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शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

चाहत मॉडल बनने की



मेरा नाम पूनम है, दिल्ली की रहने वाली हूँ, उम्र लगभग 24 है।
आज मैं आपको अपनी कालेज के दिनों कि एक घटना बताने जा रही हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं कालेज में प्रवेश ले चुकी थी। मेरी शक्ल उर्मिला मातोण्डकर से ख़ूब मिलती थी, मेरे क्लास के लड़के मुझे मजाक में उर्मिला कह कर बुलाते थे। मन ही मन मुझे अच्छा तो लगता था मगर मैं चुप ही रहती थी।
एक दिन मेरी एक सहेली ने मुझसे कहा- तुम इतनी स्मार्ट हो, मॉडलिंग के लिये क्यों नहीं कोशिश करती?
मन में तो था ही, मैंने कहा- कोई जानपहचान का भी तो नहीं है !
वो बोली- मेरी एक दोस्त है, उसकी बहन सीमा भी इस लाइन में है, तुम कहो तो मैं उनसे बात करुँ?
1-2 रोज के बाद हम दोनों सीमा दीदी के पास गये और अपने मन की बात बताई तो पहले वो हँसी और बोली- सिर्फ़ शक्ल होने से कुछ नहीं होता, चेहरा फ़ोटोज़ेनिक भी होना चाहिये !
मैं अपने साथ कुछ फ़ोटो भी लाई थी वो उनको दिखा दिये, देख कर वो बोली- ऐसी वाली नहीं, तुम को प्रोफेशनल फ़ोटो खिंचवानी पड़ेगी और एक फ़ोटो के 500 रुपए लगते हैं।
मेरे पास इतने पैसे तो थे नहीं, मैं चुप हो गई।
फिर वो बोली- कोई बात नहीं, मेरी जान-पहचान का एक स्टूडियो है मैं उससे बात कर लूँगी, तुम अपना फोन नम्बर दे दो।
मैं अपना फोन नम्बर दे कर वापस आ गई।
करीब 15 दिन बाद उनका फोन आया, बोली- मैंने स्टूडियो में बात कर ली है, अगले हफ़्ते उनके पास एक विज्ञापन कम्पनी आने वाली है, उन्हें एक नया चेहरा चाहिये, तुम सोमवार को सुबह10 बजे आ सकती हो क्या?
मैंने कुछ सोच कर उन्हें हाँ कर दी और बताए हुये दिन और जगह पर कॉलेज़ गुल करके पहुँच गई।
वहाँ पर सीमा दीदी ने मुझे फ़िल्म स्टूडियो के मलिक रोहन से मिलवाया। रोहन ने बतया- एक विज्ञापन कम्पनी को नया चेहरा चाहिये, अगर बात बन गई तो 30000 रुपये मिलेंगे और वो आज ही फ़ोटो का अन्तिम जबाब भी दे देंगे।
दीदी ने मुझे बधाई दी, बोली- मुबारक हो, अगर फ़ोटो पसंद आई तो पहली बार में ही 30000 रुपये की आमदनी हो जायेगी।
मैं मन ही मन खुश हुई और साथ ही थोड़ी घबराहट भी थी।
खैर !
मुझे थोड़ी देर में मुझे एक हाल में ले लाया गया साथ में दीदी भी थी। मुझे 4 ड्रेस में 4-4 पोज़ देने थे।
पहला सलवार-सूट में, गुलाबी रंग का सूट था, थोड़ा सा गहरे गले का, वो भी बिना चुन्नी के, मैंने कभी भी बिना चुन्नी के सूट नहीं पहना था। दीदी ने ड्रेसिंग रूम में यह कह कर मेरी ब्रा उतरवा दी थी और पैंटी भी बदलवा दी थी कि इसमें गेट-अप नहीं आता। पैटी क्या थी सिर्फ़ इलास्टिक पर एक कपड़ा, इस शॉट के बाद
मुझे जींस-शर्ट में शॉट देना था। मैंने ध्यान किया कि बीच बीच में रोहन मेरी ड्रेस को ठीक करने के बहाने मुझे छूता भी था। खैर, यह मेरा वहम भी हो सकता है, सोच कर चुप रही मैं।
तीसरी ड्रेस साड़ी थी। जब मैं साड़ी पहनने गई तो देखा कि ब्लाऊज़ का गला बहुत ही गहरा था और पीठ के नाम पर सिर्फ़ एक पट्टी थी।
मैंने दीदी को बुला कर बताया तो वो बोली- कोई बात नहीं ! ये फ़ोटो कही छपनी थोड़ा हैं, सिर्फ़ विज्ञापन कम्पनी के लिये हैं और मॉडलिंग के लिये तो ये आम फ़ोटो हैं, अगर इतना शर्मीलापन दिखाओगी तो कैसे काम चलेगा?
