सविता मेरी बॉस थी। उम्र रही होगी करीब २८ साल की। लम्बी करीब ५’८” और सारी गोलाईयां एकदम परफेक्ट। अफवाह थी कि वो मिस इन्डिया में भी भाग ले चुकी थी। पर गजब की सख्ती बरतती थी वो हम सब के साथ। किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें। वो हम सब से दूरी बना कर रखती थी। मैं नया नया आया था। इसलिए एकाध बार उनके साथ गरम जोशी से बात बढाने की गुस्ताखी कर चुका था। पर उनकी तरफ से आती बर्फीली हवाआें में मेरा सारा जोश काफूर हो गया। अब मुझे मालूम हुआ कि मेरे साथियों ने उनका नाम मिस आईस मैडेन क्यों रखा है। पर मुझे क्या पता था कि ऊपर वाले ह्यया ऊपर वाली हृ की मर्जी क्या है। एक दिन हमारे आफिस का नेटवर्क गडबडा गया। कभी ऑन होता तो कभी ऑफ। उसदिन शनिवार था। मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया। आखिर थक कर मैंने मैडम को कहा कि अगले दिन यानि रविवार को सुबह नौ बजे आकर इस को ठीक करने की कोशिश करूंगा। मैंने उनसे आफिस की चाभियां ले लीं।
अगले दिन जब मैं नौ बजे ऑफिस पहुंचा तो देखा कि सविता मैडम मेन गेट के सामने खडी हैं। मैंने उन्हें विश किया और पूछा “आप यहां क्या कर रही हैं”।
वो बोलीं ” बस ऐसे ही। घर में बोर हो रही थी तो सोचा कि यहां आकर तुम्हारी मदद करूं”। हम दरवाजा खोलकर अन्दर गए। मैडम ने कहा कि आज इतवार होने की वजह से कोई नहीं आएगा। इसलिए सुरक्षा के खयाल से दरवाजा अन्दर से बन्द कर लो। मैंने उनके कहे अनुसार दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। अब पूरे आफिस में हम दोनों अकेले थे और हमें कोई डिस्टर्ब भी नहीं कर सकता था। मुझे सविता मैडम की नीयत ठीक नहीं लग रही थी। दाल में जरूर कुछ काला था। नहीं तो भला आज छुट्टी के दिन एक छोटी सी समस्या के लिए उन को दफ्तर आने की क्या जरूरत। मैडम घूम कर कम्प्यूटर लैब की तरफ चल दी और मैं भी मन्त्रमुग्ध सा उनके पीछे पीछे चल दिया। पूरे माहौल में उनके जिस्म की खुशबू थी। जब हम कॉरीडोर में थे तो मैंने उनकी पिछाडी पर गौर किया। हाय क्या फिगर था। हालांकि मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूं पर यह दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर सविता मैडम किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग ले तो अच्छे अच्छों की छुट्टी कर दें और देखने वाले अपने लिंग संभालते रह जाएं। उनकी मस्तानी चाल को देख कर यूं लग रहा था मानो फैशन शो की रैम्प पर कैट वॉक कर रही हो। उनके नितम्ब पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे। उन्होंने गहरे नीले रंग का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंग पारदर्शी साडी के साथ पहना था। उनकी पीठ तो मानो पूरी नंगी थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी। उन्होंने साडी भी काफी नीची बांधी हुई थी जहां से उनके नितम्बों की घाटी शुरू होती है। बस यह समझ लो कि कल्पना के लिए बहुत कम बचा था। सारे पत्ते खुले हुए थे। मन तो किया की उन मस्त नितम्बों का मर्दन करूँ । पर मैडम के कडक स्वभाव से मैं वाकिफ था और बिना किसी गलत हरकत के मन ही मन उनके नंगे जिस्म की कल्पना करते हुए चुप चाप उनके पीछे पाीछे चलता रहा। मैडम ने कल्पना के लिए बहुत ही कम छोडा था। साडी भी कस कर लपेटे हुई थी जिससे कि उनके मादक नितम्ब