वहाँ पर हमारे पड़ोस में एक अंकल-आंटी रहते थे जो मकान मालिक के चचेरेभाई थे। उनकी एक लड़की थी, क्या बताऊँ आपको, वो इतनी सेक्सी थी किदेखते ही लंड खड़ा हो जाये। आंटी भी जबरदस्त थी। हमारे उनके सम्बन्धबहुत ही अच्छे थे। वो हमारे घर हर रोज आया करती थी और माँ के साथ बैठकर गप्पें लगाती थी। वो जब भी आती थी तो मैं उनके इर्द-गिर्द ही रहता थाक्योंकि मैं खेल खेल में मस्ती में ही उनके बोबे दबा लिया करता था जो बहुतही नर्म थे।
एक दिन की बात है, मेरे घर पर कोई नहीं था। मेरी माँ और पिताजी भाई केसाथ किसी रिश्तेदार की शादी में गए थे। माँ आंटी को कहकर गई थी कि मेराखाना बनाकर घर भिजवा दें।
दोपहर को एक बजे मैं क्लास से घर पंहुचा ही था कि आंटी खाना लेकर आगई। वो लाल साड़ी पहने हुए थी और सफ़ेद ब्लाऊज़। ब्रा का रंग कला था जोसफ़ेद ब्लाऊज़ में से साफ़ दिख रही थी।
मैं रोज की तरह मस्ती में उनके बोबे दबाने लगा।
वो बोली- तुम खाना खा लो !
मैंने कहा- आप प्यार से खिलाओ !
वो मान गई और प्लेट में खाना निकाल कर मेरे सामने बैठ गई। तभी वोबोली- गर्मी ज्यादा है, पंखा चला दो !
मैंने खड़े होकर पंखा चला दिया और उनके सामने बैठ गया। तभी उनकाआँचल पंखे की हवा से उड़ा और उनके दोनों चूचियों के बीच की खाई मुझेसाफ दिखने लगी। मेरा लंड खडा होने लगा। वो मुझे खिलाती गई और मेरीनजर उनके वक्ष पर टिक गई।अचानक उनकी नजर मुझ पर पड़ी। वो समझगई कि मैं क्या देख रहा था पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मेरा लंड पूरातन गया। अचानक उनकी नजर मेरी पैंट पर पड़ी, वो हंसने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उन्होंने कुछ बताया नहीं और मेरे लिए पानी लेने चली गई। वो जब पानीलेकर वापस आई तो मैंने पूछा- आप क्यों हंस रही थी?
तो वो बोली- तेरा लंड मेरे बोबे देखकर ही तन गया !
मैं समझ गया कि आंटी को मस्ती करनी है। मैंने आंटी से कहा- क्या मैंआपके बोबे पूरे देख सकता हूँ?
तो वो झट से मान गई और साड़ी उतार दी। मुझसे कहा- बाकी ब्लाऊज़ औरब्रा तू निकाल ले।मैं झट से उनके बोबे दबाने लगा- अआह .......... क्यामुलायम बोबे थे !
मैं तो उनके बोबे जोर-जोर से मसलने लगा। वो भी आहें भरने लगी। फिर मैंनेउनका ब्लाऊज़ निकाला। वह क्या लग रही थी काली ब्रा में !
मैंने ब्रा के साथ ही उनके बोबे फिर से दबाना शुरु कर दिया।
वो आह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ईईईईए ऊऊऊऊ .....जैसी आवाजें निकालने लगी। 5मिनट के बाद मैंने ब्रा भी निकाल दी और देखा तो वाह ! क्या बोबे थे ! जैसेदूध की डेयरी !
मैं तो प्यासी बिल्ली की तरह उनके बोबे पर दूध पीने टूट पड़ा। मेरा लण्ड काबूके बाहर हो गया था।
अचानक आंटी बोली- बस ! अब मेरी बारी !
