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शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

प्यारी बीबी की पहलीबार चुदाई



हमारी शादी तो हो गयी हम दोनो इतने थक गाये थे की हमने सोचा की ऐसे माहॉल में पहली चुदाई में मज़ा नहीं आएगा. हम ने दो दिन आराम किया. तीसरे दिन कलपु अपने मैके चली गयी बीन चुदवाये. उन की चाची और दुसरी औरतों को जब पता चला की कल्पना कम्वारी ही वापस आई थी तब उन्हें मेरी मर्दानगी पर शक पड़ा. दाल में कुछ काला है वरना दूल्हा ने दुल्हन को चोदा क्यूं नहीं ? कल्पना को लेकिन मुज़ पर पूरा विश्वास था. शादी से पहले एक दो बार मेने उस की चुचियाँ दबा दी थी और मेरा लंड हाथ में पकड़ा दिया था. उसे पता था की मेरा लंड खड़ा हो सकता था, चोद ने के काबिल था. एक हपते बाद कल्पना वापस आने वाली थी. जिस दिन आए उसी दिन में उसे चोद ने वाला था , सुहाग रात या ना सुहाग रात. आख़िर वो दिन आ गया. शाम के पाँच बजे उस के भैया मनोज कार से उसे ले आए. कल्पना के साथ उस की मौसी की लड़की, बारह साल की काजल भी थी. मनोज बोले : कल्पना को कंपनी देने के लिए मौसी ने काजल भेजी है आप को पसंद ना हो तो में वापस ले चलूं. मुज़े पसंद तो नहीं था लेकिन कहा : ना, ना रहने भी दीजिए. में जब काम पर जऔ तब कल्पना घर में अकेली ही होगी ना ? पिताजी बिज़नेस के वास्ते बाहर गाँव चले गये थे. घूमने के बहाने नेहा को साथ ले गये थे और छे सात दिन बाद लौटने वाले थे. में घर में अकेला था. चाई नाश्ता कर के मनोज चले गये काजल की परवाह किए बिना तुरंत मेने कल्पना को बाहों मे भर लिया.उस ने मुज़े आलिनगान देने दिया लेकिन जैसे मेने किस करने के लिए उस का चहेरा पकड़ा वो छटक कर भाग गयी और बोली : अभी नहीं, काजल को सो जाने दो. इतनी जल्द बाज़ी करने से मज़ा मर जाएगा. रात होने में अब कितनी देर है ? चलो में कुछ खाना बना लूं ? में : खाना बनाने की ज़रूरत नहीं है आज हम होटेल में खाएँगे. लेकिन पहले में तुज़े कुछ दिखा उन, आ जा. कलपु : क्या दिखाते हो ? उस दिन हमारे घर आए थे और दिखाया था वो ? उस का मतलब था मेरी शरारत से. शादी से पहले एक बार जब में उस के घर गया था तब मेने उसे मेरा तना हुआ लंड दिखाया था और कहा था की उन के लिए ही मेने इस को संभाल रक्खा था , किसी ओर लड़की को दिया नहीं था.में उसे शयन खंड में ले गया. मेने ख़ुद कमरा सजाया था. ढेर सारे फूल ले आया था. बड़े पलंग पर मोटी फोम की गद्दी डाल दी थी. रेशमी चादर बिछा दी थी. कमरे में चारों ओर फूल ही फूल लगाए थे. बाथरूम में नाइट ड्रेस और टॉवेल्स रख दिए थे. रात का खाना खा कर हम तीनो घर आए तब दस बज गये थे, में कलपु को चोद ने के लिए अधीर हो रहा था. इतने में काजल बोली : दीदी, मुज़े नींद आ रही है अब ये काजल थी तो बारह साल की लेकिन उस का बदन था सोलह साल की लड़की जैसा. कल्पना ने बताया की एक साल से उस की माहवरी शुरू हो गयी थी. वाकई