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बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

मैडम को खुश किया


यह जून के शुरू की बात है। तब मेरी परीक्षाएँ ख़त्म हो चुकी थी। मेरी इंग्लिशकी मैडम बहुत सेक्सी हैं। उनका नाम शगुफ्ता है। वे अट्ठाईस वर्ष की हैं।उनका कद सवा पाँच फ़ीटकसा शरीर हैउनकी चूचियाँ बहुत बढ़िया हैं। औरवो कपड़े भी ऐसे पहनती कि उसके जिस्म का कुछ हिस्सा नज़र आता। क्लासमें आती उसके चुचूक खड़े होते थे। कसी कमीज़ पहनती और ब्रा भी कसीतोचुचूक खड़े होने की वजह अपने निशान उस पर बना लेते। फिर पढ़ाई तो भाड़ही में जानी थी। मैं रोज़ ख्यालों में उसके साथ प्यार करता।

खैर मैं इंग्लिश पेपर लेकर उसके घर पेपर पर विचार-विमर्श करने गया।कितनी खूबसूरत लग रही थी शलवार-कमीज़ में। उसकी कमीज़ थोड़ी छोटीथी। उनके घर में इतना शोर नहीं था। लगता था जैसे कोई भी  हो। उनकेपति आर्मी में हैंवो शायद कहीं गए हुए हों।

उन्होंने मुझ से कहामैं किताब लाती हूँ फिर देखते हैं कि तुम्हारा पेपर कैसाहुआ।

उन्होंने मुझे अपने कमरे से आवाज़ दी और कहायहाँ  जाओ।

मैं चला गया।

किताब ऊपर वाली शेल्फ़ पर पड़ी थी कमरे में। उफ़ क्या सीन थामैडमकिताब को लेने के लिए ऊपर होतीं और उनकी शर्ट भी ऊँची हो जातीउनकीकमर नज़र आती। मेरा तो उसी वक़्त खड़ा हो गया। मैं उनके पास गया औरमैंने मजाक करते हुए कहामैडममैं आप को उठाता हूँआप किताब उतारलें।

और जो उत्तर मुझे मिला उसकी मुझे बिल्कुल भी आशा नहीं थी।

उन्होंने कहाहाँ ! ठीक है ! मुझे तुम ऊपर उठाओ।

मैंने जल्दी में जवाब दियाजी मैडम !

उन्होंने कहाठीक है आज मैं तुम्हारा जोर देखूं !

मैं तो चाहता ही यह था। मैं मान गया।

मैडम काफ़ी भारी थी मगर मैंने उन्हें उठा ही लिया। उनकी गांड मेरी पेट सेलग रही थीवो अभी किताब को ऊपर ढूंढ रही थी कि मुझसे पूछने लगी किथके तो नहीं ?

मैंने कहानहीं !

मैंने उसे थोड़ा सा नीचे किया और उसकी गांड अब मेरे खड़े हुए लंड के साथलगने लगी। उसने कुछ भी नहीं कहा। इससे लग रहा था कि मेरी बरसों कीखवाहिश पूरी होने जा रही है।

मैंने पूछामैडमकिताब मिली या नहीं?

उसने कहासबर करो !

मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उनकी कमीज़ के नीचे ले जाना शुरूकिया। उनको लगा कि मैं थक गया हूँ और वो फिसल रही हैं।

खैर मैडम को लगने लगा कि मेरा लंड तो बस मेरी चड्डी फाड़ने लगा था।

उन्होंने फ़ौरन मुझे कहातुम मुझे उतार दो !

मैंने उन्हें जल्दी उसे उतार दिया। उफ्फ्फ ! उनके खड़े चुचूक देखकर मेरेअन्दर करंट  रहा था।

उन्होंने कहाकिताब नहीं मिल रही ! मैं तुम्हारे लिए कुछ पीने को लाती हूँ !फिर ऐसे ही पेपर देख लेंगे।

मैं कहा के !

वो किचन में चली गई। मैं अब कमरे में अकेला था। मैंने अपने लंड को जल्दीहाथ लगाया और दबाया ताकि जल्दी ही मुठ निकले और मुझसे मैडम केसाथ कोई ग़लती  हो जाये।

मैं अभी अपना लण्ड दबा ही रहा था कि मैडम शरबत लेकर आई। वो कबरसोई से निकलीकुछ पता नहीं चला।

उन्होंने मुझे लंड दबाते देख लियामैंने जल्दी अपने लंड पर से हाथ उठालिया। किसी हद तक मैं भी चाहता था कि मैडम मुझे देखे।

वो एकदम से डर गई। मैडम ने मुस्कुराते हुए पूछायह क्या कर रहे थे?

मैंने कहाकुछ नहीं !

