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गुरुवार, 31 जनवरी 2013

सुहागरात कई मर्दों के साथ




धौलपुर का सराय छोला एक ऐसा गाँव है जहाँ एक परिवार के सभी भाई एक ही दुल्हन से ब्याह रचाते हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा से लगे मुरैना से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गाँव में एक जाति एवं समूह विशेष के लोगों में बहुपति प्रथा सालों से चली आ रही है। शादी के बाद दुल्हन को बारी-बारी से सभी भाइयों के साथ रखा जाता है।
जिस तरह महाभारत के पांच पांडवों ने द्रोपदी से शादी की थी, उसी तरह इस गांव के पांच भाई मिलकर एक लड़की से शादी कर रहे हैं। ऐसा किसी रस्म या खुशी से नहीं बल्कि मजबूरी में किया जा रहा है। यहां बसे एक जाति एवं धर्म विशेष के लोगों में लड़कियों की कमी के चलते इस गांव के लोगों ने यह नियम बनाया है। इसके तहत गांव के जिस भी घर में लड़कों की संख्या एक से ज्यादा है वे सभी मिलकर सिर्फ एक ही लड़की से शादी करेंगे। इसके चलते गांव के लगभग सभी घरों में एक ही बहू है जबकि उसके पतियों की संख्या एक से ज्यादा है।
यदि परिवार का कोई भाई अकेले शादी कर दुल्हन लाता है तो उस पर उसके भाइयों का भी बराबर का हक होगा। सराय छोला में रहने वाले व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर बताया है कि उनके समाज में लड़कियों की कमी है जिसकी वजह से ऐसा हो रहा है। उनके अनुसार पूरे गांव में गिने चुने परिवार ही ऐसे हैं जिनमें किसी लड़की का एक ही पति है। वरना पिछले कुछ सालों में जिनती भी शादियाँ हुई हैं उनमें हर लड़की के एक से ज्यादा पति हैं। कई लड़कियाँ तो ऐसी हैं जिनके आठ पति हैं।
सराय छोला के आस-पास करीब 12 ऐसे गांव है जहाँ यह प्रथा सालों से जारी है जिसे गांव के लोग एक नियम की तरह मानते हैं। लेकिन आगे चलकर इसका अंजाम क्या होगा यह किसी ने नहीं सोचा है। प्रकृति के नियमों के खिलाफ इस प्रथा को अभी तक किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की है। इस इलाके में एक ही परिवार में अगर एक से ज्यादा भाई अविवाहित हैं तो वे सभी मिलकर एक लड़की से शादी कर सकते हैं।
गांव के आस-पास के लोग भी इस प्रथा को धीरे-धीरे अपना रहे हैं। लगातार लड़कियों की हो रही हत्या से बदले लिंगानुपात से इस प्रथा को बढ़ावा मिल रहा है। यहाँ लड़कियों के पैदा होने को अपशगुन मानकर उसकी हत्या कर दी जाती थी। इस कुप्रथा के चलते समाज में लिंगानुपात बहुत बदल गया है।
यहां के लोग अपने पूर्वजों की गलतियों को समझ चुके हैं इसलिए कन्याओं की हत्या में काफी कमी आई है। लेकिन अब भी दूसरे समाज की लड़कियों से विवाह करने को समाज की मान्यता नहीं है जिसकी वजह से इस नई प्रथा का जन्म हुआ है।
दो राज्यों की सीमा पर बसे इन गांवों में शिक्षा की कमी इनके सामाजिक पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण है। सुविधाओं के नाम पर गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है। आगे की पढ़ाई के लिए युवक-युवतियों को कम से कम 5 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। लिंगानुपात और महिला अधिकार जैसे शब्द ग्रामीणों के लिए अबूझ पहेली की तरह हैं।

बुधवार, 30 जनवरी 2013

  • हस्तमैथुन से पीछा छुड़ाने के लिए कुछ सरल उपचारः-
  • व्यक्ति को अपने रोजाना की दिनचर्या इस तरह से बनानी होगी कि उसे किसी भी वक्त खाली बैठे रहने का समय ही न मिले। उसे हमेशा अपने आपको अपने मित्रों के तथा अपने परिवार के साथ हंसते-खेलते हुए और काम-काज में लगाए रखना चाहिए। हमेशा ज्ञान की किताबें तथा धार्मिक ग्रंथों को पढ़ते रहने से मन गंदे विषयों की तरफ नहीं भटकेगा और मन के अंदर भी शांति भी बनी रहेगी।
  • व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर ताजी हवा में घूमना चाहिए। अगर घर के अंदर घास उगा हुआ खुला बाग हो या घर के आस-पास कोई पार्क हो तो वहां पर जाकर सुबह के समय में नंगे पांव ही घूमने की कोशिश करें। इस तरह से करने से आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और मन के अंदर भी शांति बनी रहेगी तथा शरीर में ताकत भी आ जाएगी।
  • व्यक्ति को कभी भी तेज मिर्च-मसालों वाला भोजन नहीं करना चाहिए, नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा तली हुई चीजें कम ही खायें या हो सके तो कम ही कर दें।
  • व्यक्ति को सदा सादा भोजन ग्रहण करना चाहिए, अगर हो सके तो हफ्तें के अंदर एक दिन का भोजन न करें। भोजन करने के साथ-साथ कुछ दिनों के लिए फल का इस्तेमाल करें और हो सके तो फलों के रस का सेवन करें।
  • व्यक्ति को बुरे मित्रों का साथ तुरंत ही छोड़ देना चाहिए। कभी भी अश्लील किताबें न पढ़े और गंदी तथा काम उत्तेजना को बढाना देने वाली फिल्मों को कदापि न देखें। अपने आप को अच्छे कार्य में लगाए रखें। इससे आपका मन नहीं भटकेगा।
  • मल त्याग करने के बाद, शौच आदि से निपटने के बाद अण्डकोष, लिंग तथा हाथ-पांव को अच्छी तरह से ठंडे पानी से धोकर साफ करना चाहिए।
  • पेट के अंदर कभी भी कब्ज न बनने दें, पेट को हमेशा साफ रखें। पेट के साफ न रहने से कई प्रकार की बीमारी हो जाती है। अगर पेट में किसी प्रकार की कोई शिकायत हो तो शीघ्र ही किसी अच्छे डाक्टर से मिलकर इस समस्या का समाधान करें।किन-किन अवस्था में हस्तमैथुन किया जाता हैः-
    • जिन युवकों की शादी उम्र बीत जाने के बाद भी काफी समय के बाद भी नहीं होती है।
    • जिन पुरुषों को बाहर नौकरी करने के लिए एक लम्बे समय तक अपनी पत्नी से दूर रहना पड़ता है।
    • वे पुरुष जिनकी पत्नी मर जाती है और उनकी दूसरी शादी काफी लंबे समय तक नहीं हो पाती है।
    • वे पुरुष जिनकी पत्नियां गर्भवती होती है या उनकी पत्नियां काफी लम्बे समय से बीमारी से ग्रस्त होती है।
    • वृद्धावस्था के अंदर जब प्रोस्टेट ग्रन्थियां बढ़ जाती है तो आप्रेशन आदि के द्वारा भी इसका इलाज न हो पाने की वजह से भी हस्तमैथुन करना पड़ जाता है।क्या स्त्रियां भी हस्तमैथुन करती है ?
      कई पुरुषों का यह सोचना है कि क्या स्त्रियां भी हस्तमैथुन करने में रुचि लेती है, तो इसका जवाब यह है कि आज के युग में स्त्रियां भी हस्तमैथुन करती है। यह बात बिल्कुल ठीक है। जब बालिका की उम्र 18 से 19 साल के आस-पास हो जाती है तो उनके शरीर के अंगों का तेजी से विकास होने लगता है उस समय वह अपनी योनि के अग्र भाग को मसलकर इस तरह के कार्य को करने लग जाती है। स्त्रियों के शरीर के अंदर उनको उत्तेजित करने वाला सबसे नाजुक भाग योनि का ही होता है। जिस तरह से लड़को को हस्तमैथुन करने से सुख की प्राप्ति होती है उसी प्रकार लड़कियों को भी अपनी योनि के अग्र भाग को रगड़ने से सेक्स क्रिया करने का आनंद प्राप्त होता है। अधिकतर वे स्त्रियां जो किसी वजह से पुरुष के साथ सेक्स क्रिया नहीं कर पाती है वे इस तरह का कार्य करके अपनी सेक्स वासना को संतुष्ट कर लेती है। अधिकतर यह देखा गया है कि कभी-कभी लड़किया कोई एकांत सी जगह देखकर मोमबत्ती, खीरा, गाजर व बैंगन जैसी अन्य चीजों को लेकर अपनी कामवासना को मिटा लेती है।क्या स्त्रियां भी हस्तमैथुन करती है ?
      कई पुरुषों का यह सोचना है कि क्या स्त्रियां भी हस्तमैथुन करने में रुचि लेती है, तो इसका जवाब यह है कि आज के युग में स्त्रियां भी हस्तमैथुन करती है। यह बात बिल्कुल ठीक है। जब बालिका की उम्र 18 से 19 साल के आस-पास हो जाती है तो उनके शरीर के अंगों का तेजी से विकास होने लगता है उस समय वह अपनी योनि के अग्र भाग को मसलकर इस तरह के कार्य को करने लग जाती है। स्त्रियों के शरीर के अंदर उनको उत्तेजित करने वाला सबसे नाजुक भाग योनि का ही होता है। जिस तरह से लड़को को हस्तमैथुन करने से सुख की प्राप्ति होती है उसी प्रकार लड़कियों को भी अपनी योनि के अग्र भाग को रगड़ने से सेक्स क्रिया करने का आनंद प्राप्त होता है। अधिकतर वे स्त्रियां जो किसी वजह से पुरुष के साथ सेक्स क्रिया नहीं कर पाती है वे इस तरह का कार्य करके अपनी सेक्स वासना को संतुष्ट कर लेती है। अधिकतर यह देखा गया है कि कभी-कभी लड़किया कोई एकांत सी जगह देखकर मोमबत्ती, खीरा, गाजर व बैंगन जैसी अन्य चीजों को लेकर अपनी कामवासना को मिटा लेती है।

सोमवार, 28 जनवरी 2013

हस्तमैथुन

हस्तमैथुन करने से मन के अंदर हीन भावना पैदा हो जाती है। इस क्रिया को करने के बाद हस्तमैथुन करने वाला यह सोचता है कि वह इस प्रकार की गलती दुबारा कभी नहीं करेगा परन्तु वह पुरुष अपने मन को काबू न रख पाने की वजह से पुनः हस्तमैथुन की क्रिया करने को मजबूर हो जाता है और इस तरह से हीनभावना के शिंकजे में फंस जाता है। इस रोग को एंजाएटी न्यूरोसिस के नाम से भी जाना जाता है।आप की इस पोस्ट से पूरी तरह असहमत हूँ ,वैसे लगता है आप भी उसी पीढ़ी का

प्रतिनिधित्व करते हैं जो सेक्स को घृणित कार्य की श्रेणी में रख कर उस से बचने

की शिक्षा देते है ,



अभी के तथाकथित सेक्स ,गुरु और नीम हाकिम अपना धंधा चमकाने और इस डर

का फ़ायदा उठा कर उन्हें जड़ी बूटियाँ और ऐसी भस्मे जिनमे लेड की अशुद्धि होती है

.और शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को भी मानसिक रोगी बना देते है ,

मास्टर एंड जानसन (विख्यात सेक्स वैज्ञानिक और इसी नाम के ग्रन्थ के रचियता )
जो की कई शोध और रोगियों को देखने के बाद यह लिखते हैं

वीर्य का बनना और उस का स्खलन एक पूर्ण तयः नैसर्गिक क्रिया है ....

और हस्त मैथुन या किसी और प्रकार इस का क्षय हानिकारक नहीं है


अमेरिकन आर्मी मे तो नौसैनिकों का यह तनाव कम करने और रिलेक्स होने का

माध्यम है ,और तो और कई प्रतिस्पर्धाओं मे प्रतियोगी ठीक अपने प्रदर्शन

के पूर्व तनाव दूर करने के लिये हस्त मैथुन का सहारा लेते है


अगर आप हाथ से नहीं निकालेंगे तो night-fall होगा जिसे हम सामान्यतयः छूट

हो गयी कह देते हैं , कोई मुठ नहीं मारता और उस का ऐसे वीर्य पतन हो जाता है

तो भी उसे आप जैसे जैसे लोग फिर रात्रि-दोष का नाम दे कर फिर उस सामान्य व्यक्ति को

रोगी बता देते हो

पुराने आश्रम से लेकर ग्रीक रोमन और दूसरी संस्कृतियों मे हस्त मैथुन ही नहीं

स्खलन के लिये mutual आपसी सहमती से भी एक दुसरे से चिपक कर शारीर

रगड़ कर या दुसरे के जनानांग रगड़ कर अथवा दुसरे तरीके गर्म पानी की धार गिराना

कई बार गाय बकरी कुत्ता गधा सुवर तक से के गुदा मैथुन का वर्णन मिलता है


हाँ .स्त्रियाँ भी हस्त मैथुन करती है उसमे ऊपर से vulva को सहलाना या कोई बाहरी

वस्तु प्रविष्ट करना उन्हें अत्यंत सावधानी की आवश्यकता है सफाई का विशेष

ध्यान और भीतरी अंग पर चोट खरोंच या ज़ख़्म न लगे इस का विशेष ध्यान ....


अति सर्वत्र वर्जयते

किसी भी काम की अति न हो .इसे आदत न बनाया जाये ,गरीदार फल बादाम ,काजू ,पिस्ता

खारक खोपरा शुद्ध घी का सेवन जननांगों की सफाई हल्का फुल्का व्यायाम धर्म कर्म जाप ध्यान

सब करें अपने आप को अपराधी समझ कर स्वयं को हीन भावना से ग्रस्त न करे

ये एक नैसर्गिक क्रिया है , इसका आनंद ले संयमित हस्त-मैथुन मे कोई बुराई नहीं

ये मैं नहीं मेडिकल साइंस भी कहता है

चलते चलते दुनिया मे 99 % लोग हस्त-मैथुन करते हैं और जो 1% यह कहते हैं

हम नहीं करते वो झूठ बोल रहे है .....