और उभर कर नजर आ रहे थे और दोनों नितम्बों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी। मैंने गौर किया कि चलते वक्त उनके नितम्ब अलग अलग दिशाआें में चल रहे थे। पहले एक दूसरे से दूर होते फिर एक दूसरे के पास आते। मानो उनके नितम्ब खुल बन्द हो रहे हो। जब दोनों नितम्ब पास आते तो उनकी साडी गान्ड की दरार में फंस जाती थी। यह सीन मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मन कर रहा था कि साडी के साथ साथ अपने लिंग को भी उनके नितम्बों की दरार में डाल दूं। बडा ही गुदाज बदन था सविता मैडम का।
लैब तक पहुंचते पहुंचते मेरी हालत खराब हो गई थी और मुझे लगने लगा कि अब और नहीं रूका जाएगा। लैब के दरवाजे पर पहुंच कर मैडम एकाएक रूक कर पलटी और मुझसे ऊपर की सेल्फ के केबल कनेक्शन जांचने को कहा। उनकी इस अचानक हरकत से मैं संभल नहीं पाया और अपने आप को संभालने के लिए अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए। मैडम ने एक दबी मुस्कराहट के साथ कहा “कोई शैतानी नहीं” और मेरे हाथ अपनी कमर से हटा दिए। मैंने झेंपतेे हुए उनसे माफी मांगी और लैब में ऊपर की सेल्फ से कम्प्यूटर हटाने लगा। मैडम भी उसी सेल्फ के पास झुककर नीचे के केबल देखने लगी। उनकी साडी का पल्लू सरक गया जिससे कि उनकी स्तनों का नजारा मेरे सामने आ गया। हाय क्या कमाल की गोलाइयां थीं। एक पल को तो लगा कि दो चांद उनकी चोली में से झांक रहे हों। वो ब्रा नहीं पहने थी जिससे कि स्तन दर्शन में कोई रूकावट नहीं थी। और काम करना मेरे बस में नहीं था। मैं खडे खडे उस खूबसूरत नजारे को देखने लगा। चोली के ऊपर से पूरी की पूरी गोलाइयां नजर आ रही थीं। यहां तक कि उनके खडे गुलाबी स्तनाग्र भी साफ मालूम दे रहे थे। शायद उन्हें मालूम था कि मैं ऊपर से फ्री शो देख रहा हूं। इसीलिए मुझे छेडने के लिए वो और आगे को झुक गई जिससे उनकी पूरी की पूरी गोलाइयां नजर आने लगीं। हाय क्या नजारा था। मैं खुशी खुशी स्तनों की घाटी में डूबने को तैयार था। ऐस लगता था मानो दो बडे बडे कश्मीरी सेव साथ साथ झूल रहो हों।
एकाएक मैडम ने अपना सर ऊपर उठाया और मुझे अपनी स्तनों को घूरते हुए पकड लिया। जब हमारी नजर मिली तो अपने निचले होठ को दांतों में दबा कर मुस्कराते हुए बोली “ऐ क्या देखता है”। मैं सकपका गया और कुछ भी नहीं बोल पाया। मैडम ने मेरे नितम्बों पर हल्की सी चपता जमा कर कहा ” शैतान कहीं के। फ्री शो देख रहा है”।
मेरा चेहरा लाल हो गया उनके मुस्कराने के अन्दाज से मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा लिंग जीन्स के अन्दर ही तन कर बाहर निकलने को बेचैन होने लगा। मैंने अपनी जीन्स को हिला कर लिंग को ठीक करने की कोशिश की पर मुझे इसमें कामयाबी नहीं मिली। लिंग इतना कडा हो गया था कि पूछो मत। बस ऊपर ही ऊपर होता जा रहा था और मेरी जीन्स उठती ही जा रही थी। मैडम ने मेरी परेशानी भांप ली और शरारती मुस्कराहट के साथ बोली ” ये तुमने पैन्ट में क्या छुपाया है जरा देखूं तो मैं भी”। जब तक मैं कुछ बोलूं उन्होंने खडे होकर मेरे लिंग को पकड लिया और पैन्ट के ऊपर ही से कस कर दबा दिया।