खैर, मैंने थोड़ी सी झिझक के साथ वो साड़ी पहन ली, जब ड्रेसिंगरूम से बाहर आई तो रोहन बोला- मैडम, यह प्रोफेशनल फोटोग्राफी है, साड़ी थोड़ा नीचे करो !
यह सुन कर दीदी मुझे ड्रेसिंगरूम में ले गई ओर थोड़ा डाँट कर साड़ी नीचे कर दी, नाभि से 6 उंगली नीचे या यह कहो कि लगभग योनि को छूते हुए !
मुझे शर्म भी आ रही थी, मैं बाहर आकर कैमरे के सामने खड़ी हो ग़ई।
अब तक मैं कुछ सामान्य सी हो चुकी थी, शर्म कुछ हद तक जा चुकी थी।
रोहन एक शॉट लेने के बाद मेरी साड़ी ठीक करने आया और मेरी साड़ी के पल्ले को ठीक करने के बहाने मेरे वक्ष को छूने लगा।
मैं थोड़ा घबराई…
"मैडम पल्ले को थोड़ा नीचे करो !" कह कर उसने मेरा पल्ला नीचे कर दिया।
एक तो इतना गहरा ब्लाऊज़ और ऊपर से पल्ला नीचे !
अब आखिरी ड्रेस में मुझे शॉट देना था…स्कर्ट-शर्ट में !
जब मैं वो पहन कर वापस आई तो रोहन बोला- मैडम शर्ट पूरी नहीं, नीचे से खोल कर आधे पेट पर गांठ लगाओ !
मैंने उसके कहने पर कमीज के नीचे के बटन खोल कर अपनी पेट के ऊपर गांठ लगा दी।
अब मेरा पेट पूरा खुला हुआ था। इससे पहले मैंने कभी भी इस तरह से कुछ नहीं पहना था, रोहन ड्रेस को ठीक करने के लिये मेरे पास आया और मेरी शर्ट को और ऊपर कर दिया और कमीज के ऊपर के दो बटन खोल दिये।
अब मेरी कमीज मेरे तन पर सिर्फ़ नाममाञ की ही थी, वो मेरे तन को छिपा कम और दिखा ज्यादा रही थी।
वो इसी तरीके से शॉट खत्म करके वो बोला- मैडम स्कर्ट की थोड़ी ज़िप खोलिये ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
मैं एकदम चौंक गई, मैंने दीदी की तरफ़ देखा, वो बोली- पूनम क्या परेशानी है? आखिरी फ़ोटो है, शॉट पूरा करना है या नहीं?
रोहन बोला- जल्दी करो ! विज्ञापन वाले ओ फ़ोटो भी दिखानी है !
मैंने झिझकते हुये स्कर्ट की जिप थोड़ी सी नीचे कर दी। अब मेरी कमर का निचला हिस्सा कुछ हद तक खुल गया था मगर रोहन के लिये शायद यह कुछ ना था, वो मेरे पास आया और स्कर्ट को दोनों तरफ़ से नीचे कर के ज़िप भी लगभग खोल दी। लगभग क्या पूरी सी खोल दी, पैंटी की इलास्टिक साफ़ दिख रही थी।
मेरी हालत लगभग नंगी सी थी मगर मैं कर भी क्या सकती थी। मेरे दोनों हाथ ऊपर थे और मैं दीवार के सहारे स्कर्ट को किसी तरह सम्भाले हुए थी।
ऊपर से छाती खुली हुई !
रोहन ने इसी पोज़ में मेरे दो फ़ोटो लिये, फोटोग्राफी बन्द कर दी और मुझे कपड़े बदल कर आने के लिये कहा।
वहाँ आकर दीदी और मैंने कुछ देर इन्तज़ार किया फिर थोड़ी देर में रोहन मेरी फ़ोटो ले कर आया, फ़ोटो अच्छी तो थी मगर सबको दिखाने लयक नहीं थी।
यह बात मैंने दीदी से कही तो रोहन बीच में बोला- मैडम, ये फोटो तो सिर्फ़ इस कम्पनी को दिखाने के लिये हैं बस ! यह कम्पनी विदेश के लिए विज्ञापन करती है, भारत में कोई विज्ञापन नहीं देती !
