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बुधवार, 28 नवंबर 2012

मेरी चुदाई की दास्तान पार्ट - 10 -, परिवार मे चुदाई


हेल्लो प्यारे पढने वालों
मैं आप की चहेती सेक्सी जूली, पेश करती हूँ अपना एक और चुदाई  का  कारनामा.
ये भाग मुझे पहले लिखना चाहिए था क्यों की इस के बाद की दास्तान मैं पहले ही लिख चुकी हूँ. खैर कोई बात नहीं. मैं जानती हूँ की जब भी लिखूंगी, आप लोगों को पसंद आएगा.
कभी कभी तो मुझे हंसी आ जाती है ये सोच कर के की मेरी तो चुदाई होती है और आप लोग मेरी चुदाई का मज़ा लेते है.
मैं कभी भी सच लिखने से पीछे नहीं हटी हूँ भले ही वो सच कितना ही कड़वा हो.
मैं जानती हूँ की बहुत सी लड़कियां होगी जो मेरी  तरह चुदाई करवाती  है पर कोई भी लड़की अपनी चुदाई की बात को शेयर नहीं करती. मैंने मेरी चुदाई की बात को शेयर किया है और करती रहूंगी.
अब आती हूँ असली कहानी पर ...... मज़ा लीजिये .......
अपनी पढाई पूरी करने के बाद मैं बिज़नस में पूरी तरह अपने पापा और चाचा का
साथ दे रही थी. आप जानते है की मैं जब कॉलेज में थी, तभी से ही बिज़नस में
इंटेरेस्ट लेने लगी थी और मेरी पढाई  ख़तम होते होते मैं हमारे products के
मार्केटिंग के काम में बहुत होशियार हो गई थी. मैंने विदेश का सफ़र कई बार
किया है और अपने दम पर विदेश के लोगों से deal करती हूँ.
एक दिन जब मैं शाम को फार्म हाउस से घर वापस आई तो बहुत थकी हुई थी.
मेरे माता - पिता घर पर मेरा इन्रेज़ार कर रहे थे. मैंने उनके साथ चाय पी और
नहा कर फ्रेश होने के लिए अपने रूम में आ  गई. मैंने अपने सभी कपडे उतारे
और नंगी हो कर बाथरूम में आ गई. आप जानते है की मैं बहुत  सेक्सी हूँ और
इस लिए नहाते हुए मैं खुद को अपने हाथों से अपनी चूचियां मसलने से नहीं रोक
सकी. एक बार तो मैं अपना हाथ अपनी चूत पर भी ले गई पर तुरंत ही हटा लिया क्यों की मैं पहले ही बहुत थकी हुई थी. मैंने देखा की मेरी चूत पर बाल आने चालू हो गए थे. मैं हमेशा अपनी चूत साफ़ रखती  हूँ.
चूत पर बाल मुझे पसंद नहीं है. मैंने रात को सोने से पहले अपनी चूत के बालों को  साफ करने कि सोची. नहाने के द मैं  बाहर  आई  और  अपना  सेक्सी  गोरा बदन  पूंछने के बाद फ्रेश ब्रा और चड्डी पहनी और  आराम  के  लिए  ऊपर  से  गाउन पहन  लिया. मैंने चूत के बाल साफ़ करने की क्रीम तलाश की और उस को अपने पलंग  की  साइड टेबल पर रखा ताकि रात को उस का इस्तेमाल कर सकूँ. मैंने कुछ देर  अपने रूम में ही T.V. देखा और रात का खाना अपने माता - पिता के साथ खाने  के लिए नीचे आ गई. मेरे चोदु चाचा अभी तक घर नहीं आये थे और मेरे पापा ने  बताया की वो देरी से आने वाले है.
खाना खाते हुए पापा ने कहा - जुली ! तुम या तुम्हारे चाचा को या दोनों को Italy जाना पड़ेगा. आज ही वहां से buyer का mail आया है की अगले season का बिज़नस discuss करने के लिए और  final  करने  के  लिए  वो  चाहते  हैं  की 
कोई  हमारे  यहाँ  से  उन  के  पास  जाये.
मैं बोली  - ठीक  है  पापा . चाचा  को  आ  जाने  दो . हम  कल  decide   करलेंगे.
पापा बोले  - ठीक  है . इतनी  भी  जल्दी  नहीं  है . टाइम  है  हमारे  पास .