“हाय बडा तगडा लगता है तुम्हारा तो। बडा बेताब भी है। बस ऐसा ही लिंग तो मुझे पसन्द है”। मैं तो हक्का बक्का रह गया। मैडम सविता मेरे साथ फ्लर्ट कर रही हैं। मिस आइस मैडेन का यह गरम रूख देख कर मेरी तो बोलती ही बन्द हो गई और मैं उनकी हरकतें देखता रह गया। चूंकि मैं टेबल के ऊपर खडा था इस लिए मेरा लिंग उनके मुंह की ठीक सीध में था। वो अपने चेहरे को और पास लाइंर् और पैन्ट के ऊपर ही से मेरे लिंग को चूमते हुए बोली ” इसे जरा और पास से देखूं तो क्यों इतना अकड रहा है”। ऐसा कहते हुए मैडम सविता ने मेरी जीन्स की जिप खोल दी। मैं आम तौर पर अन्डरवियर नहीं पहनता हूं। लिहाजा जिप खुलते ही मेरा लिंग आजाद हो गया और उछलकर उनके चेहरे से जा टकराया।
“हूं ये तो बडा शैतान है। इसे तो सजा मिलनी चाहिए।” मैडम ने अपने सेक्सी मुंह को खोला और मेरे सुपाडे को अपने रसीले होठों में दबा लिया। मैं तो मूक दर्शक बन कर सातवें आसमान में पहुंच गया था। जिस मैडम सविता के पीछे सारा आफिस दीवाना था और जिनके बारे में सोच सोच कर मैंने भी औरों की तरह कई कई बार हस्तमैथुन किया था यहां एक रंडी की तरह मेरा लिंग चूस रही थी। मैंने मैडम का सर पकड कर अपने लिंग पर दबाया और साथ ही साथ अपने नितम्बों को आगे धक्का दिया। एक ही झटके में मेरा पूरा लिंग मैडम के मुंह में कंठ तक घुस गया। उनका दम घुटने लगा और उन्होंने अपना सिर थोडा पीछे किया। मुझे लगा कि अब मैडम मुझे मेरे उतावलेपन के लिए डांटेगीं।
मैं बोला “सॅारी मैडम मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया”।
उन्होंने बोलने से पहले मेरा लिंग अपने मुंह से निकाला और मुस्कुराई “धत पगले। मैं तुम्हारी हालत का अन्दाजा लगा सकती हूं। लेकिन ये मैडम मैडम क्या लगा रखी है। तुम मुझे सविता कह कर बुलाओ ठीक है ना। अब मुझे अपना काम करने दो”। ऐसा कह कर मैडम ने एक हाथ में मेरा लिंग पकडा और शुरू हो गई उसका मजा लेने में। वो लिंग को पूरा का पूरा बाहर निकाल कर फिर दोबारा अन्दर कर लेती। मैं भी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर उनका मुंह चोदने लगा। कुछ देर बाद वो बोली “बस इसी तरह खडे खडे कमर हिलाने में क्या मजा आएगा। थोडा आगे बढो”़।
मैंने उनका इशारा भांप लिया और पहले उनके गालों को सहलाया। फिर धीरे धीरे हाथो को नीचे खिसकाते हुए उनकी गर्दन तक पहुंचा और उनकी चोली का स्ट्रैप खोल दिया। दोनों मस्त गोलाइयां उछल कर बाहर आ गई। मैडम ने भी मेरी जीन्स खोल दी और बिना लिंग मुंह से बाहर किए नीचे उतार दी। फिर लिंग चूसते हुए वो अपनी स्तनों को मेरी जांघों पर रगडने लगी। मैंने थोडा झुक कर उनकी स्तनों को पकडा और कस कस कर मसलने लगा। जल्द ही हम दोनों काफी उत्तेजित हो गए और हमारी सांसें तेज हो गई। मैं बोला “मैडम मैं पूरी तरह से आपको मजा नहीं दे पा रहा हूं। अगर इजाजत हो तो मैं भी नीचे आ जाऊं।”
मैडम ने मुझे गुस्से से देखा और हौले से सुपाडे को काट लिया। वो बोली “तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो। अगर मैं बोलती हूं कि मुझे सविता कह कर पुकारो तो तुम मुझे सविता ही कहोगे मैडम नहीं।”