वैसे मैं भी कुछ खिसिया गया था। मैंने शरबत लिया और वो दरवाज़े की तरफबढ़ी और दरवाज़ा बंद कर दिया। मैंने हैरान होकर उन्हें देखाउन्होंने कुछनहीं कहा और मेरे पास  कर बैठ गई। वो इतना पास बैठी कि मैं दूर नहीं होसकता था। मैंने उनकी आँखों में देखा तो ऐसे लग रहा था कि अब वो सेक्सकी तलाश में हैं। मैंने उनको छूना चाहा लेकिन डर रहा था। उसके बाद उन्होंनेमुझसे पेपर लिया और फेंक दिया और पूछातुमने पहले कभी किया है?

मैंने पूछाक्या?

उन्होंने कहाअंजान मत बनो !

मैं दिल ही दिल में खुश हुआ और उन्हें जवाब दियाजी हाँ ! एक बार !

उन्होंने पूछा- x, xx या xxx

मैंने जानबूझ कर उनसे पूछाइनका मतलब क्या है?

उन्होंने कहासिर्फ चूमा-चाटीमसलना-रगड़ना या सब-कुछ?

मैंने फ़ौरन जवाब दियाजी मैडम !

मुझसे बिल्कुल भी कण्ट्रोल  हुआ और मैंने उन्हें जल्दी से दोनों हाथों सेपकड़ा और सोफे पर लिटा दिया और अधीर हो कर होंठों को चूमने लगा।उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और मैं गर्म हो गया। फ़िर फ्रेंच किस भी की। मेरालण्ड तो पूरा सख्त हो गया।

उन्होंने मेरे मुँह पर बहुत चुम्बन लिए। उनके मम्मे तो शर्ट में भी थोड़े थोड़ेनज़र  रहे थे। वो भी गरम हो गए और मेरी चूमा-चाटी उन्हें और गरमकरती गई। उन्होंने सोफा सख्ती से पकड़ लिया और मुझे करने दिया जो मैंकरना चाहता था। मैंने उनकी शर्ट उतारी और अपनी भी। वो इतनी गरम होचुकी थी कि लाल हो रही थी। मैंने उनकी सलवार उतारी और उनके बड़े बड़ेचूतड़ों को दबाने लगा।

मेरा लंड भी गरम था और उसकी चूत भी गरम थी। बस मैंने उसकी ब्रा पीछेसे खोली और उतार कर फेंक दीमैडम के चुचे जैसे आजाद हो गए हों औरज्यादा खड़े हो गए। मैंने उनके चूचों को बहुत ज्यादा दबाया और चूसा।उफ्फ्फ ! वे इतने स्वादिष्ट थे।

मैंने शर्ट-पैंट पहनी हुई थी। मैंने अपनी पैंट उतारी और अंडरवियर भी ! औरकहामैडम ! प्लीज़ उल्टी हो जाएँ।

उन्होंने मुझसे कहाचोदोगे मुझे?

मैंने कहाअब कण्ट्रोल नहीं होता।

उनके मम्मे सोफे पर दब गए और मैं और अपना धैर्य खोते हुए मैडम कीकमर पर चूमने लगाउनकी कमर पर हाथ फेराउन्हें मज़ा आया। मैं उनकीकमर पर लेट गया और मेरा लंड उनकी योनि से छू गया। फ़िर सीधा करकेउनके चुचूकों को चूसना शुरू किया और पैरों को ऊपर की ओर कर दिया औरअपना लंड उनकी चूत में डाला।

क्या तंग योनि था। फिर भी मैंने आसानी से अंदर कियाथोड़ा गया और उन्हेंमज़ा आया। वो आह ऽऽ.. ओह ऽऽ.. औरऽऽ और ऽऽ जैसी आवाजें निकाल रहीथी। मैंने और जोर लगाया और पूरा लंड अन्दर डाल दियावो चीखी लेकिनउन्होंने मुझे नहीं रोका। मैंने अब अंदर-बाहरअंदर-बाहर करना शुरू किया।

मैंने उन्हें 20-25 मिनट चोदामेरा वीर्य निकल आया और मैडम का भी ..उफ्फ्फ्फ़ क्या दिन था  मैंने सोचा भी  था।

मैडम ने मुझे कहाअब तुम चूचों के बीच में डालो !

अपना लंड मैंने चूचों के बीच में रख कर आगे-पीछे किया। मुझे बहुत मज़ाआया। मैंने उनके पूरे जिस्म पर चूमा-चाटी की और फिर कपड़े पहने।

फ़िर एक जोरदार चुम्मा लेकर पूछामैडम आप चाहती हैं कि मैं फिर आऊँ?

मैडम ने कहाहाँ ! मुझे अपना फोन नंबर दो ! जब घर पे कोई नहीं होगा तोतुम्हें बुलाऊँगी।

मैंने कहाठीक है 

मगर उन्होंने यह भी कहातुम मुझे फोन नहीं करोगे !

मैंने कहाठीक है !

मैंने अपना मोबाइल नंबर दिया।

अब तक मैं उनके साथ तीन दफा कर चुका हूँ।

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