हम ने  dinner   ख़तम  किया  और  बातें  करने  लगे . मेरे  पापा  ने  note किया  की  मैं  थकी  हुई  थी  तो  उन्होंने  मुझे  अपने  रूम  में  जा  कर  आराम  करने  को  और  जल्दी  सोने  को  कहा . जब  मैं  अपने  रूम  में  जाने  के  लिए  उठी  तो  मैंने  देखा  की  चाचा  की  कार  हमारे  घर  के  compound के  अन्दर आ  रही  थी . मैंने  सब  को  good night कहा  और  अपने  रूम  में  आ  गई . मैंने  अपना  रूम  अन्दर  से  बंद  किया  और  साथ  ही  बाथरूम  भी  अपने  रूम  की  तरफ  से  बंद  किया . ( आप  को  तो  पता  ही  है  की  मेरे  और  मेरे  माता  - पिता  के  रूम  के  बीच  में  common   बाथरूम  है  )  मैंने  अपना  गाउन  उतारा  और  अपनी  ब्रा  और  चड्डी  भी  उतारी , एक  टॉवेल  और  कुछ  tissue पेपर  ले  कर  अपने  पलंग  पर  आ  गई . पीछे  तकिया  लगा  कर , अपने  पैर मोड़  कर  के  चौड़े  किये  ताकि  मैं  आराम  से  बैठी  हुई  अपनी  चूत  के  बालों  पर  cream लगा  कर  साफ़  कर  सकूँ . मैंने  अपनी  गांड  ऊपर  करके  टॉवेल  को  अपनी  गांड  के  नीचे  रखा  और  अपनी  चूत  के  बालों  पर  cream लगाई . अब  मुझे  थोड़ी  देर  यूं  ही  बैठना  था  ताकि  बाल  सफा  cream अपना  काम  कर  सके . अपनी  चूत  पर  cream लगाने  के  बाद  मैंने  अपने  पैरों  को  फैली  position में  ही  सीधा  किया , पलंग  के  पीछे  तकिये  पर  सिर  टिका  कर  अधलेटी  position में  आ  गई . मैं  बहुत  थकी  हुई  थी  इस  लिए  जल्दी  ही  मेरी  आँख  लग  गई . मेरी  चूत  पर  बाल  सफा  cream लगी  हुई  थी  और  मैं  उस  को  साफ़  किये  बिना  ही  सो  गई  थी .
थोड़े  समय  के  बाद  मेरी  आँख  खुली . रूम की  lights on थी , शायद  इस  लिए  मेरी  आँख  खुल  गई  थी . मैंने   घड़ी देखी  तो  उस  समय  11.00 बजे  थे . मैं  आधे  घंटे  सोयी  थी . मैंने  tissue  पेपर  लिया  और  अपनी  चूत  से  cream  साफ़  करने  लगी . Cream के  साथ  बाल  भी  साफ़  हो  गए  और  मेरी  चूत  फिर  से  चिकनी  हो  गई  थी . खड़ी  हो  कर  मैं  बाथरूम  गई , बाथरूम  के  अन्दर  जा  कर  सबसे  पहले  अन्दर  से  अपने  माँ  बाप  के  रूम  की  तरफ  खुलने  वाला  बाथरूम  का  दरवाजा  अन्दर  से  बंद  किया  और  tissue  पेपर  flush करने  के  बाद  अपनी  चिकनी  चूत  को  पानी  से  धो  कर  cream पूरी  तरह  साफ़  की . मेरी  रेशमी  चूत  अब  चमक  रही  थी . मैंने  माँ  बाप  की  तरफ  खुलने  वाले  बाथरूम  के  दरवाजे की  कुण्डी  फिर  से  खोली  और  अपने  रूम  में  आ  कर  बाथरूम  की  लाइट  बंद  करते  हुए  उसे  अपनी  तरफ  से  lock   किया . मैंने  टॉवेल  से  अपनी  गीली  चूत  साफ़  की , रूम  की  लाइट  off की  और  आदत  के  मुताबिक  नंगी  ही  पलंग   पर  सोने  की  कोशिश   करने  लगी . एक  बार  आँख  खुलने  की  वाजाह  से  दोबारा   नींद  जल्दी  नही  आई  पर  मैं  आंखें  बन्द  किए  सोने  की   कोशिश  करने  लगी .
थोड़ी  देर  बाद  मैने  अपने  मा   बाप के  रूम  से  आती  हुई  कुछ  आवाज  सुनी .  मुझे पता  चल  गया  की  वहां  उन  के  बीच  जरूर  चुदाई  हो  रही  थी . ( आप  जानते  ही  है  की  मैंने  अपने  माँ  बाप  को  चुदाई  करते  हुए  कई  बार  देखा  है  और  मैंने  चुदाई  का  पहला  पाठ  उन  की  चुदाई  देख  कर  ही  सीखा  था . )
एक  बार  तो  मैंने  सोचा  की  करने  दो  उन  को  अपनी  चुदाई , पर  क्यों  की   मुझे  नींद  नहीं  आ  रही  थी  और  मुझे  हमेशा  अपनी  माँ  को  चुदवाते  और  पापा  को  चोदते  हुए  देखने  में  बहुत  मज़ा  आता  है , मैं  बिस्तर  से  नीचे  आ  गई  और  अपनी  किस्मत  आजमाने  की  सोची  की  शायद  उन  की  तरफ  का  बाथरूम  का  दरवाजा  खुला  हो  ताकि  मैं  उन  की  चुदाई  का  मज़ा  ले  सकूँ .