तो हाथ रस मे जो मज़ा वो किसी और मे कहाँ
आप भी आनद से बैठो हाथ भी हिलता रहे

शनिवार, 26 जनवरी 2013

उत्सुकता पहली बार सैक्स की

एक मेल मुझे दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक लड़की का आया। लड़की का नाम निशा था।खैर उसने मुझे मेल किया और मेरे बारे में जानकारी ली कि मैं कहाँ रहता हूँ, क्या करता हूँ, वगैरह-वगैरह… उसने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर भी मांग लिया… मैंने नंबर दे भी दिया लेकिन वो मेल पर ही बात करती रही करीब एक महीने तक। अब मुझे उसके बारे में काफी कुछ पता लग गया था और मैं समझ रहा था कि यह निशा शर्म के मारे बोल नहीं पा रही है।अब आखिरकार नंबर भी एक्सचेंज हो गए… पहले फोन मैंने ही किया। उसकी आवाज़ सुनते ही मैं जैसे पागल सा हो गया। मैंने उसे मिलने के लिये बुलाया। दिल्ली के लक्ष्मी नगर में वीथ्रीएस मॉल में वो मिलने के लिये आई, अपनी स्कूटी लेकर।मैंने उसका चेहरा नहीं देखा था और ना उसने मेरा.. लेकिन उसने मुझे यह बता दिया था कि वो नीले रंग के टॉप में आएगी, सो मैंने उसके टॉप से उसे पहचान तो लिया… लेकिन झिझक रहा था कहीं कोई और लड़की हुई तो खामखां जूते ना पड़ जाएं…तो मैंने उसके फोन का इंतज़ार किया… जैसे ही उसने फोन किया मैं फोन उठाए बिना उसके सामने चला गया…हमने काफी देर बातचीत की और मैंने सीधे सीधे बात करने की हिम्मत करते हुए उससे पूछ लिया कि वो मुझसे चाहती क्या है…?तब उसने आखिरकार काफी टटोलने के बाद बताया कि उसकी कुछ सहेलियों के ब्वॉयफ्रेंड हैं… लेकिन वो किसी चक्कर में नहीं पड़ना चाहती क्योंकि वो केवल अपने मां बाप के चुने लड़के से ही शादी करेगी लेकिन क्योंकि उसकी सहेलियाँ उसे सैक्स के मज़े के बारे में बताती हैं इसलिये वो सेक्स के लिये काफी उत्सुक है। वो लड़की बला की खूबसूरत थी… कॉलेज में सेकंड ईयर में थी, उम्र कोई 20 साल होगी… ठीक ठाक हाईट थी, पतली कमर, गज़ब के चूचे, पर पिछवाड़ा ज़्यादा उभरा हुआ नहीं था… खैर भगवान ने बड़ी फुरसत से उसे बनाया था… शक्ल इतनी खूबसूरत थी कि जो देखे बस देखता ही रह जाए।मैंने उसे समझाया कि वो मेरे साथ अगर रिलेशन बनाएगी तो किसी को पता नहीं चलेगा और मैं उसके साथ किसी चक्कर में नहीं पड़ूँगा.. मतलब प्यार-व्यार के चक्कर में नहीं…वो मान गई, उसने मुझे कहा कि जब मेरे घर पे कोई नहीं होगा तो वो मुझे फोन करके बुलाएगी।मैं मान गया।अगले ही हफ्ते उसने मुझे बुला लिया।मैं दोपहर को करीब 2 बजे उसके घर पहुँचा। उसके मम्मी पापा मेरठ गए हुए थे और रात को देर से आने वाले थे। उसका एक भाई था, वो भी साथ ही गया हुआ था। घर पहुंचते ही जब उसने दरवाजा खोला तो मैं उसे देखता रह गया। एक ढीला सा लोअर और एक बड़े से गले वाली ढीली-ढाली टीशर्ट..हो सकता है कि वो घर में ऐसे ही रहती हो पर मुझे लगा कि शायद तैयारी मेरे लिये ही है… मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और उसे बांहों में भर के चूमना शुरु कर दिया लेकिन वो मना करने लगी और बोली- अभी रुको, पहले कुछ खा लेते हैं। उसने मेरे लिये पिज़्जा-हट से पिज्जा ऑर्डर किया हुआ था, हम दोनों ने पिजा खाया और फिर वो पिजा के खाली डब्बे फेंकने रसोई में रखे हुए डस्टबिन की ओर गई।मैं उसके पीछ पीछे गया, उसे वहीं से गोद में उठाया और सीधा बेडरुम में ले गया… मैंने उसे बेतहाशा चूमना शुरु कर दिया। उसके होठों में गजब का रस था। आज तक कितनी लड़कियों को चोदा पर वो रस किसी में नहीं था।फिर मैंने धीरे धीरे उसके कपड़े उतारने शुरु किये, पहले उसकी टॉप उतारी, उसका संगमरमर जैसा गोरा बदन देखकर मैं बेकाबू होता जा रहा था। उधर वो अभी भी शरमा ही रही थी, मैंने अब उसकी पिंक ब्रा को भी अलग कर दिया और उसके मस्त उभारों को चूमना शुरु कर दिया। जी भर कर चूसा, उसके पूरे बदन पर चुम्बन किये।अब निशा भी मस्त होती जा रही थी, उसने खुद ही मेरी टीशर्ट को उतार दिया, मेरा बनियान निकाल दिया, और मेरी छाती और कमर को सहलाए जा रही थी। मैंने उसके लोअर को भी उतार दिया।उसकी गोरी गोरी जांघें गजब की थी। अब मैंने उसकी चूत की हालत देखी तो मजा आ गया। उसकी गुलाबी रंग की फूलों वाली पेंटी नीचे से पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने फटाफट एक ही झटके में उसकी पेंटी को उतारा और उसे चूमना शुरु कर दिया।उसकी चूत का रस ऐसा नशीला था कि आदमी हर दारू का नशा भूल जाए।मैंने उसकी चूत को जीभ से चाटना शुरु किया और वो अब तक खासे नशे में आ चुकी थी और मेरे चेहरे को चूत में दबाए जा रही थी। उसकी सिसकारियों से कमरा गूंज रहा था।उसने फटाफट उठते हुए मेरी जींस को उतारा और मेरे हथियार को पहले अंडरवियर के ऊपर से ही हाथ में लिया क्योंकि लंड खड़ा हो चुका था और अंडरवियर में 90 डिग्री का कोण बना कर तंबू बनाए हुए था। फिर मैंने झट से अपने अंडरवियर उतार दिया। इसके बाद तो उसने मेरा लंड हाथ में लेकर उसे सहलाना शुरु कर दिया…अब मेरा भी हाल खराब हो रहा था… मैंने झट से अपना लंड उसके मुँह के पास कर दिया और उसे चूसने के लिये कहा लेकिन उसने मना कर दिया।काफी कहने के बाद भी कहने लगी- मुझे उल्टी आ जाएगी !तो मैंने ज़ोर नहीं दिया… फिर मैंने देर ना करते हुए अपना लंड उसकी भट्टी की तरह तपती चूत में डालने के लिये चूत के मुहाने पर रख दिया लेकिन वो ज़्यादा डरने लगी क्योंकि मेरा लंड काफी मोटा है और वो अब तक अक्षतयौवना थी इसलिये उसे काफी डर लग रहा था…तो मैंने उसे समझाया कि थोड़ा सा दर्द एक बार होगा और घबराने की कोई बात नहीं है फिर बहुत मजा आएगा…थोड़ा समझाने पर वो मान गई।मैं कॉन्डम लेकर आया था, मैंने कॉन्डम उसे पहनाने के लिये कहा… तो वो बोली- नहीं, मुझसे नहीं होगा..मैंने कहा- अगर तुम नहीं पहनाओगी तो मैं बिना कॉन्डम के ही करुंगा और फिर तुम प्रेगनेंट भी हो सकती हो…वो मान गई और उसने मुझे कॉन्डम पहनाया।फिर मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में घुसाने की कोशिश की.. मगर दो तीन बार झटका मारने के बाद भी लंड अंदर नहीं जा रहा था क्योंकि उसकी चूत बहुत कसी थी… फिर मैंने निशाने पर लगाया और एक ज़ोरदार झटका लगाया। लंड का आगे का बड़ा हिस्सा अंदर घुसा और वो चिल्लाई और क्योंकि मुझे इसकी उम्मीद थी तो मैंने झट से उसके चेहरे पर हाथ रख दिया और फिर उसके होंठ चूसने शुरु कर दिये…उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे… मैं वहीं रुक गया… और थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद उसके आँसू थम चुके थे… तो मैंने पूछा- अब ठीक हो…?वो बोली- हाँ करो…तो मैंने एक और झटका मारा और आधे से ज़्यादा लंड घुस गया…तभी वो और चिल्लाई और मैंने फिर वही किया…अब मैंने उसके बहते आँसुओं पर कोई तरस ना खाते हुए बेदर्दी से एक धक्का और मारा और पूरा लंड अंदर कर दिया…उसने अपना हाथ नीचे लगाया तो हाथ पर खून लग गया… जिससे वो और डर गई…तब मैंने उसे समझाया कि पहली बार ऐसा होता ही है…तो वो समझ गई… और फिर थोड़ी देर बाद नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा सहयोग करने लगी…मैं समझ गया कि अब सब ठीक है… तो मैंने भी धीरे धीरे झटके मारने शुरु किये… वो खूब सिसकारियाँ भरते हुए मजे ले रही थी… मुझे बहुत मजा आ रहा था भट्टी जैसी कसी चूत मारने में।करीब 20 मिनट उसे चोदने के बाद मैं झड़ गया… इतनी देर में वो भी तीन बार डिस्चार्ज हो चुकी थी।फिर मैंने उसे शाम तक तीन बार और चोदा और फिर शाम को हमने वीथ्रीएस में ही जाकर डिनर किया। लेकिन जाते वक्त उसने मुझे 5000 रुपए थमा दिये और कहा- यह राज़ राज़ ही रहना चाहिये और हम दोबारा कभी नहीं मिलेंगे।

शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

माँ को चोदा बाप के साथ मिल कर . (Son Fucked Mom With Dad)


45 वर्षीय जेनिथ आज बहुत खुश था. क्यों कि बड़े दिनों के बाद अपने छोटे से परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाने शहर से काफी दूर एक हिल स्टेशन पर जा रहा था. काम के भरी भरकम बोझ से समय निकाल कर जेनिथ अपनी 40 वर्षीय पत्नी जूलिया और एक 16-17 साल का एक बेटा पीटर के साथ छुट्टियाँ मनाने खुबसूरत पहाड़ी के वादियों के बीच बसे एक छोटे से कसबे में पहुँच कर होटल में एक डबल बेड रूम बुक किया. जेनिथ ने पहले ही सोच लिया था कि वो लोग यहाँ कम से कम एक सप्ताह रुकेंगे और जी भर कर इस जगह की सैर करेंगे. उसकी पत्नी जूलिया एक खुबसूरत और जवान स्त्री थी. उसे देख कर कोई ये अंदाजा नही लगा सकता था कि वो एक16 -17 साल के बेटे की माँ है. उसी प्रकार पीटर भी अल्प आयु में ही लंबा हो जाने के कारण जवान दिखता था. जेनिथ एक बहुत बड़े कम्पनी में बड़े ओहदे पर था. पैसे की कोई कमी नही थी.

वो लोग एक शानदार होटल में पहुँच कर एक डबल बेड का रूम बुक करने के बाद रूम के अन्दर दाखिल हुए.कमरे में सिर्फ एक ही बड़ा सा पलंग था जिस पर चार व्यक्ति भी आराम से सो सकते थे. शाम के चार बज रहे थे. वो लोग थक चुके थे. इसलिए सबों ने प्रोग्राम बनाया कि आज अब सिर्फ आराम किया जाय और कल सुबह से घूमा जाएगा. सबसे पहले जेनिथ ने स्नान करने का फैसला किया. वो सिर्फ अंडरवियर पहन कर स्नान करने चला गया. वो जल्दी ही वापस आ गया. फिर पीटर भी सिर्फ अंडरवियर पहन कर बाथरूम गया. इधर जूलिया अपने सभी कपडे खोल कर सिर्फ पेंटी और ब्रा में आ गयी थी ताकि वो भी जल्दी से नहाने जा सके. जूलिया को सेक्सी पेंटी और ब्रा में देख कर उसके पति जेनिथ का लंड उफान पर आ गया. ऐसी बात नही थी कि दोनों पति पत्नी आपस में सेक्स नहीं करते थे लेकिन रोमांटिक जगह पर जूलिया को इस तरह देख के जेनिथ को अपने हनीमून के दिन याद आ गए. वो जूलिया को बेड पर लिटा कर उसके चूची को दबाने लगा. देखते देखते उसके ब्रा और पेंटी को खोल दिया और खुद भी नंगा हो गया. हालांकि जूलिया ने मना किया कि पीटर कभी भी बाहर आ जायेगा. मगर जेनिथ को इस बात की कोई चिंता नही दिख रही थी. जूलिया भी मस्त हो गयी और जेनिथ का साथ देने लगी. जेनिथ ने अपना आठ इंच का लंड जूलिया के चूत में डाल कर उसे चोदने लगा. अचानक पीटर बाथरूम से निकल कर रूम में आ गया. वो अपनी मॉम चुदाई देख कर ठिठक गया. हालांकि उसने पहले कई बार अपनी मॉम को ब्रा और पेंटी में देखा था. लेकिन उसे कभी उम्मीद ही नहीं थी कि उसकी मॉम की चूत इतनी बड़ी होगी और वो इस तरह से चुदवाती होगी. इधर जेनिथ और जूलिया ने भी पीटर को अपने पास खड़ा देखा. मगर दोनों इस पोजीशन में पहुँच गए थे कि अब बिना चरम सीमा पर पहुंचे दोनों रुक नही सकते. जूलिया ने मुस्कुराते हुए और चुदवाते हुए अपने बेटे पीटर को कहा - नहा लिया तुमने बेटा ?

पीटर ने दूसरी तरफ मुह घुमा कर अपना सामान खोजते हुए कहा - हां मॉम..

जेनिथ अपनी पत्नी जूलिया के चूत में धक्के मार रहा था. पत्नी को चोदते हुए ही उसने कहा - माफ़ करना बेटे. मै अपने आप को रोक नही पाया. तुम्हे बुरा तो नहीं लग रहा?

पीटर - नो, पापा, इसमें बुरा मानने की क्या बात है. वो आपकी पत्नी है और पति -पत्नी के बीच ये तो होता ही है..और मै अब कोई बच्चा नहीं हूँ. हम सब यहाँ मौज मस्ती करने आये हैं. इसलिए आराम से मस्ती कीजिये.

जेनिथ - शाबाश बेटा....आ आ ह्ह्ह हह ....ऊ ऊ उह ह्ह्ह ह ....

जेनिथ ने अपना लंड से ढेर सारा वीर्य निकाल दिया कुछ जूलिया के चूत के अन्दर गिरा कुछ उसके बाहर. 10 मिनट तक अपनी पत्नी के नंगे बदन पर ढेर रहने के बाद जेनिथ बाथरूम जा कर अपने लंड को धोया फिर बाहर आ कर अंडरवियर पहना. तब जा कर जूलिया नंगे बदन ही बाथरूम गयी और नहा कर नंगे बदन ही वापस आई. फिर उसने जेनिथ और पीटर के सामने ही कपडे पहने.

हालांकि अपनी मॉम की चूत और चुदाई देख कर पीटर का लंड खड़ा हो गया था. लेकिन उसने इसे छुपा लिया. उसके बाद सब तैयार हो कर खाना खाने के लिए बाहर के होटल गए . खाना खा कर वापस नौ बजे अपने कमरे में वापस आये. कमरे में वापस आते समय जेनिथ ने बीयर की पांच बोतलें खरीद लीं. जेनिथ ने कमरे में आते ही सबसे पहले सभी कपडे खोल सिर्फ अंडरवियर में आ गया. उसने अपनी पत्नी जूलिया और बेटे पीटर को भी सिर्फ अंदरुनी वस्त्र में ही रहने की हिदायत दी. इसलिए जूलिया सिर्फ ब्रा और पेंटी पहन ली और पीटर भी सिर्फ अंडरवियर पहन कर सोफे पर बैठ गया. जेनिथ ने बीयर की बोतलें खोल दीं और तीन ग्लास लगाए. उसने पीटर को भी बियर पीने के लिए कहा. पहले तो पीटर कुछ हिचकिचाया लेकिन जूलिया ने कहा - ओह कम ऑन बेटे, अब तुम जवान हो गए हो. तुम भी हमारे साथ शामिल हो सकते हो.

फिर तीनो साथ साथ बियर पीने लगे. दो बोतल समाप्त होते होते तीनो को गरमी चढ़ने लगी. जेनिथ ने जूलिया को अपने गोद में बिठा लिया. और उसकी चूची सहलाने लगा. उधर जूलिया भी जेनिथ के लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही दबा रही थी. एक दो पैग और पीने के बाद जेनिथ ने जूलिया के ब्रा को खोल कर चूची को चूसने लगा. यह देख पीटर का लंड तनतना गया. जूलिया ने जेनिथ के अंडरवियर को खोल दिया और उसके बड़े लंड को अपने हाथ से आगे पीछे करने लगी. ये देख कर पीटर का लंड पानी पानी हो गया . थोड़ी ही देर में जेनिथ ने जूलिया की पेंटी भी खोल दिया. जूलिया पूरी तरह से नंगी हो गयी . वो दोनों अपने बेटे के सामने ही नंगे हो कर एक दुसरे को चूम रहे थे और दोनों एक दुसरे के गुप्तांगों को मसल रहे थे. जेनिथ उसके चुचियों को बुरी तरह मसलने लगा. फिर एक हाथ से जूलिया के चूत को भी मसलने लगा. जूलिया काफी मस्त हो गयी. उसने अपने चूत को ऊपर उठाया और जेनिथ के लंड के ऊपर से ला कर उसके लंड को अपने चूत में घुसा कर धीरे धीरे जेनिथ के गोद में बैठ कर मस्ती लेने लगी. उधर पीटर अपने माँ-बाप की ये हरकत देख कर काफी आनंदित हो रहा था. उसका लंड भी खड़ा हो गया था. अचानक जेनिथ की नजर अपने बेटे पीटर के अंडरवियर पर गयी जिसके अन्दर उसका लंड फुफकार मार रहा था. बियर के नशे ने जूलिया और जेनिथ के होश खो दिए थे.