सीने पर बड़े श्री फल जैसे गोल स्तन थे, चौड़े भारी नितंब थे और भारी भारी जांघें थी. कल्पना ने कहा की कंपनी देना ये तो बहाना था, हक़ीकत में मौसी की इछा थी की काजल हम से कुछ सेक्स के बारे में सीखे. मेने शरारत से कहा : एक सुहाग रात में दो दो कलियाँ चोद ने मिलेगी मुज़े ? कल्पना : धत्त, कैसी बातें करतें हें ? वो तो बेचारी अभी बारह साल की ही है में : बारह हो या तेरह, उस की चुत कैसी है ? लंड ले सके इतनी खिल गयी है या नहीं ? जिस तरह उस के स्तन और नितंब दिखाई दे रहे हें इस से तो लगता है की उस की चुत भी तैयार ही होगी. कल्पना : जनाब, पहले एक से तो निपट लीजिए. दुसरी का बाद में सोचिएगा. कल्पना ने काजल को दूसरे कमरे में बिस्तर दिया और वो सो गयी हम दोनो हमारे शयन खंड में गये.अंदर जाते ही कल्पना मेरे पाँव पड़ गयी मेने उसे उठा लिया और बाहों में भिंस डाली. उस ने अपना चहेरा मेरे सीने से लगा दिया. मेरे लंड को तन जाने में देर ना लगी मेने कहा : प्यारी, बाथरूम में नाइट ड्रेस रक्खा है वो पहन ले, जिस से हमे आज जो करना है वो आसानी से कर सकें.
मेरा इशारा चुदाई से था, जान कर वो शरमाई और झट पट बाथरूम में चली गयी थोड़ी देर बाद उस ने बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोला और अंदर से बोली लाइट बंद कर दीजिए ना. में समज़ता था. नाइटि पहन कर उसे शरम आ रही थी. मेने कमरे की लाइट बंद कर दी तब वो निकली और दौड़ कर पलंग पैर जा बैठी. मेने बाथरूम में जा कर सब कपड़े उतर दिए स्नान किया और नाइट गवन पहन लिया. परफ़्यूँ लगा कर में बाहर आया. रोशनी के लिए बाथरूम का दरवाज़ा खुला रक्खा.कल्पना पलंग पैर बैठी थी, सिनेमा में जैसे दिखाते हें वैसे. में उस के सामने जा बैठा. नज़र झुकाए होठों पैर मुस्कान लिए वो उंगलियाँ से नाइटि का कोना मसल रही थी. मेने उस के हाथ पकड़े. हथेलियों पैर मेहन्दी लगाई हुई थी. मेने कहा : अरे वाह, बढ़िया मेहन्दी लगाई है हाथ पर ही है या ओर जगह पैर भी ? नज़र नीची रखते हुए वो धीरे से बोली : पाँव पर भी लगाई है दोनो पाँव खुला कर मेने मेहन्दी देखी. वाकई डिज़ाइन अच्छी थी. मेने कहा : बस ? ओर कहीं लगाई है वो ज़्यादा शरमाई, चहेरा नीचा कर दिया और धीरे से हा बोली. मुज़े पता था उस ने स्तन पैर भी लगाई थी. ठौडी नीचे उंगली रख कर मेने उस का चहेरा उठाया. शर्म से उस ने आँखें मूँद ली. मेने गाल पैर हाथ फ़िरया और कहा : प्यारी, मेरे सामने तो देख. मेरा चहेरा पसंद नहीं है क्या ?