बिना  लाइट  चालू  किये  मैं  बाथरूम  में  आई  और  उन  के  दरवाजे  की  knob घुमाई  तो  मैं  बहुत  खुश   हो  गई . कितनी  lucky   थी  मैं . दरवाजा  उन  की  तरफ  से  lock   नहीं  था . मैंने  धीरे  से , बिना  आवाज  किये  करीब  एक  इंच  दरवाजे  को  खोला , जो  की  मैं  हमेशा  उन  को  चुदाई  करते  हुए  देखने  के  लिए  करती  हूँ . हमेशा  की  तरह  उस  दिन  भी  उन  के  रूम  की  लाइट  on  थी . मेरी  तरह  मेरे  माँ  बाप  भी  लाइट  on रख  कर  चुदाई  का  मज़ा  लेते  थे .
मैं  तो  नंगी  थी  ही , मैंने  देखा  की  मेरी  माँ  और  पापा  भी  पूरी  तरह  नंगे  थे . मेरी  माँ  study table के  कोने  पर  बैठी  हुई  थी  और  उन  के  पैर  मेरे  पापा  की  नंगी  कमर  को  पकड़े  थे . वो  ऐसी  position में  थे  की  मैं  बाथरूम
से  न  तो  माँ  की  चूत  देख  पा  रही  थी  और  न  ही  पापा  का  लंड   देख  पा  रही  थी . जो  मैं  देख  सकती  थी , वो  थी  माँ  की  चूचियां  और  पापा  की  गांड . पापा  ने  माँ  के  दोनों  पैर  अपने  हाथों से  पकड़े  हुए  थे  और  उन  का  लंड   मेरी  माँ  की  चूत  में  था . मैं  बहुत  खुश  होती  हूँ  ये  जान  कर  की  मेरे  माँ  बाप  एक  सफल  और  चुदाई  से  भरी  जिन्दगी  जी  रहे  थे . पापा  करीब  50 साल  के  और  माँ  करीब  45 साल  की  होने  के  बावजूद  भी  वो  इतनी  शानदार  चुदाई  अलग  अलग  position में  करते  थे  जिस  से  उनके  इस  उम्र  में  भी  चुदक्कड़  होने  का  पता  चलता  था . वो  आपस  में  चुम्बन  ले  रहे  थे  और  माँ  के  दोनों  हाथ  पीछे  टेबल  पर  support   ले  रहे  थे . उन्होंने  चुम्बन  ख़तम  किया  तो  पापा  सीधे  खड़े  हो  गए . वो  माँ  के  पैर  अभी  भी  पकड़े  हुए  थे  और  अब  पापा  ने  अपने  लंड  से  माँ  की  चूत  में  धक्के  मारने  शुरू   कर  दिए  थे . पापा  के  लंड  के , माँ  की  चूत  में  हर  धक्के  के  साथ  मेरी  माँ  की  चूचियां  ऊपर  नीचे  नाच  रही  थी . वो  दोनों  आपस  में  धीरे  धीरे  बोल  रहे  थे  जो  मैं  सुन  नहीं  पाई . शायद  वो  सेक्सी  बातें  ही  कर  रहे  होंगे .
बे ध्यानी  में  ही  मेरा  हाथ   अपनी  अभी  अभी  साफ़  की  हुई  चिकनी  चूत  पर  चला  गया . मेरी  उँगलियों  को  पता  चल  गया  की  मेरी  चूत  गीली  हो  रही  थी . ये  असर  था  अपने  माँ  बाप  की  चुदाई  देखने  का . मैंने  पूरा  पूरा  ध्यान  रखा  की  कोई  आवाज  न  होने  पाए . मैं  अपनी  चूत  पर  धीरे  धीरे  हाथ  फिरा  रही  थी  क्यों  की  मैं  जानती  थी  की  जोर  जोर  से  चूत  में  ऊँगली  करने  से  मैं  जल्दी  ही  झर  सकती   थी  जिसकी  वजह  से  मेरे  मुंह   से  आवाज  निकल  सकती  थी . मैं  धीरे  धीरे  अपनी  चूत  को  मसल  रही  थी . वहां , पापा  अब  जोर  जोर  से  मेरी  माँ  को  चोदने  लगे  थे . माँ   की चूचियां  भी  तेजी  से  पापा  के  हर  धक्के  के  साथ  नाच  रही  थी . मेरे  लिए  हमेशा  ही  अपने  माँ  बाप  की  चुदाई  देखना  मजेदार  रहा  है  और  आज  मैं  फिर  वही   काम  कर  रही  थी . और  सब  से  खास  बात  ये  है  की  मैं  कभी  भी  ऐसा  करते  पकड़ी  नहीं  गयी  थी , ये  बहुत  संतोष  की  बात  है . चाचा  से  चुदवाते  हुए  भी  मैं  कभी  भी  नहीं  पकड़ी  गयी  थी . मैं  चुदाई  करवाते  हुए  या  चुदाई  देखने  के   समय  हमेशा  ये  ध्यान  और  सावधानी  रखती  हूँ  की  पकड़ी  न  जाऊं   .