जेनिथ ने अपने बेटे को कहा - मुर्ख. क्या तुम नहीं देख रहे कि हम दोनों ने कपडे नहीं पहने हैं? फिर तू क्यों अंडरवियर पहने हुए है. चल खोल इसे.

पीटर ने तुरंत ही अंडरवियर खोल दिया. उसका लंड भी काफी तन चूका था.

जूलिया ने कहा - ओह माई गोड , जेनिथ, देखो तो अपने बेटे पीटर का लंड भी तुमसे कम नही रहा अब तो. देखो तो कितने घने बाल भी हो गए हैं हमारे बेटे के लंड पर.

जेनिथ - हाँ , सच में

जूलिया - ज़रा इधर आना बेटे.

पीटर अपनी मॉम के पास पहुँच. मॉम ने झट से उसके लंड को पकड़ कर मसलते हुए कहा - यस. ये भी नौ इंच से कम नहीं है. ओह कितना प्यारा लंड है. अभी ही ये हाल है. लड़कियों के चूत फाड़ देगा ये तो.

जेनिथ - आखिर बेटा किसका है. हाहा हाहा हाहा हा हा

जूलिया पीटर का लंड मसलते हुए बोली- बेटा , मुठ मारते हो कि नहीं?

पीटर - हाँ मॉम.

जूलिया - अरे वाह, कहाँ से सीखा?

पीटर - ओह मॉम. इन्टरनेट के ज़माने में अब सब तुरंत ही सीखा जाता है.

जेनिथ- शाबाश मेरे शेर. कभी प्रैक्टिकल किया कि नहीं किसी की चूत में अपन लंड डाल कर?

पीटर - नहीं डैड, अभी तक कोई मिली ही नहीं.

जूलिया - ओह, एक दम कुंवारा लंड है . मन करता है कि चूस चूस के इसका रस पी लूँ.

जेनिथ - हाँ क्यों नहीं जूलिया, इसके लंड को अपने मुंह में ले कर चुसो और इसे भी आनंद दे कर कुछ प्रैक्टिकल करवाओ.

जूलिया - ओके माई डियर, कह कर वह आगे की और झुकी और अपने बेटे का लंड को मुंह में ले कर चूसने लगी. जूलिया की चूत में जेनिथ का लंड घुसा हुआ था और उसके मुंह में पीटर का लंड.

वो जोरदार तरीके से पीटर का लंड चूस रही थी. पीटर की आँखे मस्ती के मारे बंद हो गयी. थोड़ी ही देर में उसके लंड ने माल निकालना शुरू कर दिया. जूलिया ने अपने बेटे के लंड का माल बड़े ही प्यार से पी लिया.


जेनिथ - वाह बेटे, वेल डन. क्यों जूलिया, कैसा लगा मेरे शेर बेटे का लंड चूसने में ? और इसका माल कैसा है.

जूलिया - आह, सचमुच हमारा बेटा शेर है. और इसके माल का तो जवाब ही नहीं. बिलकूल क्रीम की तरह टेस्टी है.

जेनिथ - अब अपनी चूत में मेरा माल ले. ये कह कर वो जूलिया को जोर जोर से अपने लंड पर उछ्लाने लगा. जूलिया आह आह करती हुई मस्ती के आलम में आ चुकी थी. कुछ देर में ही जेनिथ के लंड ने भी माल का फव्वारा जूलिया के चूत में छोड़ दिया.

फिर जूलिया उसके लंड पर से उठ कर अपने नंगे बेटे के साथ बगल वाले सोफे पर बैठ गयी और बियर के दो पैग गटागट पी गयी. उधर पीटर का लंड अभी भी तनतनाया हुआ था. वो अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहा था. उसने अपने बगल बैठी मॉम के कंधे पर हाथ रखा . फिर अगले ही पल अपना हाथ थोडा और नीचे किया और मॉम की चुचियों को छूने लगा.

जूलिया ने कहा -आराम से दबा ना. शर्माता क्यों है?

पीटर अपनी मॉम के चुचियों को जोर जोर से दबाने लगा.

जूलिया - ओह बेटे. क्या मस्त अंदाज़ हैं तेरे.
.
जूलिया ने भी अपने बेटे के लंड को पकड़ कर मसलते हुए कहा - तेरा लंड तो अभी भी एकदम टाईट है.

जेनिथ - अरे भाई, जवान लड़का है. एक बार में माल निकलने से इसका क्या होने वाला है. अगर ये चाहे तो अभी रात भर तुझे चोद सकता है.

जूलिया - हे पीटर, क्या तुमने सच में किसी लड़की को नही चोदा है अब तक

पीटर - नही मॉम. हाँ कुछेक लड़कियों के चुचियों को दबाया है लेकिन चूत नहीं चोदा.

जेनिथ - हे पीटर , क्यों नहीं तू आज अपनी मॉम को ही चोद कर इसका भी अनुभव ले लेता है.

पीटर - क्या? लेकिन....

जूलिया - ओह कम ऑन पीटर बेटा. आज तू मुझे चोद कर बस इंज्वाय कर ले .. इस से मेरी चूत कुछ कम थोड़े ही हो जायेगी? मै भी तो देखूं मेरा बेटा कितना जानता है?

कह कर वो सोफे पर ही अपनी टांग को पसार कर अपनी चूत खोल कर आधा लेट गयी.

फिर बोली- आजा बेटे, ज़रा डाल तो अपना लंड इस चूत में.

पीटर अपनी मॉम के पास गया और उसकी चूत को सहलाने लगा. सहलाते सहलाते उसने अपनी उंगली जूलिया के चूत में घुसा दी.

जूलिया- ओह माय गोड, ये तो सब कला जानता है. ओह कितनी मस्ती है इसकी उँगलियों में. अब देर मत कर बेटा.

पीटर - मॉम, मै चूँकि नया हूँ इसलिए इस सोफे पर नहीं हो सकेगा. तुम बेड पर आओ.

जूलिया - ओके

जूलिया बेड पर आ कर लेट गयी और अपनी टांगों को मोड़ कर आजू बाजू फैला दिया. इस से उसका चूत का दरवाज़ा पुरी तरह खुल कर पीटर को अपना लंड घुसाने के लिए न्योता देना लगा. पहले पीटर अपनी मॉम के बदन पर लेट कर उसके चुचियों का रसपान किया. इस से जूलिया एक दम गरम हो गयी. फिर पीटर ने अपने एक हाथ से अपना नौ इंच का लंड पकड़ा और अपनी मॉम के चूत पर लगाया और उसे अन्दर डाल दिया. जूलिया की चीख निकल गयी - ओह माय गोड, तेरा लंड तो तेरे बाप से भी मोटा है रे.

उधर जेनिथ बोला - आखिर बेटा किसका है? हा हा हा हा शाबाश मेरे शेर. चोद डाल अपनी मॉम के चूत को.

पीटर अपनी मॉम की चूत की चुदाई चालु कर दी. एक हाथ से वो अपनी मॉम की बड़ी बड़ी चुचियों को भी बुरी तरह से मसल रहा था. जूलिया की सचमुच हालत ख़राब हो गयी. वो तो पीटर नया नया था इसलिए सिर्फ दो मिनट में ही उसका माल निकलने का सिग्नल देने लगा. जूलिया भी समझ गयी कि अब पीटर छूटने वाला है. अगले ही पल पीटर के लंड ने माल का फव्वारा छोड़ अपनी मॉम के चूत में छोड़ दिया.

जेनिथ - वाह बेटे, वेल डन. क्यों जूलिया, कैसा लगा मेरे शेर बेटे से चुदवाने में? .

जूलिया - आह, सचमुच हमारा बेटा शेर है. और मै भाग्यशाली हूँ की इस शेर की पहली शिकार मै ही बनी.

जेनिथ ने कहा - अब तो तेरे दोनों छेद एक साथ भरे जायेंगे. एक में मेरा लंड और दुसरे में मेरे बेटे का लंड रहेगा.

जूलिया - ओह गोड, अब तो मेरे चूत और गांड की खैर नहीं.. हा हा हा हा हा हा

जेनिथ - तो पीटर बेटा, हो जाए एक बार और, इस बार तो अपनी मॉम की चूत में अपना लंड डाल और मै इधर से इसकी गांड में अपना लंड डालता हूँ. फिर देख इसकी क्या हालत होती है.

पीटर - ओके डैड. मॉम तुम्हे कष्ट तो नहीं होगा न?

जूलिया - ओह, मै तो कब से सपने देखती थी कि काश मेरे दोनों छेद में एक साथ दो शेरों के लंड रहते. आज लगता है कि ऊपर वाले ने मेरी सुन ली. आज मै अपने पति और बेटे से एक साथ चुदवाउंगी. कितनी सौभाग्यशाली हूँ मै?

फिर पहले जेनिथ अपना लंड खडा कर के लेट गया. उसके लंड पर जूलिया ने अपना गांड का छेद डाला और उस पर धीरे धीरे बैठ गयी. फिर धीरे धीरे वो जेनिथ के बदन पर पीठ के बल लेट गयी. उसके गांड में जेनिथ का लंड घमासान मचा रहा था. फिर पीटर ने अपनी मॉम के टांगों को मोड़ा और आजू बाजू फैला कर चूत के द्वार को चौड़ा किया. फिर आराम से अपना नौ इंच का लंड अपनी माँ के चूत में धीरे धीरे पेल दिया.

जूलिया की तो आज गांड फट ही गयी थी. लेकिन उसे स्वर्ग सा मज़ा आ रहा था. धीरे धीरे नीचे से जेनिथ ने जूलिया का गांड मारना शुरू किया और ऊपर से उसका बेटा पीटर उसकी चूत चोदना चालु किया. थोड़ी ही देर में ऐसा लगने लगा मानो दो चक्की के बीच में जूलिया पीस रही है. दो दो विशालकाय लंड उसके चूत और गांड को चोद रहे थे. करीब पंद्रह मिनट के बाद जूलिया की चूत ने पानी छोड़ दिया और वो दोनों से मिन्नत करने लगी कि अब छोड़ दो. लेकिन दोनों बाप बेटे मानने को तैयार नही थे. दुसरे पंद्रह मिनट के बाद पीटर के लंड ने ढेर सारा लावा अपनी मॉम के चूत में उगल दिया. फिर तीन मिनट के बाद जेनिथ के लंड ने भी जूलिया के गांड में लावा का ढेर छोड़ दिया. इस तरह से आधे घंटे के घमासान युद्ध के बाद शान्ति छाई. इसके बाद भी किसी ने जूलिया के गांड या चूत से अपना लंड नही निकाला. फिर धीरे धीरे पीटर अपनी मॉम के बदन पर उतरा और बगल में ही लेट गया. जूलिया भी उस से सट कर लेट गयी. पीछे से जेनिथ ने भी जूलिया को लपेट लिया. इस प्रकार दोनों बाप बेटे अपने बीच में जूलिया को लपेटे हुए उसके चूची , चूत और गांड से छेड़ छाड़ करते हुए रात भर में कई बार जूलिया की चूत और गांड की पेलाई की.

फिर तो जूलिया की किस्मत खुल चुकी थी. वहां के होटल में तो शेष दिन दोनों बाप बेटे ने मिल कर जुलीया को ठोका ही. वापस घर आ कर भी जूलिया अपने पति के साथ साथ अपने बेटे पीटर के लंड का भी मज़े लेती रही.