उस ने मेरी दोनो कलाइयों पकड़ ली और मुँह घुमा कर हथेली चूम ली. आगे झुक कर मेने गाल पर हलका सा चुंबन किया. उस के रोएँ खड़े होते में देख सका. मेने मेरा गाल उस के गाल साथ लगा दिया. कंधों पर हाथ रख कर उसे खींच लिया. वो ऐसे बैठी थी की उस के घुटनो सीने से लग गये थे. मेने धीरे से उस के पाँव लंबे किए. उस ने अपने हाथों की चौकड़ी बना कर सीने से लगा दी जिस से स्तन ढक गये थे. मेने हाथ हटाने का प्रयास किया लेकिन नाकामयाब रहा. बाहों मे ले कर मेने उसे आलिनगान दिया. मेरा मुँह उस के गाल चूमाता रहा और होले होले उस के मुँह की ओर जाने लगा. आख़िर मेरे होठों ने उस के होठ छू लिए ज़टके से तुरंत उस ने मुँह हटा लिया. मेने फिर उस के मुँह चूमने का प्रयत्न इया लेकिन हर वक़्त वो अपना सिर घुमा कर मुँह हटा देती रही. आख़िर मेने उस का सिर पकड़ लिया और बलपूर्वक मुँह से मुँह चिपका दिया. वो उन्न्न उन्न करती रही लेकिन मेने उसे छोड़ा नहीं. जब मेने उस के होठ पर ज़बान फिराई और मुँह में ले कर चूसा तब उस को मज़ा आने लगा और मुज़े किस करने दिया. दो मिनिट की लंबी किस जब छुटी तब उस के होठ मेरे थुम्क से गिले हो गये थे.में आगे सोचूँ इस से पहले उस ने मेरा सिर पकड़ कर मेरे मुँह से मुँह चिपका दिया. किस करने में उस ने पहल की जान कर मेरी उत्तेजना बढ़ाने लगी अब की बार मेने उस के होठ मेरे होठों बीच लिए और अच्छी तरह चुसे. मेरे लंड ने बग़ावत पुकर ली. मेने कहा : ज़रा मुँह खोल. जैसे उस ने मुँह खोला मेने मेरी जीभ उस के मुँह में डाल दी. जीभ से मेने उस का मुँह टटोला. लंड जसी कड़ी बना कर अंदर बाहर कर मेने उस के मुँह को चोदा. वो जलदी से गरम होने लगी उस ने अपने हाथ मेरे सिर पैर रख दिया. जब मेने जीभ निकाल दी तब उस ने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाली और मेरे मुँह को चोदा. हम दोनो की साँसें तेज़ होती चली. किस चालू ही थी और मेरे हाथ उस की कमर पैर उतर आए. अपनी ओर खींच कर मेने उसे आलिनगान दिया. इस वक़्त उस के हाथ उपर उठे हुए थे , सीने पर नहीं थे. उस के स्तन मेरे सीने से दब गये मुज़े कुछ शरारत सूझी, में झटके से अलग हुआ और बोला : अरे, अरे मेरे सीने में ये क्या चुभ गया ? देखूं तो ? इस बहाने मेने मेरे हाथ उस के सीने पैर घुमा लिए और स्तन टटोल लिए उस ने ब्रा पहनी नहीं थी. नाइटि के आर पैर उस की कड़ी नीपल में ढूँढ सका. उंगली से नीपल टटोल कर में बोला : यही है कुछ नोकदर जो मेरे सीने में चुभ गया था. क्या है वो ? मेरी कलाई पकड़ कर उस ने मेरे हाथ स्तन पर से हटाते हुए वो धीरे आवाज़ से बोली : क्यूं सताते हो ? आप जानते तो हो. में : प्यारी, इतने अच्छे तेरे स्तन कब तक छुपाओगी मुझ से ? देखने तो दे. मेने फिर से स्तन पैर हाथ रक्खा. इस वक़्त उस ने विरोध किया नहीं. अपनी बाहें मेरे गले में डाल कर मुझ से लिपट गयी मेने नाइटि के हूक खोलने शुरू किए. नाइटि खुली और मेरी हथेली नंगे स्तन पैर जम गयी उस ने लेकिन गर्दन पर की पकड़ जारी रक्खी जिस से में स्तन नज़रों से देख ना सकूँ. चहेरा घुमा कर में फिर फ़्रेंच किस करने लगा, एक हाथ से स्तन सहालाने लगा. ये करते हुए धीरे से मेने उसे धकेल कर पलंग पैर चित लेटा दिया. मेरा आधा बदन उस पर छा गया , मेरे सीने से स्तन दब गाये मेरे कमर और कुले बिस्तर पैर रहे. मेरा तना हुआ लंड बिस्तर के साथ दब गया.