वहां  मेरी  माँ  चुदी  जा  रही  थी  और  यहाँ  मुझे  मज़ा  आ  रहा  था .
पापा  ने  माँ  को  चोदने  की  रफ़्तार बढ़ा  दी  थी  और  माँ  की  आँखें  आनंद  के  कारण  बंद  हो  रही  थी . माँ  की  बड़ी  बड़ी  चूचियां  उछल  रही  थी , नाच  रही  थी  और  पापा  माँ  को  अपने  लंड  से  चोदे  जा  रहे  थे ........ चोदे  जा  रहे  थे  ..... तेजी  से  चोदे  जा  रहे  थे .
मेरी  माँ  चुद  रही  थी  और  मैं  देख  रही  थी  अपनी  माँ  को  चुदते  हुए .
मेरे  चुदक्कड़  पापा  मेरी  चुदक्कड़  माँ  को  चोदते  जा  रहे  थे  और  मैं , उनकी  चुदक्कड़  बेटी  उन  की  चुदाई  देख  रही  थी . अब  पापा  के  चोदने  की रफ़्तार  लिमिट   क्रोस  कर  चुकी  थी  और  मुझे  पता  चल  गया  की  उनका  लंड  मेरी  माँ  की  चूत  में  पानी  बरसाने  वाला  है .
और  ना  चाहते  हुए  भी , मुझे  वहां  से  हटना  पड़ा  क्यों  की  अब  अधिक  देर  वहां  खड़े  रहने  में  देख लिए  जाने  का  खतरा  था .
मैंने  धीरे  से , बिना  आवाज  किये  बाथरूम  का  दरवाजा  बंद  किया  और  अपने  रूम  में  आ  गई . अपने  रूम  में  आ  कर  बाथरूम  अपनी  तरफ  से  बंद  कर लिया .
मैं काफी गरम और गीली हो चुकी थी. मुझे अब एक जोरदार चुदाई की जरूरत महसूस  होने  लगी  थी. मेरे चाचा  तो  थे  ही  मेरी चुदाई की जरूरत  पूरी  करने  के  लिए. मैंने  अपने  नंगे  बदन  पर  गाउन  डाला  और  चाचा  के  बेडरूम  की  चाबी  ले  कर  अपने  रूम  से बाहर आई ( मेरे रूम चाबी चाचा के पास और चाचा के रूम की चाबी मेरे पास रहती है ताकि हम एक दुसरे के पास जब भी जरूरत हो, चुदाई करने या चुदवाने के लिए पहुँच सकते है)  चाचा  का  रूम  मेरे  रूम  के  सामने  ही  था . उनके  रूम  का  दरवाजा   बंद  पा  कर  मैंने  चाबी  से  उन  के  रूम  का  दरवाजा  खोला  और  अन्दर  पहुँच  गई . चाचा  अपने  बिस्तर  में  सिर्फ  चड्डी  पहने  हुए  गहरी  नींद  में  सो  रहे  थे . उन  के  बदन  का  ऊपरी  हिस्सा  नंगा  था . रूम  में night  bulb की  रौशनी  में  मैं  सब  देख  पा  रही  थी . वो  अपनी  पीठ  के  बल  सीधे  सोये  हुए  थे  और  उनकी  चड्डी  उनके  लंड  के  ऊपर  सपाट  थी  जिसका  मतलब  था  की  उन  का  लंड  खड़ा  नहीं  है , नरम  है . मैंने  दरवाजा  अन्दर  से  बंद  किया  और  ये  सोचती  हुई  उन  के  बिस्तर  की  तरफ  बढ़ी  की  कैसे  शुरू  किया  जाए . एक  बार  तो  मैंने  सोचा  की  क्यों  उनकी  नींद  ख़राब  की  जाये  पर  तुरंत  ही  मैंने  अपने  दिमाग  से  ये  ख्याल  निकाल  दिया  क्यों  की  मुझे  तो  एक   जोरदार  चुदाई  की  जरूरत  थी , मुझे  तो  चुदवाना  था . मैं  बिस्तर  पर  उन  के  पास  सो  गई . मैंने  अपना  हाथ  उनके  नरम  लंड  की  तरफ  बढाया  और  उस  को  पकड़  लिया . उन  का  लंड   बहुत  ही  मुलायम , बहुत  ही  नरम  था , बिलकुल  किसी  बच्चे  के  लंड  की  तरह . मैंने  धीरे  धीरे  उन  के  लंड  पर  चड्डी  के  ऊपर  से  ही  हाथ  फिराने  लगी . जल्दी  ही  उन  का  लंड   बड़ा  होने  लगा , फूलने  लगा , जैसे  गुब्बारे  में  हवा  भर  रही  हो .  मेरे  हाथ  लगाने  से  चाचा  का  लंड  बड़ा  हो  कर  खड़ा  हो  गया  और  कड़क  हो  गया  था . चाचा  अभी  भी  नींद  में  थे  और  शायद  कोई  चुदाई  वाला  सपना  देख  रहे  थे  जब  मैंने  उन  के  लंड  को  खड़ा  कर  दिया  था . जल्दी  ही  उन  की  आँख  खुल  गयी , शायद  मेरी  पकड़  उन  के  लंड  पर  होने  से .