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

बुर चुदी मेरी सुहागरात तेरी


हाय दईया, ये कैसे हो गया ? सुहागरात थी बिल्लो की और चोदी गयी तेरी बुर ? वह  भी एक मर्द से नहीं बल्कि तीन तीन मर्दों से ? तीनो ने चोदा रात भर धकाधक तेरी बुर ? अच्छा ये तो बता की बिल्लो की बुर चुदी की नहीं ? और अगर चुदी तो कितने मर्दों से चुदी ? किस किस  ने चोदा उसकी बुर और किस किस ने चोदा तेरी बुर ? 
मेरा नाम है मुम्मू . बिल्लो मेरी पक्की दोस्त है . इसकी शादी अभी हाल में ही हुई है . मैं आपको इसकी सुहागरात का  सच्चा किस्सा सुना रही हूँ . इसकी जैसे ही शादी हुई तो सुहागरात मनाने के लिए गोवा जाने का प्रोग्राम था . इसे शौहर ने पूरा इंतजाम कर रखा था . मैं इसके शौहर आरिफ को अच्छी तरह से जानती  हूँ . वह मेरा देवर लगता है . आरिफ मेरे पास आया और बोला भाभी तुमको भी चलना है मेरे साथ मैंने कहा यार तू कैसी बातें कर रहा है  . मैं तुम दोनों के बीच क्या करूंगी . उसने बताया की मेरे दो दोस्त वसीम और जैकब  भी जा रहे है मेरे साथ . मैं सवाल किया की तेरी सुहागरात में वे क्यों जा रहे है ?  तब उसने हंस कर जबाब  अरे भाभी मैं भी तो इन दोनों की सुहागरात में गया था . और फिर वे अपनी अपनी बीवियों के साथ जा है  भाभी . अब मेरी बारी है मैं इन्हें ले जा रहा हूँ . मैंने कहा ठीक है उन्हें ले जाओ . खूब एन्जॉय करो . मेरी यहाँ क्या जरुरत है ? उसके बहुत कहने पर मैंने कहा अच्छा मैं बिल्लो से पूंछ लेती हूँ . मैंने कहा यार बिल्लो तुम दोनों के बीच मैं क्या करूंगी . बिल्लो मजाक में बोली  जो मैं करूंगी वही तुम भी करना ? मैंने कहा हाय अल्ला, तू तो अन्दर लण्ड अपने चूत में पेल कर सुहागरात मनाएगी  और मैं बाहर बैठी बैठी झांटे छीलूंगी क्या ?  तब बिल्लो ने जोर देकर कहा चलो  न यार मज़ा आएगा ? मैंने आरिफ को जाने की हां कर दी . बस दूसरे दिन हम सब गोवा पहुँच गए . तीन कमरे बुक कराये गए और हम लोग उसमे दाखिल हो गए . 
शाम के समय महफ़िल लगी जिसमे मैं बिल्लो, उसका सौहर आरिफ उसके दोस्त वसीम और जैकब बैठे थे . उन दोनों की बीवियां शौपिंग करने गयी थी . आरिफ बोला भाभी इस समय तो व्हिस्की का मौसम है . सब फिर क्या सबके सामने व्हिस्की का  एक एक गिलास हाज़िर हो गया .हम सब शराब पीने में मस्त हो गए .
 थोड़ी देर में वसीम की बीवी आयी और बोली :- अरे वाह, आप लोग तो अकेले अकेले शराब का मज़ा ले रहे है . हमारा इंतज़ार भी नहीं किया ? 
जैकब की बीवी बोली :- कोई बात नहीं आप लोग मौज करो मैं दूसरी महफ़िल में जा रही हूँ .
 वसीम की बीवी बोली :- हां मैं भी इसके साथ जा रही हूँ .
 मैंने कहा :- यार, वहां क्या रखा है ? वहीँ रहो न ? 
वह बोली :-  देखो मुम्मू भाभी, मैं देशी मर्दों से चुदवाते चुदवाते बोर हो गयी हूँ . आज मौका है मैं विदेशी मर्दों से चुदवाने जा रही हूँ .  
मैंने कहा :- क्या यहाँ विदेशी मर्द मिलते है ? चोदने वाले मर्द मिलते है ?
 वह बोली :- हां मिलते है . मैं अभी काउंटर पर बात करके आ रही हूँ . मेरे साथ जैकब की बीवी भी जा रही है . बस वे दोनों चली गयी . तब तक एक एक पैग ख़तम हो चुका था . दूसरा पैग शुरू हो गया . हमारे साथ बिल्लो भी खूब मस्ती से पी रही थी .
 पीते पीते आरिफ बोला :- मुम्मू भाभी आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो मुझे ? 
जैकब बोला :- यही तो मैं भी कहने वाला था भाभी ? मेरी तो नीयत ख़राब हो रही है भाभी ? 
वसीम बोला :- हाय रे हाय भाभी तेरी जवानी तो और निखरती जा रही है . 
मैंने कहा :- यार आरिफ आज तू अपनी सुहागरात मनाने आया है . आज तो अपनी बीवी के बारे में सोच ? आरिफ बोला :- सुहागरात की माँ का भोषडा भाभी ? मेरी बीवी तो सुहाग रात मना ही लेगी पर आज मेरा मन तेरे साथ मनाने का है भाभी ? 
मैंने कहा :- कैसी बातें कर रहा है तू बहन चोद आरिफ ?  लगता है की तुम ज्यादा नशे में हो गए हो ? आज की रात तू अपनी बीवी के साथ गुज़ार नहीं तो मैं तेरी गांड मारूंगी . 
आरिफ बोला :- भाभी अच्छा सच सच बतायो क्या  मेरी बीवी ने पहले कभी चुदवाया नहीं है ? 
मैंने कहा :- अरे यार, तेरी बीवी मेरी दोस्त है . हां वो पहले कई मर्दों से चुदवा चुकी है पर आज की बात और है ? आज तो वह बस तुमसे चुदवाएगी . 
आरिफ बोला :- भाभी उसको चोदने के लिए चाहिए लण्ड ? हां लण्ड और कुछ नहीं ? और यहाँ विदेशी लण्ड बहुत  है .आज मेरी बीवी विदेशी लण्ड से चुदवाएगी ?
 यह सुनकर बिल्लो मन ही मन बड़ी खुश हुई . दरअसल जब उसने जैकब की बीवी से सुना की वह विदेशी मर्दों से चुदवाने जा रही है तो उसका भी मन विदेशी लण्डपकड़ने का हो गया . उसने अभी तक कोई विदेशी लण्ड नहीं देखा . आज उसके लिए सुनहरा मौका है .
 मैंने कहा :- अच्छा ठीक है तू अपनी बीवी से पूँछ ले की क्या वह किसी विदेशी मर्द से चुदवाने को तैयार है . 
आरिफ बोला :- हां बिल्लो बोलो दिल खोल कर बोलो . कोई शर्म वरं  नहीं करना ?
 बिल्लो बोली :- हां मेरा मन भी विदेशी मर्दों के साथ जाने का है .
 आरिफ बोला :- देखा भाभी, अब तो बात साफ़ हो गयी है . जैकब यार तुम मेरी बीवी के लिए दो विदेशी मर्द तैयार करो . जैकब चला गया लेकिन फिर लौट कर आ गया वह बोला :- यार आरिफ,  यहाँ अरब के शेख, अफ्रीका के काले लोग और नीग्रो है . बोलो किसो फिट कर दूं ?  मैंने बिल्लो की तरफ देखा तो बिल्लो बोली अरब के शेख ? बस मामला तय हो गया . 10 मिनट के बाद महमूद और अब्दुल्ला नाम के  दो शेख आ गए और बिल्लो उनके साथ कमरे में चली गयी . 
अब आरिफ ने फ़ौरन मेरी चूचियों पर हाथ रख दिया जैकब मेरे पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी चूत सहलाने लगा . वसीम मेरे चूताड़ों  पर हाथ फेरने लगा . तब तक तीन पैग शराब अन्दर जा चुकी थी . नशा चढ़ने लगा था . जोश आने लगा . मैं भी उनके लण्ड टटोलने लगी . धीरे धीरे तीनो  मादर चोदो को नंगा कर दिया  उनके टन टनाते हुए लण्ड बारी बारी से सहलाने लगी . मैं तो बिलकुल नंगी हो चुकी थी . मैं आरिफ से मजाक तो करती थी . गालियाँ भी सुनाती थी लेकिन उसका लौड़ा आज पहली बार पकड़ा ? लौड़ा वाकई बड़ा मस्त है . मोटा भी और कड़क भी है . वसीम का लण्ड लम्बा है . बहन चोद 8" से बड़ा ही होगा और हां जैकब का लौड़ा सबसे ज्यादा तगड़ा तंदुरुस्त है . मेरा दिल उसके लण्ड पर अटक गया . मैं मन ही मन उसके लण्ड को बहुत प्यार करने लगी . जैकब का लण्ड पहले चूमा मैंने फिर आरिफ का और फिर वसीम का . मैं तीनो लण्ड को बराबर बराबर मज़ा दे रही थी . अचानक आरिफ ने मेरी बिना झांट की चूत में पेल दिया लण्ड और मैं चुदवाने लगी . उधर एक हाथ से  जैकब का लण्ड और दूसरे से  वसीम का लण्ड सहलाने लगी . उन्हें बारी बारी से चूसने लगी . मुझे तीनो लण्ड का मज़ा खूब मिल रहा था . मैं मस्त होती जा रही थी . थोड़ी देर में जैकब ने ठोंक दिया अपना लण्ड मेरी बुर में . मैं चीख पड़ी ? उसका लण्ड वाकई गज़ब का था . एक दम चिपक  कर चोद रहा था बुर . ऐसे लण्ड से चुदवाने में बड़ा मज़ा आता है . 
तीनो लण्ड का जायजा लेने के बाद मैंने कहा :- मैं जानती हूँ की तुम लोग मेरी गांड भी मारोगे . लेकिन मैं गांड केवल वसीम से मरवाऊँगी . क्योंकि उसका लण्ड लम्बा है और थोडा पतला है . बाकी  तुम दोनों के लण्ड मेरी गांड नहीं मारेगें ? 
आरिफ बोला :- ऐसा क्या भाभी  ? मैं तो वगैर तुम्हारी गांड मारे रह जाऊँगा ? 
मैंने कहा :- मैं अपनी गांड तुम लोगों से फडवाऊँगी नहीं . गांड अगर फट गयी तो बहुत तकलीफ होगी 
 तुम लोग मेरी बुर फाड़ो जितनी फाड़ सको उतनी फाड़ो .
 इस तरह उन  तीनो ने मुझे बारी बारी से खूब चोदा . मैंने अपनी सुहागरात में इतना नहीं चुदवाया जितना बिल्लो की सुहाग रात में चुदवा रही हूँ .जब इन तीनो ने झड़ना शुरू किया तो बाप रे बाप मेरी चूचियां तो बिलकुल नहा गयी . मेरी चूत को  भी भोषड़ी वालों ने नहला दिया . इतने में बिल्लो आ गयी मेरे कमरे में 
मैंने पूंछा :- हाय बिल्लो, क्या हुआ ? चुद गयी तेरी  चूत ? 
 बिल्लो बोली :- अरे कुछ पूंछो न भाभी, मादर चोदो के लण्ड बहुत बड़े बड़े है . सुहागरात में ही मेरी फट गयी चूत ?  पर भाभी मज़ा बहुत आया बुर चुदवाने में ?
 मैंने कहा :- कितने बड़े बड़े लण्ड है यार ?
 बिल्लो बोली :- अरे भाभी, दस दस इंच के लण्ड है भोषड़ी वालो के ?  चार चार इंच के तो सुपाडे ही है . आदमी के नहीं घोड़े के जैसे लण्ड इनके  . जैसे अरबी घोड़ों केलण्ड होते है वैसे ही इन सालों के है लण्ड ? 
मैंने कहा :- तो ठीक है इस बार मैं उन दोनों से चुदवाऊँगी और तुम इन तीनो बहन चोदो ने चुदवाओ . दूसरी पारी में मैंने उन दोनों शेख से मैंने चुदवाया और आरिफ जैकब  और वसीम ने मिल कर बिल्लो की बुर चोदी . बिल्लो की सुहागरात एक यादगार सुहागरात है मेरे लिए और बिल्लो के लिए भी . 
इसतरह बिल्लो ने अपनी सुहागरात में ही पांच पांच मर्दों से चुदवाया  .पांच पांच लण्ड का मज़ा एक साथ लिया और मैंने भी पांच पांच लौडों का मज़ा लिया . 

=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=00= समाप्त 

हैंडप्रैक्टिस (हस्तमैथुन) - eXBii

हैंडप्रैक्टिस (हस्तमैथुन) - eXBii

अपने हाथ से लिंग को तेजी के साथ गति देकर वीर्य को निकाल देना ही हस्तमैथुन कहलाता है। हस्तमैथुन को दूसरी भाषा में आत्ममैथुन भी कहते हैं। किशोर अवस्था में अधिकांश युवक हस्तमैथुन की क्रिया को अंजाम देना शुरू कर देते हैं। कई पुरुष अपने मित्रों को हस्तमैथुन करते देखकर खुद भी यह कार्य करने लगते हैं। हस्तमैथुन को बढ़ावा देने वाली वह किताबें भी होती है जो सेक्स क्रिया को जगाती है। हस्तमैथुन वे किशोर व जवान व्यक्ति करते हैं जो आवारा किस्म के, अपनी जिंदगी के बारे में न सोचने वाले तथा अपनी पढ़ाई के बारे में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं।हस्तमैथुन करने से मन के अंदर हीन भावना पैदा हो जाती है। इस क्रिया को करने के बाद हस्तमैथुन करने वाला यह सोचता है कि वह इस प्रकार की गलती दुबारा कभी नहीं करेगा परन्तु वह पुरुष अपने मन को काबू न रख पाने की वजह से पुनः हस्तमैथुन की क्रिया करने को मजबूर हो जाता है और इस तरह से हीनभावना के शिंकजे में फंस जाता है। इस रोग को एंजाएटी न्यूरोसिस के नाम से भी जाना जाता है।इस रोग के अंदर पढ़ने में मन न लगना, खाने-पीने का मन न करना, कोई भी कार्य करने का दिल न करना तथा सदा ऐसा मन करना कि किसी भी काम को करने पर असफलता ही हाथ लगेगी, इस तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।हस्तमैथुन से संबंधित भ्रम-
  • हस्तमैथुन करने से क्या पुरुष संभोग करने के काबिल नहीं रहता है ?
  • अधिक हस्तमैथुन करने से क्या पुरुष का वीर्य ज्यादा पतला हो जाता है ?
  • क्या काफी समय से हस्तमैथुन का आदि पुरुष अपनी स्त्री को आनंद नहीं दे पाता है ?
  • हस्तमैथुन करने से क्या पुरुष मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोरी महसूस करने लगता है ?कई मनोचिकित्सकों का मानना है कि अगर ज्यादा समय तक हस्तमैथुन न किया जाए तो वह हानिकारक नहीं होता है। अधिक मात्रा अत्यधिक हस्त्मेथुन हानिकारक है ,अत्यधिक हस्तमैथुन करने से शरीर के अंदर कई प्रकार के रोग पैदा हो जाते हैं जैसे- चेहरे की चमक समाप्त हो जाना, आंखों के नीचे काले गड्डे पड़ जाना, शरीर के विकास का रुक जाना, कमर के अंदर हमेशा दर्द बने रहना, शरीर की कमजोरी, कुछ भी खाने-पीने का मन न करना तथा किसी भी कार्य को करने में जी न लगना आदि लक्षण महसूस होने लगते हैं। कभी-कभी तो हस्तमैथुन करने के कारण बेचैनी, गुस्सा, मानसिक उत्तेजना तथा मन में ही

  • बेकार का भ्रमः-
    कई लोगों के मन में यह भ्रम पैदा हो जाता है कि अधिक मात्रा में हस्तमैथुन करने से लिंग का आकार टेढा हो जाता है। लेकिन सेक्स के ज्ञाताओं का कहना है कि हस्तमैथुन करने से लिंग के आकार में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं आता है क्योंकि लिंग ऊतकों से बना हुआ होता है। लिंग के अंदर किसी प्रकार की कोई हड्डी नहीं होती है। इसकी बनावट स्पंज के जैसी ही होती है। इसलिए लिंग सामान्य अवस्था में लटका हुआ तथा मुलायम होता है। लिंग के अंदर जब तनाव पैदा होता है तो वह बहुत अधिक सख्त हो जाता है और इसकी वजह से वह एक तरफ झुक जाता है। लिंग की इस अवस्था को देखकर अधिकतर लोग अपने मन में लिंग के टेढ़ा होने का भ्रम पैदा कर लेते हैं। लिंग के अंदर तनाव पैदा हो जाने के समय में लिंग की नसों में खून भर जाने से लिंग का एक तरफ झुक जाना यह एक आम बात है। तनाव की अवस्था में भी किसी पुरुष का लिंग ठीक स्थिति में खड़ा नहीं हो सकता है।न भावना बढ़ने लगती है।
वीर्य को रोकना नामुमकिनः-
कई पुरुष हस्तमैथुन करते समय अंतिम समय पर पहुचने पर अपने लिंग को हाथ से दबाकर लिंग के आगे के मुख को बंद कर लेते हैं ताकि उनका वीर्य बाहर न निकल पाए। इस तरह से करने से वे लोग ये सोचते हैं कि वे हस्तमैथुन करने से आनंद भी उठा लें और उनके शरीर के अंदर वीर्य भी नष्ट न हो लेकिन इस तरह से करना किसी भी तरह से ठीक नहीं है, क्योंकि इससे शरीर को नुकसान होता है। हस्तमैथुन करने के बाद वीर्य का बाहर निकलना एक स्वाभाविक क्रिया है क्योंकि जब वीर्य अपनी जगह से निकलेगा तो वह पुनः अपनी जगह पर नहीं आएगा। अगर हस्तमैथुन करने के बाद वीर्य को बाहर निकलने से रोका जाए तो वीर्य मूत्र थैली के अंदर चला जाता है और बाद में मूत्र के साथ बाहर निकल जाता है। इसलिए लिंग पर किसी भी तरह का कोई दबाव देकर वीर्य का रोकना सही नहीं है। अधिक दबाव डालने के कारण लिंग को नुकसान पहुंच सकता है और वीर्य के कारण कई बार मूत्र नली भी बंद हो जाती है।
गलत तरीकों से बचें-


कुछ पुरुष अधिक उत्तेजना में भर जाने से लिंग को पलंग पर तथा तकिये पर रगड़ने लगते हैं। कई बार तो पुरुष किसी वस्तु को लेकर छेद बना लेते हैं या किसी खाली बोतल के अंदर लिंग को डालकर जोर-जोर से घर्षण करने लगते हैं। कुछ पुरुष तो जमीन के अंदर मिट्टी में गड्डा बनाकर घर्षण करने लगते हैं। इस तरह की क्रिया को कदापि नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से लिंग को हानि हो सकती है। कई बार सख्त चीज की रगड़ लगने से लिंग पर चोट भी लग जाती है या फिर सूजन भी आ जाती है या लिंग के आगे के भाग की त्वचा पीछे की तरफ खिंचकर फट भी सकती है। इसलिए हस्तमैथुन करने के ऐसे गलत तरीकों से बचना चाहिए।
हस्तमैथुन करने की आदत अधिकतर कुंवारे युवकों में ही देखी जाती है। उन युवकों को हस्तमैथुन करने की जरुरत नहीं होती है जो शादी हो जाने के बाद अपनी स्त्री के साथ संभोग क्रिया करते हैं। लेकिन कई बार कुछ युवक या पुरुष अपनी पत्नी के मायके चले जाने के बाद अपने आप हस्तमैथुन कर के अपनी कामेच्छा को पूर्ण रूप दे देते हैं। तथा कई बार पुरुष अपनी पत्नी के साथ संभोग करने से पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं इसलिए वह हस्तमैथुन करके अपने आपको संतुष्ट कर लेते हैं।
sanगति का असरः-
किसी भी व्यक्ति पर अच्छी बातों का असर बहुत ही देरी से होता है लेकिन बुरी आदतों का असर शीघ्र ही हो जाता है। किशोरावस्था के अंदर युवक का मन और भावनाएं बहुत ही नाजुक होती है। स्कूल जाते समय तथा सड़को पर चलने-फिरने वाली सुंदर और दिल को भाने वाली लड़कियों को देखकर उनके अंदर सेक्स करने की शक्ति जागने लगती है तथा उनके शरीर के अंदर धीरे-धीरे उत्तेजना आने लगती है। स्कूल-कालेजों के अंदर अपने से ज्यादा अनुभवी युवाओं की संगति में रहकर वह ज्यादा उत्तेजित पुस्तके, सेक्स और उस के बारे में बाते करना लगते हैं। इसके बाद सेक्स से जुड़ी हुई गलत आदतों का शिकार होकर हस्तमैथुन करने लग जाते हैं। बार-बार हस्तमैथुन करने से उसे कुछ देर के लिए आनंद मिल जाता है। हस्तमैथुन करने से एक स्वस्थ पुरुष भी अपने-आपको रोगी महसूस करने लगता है। जो पुरुष बुरे दोस्तों के साथ रहने के कारण हस्तमैथुन के रोगी बन जाते हैं उन्हें उन दोस्तों का साथ खुद ही छोड़ देना चाहिए।
पारिवारिक माहौल का असरः-
अगर घर का माहौल सही होता है तो बच्चे के अंदर भी अच्छी आदतें पैदा होती है। इसके अलावा अगर घर के सदस्य गंदी बातें करेंगे तो बच्चे भी गंदी आदतों का शिकार हो जाएंगे।
जब कोई लड़का किशोरवस्था में पहुंचता है तो उस के मन में सेक्स के बारे में जानने की इच्छा जागृत होती है। वह अपने भाई-भाभी के सेक्स करने के तथा मां-बाप के चुम्बन करने पर बहुत ही बारिकी से ध्यान रखता है, अगर घर के लोग एंकात और शर्म के बारे में सोचे तो जवान होते बालक पर इस बात का कोई असर नहीं होता, इस तरह से उसके अंदर सेक्स करने की भावना जागृत नहीं होती। लेकिन घर के अंदर इस तरह के कार्य को करते हुए देखकर उसके मन में इस तरह की इच्छा पैदा हो जाती है और वह इस तनाव से मुक्ति पाने के लिए अपने हाथ को लिंग पर रख देता है। लिंग पर हाथ रखने के बाद उसको सहलाने से उसको बहुत अधिक मजा आने लगता है, जिसके वाद वह वीर्य को बाहर निकाल देता है।
   घर के अंदर इस तरह के वातावरण से जवान होते लड़कों पर बहुत ही गलत असर पड़ता है। कई बार तो लड़के रात के समय छुप-छुपकर अपने भाई-भाभी तथा मां-बाप को सेक्स क्रिया करते हुए देख लेते हैं। इस तरह से देखने के बाद उन के मन में भी इस तरह के कार्य करने का मन करता है, लेकिन कोई साधन न होने की वजह से वे हस्तमैथुन करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इस तरह से एक बार आनंद आने के बाद वे बार-बार हस्तमैथुन करके अपने आपको तसल्ली दे देते हैं
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लिंग की खुजलीः-लिंग की सफाई न करने की वजह से इसके आगे वाले भाग के नीचे काफी मात्रा में गंदा मैल जमा हो जाता है जिसकी वजह से उस स्थान पर बहुत खुजली होने लगती है। लिंग पर खुजली होने की वजह से लिंग के अंदर तनाव पैदा हो जाता है, जिसके कारण लिंग को सहलाने और खुजलाने की वजह से एक अजीब सा आनंद महसूस होता है। लिंग पर बार-बार हाथ लगने की वजह से लिंग सख्त हो जाता है और इसके अंदर तनाव आ जाता है। तब युवक थोड़े समय के आनंद के लिए अपने वीर्य को हस्तमैथुन करके बाहर निकाल देता है। थोड़े समय के आनंद के लिए वह बार-बार इस क्रिया को करता रहता है। इस तरह से करते रहने से उसकी यह आदत हस्तमैथुन का रूप धारण कर लेती है।