हमारे मुँह किस में जुटे हुए थे. उन के हाथ मेरी पीठ पैर रेंगने लगे थे. मेरा एक हाथ उस के गले में डाला हुआ था, दूसरा स्तन साथ खेल रहा था. मेरी उंगलियों ने उस की छोटी सी नाज़ुक निपल पकड़ ली और चीपटी में लिए मसली. बड़े सन्तरे की साइज़ के कल्पना के स्तन चिकाने और गोल थे. उत्तेजना से दोनो स्तन कठोर बन गये थे और हथेली से दबे नहीं जाते थे. एरिओला के साथ निपल कड़ी हो कर उभर आई थी. एक के बाद एक करके मेने दोनो स्तनों से खिलवाड़ की.जैसे जैसे प्रेमोपचार चलते रहे वैसे वैसे कल्पना की एक्सात्मेंट बढ़ती चली और उसे मज़ा आने लगा. उस की शर्म भी कम होने लगी अब वो छूट से मुझे किस करने लगी मेरा सिर पकड़ कर उस ने ही स्तन पर धर दिया. मेरे मुँह ने निपल पकड़ ली. कड़ी निपल को चूसने में जो मज़ा आया वो कहा नहीं जा सकता . जीभ की नोक से मेने निपल टटोली तब कल्पना के मुँह से आह निकल पड़ी. मेने कहा : कलपु , तेरे स्तन बहुत सुंदर है ये तेरी निपल कितनी नाज़ुक है ? मेरे चूसने से मज़ा आता है ना ?उस ने सिर हिला कर हा कही और फिर मेरा सिर स्तन से दबा दिया. अब मेरा हाथ उस के पेट पैर उतर आया. नैटि के बाक़ी हूक्स खोलने में देर ना लगी सपाट चिकना पेट सहलाते हुए मेरा हाथ उस की भोस तरफ़ चला. उस ने पेंटी पहनी हुई थी. मेने पेंटी उपर से ही भोस पैर हाथ फ़िराया. गुड़गूदी से उस की टाँगें उपर उठ गयी भोस ने काफ़ी काम रस बहाया था जिस से पेंटी गीली हो गयी थी. उस ने मेरी कलाई फिर से पकड़ ली लेकिन हाथ हटाया नहीं. मेने उसे कान में पूछा : कलपु, कैसा लगता है ?जवाब में उस ने मेरे गाल पर ज़ोर से चुंबन किया. टाँगें सीधी कर के फिर मेने भोस सहलाई. पेंटी पतले कपड़े की थी. भोस के बड़े होठ और बीच की दरार अच्छी तरह मेहसूस होते थे. मेरे सहालाने से भोस ने ज़्यादा रस बहाया. भोस से मादक ख़ुश्बू आ रही थी. उस की सुवास से ही मेरा लंड ज़्यादा अकड गया और ख़ुद काम रस बहाने लगा.