मुझे  देख  कर  वो  बोले  - अरे  डार्लिंग  ! मैं  तुम्हारा  ही  सपना  देख  रहा  था .
मैं  बोली  - और  मैं  सचमुच  आप  के  पास  हूँ .
चाचा  मेरी  तरफ  घूम  गए . मेरा  गाउन मेरे  घुटनों  के  ऊपर  था  और  उन्होंने  मेरे  पैर  से  होते  हुए  अपना  हाथ  मेरी  कमर  तक  घुमाया . उन  को  पता  चल  गया  था  की  मैंने  गोवन  के  नीचे  कुछ  नहीं  पहना  है . उन्होंने  मेरे  गाउन की  गाँठ  खोल  कर  उस  को  मेरे  हाथों  से  बाहर  निकाल  कर  उतार  फेंका . अब  मैं  चाचा  के  सामने  बिलकुल  नंगी  लेती  थी  और  मेरी  अभी  अभी  बाल  साफ़  की  हुई  चिकनी  चूत  चाचा  के  सामने  थी . मैंने  भी  चाचा  की  चड्डी  उतार  कर  उनके  लंड  को  आज़ाद  कर  दिया  था . मेरे  हाथ  चाचा  के  बदन  पर  घूम  रहे  थे  और  चाचा  के  हाथ  मेरे  सेक्सी  बदन  पर  फिर  रहे  थे . उन्होंने  मुझे  अपने  ऊपर  खींच  लिया  और  हम  दोनों  के  होंठ  आपस  में  मिल  गए . मेरी  मुलायम  जीभ  को  उन्होंने  अपने मुह  में  ले  कर  चूसा . मैं  तो  और  भी  गरम  हो  चली  थी . अपने  नंगे  बदन  को  मैं  चाचा  के  नंगे  बदन  से  रगड़ने  लगी . चाचा  का  पूरी  तरह  तना  हुआ , खड़ा  हुआ , कड़क , गरम , लम्बा  और  मोटा  लौड़ा  किसी  लोहे  की  rod की  तरह , मेरे  पैरों    के  बीच  में  से  मेरी  गांड  को  touch कर  रहा  था . मैं  अपनी  दोनों  कड़क  चूचियां  चाचा  की  बालों  भरी  छाती  पर  रगड़  रही  थी . मैं  चाचा  का  लंड  अपनी  चिकनी  चूत  में  लेने  को  बेक़रार  थी . मैंने  अपना  हाथ  नीचे  कर  के  चाचा  के  लंड  को  पकड़  कर  अपनी  चूत  पर  लगाया . उन  के  हाथ  मेरे  बदन  पर  घूमते  हुए  मेरी  गोल  गोल  गांड  पर  पहुंचे  और  चाचा  ने  मेरी  गांड  को  दबाया . उन  की  उँगलियाँ  कई  बार  मेरी  गांड  के  बीच की दरार  में  घूमी  तो  मैं  और  भी  बेक़रार  हो  चली . चाचा  समझ  चुके  थे  की  मैं  जल्दी  से  जल्दी  चुदवाना  चाहती  हूँ . उन्होंने  मुझे  थोड़ा  ऊपर  किया  और  मेरी  चूची  और  निप्पल  चूसने  लगे . वो  कुछ  इस  तरह  से  अपनी  जीभ  मेरी  निप्पल  पर  घुमा  रहे  थे  की  मैं  तो  पागल  सी  हो  गई  थी . अब  हम  चुदाई  करने  की  परफेक्ट  पोजीसन   में  थे . मैंने  फिर  से  अपना  हाथ  नीचे  किया  और  चाचा  के  तने  हुए  लंड  को  पकड़  कर  मेरी  गीली  चूत  के  दरवाजे  पर  रखा  और  अपनी  गांड  नीचे की . मैं  चाचा  के  ऊपर  सोई  होने  की  वजह  से  सिर्फ  उन  के  लंड  का  मुह  ही  मेरी  चूत  के  अन्दर  जा  पाया . तब  तक  चाचा  ने  अपना  चूची  चुसाई  का  काम  पूरा  कर  लिया  और  अब  मैं  चाचा के  लंड  पर  बैठ  गयी  थी . मेरी  चूत  तो  गीली  थी  ही , मेरे  उन  के  लंड  पर  दो तीन बार उठने बैठने  की  वजह  से  चाचा  का  पूरे  का  पूरा  लंड  मेरी  चूत  के  अन्दर  चला  गया . मजेदार  चुदाई  के लिए  मैंने  अपने  दोनों  हाथ  पीछे  कर  के  चाचा  की  जाँघों  पर  रख  लिए  ताकि  उनका  लम्बा  लंड  आराम  से  मेरी  चूत  में  आ  जा  सके .
