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रविवार, 4 नवंबर 2012

बुआ की प्यास



सुनीता बुआ हमारी बुआ की दूर के रिश्ते में देवरानी लगती हैंइस नाते हमउन्हें भी बुआजी ही कहते हैं। फूफाजी सेना में कर्नल पद पर थे और ज्यादातरपोस्टिंग पर सुदूर सीमा पर ही रहते थे। इस कारण परिवार साथ नहीं रहताथा। सुनीता बुआ के दो बच्चे थे बड़ा लड़का पांच साल का और लड़की ढाईसाल की।
स्टेशन गया तो पता लगा कि उस तारीख में स्लीपर क्लास 200 वेटिंग में है।मैं वापस  गया तो पापा बोलेअरे बेवकूफ सी कोच में बुक करा लेता !
फिर गया और  सी कोच में टिकट बुक करा कर  गया।
नियत समय पर यहाँ से गाडी चल दी। पापा छोड़ने आए थेआखिर तकसमझाते रहे कि मथुरा से सुनीता को लेना है। गाडी में  सी कोच में कोईज्यादा भीड़ नहीं थी और हमें जो सीट मिली थी वो एक फ़ैमिली केबिन था।
टिकट चेकर आया पूछने लगाबाकी सवारियाँ कहाँ हैं?
तो मैंने उससे कहावो मथुरा से बैठेंगे !
गाड़ी समय पर मथुरा स्टेशन पहुँच गई। मैं गेट पर खड़ा हो गया। अपनी शादीके बाद अब देखा था पर मैंने उन्हें पहचान लिया और आवाज देकर उन्हेंआराम से केबिन में लाकर बिठा दिया। गाड़ी चल दी। टिकट चेकर फिर आयाऔर सवारी चेक करके चला गया। हमने केबिन का दरवाजा बंद कर लियाबच्चे थोड़ी देर तो खेलते रहेफिर सोने लगे। रात के बारह बज चुके थेबच्चेनीचे बर्थ पर ही सो गए थे।
बच्चों को एक ही बर्थ पर लिटाकर मैंने बुआजी से कहामैं ऊपर जाकर सोजाता हूँआप नीचे इस बर्थ पर सो जाओ !
तो वो बोलीनींद कहाँ  रही हैअभी थोड़ी देर बात करते हैंफिर सोजाना !
मैं वहीं बैठ गया। कुछ देर हम बात करते रहेफिर उन्होंने पैर उठा कर सीटपर लम्बे कर लिए। मैं उठने लगा तो बोलीक्या करेगा ऊपर जाकर ! यहींपर अडजस्ट हो जाएँगे !
मैं भी अधलेटा सा हो गया और वो लेट गई। मेरी आँख लग गईकुछ देर बादमुझे महसूस हुआ कि मेरे लंड को कोई सहला रहा है। मैंने आँख खोलकर देखातो बुआजी आँखें बंद करे लेटी हैं और पैर के अंगूठे से मेरे लंड को ऊपर सेसहला रही हैं।
विश्वास नहीं हुआ कि यह हो रहा है पर प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहींहोती। मैंने पूरी तरह से सीधे पैर किए तो मेरे पैर उनके उभारों के पास पहुँचगए और चुप लेट गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।
थोड़ी देर बाद वो अपने उभारों को मेरे पैर के अंगूठे पर रगड़ने लगी। उसकाअसर यह हुआ कि मेरा लंड अकड़ने लगा और तैयार हो गया। मुझसे नहीं रहागयाक्योंकि एक तो रिश्ता ऐसाउस पर यह हरकत मेरे गले नहीं उतर रहीथी। सो मैं एकदम से उठकर बैठ गया।
जाग तो वो भी रही थीतो बोलीक्या हुआ?
मैंने कहाकुछ नहीं ! मैं ऊपर जा रहा हूँ सोने !
उस बात की प्रतिक्रिया में जो उन्होंने किया वो मेरे लिए चौंकाने वाली बात थीक्योंकि उन्होंने एकदम से मेरा हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और मेरा हाथसीधा उनके उभारों से टकराया। गिरने से बचना चाह रहा था सो हाथ पूराखुला हुआ था पूरी तरह से दाईं चूची से टकराया। उफ़ !
क्या टाईट चूचियाँ थी !
बोलीमेरा शरीर जल रहा हैतुम यहाँ पर रहोगे तो कुछ शांति रहेगी !
पर मैं बोलाबुआयह गलत है !
वो बजाए कुछ कहने के फफक-फफक कर रोने लगी। मैंने उन्हें शांत कराया,फिर पूछाक्या बात है ?