किसी अन्य तरह की हलचल होने के कारणः- कई बार लिंग में किसी अन्य रोग के हो जाने की वजह से लिंग के अंदर एक हलचल सी होने लगती है, जिसके कारण किशोर अपने लिंग को हाथ के द्वारा रगड़ने लग जाता है। इस तरह की क्रिया करने से लिंग के अंदर सख्तपन और अधिक तनाव आ जाता है। इस प्रकार करते रहने से हस्तमैथुन की आदत पड़ जाती है।
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गंदी किताबें और फिल्मों के देखने की वजह सेः-किशोरावस्था के अंदर गंदी किताबों और अश्लील पिक्चरों को देखने से भी युवक को हस्तमैथुन की आदत पड़ जाती है। इस तरह की किताबों और फिल्मों को देखकर जब युवक के शरीर के अंदर सेक्स करने की इच्छा जगने लगती है तो उसे समान रूप से संभोग के द्वारा इसको समाप्त कर देना इतना आसान नहीं होता है। इसके विपरीत शरीर के अंदर तेज होती वासना को समाप्त करने के लिए हस्तमैथुन का सहारा लिया जाता है। इस प्रकार यह कार्य करने से यह एक आदत सी बन 
जाती है और युवक इस कार्य को बार-बार करने के लिए मजबूर हो जाता है।_

मूत्र को रोकने के कारणः- कई बार पुरुष जब मूत्र (पेशाब) को रोकता है तो वह हाथ को दबाकर तेजी से लिंग पर रख देता है, जिसके दबाव देने के कारण शरीर के अंदर एक अजीब सी उत्तेजना पैदा होती है। जिसका सीधा सम्पर्क मस्तिष्क से होता है। कई बार युवक का हाथ अनजाने में ही लिंग पर चला जाता है जिसके उसके अंदर उत्तेजना जागृत हो जाती है, उसे यह बहुत ही अच्छा लगता है। इस तरह से करने के बाद वह अपने लिंग को हाथ में लेकर आराम-आराम से सहलाने लगता है और वीर्य के निकलने तक वह इस क्रिया को करने के लिए अति उत्सुक रहता 
है।_____________


सोमवार, 21 जनवरी 2013

सेक्स गुरु भाभी बनी

प्यारे दोस्तो,

आज मैं आपको पहली बार गाण्ड के अलावा कोई नया किस्सा सुना रहा हूँ।

बात २००६ की है मैं कानपुर में ही रहता और नौकरी करता था। मैंने गोविन्द नगर में एक फ्लैट किराये पर लिया था जिसमें आगे की तरफ माकन मालिक और पीछे के रास्ते से मेरा फ्लैट था जो कि दो कमरों का अच्छा सेट था। मैं कब आऊँ, कब जाऊँ किसी को कोई मतलब नहीं था। पीछे के दरवाज़े की एक चाभी भी मेरे पास रहती थी। कभी कभी मकान मालिक का बेटा ही उस तरफ आता था जो मुझसे काफी बड़ा था। या कभी मकान मालिक अपने पोतों के साथ आते थे।

इस मकान को लेने के बाद मुझे ऐसा लगा कि गलती कर दी क्यूंकि कोई भी माल नज़र नहीं आ रहा था। कुछ एक जो थे वो काफी दूर रहते थे और कोई जुगाड़ बन नहीं रहा था। करीब डेढ़ महीने बाद एक भाभी जी करीब ३० साल की होगी, सामने के मकान में आई। उनके परिवार में ३ बच्चे और उनके पतिदेव थे। बच्चे भी ठीक ठीक उम्र के थे एक लड़की करीब १० साल की, एक लड़का ६ साल का और एक ३ साल का।

पहले कुछ दिन तो मैंने ध्यान नहीं दिया और अपने ऑफिस आता जाता रहा लेकिन एक दिन शाम को जब मैं चाय पी रहा था तो देखा कि भाभी जी छत पर खड़ी हैं और घूर घूर कर मुझे देख रही हैं। मैं थोड़ा सा झेंप गया लेकिन सोचा कि शायद नए हैं इसीलिए देख रही होंगी कि कौन कौन आस पास रहता है। पर फिर ये ही मंज़र रोज रोज होने लगा वो छत पर आती और घूरती रहती थी। वैसे मेरी और उनकी खिड़की भी लगभग आमने सामने ही थी और दरवाज़ा भी, लेकिन मेरा फ्लैट उनके फ्लैट से थोड़ा ऊंचाई पर बना था तो मैं तो आराम से देख सकता था कि उनके कमरे में क्या हो रहा है पर वो नहीं देख सकती थी। अगर मैं खिड़की पर खड़ा होता तभी नज़र आता।

उनके पति जो करीब ४४-४६ साल के थे दरअसल एक सरकारी विभाग में थे और सुबह जल्दी जाते थे और शराब के शौकीन थे इसलिए रात को देर से ही आते थे।

एक दिन मकान मालिक को कुछ काम था और उनका बेटा भी घर पर नहीं था, तो उन्होंने मुझसे कहा- बेटा तुम्हारे सामने जो नए लोग आए हैं उन्हें जरा ये सरकारी पेपर दिखा लाओ और पूछो कि इसमें क्या कर सकते है।

मैंने कहा- ठीक है !

और पेपर लेकर मैं उनके घर गया घंटी बजाई तो भाभी जी ने दरवाजा खोला और अन्दर बुलाया। मैंने भाई साहब यानि उनके पति के बारे में पूछा तो बोली कि वो तो देर से आएंगे, मैं उन्हें ही बता दूँ !

मैंने पेपर दिखा कर जानकारी ली, उन्हें जो कुछ मालूम था मुझे बताया और कहा कि मैं रात को उनके पति से मिलकर पूरी बात समझ लूँ।

मैं उठने लगा तो बोली- बैठिये न ! आप तो पड़ोसी हैं !

फिर वो चाय नाश्ता वगैरह लाई और बातें करने लगी।

वो बोली- मैं तो इतने दिनों से आपको आते जाते देखती हूँ, पर आप कभी इधर देखते ही नहीं।

मैं क्या कहता, मैंने कहा- बस अपने ही काम में व्यस्त रहता हूँ !

लेकिन अन्दर ही अन्दर मैं जानता था कि सच्चाई क्या है। दरअसल भाभी जी बड़ी सेक्सी थीं, वो हलकी सांवली इकहरे बदन की थी, साथ ही एक दम कसा हुआ ब्लाउज पहनती थी, जिससे उनके गोल गोल उभार नज़र आते थे और मेरे मकान मालिक के बेटे की नज़र भी उन पर थी। साथ ही साड़ी का पल्लू भी लटकता था जिससे सब कुछ साफ था, पर मैं चुप ही रहा।

बात बात में उन्होंने मेरा नाम पूछा और मैंने उनका !

तो उन्होंने बताया कि उनका नाम सुगंधा है और उन्होंने यह भी कहा कि मैं शाम को चाय उनके यहाँ ही पिया करूँ और उनके बच्चों को पढ़ा भी दिया करूँ !

तो मैंने कहा- पढ़ाना तो मुश्किल है क्यूंकि मेरे पास फिक्स टाइम नहीं है पर जब भी जरुरत हो बता देना, मैं आकर उन्हें मदद कर दूंगा।

धीरे धीरे वो रोज ही मिलने लगी। जब मैं शाम को ऑफिस से लौटता तो वो सड़क पर ही खड़े होकर बात करने लगती। लोगों की नज़र में भी कुछ गलत नहीं था क्यूंकि मैं अक्सर उनके बच्चो को सड़क पर ही किताब से सवाल समझा देता या वो मेरे पास आकर पूछ लेते, और मेरे और भाभी के बीच करीब ८-९ साल का अंतर भी था।

एक दिन मैं उनके घर गया तो वहां कोई नहीं था। अन्दर तक देखने पर कोई नहीं दिखा तो मैंने आवाज़ दी- भाभी जी !

फिर भी कोई जवाब नहीं आया मुझे लगा कि शायद छत पर होंगी और मैं लौटने लगा और फिर आवाज़ दी तो बोली- इधर आ जाओ ! मैं यहाँ हूँ !

मैं उस तरफ गया तो कोई नहीं दिखा। अचानक से उनके बाथरूम का दरवाज़ा खुला और मैं सकपका गया। वो बिलकुल गीले बदन नहाई हुई मेरे सामने खड़ी थी और बदन पर सिर्फ एक झीने से कपड़े की चुन्नी थी। मैं घूमने लगा तो बोली- शरमा गए क्या शर्मा जी? लगता है तुमने आज तक कोई नंगी लड़की या औरत नहीं देखी !

बात भी सच थी कि मैंने गांड तो बहुत मारी थी और नंगी लड़कियाँ किताबों और इन्टरनेट पर देखी थी पर सामने कोई नहीं।

मैंने कहा- शर्माने की ही बात है, मुझे माफ़ कीजिये, मुझे पता नहीं था, मैं बाहर इन्तज़ार कर रहा हूँ !

वो बोली- इन्तज़ार में कहीं गाड़ी न छूट जाये ! और मेरा हाथ पकड़ लिया।

उन्हें देख कर मेरे लंड से पानी चूने लगा था। वो बोली- जब मैं लड़की होकर नहीं शरमा रही, तो तुम क्यों शरमा रहे हो !

और उन्होंने मुझे अपने करीब घसीट लिया। अब मेरे और उनके बीच में सिर्फ ६ इंच की दूरी थी। सर नीचे करता तो निगाहें उनकी चुचियों पर जाती और ऊपर करता तो उनकी आँखों की हवस मुझे खाए जा रही थी। मेरा लण्ड भी तन रहा था और धीरे धीरे उनकी नाभि से टकराने लगा। उसे देख कर वो बोली- तुम शरमा रहे हो पर तुम्हारा ये नहीं शरमा रहा ! देखो कैसे मेरे बदन को सलामी दे रहा है !

और उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया। फिर तो ऐसा लगा कि अभी झड़ जायेगा। मैंने बड़ी मुश्किल से अपना लण्ड छुड़ाया और उनसे पूछा- आपको क्या चाहिए?

वो बोली- वही जो अभी पकड़ा था।

मैंने कहा- मेरे पास कंडोम नहीं है !

वो बोली- कोई बात नहीं, डरो मत ! मैं भी कोई ऐसी वैसी नहीं हूँ सिर्फ अपने पति से ही खुश हूँ, लेकिन तुम्हें देख कर मेरे मन में फिर से चुदाई के बादल उमड़ने घुमड़ने लगे हैं और मैं यह भी जानती हूँ कि तुम भी छुप छुप कर अपने खिड़की से मुझे देखते हो।

जब बात खुल ही गई थी तो मैंने भी कह दिया- हाँ, आप मुझे अच्छी लगती हो !

उन्होंने मुझे जोर से भींच लिया और मेरा सर झुकाकर अपनी चुचियों में दबा लिया। मैंने भी उनकी चूचियां चूसनी चालू कर दी।

तो वो बोली- यहीं करोगे या बिस्तर पर?

फिर मैं उनके बेडरूम में गया, जहाँ उन्होंने चुन्नी हटा दी और मुझे नंगा करने लगी। वैसे भी उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई क्यूंकि मैंने एलास्टिक वाला निक्कर और टी-शर्ट पहनी थी। उसे उतार कर उन्होंने मेरे कच्छे पर भूखी शेरनी जैसी निगाह डाली और एक ही बार में उसे नीचे कर दिया। मेरा लंड तन चुका था। उन्होंने तुंरत उसे चूसना शुरू किया और २ मिनट बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, तभी मैंने उसे निकाल लिया।

वो बोली- क्या हुआ? फ़ुस्स हो गए क्या ?

मैंने कहा- नहीं ! हो जाऊंगा !

वो बोली- कोई बात नहीं ! मुझे मालूम है कि तुम्हारा लण्ड अभी कुंवारा है इसीलिए मैं तुम्हें प्रैक्टिस करा रही हूँ जिससे तुम्हारी बीबी को दिक्कत न हो।

वो फिर चूसने लगी और मैंने उनके मुँह में ही सारा माल टपका दिया और वो बड़े प्यार से उसे निगल गई।

अब तो मेरा पौने सात इंच का लण्ड सिकुड़ कर सिर्फ ढाई इंच का ही रह गया था तो मैं शरमाने लगा। वो बोली- शरमाओगे ही या कुछ और भी करोगे ?

मुझे लगा कि अब तो इसकी चूत का भोसड़ा बनाना ही पड़ेगा। अब यह वो वक़्त था जब मेरा गांड मारने का अनुभव काम आता।

मैंने उसकी चुचियों को चूसना शुरू किया और उनसे खेलने लगा। पहले दाईं वाली फिर बाईं वाली और कभी कभी दोनों ! चूसते दबाते करीब आधा घंटा हो गया था। उसकी दोनों चुचियाँ सांवले से लाल रंग की हो गई थी और चूचुक ऐसे लग रहे थे जैसे उनसे अभी खून टपक जायेगा। वो बोली- क्या हाल कर दिया है तुमने इनका !

मैंने कहा- सॉरी ! अभी नया नया हूँ न !

तो वो मुस्कुरा उठी और फिर मेरा लंड चूसने लगी। अब तो मेरा लंड अखाड़े में खड़े दारा सिंह जैसा हो गया था। सारी नसें खून से भरी थी और लग रहा था कि अभी शायद पौने सात से बढ़कर १५ इंच का हो जायेगा। आखिर पहली बार चूत का स्वाद जो मिल रहा था। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर अन्दर बाहर कर रही थी। कभी कभी मैं उसका सर दबा देता तो वो उसके गले के अन्दर तक धंस जाता और वो खांसने लगती।

करीब १० मिनट बाद मैंने कहा- अब मेरी बारी !