वो  मेरी  चूचियां  मसल  रहे  थे  और   मैं  उन  के  ऊपर , उनका  लंड  अपनी  चूत  में  ले कर  चुदाई  के  लिए  तैयार  थी .
चूत  और  लंड  की  अन्दर  बाहर  करके  चुदाई  करने  के  पहले  मैंने  चाचा  को  surprise   दिया . मैंने  चाचा  के  लंड  को  अपनी  चूत  में  पकड़े  हुए  अपनी  गांड  को  थोड़ा  ऊपर  हो  कर  गोल  गोल  घुमाया , किसी  grinder की  तरह . हे  भगवान .... मैंने  ऐसा  पहली  बार  किया  था  और  मुझे  बड़ा  मज़ा  आया
मैं  अपनी  गांड  गोल  गोल  घुमाते  जा  रही  थी  और  उन  का  लंड  मेरी  चूत  के  अन्दर  घूम  रहा  था . आप  खुद  समझ  सकतें  है  की  इस  का  क्या  असर  होता  है .  जब  मैं  अपनी  गांड  गोल  गोल  घुमा  रही  थी  तब  चाचा  मेरी  गांड  को  नीचे  से  पकड़  कर  दबा  रहे  थे , मसल  रहे  थे . वो  मेरा  पूरा  पूरा  साथ  दे  रहे  थे  क्यों  की  उन  को  भी  मज़ा  आ  रहा  था . 10 / 15 बार  अपनी  गांड  घुमाने  के  बाद  अब  मैं  चुदवाना  चाहती  थी .
अब मैं  अपनी  गांड  ऊपर  नीचे  कर  रही  थी  और  चाचा  का  लंड  मेरी  चूत  में  अन्दर  बाहर  होने  लगा . चाचा  भी  पूरा  support कर  रहे  थे  अपनी  गांड  ऊपर  नीचे  करके . मैं  जब   अपनी  गांड  नीचे  करती , चाचा  अपनी  गांड  ऊपर  करते  और  उन  का  लौड़ा  मेरी  चूत  के  काफी  अन्दर  तक  पहुँच  जाता . मैंने  धीरे  धीरे  अपनी  गांड  ऊपर  नीचे  करनी  शुरू  की  थी  लेकिन  मेरी रफ़्तार  अपने  आप   बढती  गई . मैं  अपनी  चूत  का  धक्का  नीचे  लगा  रही  थी  और  चाचा  अपने  लंड  का  धक्का  अपनी  गांड  ऊपर  कर  के मेरी  चूत  में  लगा  रहे  थे . मैंने  देखा  की  मेरी  दोनों  चूचियां  हर  धक्के  के  साथ  ऊपर  नीचे  हिल  रही  थी , नाच  रही  थी . अपनी  खुद  की  चुचियों  को इस तरह  हिलते  हुए  देख  कर  मुझे  एक  बार  फिर  अपनी  माँ  की  बड़ी  बड़ी , नंगी  चुचियों  की  याद  आ  गयी  जो  की  पापा  से  चुदवाते  समय  नाच  रही  थी . हम  दोनों  अपनी  अपनी  गांड  ऊपर  नीचे  करते  हुए  चुदाई  में  मगन  थे .