मैं बोला “सॉरी सविता अब तो मुझे नीचे आने दो।” सविता ने मेरा हाथ पकड कर नीचे उतरने में मदद की। नीचे आते ही मैंने उनके नितम्बों को पकडा और अपने पास खींच कर होठों को चूमने लगा। अब मैं उनके होठों को चूसते हुए एक हाथ से नितम्ब सहला रहा था जबकि मेरा दूसरा हाथ उनकी स्तनों से खेल रहा था। सविता मेरे लिंग को हाथ में पकड कर सॉफ्ट टॉय की तरह मरोड रही थी। मैंने सविता की साडी पकड कर खींच दी और पेटीकोट का भी नाडा खोल कर उतार दिया। सविता ने भी मेरी टी शर्ट उतार दी और हम दोनों ही पूरी तरह नंगे हो गए। एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते हुए हम वहीं जमीन पर लेट गए। योनी की खुशबू पा कर मेरा लिंग फनफनाने लगा। सविता भी गर्म हो गई थाी और अपनी योनी मेरे लिंग पर रगड रही थी। हम दोनों एक दूसरे को कस कर जकडे हुए किस करते हुए कमरे के कालीन पर लोट पोट हो रहे थे। कभी मैं सविता के ऊपर हो जाता तो कभी सविता मेरे ऊपर। काफी देर तक यूं मजे लेने के बाद हम दोनो बैठ कर अपनी फूली हुई सांसों को काबू में करने की कोशिश करने लगे।
सविता ने अपने बाल खोल दिए। मैं बालों को हटा कर उनकी गर्दन को चूमने लगा। फिर दोबारा उनके प्यारे प्यारे होठों को चूमते हुए उनकी स्तनों से खेलने लगा। सविता मेरा सिर पकड कर अपनी रसीली स्तनों पर ले गई और अपने हाथ से पकड कर एक स्तन मेरे मुंह में डाल दी। मैं प्यार से उनकी स्तनों को बारी बारी से चूमने लगा। वो काफी गरम हो गई थी और मुझे अपने ऊपर ६९ की पोजिशन में कर लिया। मैं उनकी रसीली योनी का अमृत पीने लगा। सविता अपनी जीभ लपलपा कर मेरे लिंग को चूसे जा रही थी। जब भी हम में से कोई भी झडने वाला होता तो दूसरा रूक कर उसको संभलने का मौका देता। कई बार हम दोनों ही किनारे तक पहुंच कर वापस आ गए। हमारी वासना का ज्वार बढता ही जा रहा था और बस अब एक दूसरे में समा जाने की ही बेकरारी थी।
सविता ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद चित्त हो कर लेट गई। अपने दोनों पैर उठा कर अपने हाथों से पकड लिए और मुझे मोर्चे पर आने को कहा।मैंने भी सविता के दोनों पैरों को अपने कन्धों पर टिकाया और लिंग को उसकी योनी के मुंह पर रख कर धक्का लगाया। मेरा लोहे जैसा सख्त लिंग एक ही झटके में आधा धंस गया। सविता के मुंह से उफ की आवाज निकली पर अपने होठों को भींच कर नीचे से जवाबी धक्का दिया और मेरा लिंग जड तक उसकी योनी में समा गया। फिर मेरी कमर पर हाथ रख कर मुझे थोडा रूकने का इशारा किया और बोली “तुम्हारा लिंग तो बडा ही जानदार है। एक झटके में मेरी जान निकाल दी। अब थोडी देर धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के मजा लो।”
सविता के कहे मुताबिक मैं धीरे धीरे उसकी योनी में लिंग अन्दर बाहर करने लगा। योनी काफी गीली हो चुकी थी इसलिए मेरे लिंग को ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी। मैं धीरे धीरे योनी चोदते हुए सविता की मस्त स्तनों को भी मसल रहा था। बडी ही गजब की गोलाइयां थी उसकी। एक हाथ में नहीं समा सकती थी। पर इतनी कडी मानो कन्धारी अनार। वो चित्त लेटी हुई थी पर स्तनों में जरा भी ढलकाव नहीं था और हिमालय की चोटियों की तरह तन कर ऊपर को खडी थी। उत्तेजना की वजह से उसके डेढ इन्च के स्तनाग्र भी तने हुए थे और मुझे चूसने का आमन्त्रण दे रहे थे। मैै दोनों स्तनाग्रों को चुटकी में भर कर कस कस कर मसल रहा था। सविता भी सिसकारी भर भर कर मुझे बढावा दे रही थी। आखिर मुझसे नहीं रहा गया और उसके पैरों को कन्धे से उतार कर जमीन पर सीधा किया और उसके ऊपर पूरा लम्बा होकर लेट गया। सविता ने दोनों हाथों से अपनी स्तनों को पकड कर पास पास कर लिया और मैं दोनों स्तनाग्रों को एक साथ चूसने लगा। ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया का अमृत उन स्तनों में ही भरा हो। मैं दोनों हाथों से स्तनों को मसल रहा था।
