदेगा। मेरी गान्ड में उसने ढेर सारा थूक लगाया और लन्ड को छेद पर रख कर अन्दर दबा कर घुसा दिया… उसका लाल सुपाडा फ़क से अन्दर घुस गया। मैं आनन्द से निहाल हो उठी… दूसरे धक्के में आधा लन्ड अन्दर था… तीसरा धक्का लन्ड को पूरा जड़ तक ले गया…… गान्ड मैने कई बार चुदाई थी… इसलिये मुझे इसमें बहुत मजा आता है…उसका गान्ड में फ़ंसा हुआ मोटा सा लन्ड मुझे बहुत ही आनन्द दे रहा था। सोनू अब धीरे धीरे धक्के तेज़ करने लगा… उधर रवि और सुमन मेरे साथ ही आ गये… शायद रवि को मैं अधिक पसन्द आ रही थी… रवि ने मेरी चूंचियां पकड कर मचकानी चालू कर दी… सुमन ने भी अपनी कला दिखाने लगी… उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में घुसा दी। मेरे मुख से आनन्द की हंसी और सिस्कारियां निकलने लगी। सोनू की धक्के मारने की गति तेज हो गयी थी… उसके मुख से आनन्द की सीत्कारें तेज हो उठी थी। मेरे चूतड अपने आप उछले जा रहे थे। मुझे ऐसे गान्ड मरवाने में बडा मजा आता था। सोनू के धक्के बढने लगे… उसका शरीर अकडने लगा।

अचानक सुमन ने मेरी चूत से दोनों उंगलियां निकाल दी और सोनू के दोनों चूतडों को कस कस के दबाने लगी। तभी सोनू के लन्ड ने मेरी गान्ड के अन्दर ही अपना वीर्य तेजी से छोड दिया। सुमन उसके चूतडों को दबाती ही रही जब तक कि उसका पूरा वीर्य नहीं छूट गया। तब रवि ने उसकी जगह ले ली। रवि बिस्तर पर लेट गया उसका खडा लन्ड मेरी चूत को आमन्त्रण दे रहा था … मैं रवि पर चढ गयी और उसके लन्ड को सीधे चूत पर टिका दिया… और फिर हौले से लन्ड पर दबा दिया…

"आऽऽऽऽऽऽह …… चुद गयी रे… चाची…"

"चुद जा… रीता…तेरी किस्मत अच्छी है कि पहली बार में ही तुझे दो दो लन्ड बिना कुछ किये ही मिल गये……चुद जा छिनाल अब…"

"चाची …… आई लव यू…… आप दिल की बात जानती हैं…आप बडी हरामी हैं…" मेरी बात सुन कर सुमन मुस्करा उठी…

"अब चुदने में मन लगा…रन्डी… मजा आयेगा…"

"हाय चाची …… चुद तो रही हू ना… देखो ना कैसे मोटे तगडे जवान लन्ड हैं…मेरी तो मां चोद देंगे ये…"

अब सोनू ने सुमन के उरोज पकड लिये… और लन्ड सुमन की गान्ड में घुसाने लगा… वह फिर से तैयार हो चुका था। सुमन हंस कर बोली-"देखा सोनू को … गान्ड मारने में माहिर है…… इसे सिर्फ़ गान्ड मारना ही अच्छा लगता है…"

मैं अब रवि पर लेट गयी थी… रवि नीचे से चुदाई का मजा ले रहा था। मैं उपर से उसे जबर्दस्त झटकों से चोद रही थी। मेरी गान्ड से सोनू का वीर्य निकल कर उसके लन्ड को तर कर रहा था।

"मेरे राजा… हाय…… क्या लन्ड है…मेरी चूत फ़ाड दे…राजा… " कहते हुये उसके खुले हुये मुख में मैने अपना मुख चिपका दिया… मेरे थूक से उसका चेहरा गीला हो गया था… पर मैं उसे चाटे जा रही थी। मुझे कुछ भी होश नही था। मेरा पूरा जोर उसके लन्ड पर था। फ़च फ़च की मधुर आवाजे माहोल को और सेक्सी बना रही थी। चूत के धक्कों से फ़च फ़च कि आवाज के साथ वीर्य के छीटें भी उछल रहे थे। उधर सोनू सुमन की गान्ड चोदने में लगा था।

अचानक रवि ने अन्गडाई ली … उसका लन्ड कडकने लगा…बेहद टाइट हो गया… उसका चेहरा लाल हो गया… दान्त भिंच गये……

' मै गया…… रानी…… निकला… हाऽऽऽऽय्…… गया…।"

मैने धक्कों की रफ़्तार बढा दी… अपनी चूत टाइट कर ली……… और मेरा भी निकलने को तैयार हो गया। मैने चूत टाइट कर के दो धक्के खींच के मारे …… तो उसकी और मेरी उत्तेजना चरम सीमा को पार कर गयी-"राजा …… मैं तो पूरी चुद गयी………गयी मैं तो…… निकला मेरा… हाऽऽऽऽय्…"

उधर रवि को झटके लगने चालू हो गये थे… उसका वीर्य झटके मार मार कर पिचकारी छोड रहा था। मैं भी झडने लगी थी…… हम दोनो ने एक दूसरे को कस कर पकड लिया। हमारा माल निकलता रहा…। अब हम पूरे झड चुके थे। हम ऐसे ही पडे सुस्ताते रहे…फिर में बिस्तर पर से उतर गयी।

सोनू भी झडने वाला था। उसका लन्ड सुमन की चूत चोद रहा था। मै और रवि ने तुरन्त उनकी मदद की… सुमन के चूचकों को मैने खींचना और मरोडना चालु कर दिया। रवि ने सोनू के चूतडों को जोर जोर से दबाने लगा… सुमन अचानक धीरे से चीख उठी… "रीतू… छोड मेरी चूंची को …… मैं गयी…… हाय… बस कर सोनू…"

पर सोनू तो चरम सीमा पर पहुन्च गया था… चूतडों के दबाते ही उसका लन्ड बरस पडा…… सारा वीर्य सुमन की चूत में भरने लगा। मैने सोनू के चूतडों को थपथपाया… और प्यार कर लिया…

रवि, मैं, सुमन वहीं बिस्तर पर लेट गये… और बातें करने लगे। मैं बोली-"चाची…… आज तो कस कर चुद गयी… थेन्क यू …चाची॥"

"मैने तुझे देख लिया था… फिर जब दूसरी बार आयी तो मैं समझ गयी …कि तू चुदना चाहती है…"

"चाऽऽऽची… जब मालूम था तो वहीं पकड कर क्यों नहीं चोद दिया…"

"नहीं रीतू रानी… बिना तडप के… चुदाई की कोई कीमत नही होती है…"

"नहीं चाची…… आप मुझे पकड के चुदवा देती… तो भी मुझे चुदना तो था ही ना॥"

"और अब चुदने में ज्यादा मजा आया ना…"

"आय… हाय चाची………मन शान्त हो गया… चूत की खुजली मिट गयी…"

सोनू और रवि बिस्तर के एक कोने में नन्गे पडे ही खर्राटे भर रहे थे… हम दोनो भी न जाने कब बातें करते करते सो गये थे…

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