यह सुन कर मुझे कुछ राहत मिली।
फिर उसने बताया- कम्पनी को ये फोटो भेज दी हैं इ-मेल से, थोड़ी देर में जबाब आ जायेगा।
हम दोनों वहाँ से आ गये।
दीदी ने शाम को फ़ोन कर के मुझे बधाई दी कि मुझे चुन लिया गया है और कल ही विज्ञापन की शूटिंग करनी है।
दीदी ने शाम को फ़ोन कर के मुझे बधाई दी कि मुझे चुन लिया गया है और कल ही विज्ञापन की शूटिंग करनी है।
अगले दिन मैं सुबह 10 बजे स्टूडियो पहुँच गई, दीदी वहीं मिली।
फिर मुझे एक हाल में लाया गाया, वहाँ एक बिस्तर, एक मेज, एक कुर्सी, एक स्टैण्ड था। दीदी वहाँ नहीं आई थी। वहाँ एक कैमरामैन, और एक लड़का हर्ष था जिसके साथ मुझे विज्ञापन फ़िल्म करनी थी।
फ़िल्म का सीन मुझे बताया गया: आपको 3 ड्रेस इकट्ठी पहननी हैं, पहली ड्रेस तुम खुद उतरोगी, बाकी काम हर्ष का है।
मेरी मझ में कुछ नहीं आया तो पूछने पर बताया कि विदेश में इस तरह के ही विज्ञापन चलते हैं। और हाँ, यह पूरी फ़िल्म एक ही बार में होनी है, इसलिये इसमें रिटेक नहीं होगा। फिर मुझे मेरी ड्रेस दी गई, मैं ऊपर वाले का नाम लेकर तैयार हो गई।
अब कैमरा चालू था।
कैमरामैन : रैडी… स्टार्ट !
मैं कैमरे के सामने आई और अपना गाउन आहिस्ता से उतार दिया। अब मैं स्कर्ट और कमीज में थी।
हर्ष मेरे पीछे से आया और मेरे दोनों हाथ ऊपर उठा कर स्टैण्ड में एक रस्सी से बांध दिये और मेरे मन में घबराहट होनी शुरू हो गई।
हर्ष के हाथ पीछे से मेरी बगलों के नीचे से आए और कमीज के बटन एक एक कर के खोलने लगे।
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसका खड़ा होता हुआ लिंग मैं अपने पीछे चूतड़ों की घाटी में महसूस कर रही थी।
एक मिनट के अन्दर मेरी कमीज के सारे बटन खुल चुके थे। अब मैं अपनी सामने से खुली कमीज में कैमरे के सामने खड़ी थी, हर्ष मेरे पीछे था।
फिर उसके दोनों हाथ आगे आए और मेरे गोरे पेट को प्यार से सहलाने लगे। उसके होंट मेरी गर्दन पर आकर मुझे प्यार करने लगे।
अब मेरी घबभराहट उत्तेजना में बदलने लगी और कुछ अच्छा भी लगने लगा था। मगर मैं सोच रही थी कि कैसे प्रतिक्रिया दूँ।
सोच ही रही थी कि उसका एक हाथ ऊपर आया और मेरे एक उरोज को हल्के हल्के से सहलाना शुरू कर दिया। मुझे उसका मेरे वक्ष पर फ़िसलता हुआ हाथ मजे दे रहा था। अब मैंने सोच लिया था कि जो हो रहा है, होने दो।
फिर उसने पास ही रखी कैंची उठा कर कमीज को दोनों आस्तीन से काट कर मेरे तन से अलग कर दिया। मैंने उसके रंग में रंगे जाने का मन बना लिया था।
फिर उसका एक हाथ पेट पर आया और दूसरा हाथ मेरी छाती को ऊपर से दोबारा हल्के हल्के हाथ से मसलने लगा। अब मुझे भी और भी मजा आने लाग था। मैं उसके रंग में रंग चुकी थी।
उसने अचानक एक हाथ से मेरा मुँह पीछे घुमा कर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी… मुझे मीठा मीठा करन्ट सा लगा।
मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी दौड़ गई। अब मैं उसका पूरा साथ देने का मन बना चुकी थी…
कमरे में पूरी रोशनी थी मगर मैं भूल गई कि कैमरा चालू है…
फिर हर्ष आगे आया ओर मेरे स्कर्ट को पूरा नीचे करके मेरे पैर को अपने जीभ से चाटने लगा। मुझे उसकी हरकत पर अलग मजा आ रहा था।
मैं अब सिर्फ़ ब्रा और पैटी में थी, चाटते चाटते वो मेरी जांघों तक आ गया, उसके हाथ मेरी पीठ को हल्के हल्के सहला रहे थे।
अब उसने मेरी पीठ को हल्के-हल्के सहलाते हुए ही कैंची से मेरी ब्रा के फ़ीते दोनों कंधों से काट दिए। मेरे दोनों कंधे अब नंगे हो चुके थे। मैं बन्धे हाथों से उसकी हर हरकत के मजे ले रही थी।
उसने मेरे होंटों को अपने होंटों से सटाया और चूसने लगा और साथ ही अपने हाथों से मेरे नंगे कन्धों को सहला रहा था। उसने सहलाते-सहलाते ही मेरे दोनों हाथ खोल दिये। हाथ खोलते ही मैंने उसे पीठ के पीछे से कस कर पकड़ लिया। हम दोनों एक दूसरे को लगातार चूमे जा रहे थे।
फिर उसने एक मिनट के लिए मुझे अलग किया और अपने कमीज और पैंट को अपने शरीर से अलग कर दिया, अब वो सिर्फ़ अन्डरवीयर में और मैं पैटी और कटी ब्रा में थी।
अपने कपड़े उतारते ही उसने मुझे फिर से जकड़ लिया, गोदी में उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और मेरे साथ आकर लेट गया।
लेटते ही उसने अपने हाथो से मुझे घुमा दिया अब उसका चेहरा मेरी पीठ की तरफ़ था, वो अपने होंटों से लगातार मेरी पीठ को सहलाए जा रहा था। मेरी हालत बुरी होती जा रही थी। मेरा शरीर बुरी तरह से काम्प रहा था। अब अपने आप को सम्भलना मेरे बस में नहीं था।
उसने सहलाते सहलाते मेरी ब्रा के हुक खोल कर मेरी छाती को बिल्कुल नंगा कर दिया।
अब मैं सिर्फ़ एक पैंटी पहने उसके आगे लेटी थी वो लगातार अपने होंटों से मेरी पीठ को सहला रहा था और उसके हाथों ने मेरी छाती को मसलना शुरू कर दिया था। मैं और नहीं रुक सकती थी, मैंने अपना हाथ पीछे कर के उसके अण्डरवीयर में डाल दिया…।
अरे बाप रे ! इतना मोटा… !
मैं उसके लिंग की मोटाई का अन्दाजा लगा कर डर गई मगर अब डरने से कोई फायदा तो था नहीं ! मैं पीछे से ही उसके लिंग को सहलाती रही।
उसके दोनों हाथ मेरे छाती को बुरी तरह से मसल रहे थे। मसलते मसलते उसका एक हाथ मेरे पेट के ऊपर से होता हुआ मेरी पैंटी के अन्दर घुस गया।
मैं लगातार गर्म होती जा रही थी और वो था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उसका हाथ लगातार मेरी योनि को रगड़ रहा था। उसकी इस हरकत से बहुत ही ज्यादा गर्म हो चुकी मैं एकदम से पलटी और उसका लिंग अण्डरवीयर से बाहर निकाल लिया…
बाप रे … लम्बाई देख कर मैं हैरान रह गई।
मैं उसको देख ही रही थी कि उसने लेटे लेटे ही अपना अण्डारवीयर उतार दिया और मेरी पैंटी भी !