स्तनों की मसलाई और चुसाई में मैं अपनी कमर हिलाना ही भूल गया। तब सविता अपने हाथ नीचे करके मेरे नितम्बों पर ले गई और उन्हें फैला कर एक उंगली मेरी गान्ड में पेल दी। मैं चिहुंक गया एक जोरदार धक्का सविता की योनी में लगा दिया। सविता खिलखिला कर हंस पडी और बोली “क्यों राज्जा मजा आया। अब चलो वापस अपनी डियूटी पर।”
सविता का इशारा समझ कर मैं वापस कमर हिला हिला कर उसकी योनी चोदने लगा। सविता भी नीचे से कमर उठाने लगी और धीरे धीरे हम दोनों पूरे जोश के साथ रति क्रिया करने लगे। मैं पूरा लिंग बाहर खींच कर तेजी से उसकी योनी में पेल देता। सविता भी मेरे हर शॉट का जवाब साथ साथ देती। पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी। जैसे जैसे जोश बढता गया हमारी रफ्तार भी तेज होती गई। आखिर उसकी स्तनों को छोड मैंने उसकी कमर को पकड कर तूफानी रफ्तार से रति क्रिया शुरू कर दी। सविता भी कहां पीछे रहने वाली थी। वो भी मेरी गर्दन में हाथ डाल कर पूरे जोश से कमर उछाल रही थी। अब ऐसा लगने लगा था कि हम दोनों ही अपनी अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे पर सविता तो काम कुशल थी और अभी सटी रस छोड़ने के मूड में नहीं थी। उसनेे अपनी कमर को मेरी कमर की दिशा में ही हिलाना शुरू दिया। इससे लिंग अन्दर बाहर होने के बजाए योनी के अन्दर ही रह गया। मेरी पीठ पर थपकी दे कर उन्होंने रफ्तार कम करने को कहा और बोली “थोडा सांस ले ले फिर शुरू होना। इतनी जल्दी झडने से मजा पूरा नहीं आएगा।”
मैंने किसी तरह अपने को संभाल कर रफ्तार कम की। मैं अब उसके रसीले होठों को चूसते हुए हौले हौले चोदने लगा। जब हम दोनों की हालत संभली तो दोबारा सविता इशारा किया और फिर से मैं पहले की तरह चोदने लगा। रूक रूक कर रति क्रिया करने में मुझे भी मजा आ रहा था। हमारी इस रति क्रिया का दौर आधा घन्टे से भी ज्यादा चला। कई बार मेरे लिंग में और उसकी योनी में उफान आने को हुआ और हर बार हमने रफ्तार कम करके उसे रोक लिया। हाालांकि कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनो पसीने से नहा गए। आखिर सविता ने मुझे झडने की इजाजत दी। मैं तूफान मेल की तरह उसकी योनी में धक्के लगाने लगा। वो भी कमर उछाल उछाल कर मेरी हर चोट का जवाब देने लगी। चरम सीमा पर पहुंच कर मैं जोर से चिल्लाया “सविता ाााााााा मेरी जान। मैं आया” और अक पल के लिया ऐसा लगा की मेरा रस निकल जायेगा पर मुझसे पहले वो काम शिखर पर पहुँच गयी और उसने मेरी पीठ पर अपनी जांघें बाँध लीं और मुझे कस कर चिपका लिया । उसका रति रस छुटने लगा । उसकी योनी रह रह कर संकुचित होने लगी । मुझे ऐसा लगा की जैसे उसका काम सलिल एक झरने की तरह बह रहा हो । ऐसा लगा की लिंग किसी गर्म शहद से भरी थैली मैं धंसा हुआ हो । वो तो जैसे होश में ही नहीं थी । पुरे कमरे मैं उसकी सीत्कार गूंजने लगी । अब झड़ने की बालर मेरी थी । ऐसा लगा की जैसे गर्म दूध का फव्वारा छुट गया हो । मेरा लिंग रुक रुक कर रस छोड़ने लगा । मन कर रहा था की पानी छोड़ता ही जाऊं उसकी योनी में । कुछ देर बाद हम दोनों निढाल पड़ गए और नींद की गर्त में समा गए ।
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