मैंने उसकी टांगे फैलाईं और किताबों में पढ़े हुए अनुभव आजमाने लगा। उसकी चूत पर हलके हलके जीभ फिराने लगा और फिर अन्दर बाहर करने लगा। उसकी भगनासा फूल कर मोटी हो गई थी। उसकी चूत को दस मिनट तक ऐसा चूसा कि वो सूज गई और अचानक से भाभी अपनी कमर उचकाने लगी, ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे !

मैंने कहा- क्या कर रही हो ! चूसने तो दो !

वो बोली- बहुत चूस चुके, अब जरा असली काम करो !

तो मैंने अपने लंड को सहलाया और सुपाड़े के ऊपर से खाल को पीछे सरका कर उनकी चूत के मुँह पे रख दिया। उनकी चूत एक दम कुंवारी लड़की जैसी टाइट थी, वो बोली- डाल दो !

क्यूंकि अब वो बहुत गरम थी, लेकिन मैं नहीं चाहता था कि वो इतनी जल्दी झड़े। मैं उनकी चूत के ऊपर अपना लंड घिसने लगा और १ मिनट बाद सिर्फ सुपाड़ा ही अन्दर सरकाया तो वो कराह उठी। मैंने कहा- तुम्हें तो अनुभव है, फिर क्यों चिल्ला रही हो?

वो बोली- करीब तीन साल से एक भी बार सेक्स नहीं किया है, जबसे छोटा बेटा हुआ है, क्यूंकि कम उम्र में ही शादी हो गई थी और तब मैं १८ साल की थी और तुम्हारे भैया करीब ३४ साल के ! गाँव की शादी थी, उन्होंने तब चोदा था जम के। फिर पहला बच्चा होने के बाद हमारे बीच में सम्बन्ध न के बराबर ही बने सिर्फ गिनती के। शराब के कारण मैं उन्हें मुँह नहीं लगाती और कभी कभी वो लंड खड़ा करने की गोली खाकर आते थे तब चुदाई होती थी। लेकिन अब जब वो करीब तीस की थी और भैया हो चुके थे। ४४-४५ के तो भैया के लंड में दम नहीं रह गया था और वो सही से खड़ा भी नहीं होता था।

मैंने कहा- सारी कहानी अभी बता दोगी या चुदवाओगी भी?

वो बोली- आराम आराम से करो !

फिर तो मैंने उस कुंवारी जैसी चूत को कुंवारा जैसा ही चोदा।

धीरे धीरे ५-७ मिनट हलके से ही सिर्फ सुपाड़ा ही अन्दर बाहर करके पहले रास्ता बनाया फिर एक हल्का झटका देकर करीब आधा लंड अन्दर किया तो उनके आँखों में संतुष्टि नज़र आई और फिर स्पीड बढ़ाई और करीब २ मिनट बाद एक ही झटके में अपनी फतह का झंडा जैसे ही उनकी चूत की जमीन पे फहराया तो उनकी आँखों से आंसू निकालने लगे, वो बोली- बाहर करो !

मैंने कहा- भाभी अब तो ये बोफोर्स तोप झंडा फहरा कर ही वापस आयेगी !

भाभी की आँखों से आंसू बह रहे थे जो उनकी चूत के कुंवारे होने का सुबूत दे रहे थे। तभी भाभी की आँखों के आंसू थमने लगे और और वो जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी। अचानक से उन्होंने मुझे बड़ी जोर से पकड़ा और चूत उछालने लगी और मुझसे लिपट गई।

मैंने कहा- क्या हुआ भाभी?

वो बोली- बस, अब रुक जाओ !

मैंने कहा- वो तो ठीक है लेकिन अभी तोप में गोले बाकी हैं ! इन्हें कहाँ करूँ ?

वो बोली- मेरे मुँह में कर दो !

मैंने कहा- वो तो हो चुका, अब जरा कुछ और !

वो बोली- क्या ?

तो मैंने उनकी गांड में ऊँगली डाल दी।

वो बोली- नहीं !

तो मैंने कहा- फिर मैं गुस्सा हो जाऊंगा और दोबारा फिर ये कभी नहीं होगा।

आखिर वो भी मजबूर थी और मान गई।

अब मैंने उनकी टांगे अपने कन्धों पे रक्खी और एक ही बार में पूरा लंड उनकी गांड में पेल दिया। उनकी तो गांड फट गई, वो चिल्लाने लगी जैसे मैं उनका गला दबा रहा था।

मैंने कहा- चिल्लाओ मत ! और उनका मुँह अपने हाथ से बंद किया और २-३ मिनट तक अपने लंड वैसे ही उनकी गांड में पड़े रहने दिया। फिर जब वो थोडा संभली तब मैंने फिर से चोदना शुरू किया और ३-४ मिनट में ही भाभी अपनी गांड भी चूत की ही तरह उछालने लगी।

फिर मैं भी थक गया था, स्पीड बढा दी और कुछ ही देर में मैंने उनके अन्दर अपना वीर्य छोड़ दिया। भाभी अब काफी संतुष्ट थी। फिर मैं भी अपने लंड पर इतरा रहा था और भाभी भी उसकी मर्दानगी की प्रशंसा कर रही थी।

फिर मैं घर आ गया और इसी तरह कई बार जब वो अकेले में होती तो उन्हें जमकर चोदा, कभी कुत्ते वाली स्टाइल में तो कभी ६९ पोजीशन में और जो भी उलटी सीधी पोजीशन किताबों में दिखी उसमें ! क्यूंकि वो तो मुझे प्रैक्टिस करवा रही थी और मैं उनका शिष्य था।

फिर एक बार भाभी को पार्क में भी चोदा और एक बार नाव में !

इसकी कहानी मैं आपको आगे सुनाऊंगा।

मेरी सभी कहानियाँ मेरी जिन्दगी में मेरे साथ हुई सत्य घटनाओ पर आधारित हैं। अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई तो मुझे इ-मेल कीजिये।

handsome_boy2love@yahoo.com

रविवार, 20 जनवरी 2013

Rape Before Honemoon,सुहागरात से पहले बलत्कार


मेरी नई नई शादी हुई थी. मेरी पत्नी का नाम रीना था. रीना की उम्र २२ के करीब, पतली दुबली, रंग गोरा, गोल चेहरा, गुलाबी होंठ, लम्बे बाल, स्तन न तो ज्यादा बडे न ही ज्यादा छोटे, पतली कमर, सामान्य कद की आकर्षक व्यक्तित्व की मालिक थी. मेरी शादी घर वालो की मर्जी से हुई थी. शादी से पहले मैने रीना को कभी नही देखा था, शादी वाले दिन ही पहली बार रीना को देख कर अपनी किस्मत पर फक्र हो रहा था. 

सुहागरात के रात काम की वजह से कमरे में जाने मे देर हो गया और मैने रीना से बात की और ये निर्णय लिया की सुहागरात हम अपने हनीमून मे ही मनाऐंगे. दो दिन के कार्यक्रम के बाद हम हनीमून के लिए निकल गये. वैसे हनीमून ५ दिन बाद का था पर मैने सोचा की ३ दिन आश्रम मे रुक जायेंगे. 

पुणे स्थित आश्रम पहुंचे तो पता चला कि वहां बहुत भीड़ चल रही थी. न होटल मिल रहा था न आश्रम में जगह थी. बुरे फसे की स्थिति थी, तभी किसी ने पिछे से आवाज लगाई. मैने पिछे मुड़ कर देखा, आर्यन था. आर्यन एक ३६ वर्ष का सन्यासी था और इस आश्रम मे मेरे खास परिचित मे से था, हमारे विचार काफी हद तक मिलते थे तो अच्छी दोस्ती थी. पहले जब आश्रम आता था तो अक्सर आर्यन के पास ही रुक जाता था. आश्रम के बाहर 
उसका एक कमरा था जिसमे अक्सर लोगो को ठहरा लेता था, इससे कुछ आमदनी हो जाती थी उसकी. 

मेरे साथ रीना को देख कर उसने मुझे घुर कर देखा. मैने मुस्कुरा कर बताया कि मेरी पत्नी है तो मुझे काफी खरी खोटी सुनाई, ये पुछा कि शादी मे क्यो नही बुलाया आदि आदि. गुस्सा कम शिकायत ज्यादा थी, मैने प्यार से माफी मांगी तो मुस्कुराने लगा. फिर उसने आने का कारण पुछा तो मैने बताया कि हनीमून पर जाना था पर सोचा की रीना को कुछ दिन आश्रम घुमा कर जाऊं. 

आर्यन ने मुझ से कहा कि होटल या कुछ भी मिलना मुश्किल है, मै खुद भी ये जानता था तो उसने ये सुझाव दिया कि उसके घर पर रुक जाऊं. वैसे अपनी नई नवेली दुल्हन के साथ एक मर्द के यहां रुकना ठीक तो नही लग रहा था पर हालात के हिसाब से मजबूरी थी. हम आर्यन के साथ उसके घर चल दियेम घर कुछ ज्यादा दुरी पर था पर सन्यासियों के लिये तो इतना चलना रो़ज़ की बात थी. लगभग १० मिनट मे हम उसके घर पहुंचे. 

घर पुरा मेस था, सिर्फ मर्द रहेगे तो वैसे भी बेतर्तीब तो रहता है. एक रस्सी से कपडे़ सूख रहे थे पर कुछ कपडे़ आर्यन के नही लग रहे थे. मैने आर्यन से पुछा तो उसने बताया की गांव से उसका भतीजा अजय आया हुआ है. अजय 18 साल का लड़का था, हिष्ट पुश्ट, लम्बा. मै उस्से एक दो बार मिल चुका था और मुझे उसका नेचर बहुत अच्छा लगा था तो मैने कुछ नही कहा इस बारे में. थोडा़ अजीब लग रहा था कि हम दोनो दो मर्दो 
के साथ एक ही कमरे के घर में तीन दिन रहेंगे. 

आर्यन ने सुझाव दिया कि हम लोग नहा कर नाश्ता कर ले, वो २ बजे तक आश्रम से वापस आयेगा, तब तक अजय भी आ जायेगा. मैने सहमति दे दी और वो चला गया. मैने पहले खुद नहाया फिर रीना को नहाने के लिये बोला. रीना ने कपडे़ बदले और नहाने को चली, रीना ने नाईटी पहन रखी थी. जब पानी की आवाज आने लगी तो मैने जा कर दरवाजे का मुआएना किया. लकडी़ के दरवाजे मे ऊपर की तरफ एक झीर्री थी. मैने अंदर देखा तो रीना बिना 
कपडो़ के बदन पर साबुन लगा रही थी. पुरा बाथरूम साफ दिख रहा था. मैने निर्णय लिया कि जब आर्यन या अजय घर पर होंगे तब हम नही नहाएंगे. होने के लिए दोनो सन्यासी है पर कोई रिस्क नही लेना चाहिए. नहाने के बाद रीना नाईटी पहन कर बाहर आ गई. उसके निप्पल नाईटी पर साफ झलक रहे थे. मैने उससे पुछा कि वो ब्रा नही पहनी है क्या? उसने शरमाते हुए बताया कि वो जब साडी़ पहनेगी तब ब्रा पहन लेगी. मैने कुछ नही 
कहा बस मुस्कुरा दिया. 

नहाने के बाद मैने खाने के बारे मे पुछा तो उसने सहमति जताई. मैने उसे बताया कि खाना लेने कुछ दूर जाना पडे़गा और क्या वो अकेले रह लेगी. वैसे तो वो इतनी हिम्मत वाली नही थी फिर भी उसने बडे़ आराम से कहा कि वो रह लेगी. मैने उसे बताया कि मुझे ३० मिनट लग जायेंगे. उसे दरवाजा अंदर से बंद करने को कह कर मै खाना लेने निकल पडा़. आस पास की दुकाने बंद थी तो वापस आते आते ४० मिनट हो गये. 


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जैसे ही घर के दरवाजे पर पहुंचा तो अंदर से किसी मर्द की आवाज सुनाई दे रही थी. मैने सोचा की इस वक्त अंदर कौन हो सकता है इसलिए दरवाजे के एक झिर्री से अंदर झांक कर देखा. अंदर अजय था और वो रीना से बात कर रहा था,उसने रीना को बताया कि आश्रम मे कुछ जरूरी काम है इसलिए वो जल्दी आ गया, बस नहा कर निकल जायेगा. फिर वो मेरे बारे में पुछने लगा, रीना ने उसे बताया की मै खाना लेने गया हूं. इतनी बात के 
बाद वो अंदर घुस गया और मुझे किसी ने पीछे से आवाज दी. आटो वाला था, हड़बडी़ मे उसको किराया देना भूल गया था. मैने उसको किराया दिया और दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढा़या तो फिर अजय की आवाज सुनाई दी. वो रीना को आवाज लगा रहा था कि वो टावेल ले जाना भूल गया है और वो उसे टावेल दे दे. उत्सुक्तावश मैने झिर्री से अंदर झांक कर देखा तो रीना टावेल लिये बाथरूम के गेट पर खडी़ थी उसने अजय को आवाज 
लगाई कि वो टावेल ले ले. 

अचानक अजय ने बाथरूम का पूरा दरवाजा खोल दिया, वो एक दम नंगा खडा़ था. मैं और रीना दोनो भौचक्के रह गये. अजय ने टावेल के साथ रीना का हाथ पकड़ कर रीना को बाथरूम के अंदर खींच लिया. ये सब इतना अचानक हुआ कि कुछ रिस्पांस करने का समय ही नही मिला. मुझे लगा की २ मिनट मे रीना चिल्लाते हुए बाहर आ जायेगी पर वो काफी देर बाहर नही आई तो मुझे डर सताने लगा. मैने दरवाजे पर दस्तक दी, कोई आवाज नही आई तो 
मैने फिर दस्तक दी. इस बार अजय ने पुछा की कौन है. मैने अपना नाम लेकर बताया और दरवाजा खोलने को कहा. उसने कहा दो मिनट तो मैने फिर झिर्री से झांका. अजय ने दरवाजा खोला और रीना की नाईटी लेकर बाहर निकला और एक तरफ मुड़ गया. दरवाजा पुरा खुला हुआ था और रीना बिना कपडो़ के एक कोने में उकडु़ बैठी थी. उसने अपने स्तन अपने जाघो मे छुपा रखा था. थोडी़ देर में अजय दिखा वो नाईटी सुखा रहा था और रीना 
की साडी़ ब्लाऊज लेकर बाथरूम मे चला गया. फिर उसने जल्दी जल्दी बदन पर साबुन लगाया और टावेल लपेट कर बाथरूम से निकला, निकलते हुए उसने बाथरूम का दरवाजा टिका दिया. कुछ रुक कर उसने दरवाजा खोला. मै अंदर गया और बिस्तर पर बैठ गया. मैने रीना के बारे मे पुछा तो उसने बताया की क्योकि मुझे देर हो रही थी इसलिए वो घबरा गई थी और मुझे बाहर धुंधने गई है. मै जानता था कि वो झुठ बोल रहा था पर क्या 
करूं कुछ समझ नही आ रहा था. अजय ने मुझसे कहा कि मै बैठ कर रीना का इंतजार करू और वो नहा कर आ रहा है. मेरे कुछ बोलने से पहले ही वो बाथरूम मे घुस चुका था और बाथरूम का दरवाजा बंद कर चुका था. 

मै अपने होशोहवास खो चुका था, मेरी नई नवेली दुल्हन बिना कपडो़ के अपने से काफी कम उमर के लड़के के साथ बाथरूम मे बंद थी और ये जानते हुए कि मै कमरे मे हूं चिल्ला नही रही थी. शायद एक लड़के के साथ इस स्थिति मे पकडे़ जाने का डर और शर्म ने उसे चुप रहने पर मजबूर कर दिया था,या शायद अजय ने डराया धमकाया होगा. 