मैं समझ नहीं पाया। वो उठी और मेरी पैंट की जिप खोल दी, फिर पैंट हीनिकाल दी, मेरा अंडरवियर भी निकाल दिया और मेरा लण्ड देखकर बोली-वाह, क्या लण्ड है ! कम से कम सात इंच का होगा ! और उसे पकड़ करहिलाने लगी। मुझे अच्छा लगने लगा। अचानक उन्होंने मेरा लण्ड मुँह में लेलिया और जोर-जोर से चूसने लगी।
मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था। दस मिनट तक वो मेरे लण्ड को चूसती हीरही। अचानक मुझे लगा कि मैं छोड़ने वाला हूँ तो मैंने आंटी को कहा- छुटरहा है !
वो बोली- छोड़ दे मेरे मुँह में !
और मैं झड़ गया।
वो बोली- क्या मस्त स्वाद है तेरे वीर्य का !
मेरा लण्ड ठंडा पड़ गया पर वो बहुत ही गरम हो चुकी थी। वो बोली- चल एककाम कर ! आज मैं तेरा कुंवारापन दूर करती हूँ।
मैंने पूछा- कैसे ?
तो बोली- तू जानता है कि सुहागरात में क्या होता है ?
मैंने कहा- नहीं !
तो बोली- चल मैं तुझे बताती हूँ !
और उन्होंने अपना चनिया निकाल दिया और पेंटी भी निकाल दी। मैं तोदेखता ही रह गया।
वो बोली- अब नीचे मेरी चूत में उंगली डाल !
मैंने वैसा ही किया।
वो चिल्लाने लगी- एक नहीं तीन उंगलियाँ दल कर अंदर-बाहर कर !
मैंने वैसा ही किया।
वो आहें भरने लगी- आह्ह्ह्ह् ........ऊऊ ऊऊऊऊउह्ह्ह्ह्...........उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्.........चु हूउदूऊ ऊउ..........
मैंने लगभग 15 मिनट तक उंगली-चोदन किया। अचानक उनकी चूत सेपानी निकलने लगा। मैं समझ गया कि आंटी झड़ गई हैं। पर मेरा लंड फिर सेतन गया था तो मैंने भी आंटी से कहा- आंटी, अब मेरे लंड को अपने मुँह मेंले लो ! वो फिर से तन गया है !
वो बोली- चोदू ! सिर्फ मुँहचोदन ही करेगा या चूत भी चोदेगा ?
मैं झट से तैयार हो गया। मैंने आंटी की टाँगें फ़ैलाई, उनकी चूत पर अपनालण्ड रखा और जोर से धक्का दिया।
आंटी चिल्ला उठी- लौड़े ! धीरे से डाल ! बेनचोद ! 6 महीने के बाद इतनाबाद लण्ड चूत में एक ही झटके में डाल रहा है ?
मैं उनके बोबे दबाने लगा, फिर दूसरे धक्के में मैंने अपना पूरा लण्ड आंटी कीचूत में डाल दिया।वो चिल्लाने लगी- निकाल बाहर ! फाड़ दी मेरी चूत !निकाल बाहर !
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और ऊपर पड़ा रहा। जैसे ही मुझे लगाकि वो अब दर्द कम हुआ है तो मैं धीरे-धीरे झटके देने लगा।
उनको मज़ा आने लगा था, वो भी उछल-उछल कर साथ दे रही थी- आः हह्ह्ह्ह ! ऊऽऽऽ फ़्फ़्फ़ ! आऽऽ आऽ ई ईऽऽए चोद ...जोर से ! मज़ा आ गया !जैसी आवाजें निकाल रही थी।
मैंने अपने झटकों की रफ्तार और तेज़ कर दी। वो भी मजे से चुदवा रही थी।15 मिनट के बाद मुझे लगा कि मेरा निकल रहा है, तो मैं आंटी से बोला-आंटी मेरा निकलने वाला है !
तो वो बोली- अंदर ही निकाल दे !
और मैं अंदर ही झड़ गया।
उस रोज़ हमने तीन बार चुदाई की और वो अपने घर चली गई। शाम को मेराखाना लेकर उसकी बेटी आई। वो बड़ी ही सेक्सी थी।
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