यह बात उस समय की है जब मैं भिलाई में रह कर आईटीआई की ट्रेनिंग कररहा था। मेरे आईटीआई का एक मित्र हमेशा अपने घर ले जाता और उसकेघर वाले भी बहुत अच्छे से पेश आते थे। घर से दूर रहने के कारण परिवार केमाहौल में बहुत अच्छा लगता था। मेरे दोस्त का एक भाई था, उसके पापाअच्छी नौकरी में थे। उनकी मम्मी भी बहुत अच्छी थी, जब भी घर जाता तोनाश्ता चाय के बगैर आने ही नहीं देती थी। मलयाली परिवार से होने के कारणखाने में ढेर सी अच्छी चीजें मिलती थी। टीवी देखने के नाम पर ही मेरा वहाँजाना ज्यादा होता था क्योंकि उस समय मुझे फिल्मों का बहुत शौक था।
एक बार मेरे दोस्त के भाई की नौकरी के लिए उनके पापा और भाई को चारदिनों के लिए पूना जाना पड़ा। दोस्त ने मुझे तब तक के लिए अपने घर परही सोने के लिए कहा।
उस रात का खाना भी दोस्त के ही घर पर हमने खाया। दस बजे दोस्त सोनेअपने बेडरूम में चले गया, मैं टीवी देखने के नाम पर ड्राइंग रूम में ही सोने केलिए रूक गया। रात के साढ़े ग्यारह बजे चैनल बदलते समय अचानक ही टीवीमें ब्लू फिल्म आने लगी। मैं बहुत ही खुश हो गया क्योंकि मुझे ब्लू फिल्मदेखने में बहुत ही मजा आता है। दस मिनट बाद ही मेरा लण्ड सनसनानेलगा। एक आदमी एक औरत की चूत को चाट रहा था और साथ ही में उसकीगाण्ड के छेद में अपनी एक उंगली डाल आगे पीछे कर रहा था। अब मुझसेरहा नहीं जा रहा था, मैने चड्डी उतार दी और लंड को पकड़ के सहलाने लगा।थोड़ी ही देर में सारा माल मेज़ के ऊपर ही गिर गया।
मैं बाथरूम में गया और लंड साफ कर लिया। तभी मेरी नजर दोस्त की मम्मीकी ब्रा और पैन्टी पर पड़ी। मुझे फिल्म का सीन याद आ गया मैंने पहले कभीदोस्त की मम्मी के बारे में ऐसा गन्दा ख्याल नहीं किया था। ब्रा और पैन्टीको छूते ही मेरा लंड फिर से तैयार होने लगा। ब्रा को सहलाते हुए आंटी कोयाद कर मैं मुठ मारने लगा। जोश में आंटी की सेक्सी तस्वीर मन में आनेलगी। मलयाली आंटी की मोटी गांड और मस्त बड़े बड़े दूध को याद करके मैंजोर जोर से मुठ मार ही रहा था कि आहट सी हुई पर जोश की अधिकता मेंमेरा माल आने ही वाला था और मैं अपने को रोक नहीं पाया और सारा मालआंटी की पैन्टी में ही निकल गया। तभी बाहर से बाथरूम का दरवाजा खुलगया आंटी शायद बाहर खड़ी थी अचानक ही वो अन्दर आ गई। मैं हड़बड़ागया।
आंटी मेरा हाथ पकड़ कर बोली- यह क्या कर रहा था?
मेरी आवाज़ ही नहीं निकल पा रही थी, मैं नज़रें नीचे झुकाए थर-थर कांप रहाथा। आँटी ने गुस्से में पैन्टी छीनते हुए कहा- मादरचोद, मेरी फ़ुद्दी को यादकर लौड़ा घोंट रहा था !
मैं लगभग रोते हुए बोला- मुझे माफ़ कर दो आंटी !