में थोड़ी देर बैठ गया. नैटि खोल कर मेने उतार दी. उस ने आँखें पैर हाथ रख दिए लेकिन मेरा नाइट ड्रेस खींच कर इशारा दिया की मुझे भी वो निकालना चाहिए. मेने नाइट ड्रेस निकाल दिया. उंगलियों के बीच से वो झाँखने लगी मेरा टटार लंड देख उस के होठों पैर मुसकान आ गय मेने उस की नंगी जांघें सहालाना शुरू किया. भरी भरी उस की जांघें चिक्नी थी. जब पाँव लंबे रखती थी तब जांघें एक दूजे से सटी रहती थी. सहलाते सहलाते मेने जांघें उपर उठाई और फिर से भोस टटोली. उस ने भी एक हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया. मेने पेंटी अंदर उंगली डालने का प्रयास किया लेकिन टाइट हो ने से उंगली जा ना सकी. मेने फिर से पेट पर हाथ रक्खा और पेंटी के एलास्टिक से हाथ अंदर डाला. मेरी उंगलियाँ उस के झांट साथ खेलने लगी में उतावला हो गया था , मेरा लंड फटा जा रहा था. उस ने मेरे हाथ पकड़ रक्खे थे लेकिन ज़ोर लगा कर मेने पेंटी उतार दी.कटे हुए झांट से ढकी कलपु की भोस देख में हेरान रह गया. मेरा लंड ज़ोर से फंफ़नाने लगा और भर मार काम रस बहाने लगा. भोस के बड़े होठ मोटे थे और झांट से ढके हुए थे. बीच की दरार तीन इंच सी लंबी थी और भोस के पानी से गीली हो गयी थी. मेने जब भोस पर उंगली फिराई और क्लैटोरिस को छुआ तब कलपु कूद पड़ी और उस ने जांघें उपर उठा ली. मेने जांघें फिर सीधा कर के सिर झुका कर भोस पर चुंबन किया. तब मुज़े पता चला की कल्पना के बदन से जो ख़ुश्बू आ रही थी वो कोई इत्र की नहीं थी लेकिन उस की भोस से आ रही थी. मुज़े भोस चाटने और चूसने के लिए दिल हो गया लेकिन मेरे लंड ने माना नहीं.में होले से कलपु के उपर चड़ गया. वो शरमाती रही थी और मुस्कुराती रही थी. मेने उस की जांघें बीच मेरे घुटने डाले और मेरी जांघें चौड़ी की. मेरे साथ उस की जांघें भी चौड़ी हुई. मेरा लंड उस की मोन्स से दब गया. मेने लंड भोस की दरार पर रख दिया. थोड़ा सा कुला हिलाया तब लंड से दरार सहलाई गयी कल्पना के कुले भी हिलने लगे. मुज़े लगा की चुत में लंड डालने की घड़ी आ गई थी इसी लिए मेने कलपु से कान में पूछा : प्यारी, अब मुझ से रहा नही जाता. लंड लेना है ना ?शरारत करने में वो कुछ कम नहीं थी. ज़ोर ज़ोर से सिर हिला कर उस ने मुस्कुराते हुए ना कही. मुज़े वो इतनी प्यारी लगी की में उस पर टूट पड़ा. चुंबनों की बौछार बरसा दी, स्तन मसल डाले, कमर के दो चार ज़टके लगा दिया और बोला : ना बोलेगी तो में रेप करूँगा.