मैं बहुत उत्सुक था ये जानने के लिए कि अंदर हो क्या रहा है. इसलिए दबे पांव मै बाथरूम के दरवाजे तक गया और झिर्री से अंदर झांक कर देखने लगा. अजय ने रीना को बाजू से पकड़ कर उठाया और चुप रहने का इशारा किया. रीना की नजरे निचे कि ओर थी और वो धीरे धीरे खडी़ हो गई. रीना का पुरा बदन थर थर कांप रहा था और पुरे बदन पर पसीना आ रहा था. अजय ने उसे दीवार से सटाया और उसके ऊपर ढह, उसका सीना रीना के 
स्तनो को दबा रहा था. उसने रीना की पीठ पर हाथ ले जाकर उसे बांहो मे जकडा़ और उसके गालो को चुमने लगा. रीना उससे बचने के लिए अपना सर इधर उधरकरने लगी पर नाकाम रही. कुछ देर के बाद उसने रीना के होंठो को चुमने की कोशिश करने लगा. रीना आवाज तो नहीं कर रही थी पर अपना सर इधर उधर कर रही थी जिसके कारण वो उसके होंठो को चुम नही पा रहा था. उसने एक हाथ से रीना का चेहरा पकडा़ और उसके होंठो से अपने 
होंठ चिपका दिये. पुरी तन्मयता से वो रीना के होंठो का स्वाद लेने लगा. क्योकि रीना दरवाजे से ९० अंश के कोण पर खडी़ थी इसलिए रीना का बांया और अजय का दांया तरफ झिर्री की तरफ था. मैं अंदर से जल रहा था, जलन, गुस्सा, चिढ़, दुख और कुछ न कर पाने की मजबूरी मुझे अंदर से अजीब सा एहसास दे रही थी. दिमाग में यही चल रहा था कि कैसे अपनी पत्नी कि कौमार्य कि रक्षा करूं. मैने दरवाजा खटखटा कर कहा "अजय, 
जल्दी बाहर निकलो, मुझे भी अन्दर जाना है!" अजय ने रीना के होंठो को छोडा़ और गालो को चुम कर कहा, "पांच मिनट मेरे भाई, मुझे बस पांच मिनट लगेगा." अब पांच मिनट कुछ बोल ही नही सकता था. अजय ने रीना के होंठो को छोड़ कर थोडा़ नीचे झुका, और रीना के निप्पल को चुसने लगा. बीच बीच में वो रीना के स्तनो को मसल भी रहा था. २-३ मिनट तक रीना के स्तनो को मसलने के बाद वो खडा़ हुआ तो रीना ने हाथ जोड़ कर उसे 
कहा, "प्लीज, मुझे छोड़ दो, मुझे बरबाद मत करो." . 


अनिंद्रा से अल्सर 


वैसे रीना ने इतने धीरे कहा था कि आवाज सिर्फ अजय को सुनाई दे पर होंठो के हिलने के अंदाज से पता चल रहा था कि वो क्या बोल रही है. अजय ने आंखे निकाल कर कहा, "साली कुतिया! मुंह बंद कर, वर्ना इतने बेरहमी से चोदुंगा कि चीखने लगोगी, तेरे मियां के पता चल जायेगा वो अलग, कुछ नहीं बोला तो ठीक वरना तेरे मियां को यही काट कर गाड़ दुंगा, और तेरे को तब तक अपनी रखेल बना कर रखुंगा जब तक तेरे जिस्म से 
मेरा दिल नही भर जाता, फिर तुझे किसी कोठे पर बेच दुंगा. इसलिए अपना मुंह बंद रख और ज्यादा नौटंकी मत कर." डर रीना के चेहरे पर साफ झलक रहा था, डर तो अजय के शब्दो से मुझे भी लग रहा था. अजय कसरती बदन का था, मुझसे उंचा भी था, मै किसी भी तरीके से उससे नही लड़ सकता था और अगर वो सच बोल रहा था ये सोच कर भी मेरी सांस रुकने लग रही थी. पर फिर भी रीना को किसी न किसी तरीके से बचाना ही था तो कोशिश तो करना 
ही था. 

मैने फिर से दरवाजा खटखटाया, "अजय पांच मिनट हो गये!" अजय ने फिर चिल्ला कर कहा, "पांच मिनट और भाई." मुझे फिर पांच मिनट के लिये खामोश होना पडा़. अजय ने हाथ फिराते हुए हाथ रीना के योनि तक ले गया और एक उंगली रीना कि योनि मे डाल दिया. रीना ने चुहंक कर अपना सर पिछे कि तरफ फेंका और कुछ उपर की तरफ उछली. थोडा़ विराम देने के बाद अजय ने फिर उंगली रीना कि योनि मे अंदर की तरफ घुसाया. रीना चुहंकी तो 
नही पर अपना सर पिछे कि तरफ फेंका और कुछ उपर की तरफ उछली. थोडा़ थोडा़ विराम दे कर अजय यही हरकत दुहराता रहा. रीना की शरीर में एंठन साफ दिख रहा था. लगभग तीन मिनट में रीना ने योनि रस छोड़ दिया. कुछ पल का विराम देने के बाद अजय ने रीना के सारे शरीर पर हाथ फेरा और उसे कंधो से दबा कर घुटनो के बल बैठा दिया. उसने अपना लिंग का छोर रीना के होंठो पर रख कर दबाव डाला. लिंग रीना के मुंह मे चला गया 
और रीना की सांसे रुकने लगी. उसका लिंग बहुत मोटा और लम्बा था. वो रीना को मुख मैथुन करने को कह रहा था पर रीना इससे अंजान थी तो उसने खुद ही लिंग अंदर बाहर करने लगा. अपने हाथो से उसने रीना के स्तन पकड़ रखे थे और वो उसे जोर जोर से मसल रहा था. मैने फिर से दरवाजा खटखटाया पर अजय ने कोई जवाब नही दिया. चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो जवाब देने कि स्थिति मे नही था. उसे बहुत मजा आ रहा था और ये 
चेहरे पर साफ झलक रहा था. मैने दो तीन बार और दरवाजा खटखटाया पर अजय ने कोई जवाब नही दिया. कुछ ही देर में अजय ने रीना का सर बालो से पकड़ लिया और अचानक ही उसके शरीर की एंठन शांत हो गई. उसने अपने बीज रीना के मुंह मे ही छोड़ दिया था. उसके अलग हटते ही रीना ने सारा वीर्य एक तरफ उगल दिया. 

मैने फिर से दरवाजा खटखटाया, वो अपना लिंग सहलाने मे व्यस्त था. लिंग फिर से आकार लेने लगा. वो रीना के साथ जो कर चुका था वो तो कुछ नही था उसके सामने जो वो करने कि तैयारी कर रहा था. मैने इस बार जोर से कई बार दरवाजा खटखटाया. अजय ने एक झटके से दरवाजा खोला और गुर्राते हुए मेरा कॉलर पकड़ लिया. मुझे लगभग झंझोड़ते हुए कहने लगा, "सुनो मियां, मुझे और ३० मिनट या ज्यादा अंदर लग सकता है, क्योकि 
मै अपने हिसाब से नहाता हूं, कोई मुझे नहाते हुए डिस्टर्ब करता है तो मै उसका मुंह तोड़ देता हूं. तो अगर तुमको बाथरूम मे काम है तो गली के मोड़ पर सार्वजनिक शौचालय में चले जाओ. खबरदार जो मुझे डिस्टर्ब किया वरना बाहर आकर तुम्हारा मुंह तोड़ दुंगा. समझा!" मैने सहमति मे सर हिला दिया और उसने धर से दरवाजा बंद कर दिया. अब दरवाजा खटखटाने का तो प्रशन ही नही उठता था तो मैने झिर्री में आंख 
गडा़ दी. 

अजय ने रीना के कंधे को दबाते हुए उसे ज़मीन पर चित लिटा दिया और उसकी टांगे चौडी़ कर दी. उसकी योनि द्वार से गुलाबी फांक साफ दिख रही थी. और गीलापन भी झलक रहा था. अजय रीना के ऊपर लेट गया और कुछ देर तक उसके होंठो और गले को चुमता रहा. फिर उसने अपने लिंग को उसके योनि पर रखा और रीना के मुंह पर अपने हाथ का ढक्कन फिट कर दिया. अगले ही पल मेरी दुख का बांध फूट गया, एक झटके से उसने अपना लिंग रीना 
के योनि मे प्रविष्ट कर दिया. रीना की आंखे कटोरो से बाहर आने लगी और वो अपना पैर फेंकने लगी. अगर रीना के मुंह पर अपने हाथ का ढक्कन फिट न किया होता तो रीना चीख पडी़ होती. रीना का कौमार्य भंग हो गया था. अजय कुछ देर तक स्थिर रहा जब तक रीना ने अपने हाथ पैर झटकने बंड नही किये. फिर उसने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया. जब रीना पुरी तरह से स्थिर हो गई तो उसने रीना के मुंह पर अपने हाथ हटा 
लिया. धीरे धीरे धक्के होने लगे. जब धक्के लगा कर थक जाता था तो थोडी़ देर रुक कर रीना के होंठ चुमता था और स्तनो को मसलता था. आराम करके फिर धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर देता था. लगभग १५ मिनट बाद उसका शरीर एंठ गया और चेहरे के भाव से पता चल रहा था की वो अपना बीज अंदर ही छोड़ रहा था. फिर उसने अपना लिंग बाहर खींचा. लिंग वीर्य से और खून से सना हुआ था. थोडा़ अलग हट कर अजय नहाने लगा और रीना 
उकडू़ होकर बैठ गई.

तभी पिछे से दरवाजा खुलने कि आवाज आई तो मैं झट से बिस्तर पर बैठ गया. दरवाजे पर आर्यन था और वो अंदर आ गया. उसने रीना कि बारे में पुछा तो मैने कहा ही वो पास ही घुमने गई है. उसने बताया कि उसे वापस आश्रम जाना है और वो नहाने आया था. उसने अजय के बारे मे पुछा आउर बाथरूम की तरफ जाकर अजय को आवाज दी. फिर वो दोनो पंजाबी में बात करने लगे. दो मिनट मे आर्यन टावेल लपेट कर बाथरूम के सामने खडा़ था. मै 
उसे बाथरूम में घुसने से कैसे रोकुं यही सोच रहा था कि अजय गेट खोल कर बाहर आ गया. वो पुरी तरह तैयार था इसलिए सीधे बाहर चला गया और मेरे कुछ बोलने से पहले ही आर्यन अंदर घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया. 

मैं अपनी उत्सुक्ता दबा नही पाया और झिर्री से अंदर झांकने लगा. आर्यन ने जैसे ही पलट कर देखा तो रीना को बिना कपडो़ के उक्कडू़ बैठे पाया. उसने इशारे से उसे उठने को कहा और उसी दीवार से उसे टिका कर खडा़ कर दिया जिस दीवार से अजय ने रीना को टिका कर खडा़ किया था. हालाकि दोनो इतने धीरे बोल रहे थे कि बाहर आवाज़ न आये पर होंठो के हिलने से पता चल रहा था कि दोनो क्या बात कर रहे हैं! 

आर्यन ने कहा, "अभी तो अजय बाहर निकला है, तुम क्या कर रही थी अजय से साथ अंदर?" रीना ने नजरे झुका कर कहा, "अजय ने मुझे जबरदस्ती अंदर खींच लिया था." आर्यन ने पुछा, "तुम्हारा पति कहा था उस टाईम?" रीना ने कहा, "वो बाहर गये थे खाना लेने, अजय नहाने आया था, नहाने के लिए अंदर घुसा और मुझसे टावेल मांगा, मै टावेल देने आई तो मुझे अंदर खींच लिया." आर्यन ने कहा, "बहुत कमीना है, है मेरा रिश्तेदार पर बहुत 
कमीना." आर्यन ने फिर पुछा, "तुम्हारे पति को पता है कि तुम अंदर हो?" रीना ने न मे सर हिलाया. आर्यन ने फिर पुछा, "क्या क्या किया अजय ने, सिर्फ ऊपर ऊपर मज़ा लिया या सब कुछ कर लिया?" रीना की नजरे झुकी हुई थी, वो थोडी़ देर रुक कर बोली, "सब कुछ कर लिया." आर्यन थोडी़ देर रुक कर बोला, "तुम चिल्लाई क्यो नही." रीना ने कहा, "उसने मुझे धमकी दी थी, मैं डर गई थी." आर्यन ने पुछा, "तुम्हे मालूम है कि तुम्हारा 
पति बाहर ही बैठा है." रीना ने सहमति में सर हिलाया. आर्यन ने आगे कहा, "अब जो हो गया सो हो गया, तुम अपने पति को कुछ मत बताना, मै उसे बाहर ले जाऊंगा और कह दुंगा कि तुम मेरे साथ आश्रम गई थी." रीना ने कहा, "आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपने मेरी परेशानी आसान कर दी, पता नही मैं आपका कर्ज़ कैसे चुकाऊंगी." मेरे खुद के नजर मे आर्यन की इज्जत बढ़ गई थी पर अगले ही पल उतर भी गई. आर्यन ने अपने दोनो हाथो से 
रीना के दोनो स्तन थाम लिया और उन्हे सहलाने और मसलने लगा. उसने कहा, "एहसान का बदला तो अभी ही वसूल लुंगा, जो अजय करके निकला है मै भी वही कर लेता हूं." रीना कुछ कहना चाहती थी उससे पहले ही आर्यन ने कहा, "एक बार तो अजय सब कर चुका है, मै भी कर लुंगा तो तुम्हारा कुछ नही जाएगा." रीना ने उसे स्तनो से खेलने से रोका तो नही पर एक सवाल पुछा, "अभी तो आप अजय को गालियां दे रहे थे, आप भी तो वही कर रहे हैं." 
आर्यन ने रीना के होंठो को चुमा और मुस्कुरा कर कहा, "अजय तुम्हे मुसीबत में डाल कर गया है और मै तुम्हे मुसीबत से निकाल रहा हूं, इतना तो अंतर है ही.पर अगर तुम्हे परेशानी है तो चलो बाहर चलते है और मैं तुम्हारी तुम्हारे पति से आमना सामना करवा देता हूं." एक डर की लहर रीना के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी, उसने थोडा़ रुक कर कहा, "नही! मुझे कोई परेशानी नही है, आप कुछ भी कर सकते है, मुझे सब 
शर्ते मजूंर है, पर अजय तो कोई नहीं लगता उनका पर आप तो उनके दोस्त हैं आपको भी तो दिक्कत होगी अगर उनको पता चल जाए." आर्यन ने कहा, "मानता हूं अजय कमीना है, पर मैं भी कम नही हूं, अगर तेरे पति मुझसे उलझेगा तो मै भी वही करूंगा जो अजय कर सकता है. तुझे जी भर के नोचुंगा और फिर कोठे पर नुचवाने के लिए छोड़ दुंगा." 


मैने चुप रहने में ही भलाई समझी, आर्यन जोर जोर से रीना के स्तनो को मसलने लगा. दर्द की लहर रीना के चेहरे पर दिख रही थी पर आवाज मुंह से नही निकल रहा था. संतुष्ट होने के बाद आर्यन रीना के निप्पल चुसने लगा, बारी बारी से एक एक निप्पल को आराम से चुसता रहा पर बीच बीच मे रीना के चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो निप्पल को चबा भी रहा था. संतुष्ट होने के बाद उसने रीना के होंठो को चुमना शुरू किया 
और साथ ही रीना के योनि में भी उंगली डाल दी. जब भी आर्यन उंगली अंदर डालता था तो रीना थोडा़ उछल जाती थी. काफी देर बाद वो अलग हुआ और अपना टावेल उतार दिया. आर्यन का लिंग किसी भी तरीके से अजय से रत्ती भर भी कम नही था, बल्कि ज्यादा ही था. 

वाणी ही पहचान है 

आर्यन का लिंग देख कर रीना के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी. आर्यन ने रीना के टांगो को फैलाया और अपना लिंग रीना के योनि द्वार पर सटाया. रीना को समझ आ गया था कि क्या हो सकता है इसलिए उसने खुद अपने मुंह पर ढक्कन लगा लिया. उसने अपने हाथ से अपना मुंह बंद कर ली थी. आर्यन ने रीना के दोनो कंधो को पकडा़ और जोर से धक्का लगाया. पुरा लिंग अंदर समा गया, रीना के चेहरे पर दर्द की लहर दिख रही थी. 
वो चीखना भी चाहती थी पर मेरे बाहर होने के डर से उसने आवाज दबा ली. आर्यन ने धीरे धीरे धक्का लगाना शुरु किया. लगभग ३ मिनट के बाद रीना उन धक्को से अभ्यस्त हुई और उसने अपने मुंह से अपना हाथ हटा लिया. आर्यन के धक्के इतने तीव्र थे कि ऐसा लग रहा था कि वो अपने बदन के भार से रीना को अपने और दीवार के बीच पीस देगा. धीरे धीरे धक्को का वेग तेज होता गया और एक समय पर आर्यन ने अपना बीज अंदर छोड़ 
दिया. उसने थोडे़ देर तक रीना के निप्पल और होंठो को चुसा और अलग हो गया. फिर दोनो साथ मे नहाए. मैं फौरन बिस्तर पर बैठ गया. आर्यन कपडे़ पहन कर बाहर आ गया. बाहर आते समय उसने बाथरूम का दरवाजा भीडा़ दिया. 