आंटी ने कहा- बाहर टीवी में ब्लू फिल्म तूने ही लगाई है न ? कैसेट कहाँ सेमिली ?
मैं हकलाते हुए बोला- वो तो केबल पर !
और चुप हो गया।
आंटी ने ओ..ह्ह्ह... कहा और चुप हो गई। मेरा लौड़ा आंटी की बदन कीगरमी को महसूस कर अब ऊपर-नीचे होने लगा था। मैं अभी तक नंगा थाऔर आंटी अपने पैन्टी में लगे वीर्य की बूंदों को सूंघते हुए बोली- यह तूने मेरीपैन्टी को ख़राब किया है?
मैं इसे साफ़ कर देता हूँ आंटी !
और उनके हाथ से पैन्टी ले कर मैं उसे पानी में डुबा कर धोने लगा। आंटी मेरेहाथ पकड़ कर मुझे उसे धोने में मदद करते हुए बोली- जरा सी भी गन्दगीनहीं रहनी चाहिए !
और अपने बड़े बड़े दूधों को मेरे पीठ में रगड़ने लगी। मेरा लंड अभी भी नंगाथा और पूरी तरह से तन कर तैयार हो गया था।
वो मुझसे बोली- लौड़े को हिलाने में बहुत मजा आता है क्या ?
मैं अ..ह.... ही कर पाया था। आंटी के झुके होने से उनके बड़े बाटलों कीझलक साफ दिख रही थी। अब मैं भी नंगे होने के बावजूद उनके बाटलो कोघूर रहा था। आंटी समझ गई और बोली- दूध को क्या घूर रहा है बे ?
मैं एक पल को सकपका गया और नजर नीचे कर ली।
तभी आंटी मेरे लौड़े को अन्डकोषों के नीचे से सहलाते हुए बोली- वाह...कितना मस्त है रे.. !
मेरा लंड जैसे सलामी मारता हुआ उनकी चूत के नीचे जा कर रूक गया। वोहाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी और बड़बड़ाने लगी- मादरचोद, इतना मस्तलौड़ा है और तू घोंट-घोंट कर गिरा रहा है !
अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था, मैं आंटी से लिपट गया और "अ..ह...आंटी मस्त लग रहा है" मेरे हाथ बिजली की तेजी से उनके शरीर को मसलरहे थे।
दो मिनट बाद ही आंटी अपने को कंट्रोल करते हुए मुझे खींचते हुए अपनेबेडरूम की ओर ले चली। बेडरूम अन्दर से बंद कर वो अपने कपड़े उतारनेलगी। चंद पलों में ही वो पूरी नंगी मेरे सामने अपने दूध को मसल रही थी। मैंउनकी गाण्ड से लेकर जान्घों तक पप्पियों की बरसात करने लगा। उन्होंने मेरेमुँह को अपनी चूत के पास किया और गरजदार लहजे में कहा- चूस.. इसे.... !
मैं यंत्रचालित सा उनके चूत की ओर झुकता चला गया। पहली बार चूत कीमादक खुशबू मुझे मदहोश कर दे रही थी। मैं कस कर उनकी चूत को चूसतेहुए उनकी गाण्ड को सहलाने लगा और जाने कब मेरा हाथ उनकी गांड के बीचकी घाटी में घुस गया।
वो सिसकने लगी और मुझ पर झुकती हुई मेरे गांड को सहलाने लगी। उनकेहाथ लगाने से मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने एक उंगली उनकी गांड के छेद मेंघुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा।
वो सी.. अह..ह... जान और जोर से छोड़ पूरा हाथ घुसा दे जान.... मेरीजान.... कह अपनी एक उंगली मेरे गांड के छेद में घुसाने लगी। मुझेअनायास ही असीम आनंद की अनुभूति होने लगी। एक हाथ से आंटी गांड मेंउंगली कर रही थी और दूसरे हाथ से वो लौड़े को पकड़ कर जोर जोर से हिलारही थी .......
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