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गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

चंडीगढ़ की बारिश



हेल्लो दोस्तो,
विक्की का आप सभी को प्यार भरा नमस्कार.....
मैं २७ साल का जवान लड़का हूँ और चंडीगढ़ में प्राइवेट जॉब करता हूँ। आज से दो साल पहले फरवरी २००७ को मैंने सेक्टर ३४ में एक नया घर एक पेइंग गेस्ट के तौर पर लिया। मकान मालिक घर के ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे और मैं ऊपर की मंजिल पर अकेला रहता था। मकान मालिक के परिवार में एक ६० साल की बुजुर्ग औरत, उसका ३० साल का जवान बेटा(रितेश) और २७ साल की जवान बहू(रूचि) रहते थे। मकान मालिक की एक १८ साल की नौकरानी(कम्मो), हर रोज मेरी सुबह की चाय, ब्रेकफास्ट और डिनर ऊपर मेरे कमरे में दे जाती थी।
मैं तब तक बहुत ही शरीफ लड़का था और अपने काम में बहुत व्यस्त रहता था। लेकिन एक दिन जब मैं सुबह नहा कर बाहर निकला तो देखा कि कम्मो दरवाजे के छेद से मुझे देख रही थी। जब मैंने दरवाजा खोला तो वो घबराकर वापिस जाने लगी, मैंने उससे पूछा- क्या कर रही थी?
तो बोली- आप की चाय लेकर आई थी और शरमा के कमरे से बाहर भाग गई।
उस दिन से मेरा उसको देखने का नजरिया बदल गया। अगले दिन वो जब चाय लेकर आई तो मैंने उसके शरीर को ऊपर से नीचे तक ध्यान से देखा। वो जवानी की दहलीज पे कदम रख चुकी थी, उसके स्तन छोटे छोटे अमरूदों की तरह थे और उसका कमसिन गदराया बदन किसी की भी नियत बिगाड़ सकता था, वो मुझे इस तरह नजरें गड़ा कर देखते हुए देख कर शरमा गई और हंसती हुई कमरे से बाहर निकल गई। मैं समझ गया कि लोहा गरम है और खुद को कोसने लगा कि एक महीने से मैंने उसकी तरफ ध्यान कैसे नहीं दिया। उस रात मैं उसे चोदने के प्लान ही बनाता रहा।
अगले दिन वो जब आई तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचने लगा, वो अपना हाथ छुड़ा कर भाग गई। दोस्तों मैं बता नहीं सकता कि मेरा कैसा हाल था, मैंने सोच लिया कि आज तो इसे चोद कर ही रहूँगा और रात के डिनर का इंतजार करने लगा। रात को वो जब डिनर लेकर आई तो मैंने उसे पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया, वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर मैंने उसे बिलकुल अपने से सटा लिया और अपना एक हाथ उसे गले में डाल लिया और दूसरे हाथ से उसके दायें चूतड़ को कस के पकड़ लिया, और इससे पहले कि वो कुछ बोले, मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होठों पर रख दिए और उसे चूमने लगा।
उसने भी अपने हथियार डाल दिए और मेरा साथ देने लगी। मैं १० मिनट तक उसके होंठ चूमता रहा। मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ और सारी कायनात आज यहीं पर रुक जाये। फिर मैंने उसके स्तनों पर हाथ रखा, मैं अभी उसके स्तन का साइज़ ही माप रहा था की नीचे से रूचि ने कम्मो को आवाज लगा दी, कम्मो मुझ से छुट कर जाने लगी तो मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और बोला- आज नहीं छोडूंगा, आज तो तेरी जवानी का रस पीकर ही रहूँगा !
तो वो बोली- मुझे अभी जाने दो, मैं फिर आपके पास आ जाउंगी, फिर जी भर कर चोद लेना।
उस रात मैं अपने लंड की प्यास नहीं बुझा सका, मैं रात भर मुठ मारता रहा और ७ बार मुठ मरने के बाद जब लंड खड़ा होने बंद हो गया तो मैं सो गया।
अगले दिन मैं काम के सिलसिले मैं एक हफ्ते के टूर पर मुंबई निकल गया। अपना प्रोजेक्ट ख़त्म कर मैं वापिस चंडीगढ़ आ गया।
मकान मालिक के घर पर कुछ मेहमान आए हुए थे, इसलिए मुझे ४-५ दिन कम्मो को चोदने का मोका नहीं मिला, आखिर एक हफ्ते बाद सब लोग चले गए तो एक दिन मैंने मौका देख कर कम्मो को पकड़ लिया और उसे बेड पर लिटा लिया, आज वो भी पूरे मूड में थी। उसने खुद ही मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए और बोली- आज तो मुझे चोद डालो, बहुत दिनों से प्यासी हूँ, उस दिन भी बीच में ही रह गए उस सड़ी सी रूचि के कारण।
मैंने उसके स्तन पकड़ लिए और कपड़ों के ऊपर से ही उन्हें मसलने लगा। उसके स्तन टाइट होने लगे और वो पूरी तरह से गरम हो गई। मैंने प्यार से उसका सूट उतार दिया और उसकी ब्रा की हुक खोल दी, उसके छोटे छोटे अमरुद आजाद हो गए, अब वो सिर्फ सलवार में थी। मैंने अपने दायें हाथ से उसके दायें स्तन के निप्पल को जोर से रगड़ दिया, उसके मुंह से हलकी सी सिसकी निकली और उसने अपना एक हाथ मेरी पैन्ट में डाल दिया, मैंने उसकी अमरुद सी चूची को चूसना शुरू कर दिया और लगभग १५ मिनट तक उसकी चूचियां चूसता रहा, वो भी पैन्ट में मेरा लौड़ा हिलाती रही।

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