हसते हुए वो मुझ से छूटने के लिए छटपटायी. मेने उसे कमर में कुरेदी. वो ओर कूद पड़ी. हमारे नंगे बदन एक दूजे के साथ टकराने लगे. मेरी ताजुबी की हद ना रही जब खेल खेल में उस ने मेरा लंड पकड़ लिया. एका एक वो थम गयी लंड छोड़ दिया और बोली : इतना बड़ा और मोटा ? मुज़े दर्द नहीं होगा ? उस के नाज़ुक होठों चूम कर मेने कहा : दर्द तो होगा थोड़ा सा. लेकिन में सावधानी से डालुंगा. तू ना बोलेगी तब रुक जाऔन्गा.देर कर ने से कोई फ़ायदा नहीं था. इसी लिए मेने एक छोटा सा तकिया उस के नितंब नीचे रख दिया. उस की भोस अब उपर उठ आई, मेरे लंड के लेवल में. उस ने ख़ुद जांघें चौड़ी पकड़ रक्खी. मेने लंड पकड़ कर भोस की दरार में घिसा. हमारे काम रस से लंड का मत्था गिला हो गया. मत्थे से क्लैटोरिस को रगडा. मुज़े डर लग रहा था की में चोदे बिना ही झड़ जाने वाला हूँ टोपी उतार कर मेने लंड का मत्था ढक दिया और चुत के मुँह पर टीका दिया.हलका दबाव से मेने लंड चुत में पेलना शुरू किया. गीली टोपी में से सरक कर मत्था चुत में घुस पाया. योनी पटल आते रुक गया. मेने लंड वापस खींचा और फिर डाला. फिर निकाला और फिर डाला. मैने ऐसे आठ दस छिछरे धक्के लगाए. लंड का मत्था चुत में फसा कर में कलपु पर पूरा लेट गया. उसे बाहों में भर लिया, मुँह से मुँह चिपका दिया. कमर का एक ज़टका ऐसा मारा की झिल्ली तोड़ कर मत्था चुत में घुस गया. तीन इंच सरिखा लंड अंदर गया. दर्द से कलपु के मुँह से चीख निकल पड़ी लेकिन मेने मेरे मुह में झेल ली. में रुक गया. वो ज़रा शांत हुई तब मेने लंड का ठुमका मारा जिस से वो ज़्यादा मोटा हुआ और चुत को ज़्यादा चौड़ी कर दी. कलपु को फिर थोड़ा सा दर्द हुआ. मेने फिर रुक गया. उस की चुत निहायत सीकुडी थी. मेरे लंड स चुत को ज़्यादा चौड़ी कर दी. कलपु को फिर थोड़ा सा दर्द हुआ. मेने फिर रुक गया. उस की चुत निहायत सीकुडी थी. मेरे लंड से चुत की चिकानी दीवारें चिपक गयी थी. धक्के मारे बिना चुत में फसा लंड की अकडाई बनाए रखना मेरे लिए मुश्किल था. जब मुझे लगा की लंड नर्म होने लगा है तब मेने एक इंच जितना निकाला और फिर अंदर डाला. इस वक़्त कलपु को दर्द हुआ नहीं. मेरी हिम्मत बढ़ी. ठुमका लगवा के लंड कड़ा बनाया और बाहर खींचा. जब अकेला मत्था चुत के मुँह में रह गया तब में ठहरा. ज़ोर से ठुमका लगाया. क्या पता मुज़े क्या हुआ , मेने घच्छ से पूरा लंड चुत में घुसेड दिया. मुझे लगा की अभी कलपु चिल्ला उठेगी. लेकिन आश्चर्य, वो चिल्लाई नहीं. फिर भी मेने कहा : कलपु प्यारी, मैने जोश में आ कर धक्का मार दिया, तुज़े लगा तो नहीं है ना ?धीरे आवाज़ से वो बोली : ना, नहीं लगा है आप फिकर ना कीजिए. अब दर्द भी काम हो गया है