मैं  तो  चाचा  से  चुदाई  शुरू  करने  के  पहले  से  गरम  थी  जब  मैंने  अपनी  माँ  को  अपने  पापा  से  चुदवाते  हुए  देखा  था  और  मैंने  अपनी  चूत  पर  भी  अपना  हाथ  काफी  देर  तक  फिराया  था , इसलिए  मैं  जल्दी  ही  अपनी  मंजिल  की  तरफ , झड़ने  की  तरफ  बढ़ने  लगी  थी . मेरे  चाचा  जानते  थे  की  मैं  बहुत  जल्दी  झड़ने  वाली  हूँ . वो   नीचे  से  मुझे  जोर  जोर  से  चोदने  लगे  और  मैं  भी  ऊपर  से  जोर  जोर  से  चुदवाने  लगी . हमारी  चुदाई  से  रूम  में  चुदाई  की  आवाजें  गूंजने  लगी . चाचा  का  लम्बा , मोटा  और  कड़क  लंड  मेरी  रसीली  चूत  में  अन्दर  बाहर  होता  हुआ  " फचा  फच   .. फचा  फच " की  आवाज  कर  रहा  था . मेरा  तो  ये  मानना   है  की  चुदाई  का  संगीत  ही  दुनिया  का  सबसे  प्यारा  संगीत  है . मेरी  गांड  तेजी  से  ऊपर  नीचे  हो  रही  थी . मुझे  पता  था  की  चाचा  के  लंड  का  रस  इतनी  जल्दी  नहीं  निकलने  वाला  है , पर  मेरा  तो  हो  गया  था . ओह  चाचा ..... मेरा  हो  रहा  है .... मैं  तो  गई ........ और  मैं  सचमुच  गयी . मैं  झड़  गई  थी . बहुत  ही  जोर  से  झड़ी  थी . मैं  अपनी  गांड  चाचा  की  जांघों    पर  टिका  कर  उन  के  लंड  को  अपनी  चूत  में  लिए  बैठ  गई  थी . मैं  अपनी  चूत  भींच  भींच  कर  झड़ने  का  मज़ा  ले  रही  थी  और  थोड़ी  देर  ऐसे  ही  आँखें  बंद  किये  बैठी  रही . क्या  जोरदार  चुदाई  की  थी  चाचा  ने . मैं   कितनी  खुश किश्मत  हूँ  की  हर  चुदाई  में  मैं  कम  से  कम  दो  बार  झडती  हूँ . चाचा  मेरी  चूचियां  मसल  रहे  थे . मैं  जानती  थी  की  चुदाई  तो  अभी  और  बाकी  है , क्यों  की  चाचा  के  लंड  का  पानी  निकलना  अभी  बाकी  है .
मैं  थक  चुकी  थी  इस  लिए  मैं  चाचा  के  ऊपर  से  नीचे  उतर  गई . चाचा  का  लंड , मेरी  चूत  के  रस  से  गीला  लंड   , night bulb की  रौशनी  में  चमक  रहा  था . चाचा  ने  एक  बार  फिर  मेरे  सेक्सी  बदन  पर  हाथ  फिराया  और  मुझे  घुमने  को  कहा , अपनी  तरफ  पीठ  करने  को  कहा . एक  बार  तो  मैंने  सोचा  की  चाचा  आज  मेरी  गांड  मारने  वाले  है . पर  मुझे  पता  था  की  उन  को  गांड  मरना  पसंद  नहीं  है . इस  का  मतलब  वो  मेरी चिकनी  चूत  पीछे  से  चोदना  चाहते  थे .
मैं  अपनी  साइड  पर , दूसरी  तरफ  मुह  करके , चाचा  की  तरफ  पीठ  करके  लेट  गई . अपना  ऊपर  का  पैर  मैंने  थोड़ा  और  ऊपर  किया  और  चुदवाने  की  पोजीसन   बनाई  . चाचा  ने  अपना  गीला  कड़क  लंड  अपने  हाथ  से  पकड़  कर  मेरी  चूत  में  पीछे  से  डाला . मेरी  चूत  भी  गीली  थी  और  चाचा  का  लंड  भी  गीला  था  इस  लिए  बिना  ज्यादा  दिक्कत  के, दो तीन धक्कों में   उनका  लंड  मेरी  चूत  में  पीछे  से  घुस  गया . चाचा  ने  मेरी  चूचियां  पकड़ी  और  अपने  लंड  को  मेरी  चूत  में  अन्दर  बाहर  करते  हुए  मुझे  चोदने  लगे . उन  की  गांड  आगे  पीछे  हिल  रही  थी  और  उन  के  पैर  मेरी  नंगी  गांड  पर  हर  धक्के  के  साथ  टकरा  रहे  थे . आप  को  तो  पता  है  की  हर  पोजीसन  में  चुदवाने  का  अपना  अलग  मज़ा  है . कुछ  इसी  तरह  का  मज़ा  पीछे  से  चुदवाने  में  भी  आता  है . मैंने  चाचा  से  चुदवाते  हुए  अपने  माँ  बाप  के  बारे  में  सोचा . वो  दोनों  एक  जोरदार  