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे।
फिर वो अचानक उठा और 69 की अवस्था में आ गया। मैं इसके लिए बिल्कुल भी तैयार न थी। पर वो मेरी योनि को चाटने लगा और लगातार चाट रहा था, मेरे मुँह से आह… आह की आवाज आनी शुरू हो चुकी थी मगर मैं उसका लिंग अपने मुँह में नहीं ले पा रही थी। जब उसने देखा कि मैं उसका लिंग नहीं चूस रही तो वो खड़ा हो गया, मेरे मुँह के पास अपना लिंग ले आया और मेरा सर पकड़ कर अपने लिंग को मेरे होंटों पर घुमाने लगा। धीरे धीरे मुझे यह अच्छा लगने लगा फिर उस ने अचनक अपना लिंग मेरे मुँह में डाल दिया। उसका लिंग मेरे गले तक फ़ंस गया था मेरे मुँह से सिर्फ़ गो गो की आवाज आ रही थी।
उसने अब मेरे मुँह में अपने लिंग को आगे-पीछे करना शुरु कर दिया। मैं इस हालत में कुछ भी ना कर पा रही थी। 1-2 मिनट के बाद उसने मेरे मुँह से अपना लिंग निकाल लिया।
मैं अब आराम से उसके सामने नंगी खड़ी थी, उसने मुझे उठा कर फ़िर बिस्तर पर डाल दिया और मेरी योनि में अपनी उंगली डाल दी।
दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो गया, वो थोड़ी देर यों ही करता रहा, फिर अपने लिंग को को मेरे योनि के पास ले आया और धीरे से अन्दर कर दिया।
मगर मेरा दर्द के मारे बुरा हाल था… नहीं नहीं … निकाल… दर्द हो रहा है… निकाल…
उसने अपने आप को वहीं रोक दिया और मेरे मुँह में अपना मुँह डाल दिया … और नीचे से झटके देने शुरु कर दिए। मेरा दर्द के मारे बुरा हाल था मगर थोड़ी देर बाद मुझे भी मजा आने लगा, मैंने भी नीचे से ऊपर को उछलना शुरु कर दिया और थोड़ी देर में हम दोनों शान्त हो गये।
तभी अचानक मुझे ध्यान आया कि कैमरा तो चालू है !
मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और सीधा खड़ी होकर पास ही रखी चादर से अपना जिस्म ढक लिया और भाग कर ड्रेसिंग रूम में चली गई।
वापस आई तो देखा कि हर्ष अपने कपड़े पहन चुका था और वो कैमरामैन के साथ खड़ा था।
मुझे आता देख कैमरामैन मुस्करा कर बोला- मैडम, फ़िल्म तो पूरी हो गई मगर मेरी फ़िल्म तो बाकी है।
मैंने पूछा- क्या मतलब?
वो बोला- मैडम, हम भी तो इन्सान हैं, हमारी भी कुछ चाहत है !
मैं उसका इशारा समझ गई, बोली- तो जो चाहो कर लो।
वो बोला- ऐसे नहीं मैडम ! मेरे तरीके से !
मैंने पूछा- क्या है तुम्हारा तरीका?
"कुछ खास नहीं, बस आप इस मेज पर खड़ी हो जाओ, जैसा मैं बोलूँ, करती जाना बस ! उसने अक्खड़पन से कहा।
मैं अपने घर से सलवार कुरता पहन कर आई थी, पास रखी मेज पर खड़ी हो गई और वो सामने कुर्सी पर बैठ गया।
"चुन्नी हटा !" मैंने चुपचाप चुन्नी हटा कर नीचे गिरा दी।
"पीछे घूम !" मैं उसकी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गई।
"कुरते की जिप खोल !" मैंने अपने दोनों हाथ पीछे करके ज़िप को कमर तक खोल दिया।
"अपने बाल खोल !"
मैंने अपने बाल जो कमर तक लम्बे थे, खोल दिये।
"घूम !" मैं उसकी तरफ़ मुँह करके खड़ी हो गई।
"कुरते के कन्धे तो जरा नीचे कर !"
मैंने कुरते के कन्धे थोड़ा सा नीचे कर दिये।
"नहीं कोहनी तक !"
मैंने कन्धे को थोड़ा और नीचे कर दिया अब मेरे कुरते से मेरे बा साफ़ नजर आ रही थी।
"ब्रा को पूरा नीचे कर बिना हुक खोले !"
मैंने कुरते के अन्दर हाथ डाल कर ब्रा नीचे कर दी, अब कुरते में से मेरी छाती लगभग साफ़ दिख रही थी।
"पीछे घूम कर अपने बाल आगे कर !" मैंने उसकी तरफ़ पीठ करके बाल आगे कर दिये।
"ब्रा का हूक !"
मैंने एक हाथ पीछे करके हूक खोल दिया, अब मेरी नंगी पीठ उसकी तरफ़ थी। मैं समझ गई कि वो मेरे ही हाथ से मुझे नंगी करेगा।
"घूम !"