हम फिर फ़्रेंच किस में जुड़ गये मेने होले से लंड निकाला और ऐसे ही पूरा अंदर डाल दिया. ऐसे पूरे लंड से धीरे धक्के से मेने कल्पना को क़रीबन दस मिनिट तक चोदा. चुड़ाई चली इस के साथ कलपु की उत्तेजना भी बढ़ती चली. भोस ने काम रस का फ़ावारा छोड़ दिया. गीली चुत में गिला लंड आसानी से आने जाने लगा. पूच्च पूच्च, पचाक पूच्च आवाज़ से मेरा लंड कलपु की चुत मारने लगा. थप्प थप्प आवाज़ से मोन्स से मोन्स टकराने लगी मेरे मुँह से आह, आह् की आवाज़ आती थी, कलपु उई, सीसीसी, उससस करती थी. कोई सुन लेगा ऐसा हमें डर नहीं था. हम ज़ोरों से चुदाई करने लगे.में सारा दिन कल्पना को चोदने के विचार करता रहा था. बार बार मेरा लंड खड़ा होता रहा था. अब जब चोदने लगा था तब मेरा लंड इतना सेंसीटीव बन गया था की वो हर सेकंड ठुमके लगा रहा था. में जलदी से झडने के क़रीब पहुँच गया था. मेरी इच्छा थी की झडने से पहले में कल्पना को एक ओर्गेज़म करवा लूं. इसी लिए मैं धीरे धक्के से चोदने लगा था. बीच बीच पूरा लंड निकाल कर उस को हवा देता था. उस वक़्त लकड़ी की तरह लंड भोस पर फटकराता था. आख़िर मेरे धक्के अनियमित होने लगे और लंड ठुमके पर ठुमका मारने लगा. मेने लाख रोका मगर रोक नहीं पाया. मैने कलपु के होठ चुसे और कहा : प्यारी , मुझ से अब रहा नहीं जाता. आहह्ह्ह.... मैं आगे बोल ना सका. मेरी कमर ने ज़ोर से सारा लंड चूत में घुसेड दिया और मैं ज़ोरों से झड़ गया. सारा दिन का टेन्शन जो लंड में इकट्ठा हुआ था वो वीर्य की पिचकारी के रूप में फ़च्छ फ़च्छ करता निकल पड़ा. मेरा बदन अकड़ गया. कलपु को मेने बाहों में लिए भिंस डाला. मेरे ओर्गेज़म का तूफ़ान जब शांत हुआ तब मेने मेहसूस किया की कलपु की योनी में फटाके हो रहे थे. वीर्य छूटने के बाद मेरा लंड तेज़ी से नर्म होने लगा था. मुज़े पता था की कल्पना झड़ी नही थी. में नर्म लंड निकालने की सोच रहा था की रुक गया. कलपु की छूट इतनी टाइट थी की लोडे को निकालने ना दिया, पकड़े रक्खा. नर्म लोडे से धक्के मार कर में चोद तो नहीं सकता था. में उस के बदन पर पड़ा रहा और मुँह चूम ता रहा. होले होले चूत फट फट कर रही थी. मेरे लोडे में गुदगुदी होने लगी एक दो बार कल्पना ने चूत ज़ोर से सिकोडी. ठुमक कर के लोडे ने जवाब दिया और शेर की तरह जाग ने लगा. उस के जाग ने के साथ चूत के फटाके भी बढ़ गये देखते देखते में मेरा लंड फिर से तन गया और अपनी मोटाई से उस ने कलपु की छोटी सी चूत फिर से भर दी.मेने किस छोड़ कर पूछा : प्यारी, मेहसूस होता है तेरा लंड ? उस ने हाथ से चहेरा ढक दिया, बोली नहीं लेकिन योनी सिकूड कर जवाब दिया. मेने फिर पूछा : कलपु, दूसरी बार की चुदाई बारदस्त कर सकोगी ? चूत में दर्द तो नहीं है ना ?