चुदाई  के  बाद  सो  गए  होंगे  पर  ये  नहीं  जानते  थे  की  उन  की  बेटी  अब  दुसरे  रूम  में  अपने  चाचा  से  चुदवा  रही  है . चाचा  के  गरमा गरम  लंड  के  धक्के  मेरी  गरम  और  गीली  चूत  में  लग  रहे  थे . और  एक  बार  फिर  वही   , चुदाई  का मधुर  संगीत  बजने  लगा . चाचा  का  लम्बा  लंड  मेरी  चूत  में  अन्दर  बाहर  हो  रहा  था  और  उनके  दोनों    पैर  मेरे  दोनों  पैरों  के  बीच  में  थे . मैं  चुदवाती  हुई  फिर  से  एक  बार  अपनी  मंजिल  पर  पहुँचने  के  करीब  थी  और  मैं  भी  अपनी  गांड  हिला  हिला  कर , आगे पीछे करके  चुदाई  में  चाचा  का  साथ  दे  रही  थी . मेरा  दूसरी    बार  होने  वाला  था . चुदवाते  हुए  मैंने  चाचा  के  लंड के सुपाड़े  को  अपनी  चूत  में  और  कड़क , और मोटा  होता महसूस  किया  तो  मुझे  पता  चल  गया  की  चाचा  का  लंड  भी  पानी  बरसाने  को  तैयार  है . मैं  भी  झड़ने  के  काफी  पास  थी  और  चाचा  मेरी  चूत  में  जोर  जोर  से , तेजी  से  धक्के  मारने  लगे . और  फिर  मैं  तो  पहुँच  ही  गयी . मैं  दूसरी  बार  झर  चुकी  थी . चाचा  लगातार  मुझे  चोदते  जा  रहे  थे . और  अचानक  उन  के  लंड  ने  अपना  गरम  गरम  प्रेम  रस  मेरी  रसीली  चूत  में  बरसना  शुरू  कर  दिया . चाचा  ने  पीछे  से  मुझे  जोर  से  कस  कर  पकड़  लिया . मैं  तो  जैसे  हवा  में  उड़  रही  थी . चाचा  का  लंड  नाच  नाच  कर  मेरी  चूत  अपने  रस  से  भर  रहा  था  और  मैंने  मज़े  के  मारे  अपनी  गांड  भींच  कर  के  उन  के  पानी  बरसते  हुए  लंड  को  अपनी  चूत  में  जकड़  लिया .  चाचा  मेरी  चूचियां  मसल  रहे  थे , मेरी  गांड  दबा  रहे  थे  और  मेरी  आँखें  तो  मजेदार  चुदाई  के  कारण  बंद  सी  हो  रही  थी . हम   कुछ  देर  वैसे  ही  पड़े  रहे . मेरी  चूत  में  चाचा  का  लंड  शांत  हो  चुका  था . थोड़ी  देर  बाद  उन्होंने  अपना  नरम  होता  लंड  अपनी  गांड  पीछे  कर  के  मेरी  चूत  से  निकाल  लिया . मैं  खड़ी  हो  कर  बाथरूम  में  अपनी  चूत  साफ़  करने  चली  गई . जब  मैं  वापस  आई  तो  चाचा  को  वैसा  ही  नंगा  सोया  देख  कर  मैं  हंस  पड़ी . उन  का  नरम  हो  चुका  लंड अब नुन्नी बनकर  उन  की  गोलियों  पर  आराम  कर  रहा  था . चाचा  जानते  थे  की  मुझे नुन्नी बने  नरम  लंड  से  खेलना  बहुत  अच्छा  लगता  है , शायद  इसी  लिए .
मैंने  बिस्तर  पर  आ  कर  उन  के  नरम नुन्नी  लंड   को  सीधे  अपने  मुंह  में  ले  लिया  और  किसी  लोली पॉप  की  तरह  चूसने  लगी . मैंने  उन  का  लंड  चूसते  हुए  उन  के  लंड  का  रस  ही  नहीं , अपनी  खुद  की  चूत  के  रस  का  भी  स्वाद  लिया . इस  समय  उन  का  लंड  इतना  नरम  और  इतना  छोटा लुल्ली   हो  गया  था  की  मैं  उस  को  पूरे  का  पूरा  अपने  मुंह  में  ले  गई  थी . मैंने  अपने  हाथ  से  उनकी  गोल     गोल  गोलियों  को  भी  मसला . मैंने  उन  के लुल्ली  लंड  को  मुंह से  बाहर  निकाल  कर  अपनी  हथेली  पर  लिया  तो  वो  एक छोटे  चूहे  के  जैसे  लग  रहा  था  . मैंने  उन  के  नरम  लंड  को  अपनी  मुलायम  चुचियों  के  साथ  रगड़ा , फिर  से  उस  को  मुंह  में  ले  कर  चूसा  तो  वो  फिर  से  बड़ा  होने  लगा . फिर  उन  के  लौड़े  की  लम्बाई  इतनी  बढ़  गई

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