आर्यन ने बडे़ भोलेपन से पुछा रीना के बारे में, मैने उसे बताया कि वो अभी तक नही आई है. उसने कहा कि अगर मुझे चिंता हो रही हो तो मैं रीना को धुंधने जा सकता हूं वो तब तक यही रूक जायेगा. मैं भी कोई फसाद नही करना चाहता था तो बाहर निकल गया. लगभग ३० मिनट के बाद वापस आया तो रीना आर्यन के साथ कमरे में बैठी थी. मैने उस से बस इतना ही कहा कि नये शहर में अकेले नही घुमने जाना चाहिए. आर्यन ने बीच मे 
पड़ कर कहा, "तुम व्यर्थ मे चिंता करते हो भाई, ये शहर आश्रम के लिए मशहूर है. इस शहर में कभी कुछ गलत नहीं हो सकता." मैने और बहस करने कि अपेक्षा चुप रहना ही उचित समझा. आर्यन के जाने के बाद रीना ने चुप चाप खाना खाया और सो गई. 

मुझे पता था कि सुबह तक कोई ट्रेन नही थी तो सुबह तक रुकना मजबूरी थी, फिर भी अपने तरीके से होटल धुंधना शुरू किया पर नाकामयाब रहा. रात में ठीक आठ बजे आर्यन आ गया. उसने खाने के बारे में पुछा तो मैने बताया कि रीना के साथ बाहर खाने जाऊंगा. उसने अजय को फोन किया और कुछ देर पंजाबी में बात करने के बाद बताया कि अजय शायद रात में आश्रम में ही रुकेगा. उसने कहा कि अब तो जिंदगी भर मै रीना के साथ 
ही खाऊंगा एक दिन उसके साथ खा लु, वापसी में रीना के लिए ले आयेंगे. बहुत जिद करने के बाद मैने हा कह दिया और हम पास ही एक होटल में आ गये. एक कैबिन में बैठने के बाद आर्यन ने कहना शुरू किया, "सैम! मै जानता हूं कि रीना के साथ जो मैने और अजय ने किया वो तुम जानते हो, और मुझे उसका अफसोस भी नही है. अगर तुम जाना चाहते हो तो जा सकते हो, पर ट्रेन तो सुबह ही है. अभी निकल कर स्टेशन पर इंतिजार ही करोगे. 
और हमारा भी डर बढा़ दोगे, जिसमे हम कुछ उलटा सीधा कर सकते है. सुबह पुरे सत्कार के साथ जाओगे तो हमें बहुत खुशी होगी." मुझे तो उसकी बातो से बहुत डर लग रहा था तो मैने कोई जवाब नही दिया. उसने फिर पुछा कि अभी जाओगे या सुबह. मैने धीरे से कहा सुबह. उसने कहा की रात भर रुक रहे हो तो एक बात बता ही देता हूं. रात में ९ बजे के आसपास अजय आयेगा तो हम लोग फिर से एक बार रीना के साथ आन्नद लेगे. तुम बीच 
में मत पड़ना नही तो मुसीबत में आ जाओगे. हम बाथरूम के बजाए बिस्तर पर ही उसके साथ सब कुछ करेंगे. अगर तुम्हे अच्छा न लगे तो बाहर चले जाना. सुबह पुरे सत्कार के साथ तुम्हे विदा करेंगे. मुझे उसके बातो के विश्वास पर बहुत अचरज हो रहा था. वो एक पति के सामने ही ये कह रहा था कि वो और उसका रिश्तेदार आज रात में उसकी पत्नी को उसी के सामने भोगेंगे और या तो वो खडे़ होकर देखे या मुंह छुपा कर बाहर 
भाग जाये. पर मेरी स्थिति मे उसका पलडा़ भारी था, मैने कुछ जवाब नही दिया. वो मुस्कुराया और खाने के बारे में पुछने लगा तो मैने कह दिया कि मुझे खाने का मन नही है. उसने कहा कि वो समझ सकता है तो उसने रीना के लिए कुछ बंधवाया और हम वापस चले आये. रीना को खाने के लिये दिया तो उसने भी बेमन से थोडा़ ही खाया और बाथरूम जा कर मैक्सी पहन कर आ गई. आर्यन ने लुंगी पहन ली और मैने भी कपडे़ बदल लिये. 
रीना निचे ही लेट गई और सोने कि कोशिश करने लगी. 

कुछ ही देर मे अजय आ गया और उसने आर्यन से पंजाबी मे थोडी़ बात की. उसके बाद उसने रीना को आवाज लगा और उठने को कहा. रीना उठ कर बैठ गई. उसने रीना को खडे़ होकर पास आने को कहा. रीना मुझे देखने लगी पर मैं कोई प्रतिक्रिया नही कर सका. उसने रीना की तरफ देखा और पास आ कर उसे हाथ से खींच कर उठाया और अपने पास खडा़ कर लिया. रीना बार बार मुझे ही देख रही थी, अजय ने पुच्कारते हुए कहा, "रीना, बाथरूम जाओ 
और सारे कपडे़ उतार कर आ जाओ." उसने एक झटके से अजय को देखा फिर मुझे देखा. अजय ने आगे कहा, "उसे क्या देख रही हो, हमारे आश्रम का नियम है कि चीजो को मिल बांट कर भोगते है, तुम्हारे पति भी आश्रम के सदस्य है तो तुम्हे भी मिल बांट कर भोगेंगे. अब जल्दी जाओ." रीना ने फिर मुझे देखा तो मैने सर झुका लिया. वो चुपचाप बाथरूम में घुस गई, २ मिनट मे बाहर आई तो बिलकुल निर्वस्त्र थी. मैं चोर नजरो से उसे 
देख रहा था. 

एक एक आना, भरे खजाना 

अजय ने मुस्कुरा कर उस से बिस्तर पर चित लेटने को कहा. वो थोडा़ झिझकी फिर बिस्तर पर जाकर लेट गई. अजय और आर्यन से पंजाबी मे थोडी़ बात की और दोनो उसके अगल बगल जा कर लेट गये. दोनो ने उसके एक एक स्तनो को थाम लिया और निप्पल को चुसने लगे. एक एक हाथ रीना के जांघो के बीच रख कर बारी बारी से रीना के योनि मे ऊंगली घुसाते रहे. कुछ ही देर मे उन्होने रीना के दोनो स्तन थाम लिये और उसके निप्पल को 
चुसते हुए उसके स्तनो को मसलने लगे. रीना दर्द से कसमसाने लगी. कुछ देर मे पश्चात दोनो संतुष्ट हुए तो उठ कर दोनो ने कपडे़ उतार दिये. पहला नम्बर आर्यन का था. वो रीना के टांगो को फैला कर उस पर चढ़ गया और कुछ देर तक उसके होंठो को गाल को, गले को चुमता रहा. फिर उसने अपना लिंग उसके योनि पर रख कर एक जोर के झटके से उसे अंदर डाल दिया. वेग इतना था की रीना की चीख निकल गई. आर्यन धीरे धीरे धक्के 
लगाने लगा, धीरे धीरे धक्को का वेग बढ़ने लगा और साथ ही रीना की कराहे भी और एक चरम पर पहुंचने के बाद आर्यन ने अपना बीज अंदर छोड़ दिया. आर्यन के उठते ही अजय रीना के टांगो के बीच आ गया और अपना लिंग उसके योनि पर रख कर एक जोर के झटके से उसे अंदर डाल दिया. वेग तो बहुत था पर रीना सह गई. अजय धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. लगभग १५ मिनट के बाद अजय ने अपना बीज अंदर छोड़ दिया और खडा़ हो गया. 

इस बीच आर्यन अपने लिंग को सहला रहा था, अजय ने भी अपना लिंग सहलाना शुरू किया, कुछ ही देर मे लिंग फिर से तन गया था. मुझे समझ आ रहा था कि उनका एक और राऊंड का विचार था, उन्होने दराज से क्रीम निकाली और अपने अपने लिंग पर लगाने लगे. जब पुरी तरह से क्रीम से अपना लिंग भींगा चुके तो अजय ने रीना को टांगो से पकड़ कर बिस्तर के नीचे की तरफ खींचा, रीना कमर तक बिस्तर पर थी और रीना को उलटा लिटा दिया. 
उसकी टांगे निचे को झुल रही थी. इस से पहले कि मैं या रीना कुछ समझ पाते अजय ने अपना लिंग पीछे के छेद कर लगाया और रीना के स्तनो को अपने दोनो हाथ में कस कर भींच लिया. उसने एक झटके से अपना पूरा लिंग रीना के पीछे के छेद में अंदर तक घुसा दिया. रीना के मुंह से चीख निकल गई. चीख इतनी तेज थी कि मुझे खुद सिहरन होने लगी. अजय कुछ देर रूका रहा जब तक रीना पुरी तरह से शांत नही हो गई. फिर उसने धीरे 
धीरे धक्के लगाना शुरी किया. हर एक धक्को पर रीना की सिसकी निकल रही थी. अजय बीच बीच में रूक कर रीना के स्तनो को मसलता और उसके पीठ और कंधो को चुमता. लगभग २० मिनट के बाद उसने अपना बीज अंदर छोड़ दिया और खडा़ हो गया. उसके हटते ही आर्यन ने वो जगह ले ली. उसने भी धीरे धीरे धक्के लगाना शुरी किया. अजय की तरह ही आर्यन भी बीच बीच में रूक कर रीना के स्तनो को मसलता और उसके पीठ और कंधो को चुमता 
रहा. लगभग १५ मिनट के बाद उसने अपना बीज अंदर छोड़ दिया और खडा़ हो गया. दोनो ने रीना के दोनो छेदो को गीले कपडे़ से पोछा और चित बिस्तर पर लिटा दिया. दोनो उसके अगल बगल लेट गये और अपना अपना चेहरा रीना के गले के पास रख लिया. अजय ने अपना एक हाथ रीना के पेट कर और आर्यन ने छाती पर रख लिया. दोनो ने अपनी एक एक टांगे रीना की टांगो पर चढा़ दी और बारी बारी से रीना के गाल, गले, और होंठो को चुमते 
रहे. बारी बारी से रीना के स्तनो को सहलाते और हलके हाथो से मसलते रहे. आर्यन ने मुझसे कहा, "सैम, तुम नीचे ही सो जाओ, हम भी सो रहे है." मैने रीना की तरफ देखा तो अजय ने कहा, "इसे हमारे बीच ही सोने दो, बहुत थक गई है, बिस्तर पर अच्छी नींद आयेगी." मैं बहस नही करना चाहता था इसलिए नीचे ही लेट गया. 

रात मे आंख लग गई तो सुबह ही खुली, रीना और अजय बिस्तर पर नही थे सिर्फ आर्यन ही बिस्तर पर लेटा हुआ था. मुझे देख कर बोला, "अजय और रीना बाथरूम में नहा रहे है, इसके बाद मैं नहाऊंगा, उसके बाद तुम नहा लेना, अभी ट्रेन के लिए २ घंटे है. अजय तो नही जा पाऐगा पर मैं तुम दोनो को स्टेशन तक छोड़ दुंगा." मैंने कहा कुछ नही बस सर हीला दिया. आर्यन ने आंखे बंद कर ली तो मैं टहलते टहलते बाथरूम के गेट तक 
पहुंच गया. बाथरूम का गेट आधा खुला हुआ था तो मैने अंदर झांका. अंदर रीना और अजय बिना कपडो़ के खडे़ थे. दोनो के बदन भीगे हुए थे और रीना के बदन पर अजय साबुन लगा रहा था. जिस समय मैने अंदर झांका था वो रीना के स्तनो पर साबुन लगा रहा था. साबुन के बहाने वो रीना के स्तनो को कस के मसल रहा था. जब वो पुरी तरह से साबुन लगा चुका तो उसने खुद साबुन लगाया और फिर दोनो नहा लिये. अजय बाहर आने को हुआ फिर 
रुका और उसने रीना को ज़मीन पर लिटा दिया. वो खुद रीना पर लेट गया और उसकी योनि मे लिंग घुसा दिया और थोडी़ तेजी से धक्के लगाने लगा. १५ मिनट मे संतुष्ट होने के बाद खुद भी उठा और रीना को भी उठाया और एक बार फिर दोनो नहाये. 

सचिन लायेंगे देश में हरित क्रांति 

नहाने के बाद अजय ने रीना के और खुद के बदन को पोछा और अपने कमर पर टावेल लपेट लिया. फिर रीना को गोद में उठा कर बाहर आ गया. मुझे बाथरूम के गेट पर खडा़ देख कर गुर्राते हुए बोला, "खा नही जाऊंगा तुम्हारी पत्नी को जो हर वक्त नजर रखे रहते हो!" आर्यन ने उसे डपटते हुए कहा, "क्या अजय? सैम ने तो अपने भाईचारे का सबूत दिया है, अपनी नई नवेली दुल्हन की नथ उतारने दिया है, और रात भर उसे भोगने भी दिया 
है. तुम फिर भी उस पर नाराज हुए जा रहे हो." अजय ने आर्यन से कहा, "चाचा भाईचारे में नही डर में, और मै क्या कम भाईचारे का सबूत दे रहा हूं, इसकी पत्नी मुझे इसके साथ जाने दे रहा हूं. वरना इसकी पत्नी तो मुझे इतनी पसन्द है कि मै इसे अपनी रखेल बना कर रख लेता, खुद भी इसकी जवानी का रस चुसता और अपने दोस्तो को भी इसकी जवानी चखाता." न आर्यन ने कुछ कहा न मैने कुछ कहा. 

अजय रीना को गोद मे लेकर बैठ गया और आर्यन बाथरुम में घुस गया. नहा कर बाहर आया तो मुझे अंदर भेज दिया. मैं जल्दी जल्दी नहा कर बाहर आया दो देखा कि अजय तैयार होकर जा चुका था और रीना घुटनो के बल बैठी आर्यन के लिंग को चुस रही थी. साफ पता चल रहा था कि ये करने का रीना का बिल्कुल मन नही था और आर्यन उससे जबरदस्ती ये करवा रहा था. १० मिनट के बाद आर्यन रीना के मुंस में ही संखलित हो गया. रीना ने 
उसका वीर्य बाहर थूक दिया. उसके बाद आर्यन तैयार हो गया. मै भी तैयार हो गया पर आर्यन ने रीना को कपडे़ नही पहनने दिये. उसके बाद सबने बैठ कर नाश्ता किया. रीना बिना कपडो़ के ही बैठ कर नाश्ता की. फिर तैयार होने लगी. 

उसके बाद हम तीनो स्टेशन पहुंचे. मैंने सामान ट्रेन में रखा और रीना को अंदर बैठा दिया. आर्यन ने मुझे प्लेटफार्म पर बुला लिया और बाते करने लगा. उसने कहा, "सैम, हम जानते है कि ये सब तुम्हारे लिए अच्छा अनुभव नहीं था, पर अजय तुम्हरी पत्नी को देख कर सैयम नही रख सका और न ही मैं. अब जो हुआ उसे भूल जाओ और अपनी जिंदगी जियो." मैने कोई जवाब नही दिया तो उसने आगे कहा, "अच्छा पहलु देखोगे तो रीना को 
यौन कला में निपुर्ण कर दिये है और उसका हर एक छेद खोल दिये है, तुम्हे किसी भी क्रिया में परेशानी नही होगी, अब रीना को सम्भोग का स्वाद लग गया है, उसे उपेक्षित मत कर देना, वरना अपने ही घर मे नौकरो के साथ रीना को बाथरूम में पाओगे." ट्रेन ने सिग्नल दिया तो मैं बिना कुछ बोले ही ट्रेन में चढ़ गया. हनीमून पर जाने के बजाय हम घर वापस आ गये. २ हफ्ते लगे इस झटके से उबरने में और उसके बाद ही मैने 
रीना के साथ पहली बार सम्भोग किया. फिर धीरे धीरे आश्रम की यादे धुंधली होती गई और हम अपनी जिंदगी में बस गये. 
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