तो उन्होंने बतायाजब से यह लड़की हुई हैतब से तेरे फूफा ने उन्हें चोदनातो दूर हाथ भी नहीं लगाया है !
मुझे सारा माजरा समझने में समय नहीं लगा तो मैंने पूछाऐसा क्यों ?
तो बोलीएक साल से तो घर भी नहीं आए हैं !
मैं हक्का बक्का रह गया कि यह क्या कहानी हैमैंने फिर पूछाआपको मेरेसाथ करने का कैसे ख्याल आया?
तो बोलीआज दिन में चैनल पर सेक्सी सीन  रहे थे मन तो वहीं से ख़राबथा और आज ढाई साल बाद तुम्हारे लंड को इतने करीब पाकर मैंने सारी लाजशर्म भुला दी ! सुनो संजूतुम मुझे शांत कर दो ! मैं तुम्हारा उपकार जीवनभर नहीं भूलूंगी !
मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूँ !
मुझे सोचता हुआ देखकर वो बोलीजो कुछ होगाउसे यहीं रास्ते में ही भुलादेंगे। उसके बाद ना तुम याद रखना और  मैं !
इस बात के बाद मैं तैयार हो गयामैं बोलाठीक है ! पर यहाँ नहीं करेंगे,ऊपर वाली बर्थ पर चलो और अपने कपड़े उतारो ! मैं वहीं पर तुम्हें शांतकरूँगा !
वो तैयार हो गईमैंने अपनी गोदी में उठाकर उन्हें ऊपर वाली बर्थ पर चढ़ादिया। मैंने महसूस किया कि उन्होंने अन्दर पेंटी नहीं पहनी हुई है। उसके बादमैंने बच्चों को देखाआराम से सो रहे थे ! फिर ऊपर देखा तो बुआ कपड़ेउतार कर लेट चुकी थी।
मैं भी एकदम ऊपर बर्थ पर पहुँच गया और अपने कपड़े उतार कर उनके बगलमें लेट गया। उफ़क्या बदन था ! नाईट लैम्प की नीली रोशनी में उनकासंगमरमरी बदन चमक रहा था। मैंने धीरे-2 बदन को सहलाना शुरू ही कियाथावो तो मुझसे लिपट गई क्योकि वो तो पहले से ही भड़की हुई थी।
मैंने कहाबुआमैं अपने स्टाइल से करूँगा !
तो वो बोलीबुआ नहींसुनीता बोलो ! और जैसे करना चाहो कर लो !
मैं झट से उठ कर एक तरफ कोने में चला गया टाँगे चौड़ी कर उनका सिरपकड़ कर अपना लण्ड उनके मुँह में डाल दिया और कहासुनीता डार्लिंग !अब इस लॉलीपॉप को प्यार से चूसो !
पहले तो वो कसमसाई पर फिर उसे प्यार से धीरे-2 चूसने लगी। उन्हें औरमुझे मस्ती चढ़ने लगी। मैं भी 69 की पोजीशन में  गया उनकी चूत पहलेही रस से भरी हुई थीबड़े प्यार से उसे चाट कर उनके अन्दर चिंगारियां भरदी।
मैं भी पिछले सात-आठ महीने से प्यासा था सो मेरा उनके मुँह में ही झड़गया। वो एक-एक बूँद अन्दर ही पी गई। इधर उनकी चूत ने भी पानी छोड़दिया जिसे मैंने चाट कर साफ़ कर दिया। मैं एकदम से उठा और उनकी चूतको चौड़ा कर उस पर लंड के घस्से लगाने लगा। कुछ देर में ही दोनों फिरतैयार हो गए। अब चला सेक्स का तूफान जिसका अगला स्टेशन बीस मिनटबाद आया। दोनों एक साथ झड़ेमैं चूत में लण्ड डाले हुए ही करीब दस मिनटतक लेटा रहाफिर उठ कर बगल में लेट गया। दो बज चुके थेहम लोगकपड़े पहन कर सो गए।
सुबह गाड़ी भोपाल पहुंची तो शायद स्टाफ बदला होगा तो नया टी टी टिकटचेक करने आयाटिकट चेक करके गया।
देखा तो बुआ भी उठ गईवो पेशाब करने गई और लौट के आई तो देखा किबच्चे सो रहे हैं।
मेरे मन में पता नहीं क्या आयामैंने कहाचलो एक दिहाड़ी और लगा लें !
वो धीरे से मुस्कुरा कर बोलीमेरा तो रोम रोम तेरा कर्जदार है ! तू चाहे जबमर्जी कर ! मैंने कब मना किया है !
उसके बाद हम लोगों ने एक ट्रिप और मारी फिर नीचे  गए। बच्चे भी उठगए थे।

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