कल्पना : दर्द नहीं है शुरू कीजिए ना, कितनी देर लगाते हें आप ? मुझे दूसरा निमंत्रण की ज़रूरत कहाँ थी ? धीरे से लंड निकाला और धीरे से डाला. अब मुज़े कोई उतावल नहीं थी एक बार जो झड़ चुका था. आराम से मैं चोद ने लगा. लंड काफ़ी कड़क था, योनी पटल का लहू, मेरा वीर्य, लंड और भोस से निकला हुआ काम रसइन सब से कल्पना की भोस और मेरा लंड तार बा तार हो गए थे. इस से लंड को चूत में आने जाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी. लेकिन चूत का घाव अभी हरा था और कलपु की चूत नयी नवेली सीकुडी थी इस लिए मैं सावधानी से चोद ता था. धीरे से लंड डाल ता. पूरा चूत में उतर जाय तब रुक ता और मोन्स से मोन्स रगड देता, फिर होले से बाहर निकाल ता. लंड का मत्था चूत के मुँह में रहे तब मैं फिर रुक जाता था और लंड से ठुमका लग़वता था. कल्पना उस वक़्त चूत सिकोड कर मत्थे को दबा देती थी. मेरे लंड से बिजली का करंट निकल कर सारे बदन में फैल जाता था. मैं फिर लंड चूत में उतार देता था और साइकिल फिर शुरू हो जाता था.मेरी उत्तेजना भी बढ़ा ने लगी थी. बीस मिनिट की धीरी चुदाई बाद मेरे धक्के की रफ़्तार ख़ुद ब ख़ुद बढ़ाने लगी कल्पना भी काफ़ी एक्साइट हो गयी थी. उस ने अपने नितंब हिलाना शुरू कर दिया था. मेने आगे पीछे, बाई ओर, दाहिनी ओर सब दिशा से लंड चूत में डाला और क्लैटोरिस को सहलाया. उतेजना से कल्पना छटपटाने लगी हमारे पेट बीच हाथ डाल कर उस ने अपनी उंगली से क्लैटोरिस मसल डाली. छूट में अब तेज़ी से फटके होने लगे.इंजीन के पीस्टन की तरह लंड चूत में आने जाने लगाब कलपु के नितंब ज़ोर ज़ोर से हिल ने लगे. वो अपने स्तन मेरे सीने से घिसने लगी बेरहमी से मेरा मुँह चूस ने लगी मैने कहा : प्यारी , ज़रा धीरे, मेरा लंड लोहे जैसा है और तेरी चूत फूल जैसी कोमल है कुले इतने ना उछाल, कहीं लग जाएगा. वो बोली: मैं नहीं हिलाती हूँ अपने आप हिल जाते हें. फिकर मत कीजिए. मुझे ज़ोर से चोदिये. लगे तो लग जाने दीजिए लेकिन मेरी पीकी आप के लंड से भर दीजिए. मैं रहा सेवक दिल की रानी का हुकुम था. मैं क्या कर सकता था ? धना धन धक्के लगा कर मैं चोद ने लगा. मेरे हैर धक्के का जवाब कल्पना धक्के से देने लगी मेरे मुँह से आह आह निकल पड़ी. वो सिस सिस उसस उस्सस कर ने लगी उस के कंगन और पैज़ानी खन खन कर ने लगी सारा पलंग हिचकोले लेने लगा एका एक वो अकड गयी मुझ से ज़ोर से लिपट गयी उस के सारे बदन पर पसीना छा गया और रोएँ खड़े हो गये आँखें मिंच गयी और मुँह से लार निकल पड़ी. उधर चूत फट फट कर के लंड को नीचोड़ ने लगी कमर के झटके लगा कर वो क्लैटोरिस लंड के साथ घिस ने लगी कल्पना का ओर्गेज़म पूरी बीस सेकंड चला लेकिन उस की लहरें लंबी चली. ओर्गेज़म दौरान मैं स्थिर रहा, हालाँकि लंड ठुमके लगा रहा था. कल्पना शांत हुई तब मैने उस का पसीना पोंछा, प्यार से चुंबन किया और पूछा : मझा आया ना ? वो बोली : ये क्या हो गया था मुज़े ? मैं : प्यारी, इसे ओर्गेज़म कहते ह
उस ने पूछा : आप को हुआ ओर्गेज़म ? मैं झडा नहीं था. लंड अभी भी कड़ा था. मैने कहा : अभी नहीं हुआ. तू इतनी प्यारी है की दिल चाहता है की तुझे चोदा ही करूँ. उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी और पाँव कमर से लिपटाये. मैने फिर चोद ना शुरू किया. पाँच दस ज़ोरों के धक्के मार कर में भी ज़ड़ा. नींद इतनी आ रही थी की सफ़ाई किए बिना ही एक दूजे से लिपट कर हम सो गये

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