मैं उसकी तरफ़ मुँह करके खड़ी हो गई।
"अपने हाथ कुरते की आस्तीन से निकाल !"
मैंने अपने दोनों हाथ कुरते से अलग कर दिए। अब मैं उसके सामने कुरते को एक हाथ से सम्भाले खड़ी थी।
"कुरते को निकाल !" मैंने अपनी ब्रा को एक हाथ से सम्भालते को पकड़े हुए दूसरे हाथ से निकाल दिया और मेज के नीचे डाल दिया।
"अपने कपड़े यहाँ दे मेरे पास !" मैं मेज से नीचे उतर कर कुरता और चुन्नी उठा कर उसको दे आई। उसने बैठे-बैठे मेरे पेट पर एक चुम्बन किया और बोला- सलवार का नाड़ा ढीला कर…उतारना नहीं !
मैंने एक हाथ से सम्भालते हुये एक हाथ से सलवार का नाड़ा ढीला कर दिया और सलवार को पकड़ कर खड़ी हो गई। अब मैं दोनों हाथ से अपने कपड़े हाथ सम्भाले हुये थी। उसके बाद वो कभी एक तरफ़ से सलवार खींचता तो कभी दूसरी तरफ़ से, कभी पीठ पर हाथ फिराता तो कभी ब्रा को खींचता।
थोड़ी देर के बाद उसने मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करना चाहता है।
मुझे उसका तरीका समझने के लिये ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा।
"मेरे कमीज के बटन खोल !" वो बोला।
मैं नंगी ही उस के कमीज के बटन खोलने लगी उस के हाथ मेरे नीचे चलने लगे।
काफ़ी देर तक इन्तज़ार करने के बाद उसने मुझे छूना शुरू किया था, मुझे उसका छूना अच्छा लग रहा था।
"उतार कमीज को !"
उसके बटन खुल चुके थे, अब मैंने उसकी कमीज को उतार दिया, उसका हाथ लगातार मेरे जिस्म पर दौड़ रहा था। "पैंट खोल !"
पैंट उतरने के बाद उसने मेरे हाथ से अपना अन्डरवियर भी उतरवा दिया।
अब हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे। फ़िर उसने मुझे वहीं नीचे लिटा दिया और कहीं से शराब की बोतल उठा लाया और मेरी नाभि, मेरे पेट पर थोड़ी सी शराब डाल दी। मैं उसका तरीका समझ गई थी, उसने मेरे पेट पर फ़ैली शराब को अपने होंटों से पीना शुरू कर दिया।
मुझे भी मजा आ रहा था। फ़िर शराब को मेरी छाती पर डाल कर कर चूसने लगा। शराब की बदबू के बावजूद उसकी हर हरकत मुझे मजे दे रही थी। अब मैंने भी उसका मोटा लिंग पकड़ कर हिलाना शुरु कर दिया और उसने अपने हाथ से मेरी योनि को सहलाना।
2-3 मिनट के बाद मेरे शरीर की अन्तर्वासना ने अंगड़ाई लेना शुरु कर दिया था। मैं एक हाथ से उसका चेहरा अपने पास ले आई और अपने होंट उसके होंठों के साथ चिपका दिए।
अब मेरे शरीर में 440 वोल्ट का करन्ट दौड़ने लगा। मैं लगातार उसके लिंग को तेजी से हिला रही थी और वो अपनी उंगली मेरी योनि में !
मैं गर्म होती जा रही थी मगर वो अपने लिंग को मेरी योनि में डालने के लिये तैयार ही नहीं था।
मैंने कहा- डालो ना !
"क्या?" उसने पूछा।
मैं समझ गई कि वो मेरे मुँह से कहलवाना चाहता है- अपना लिंग !
"लिंग नहीं लण्ड बोल !
"अच्छा लण्ड डालो !" मैं थोड़ा बेशर्म हो कर बोली।
"कहाँ?"
"यहाँ !" मैंने इशारे से बताया।
"यह क्या है?"
"योनि" मेरा जबाब था।
"नहीं ! बुर बोल !"
अब मैंने जबाब दिया- अच्छा अब डालो अपना लण्ड मेरी बुर में !
उसने अब पूछा- क्या करना है?
मैं भी बेशर्मी दिखाते हुए बोली- अपना लण्ड मेरी बुर में डालकर चोद मुझे !
वो हँसा और बोला- इतनी जल्दी क्या है क्या है रानी? थोड़ी मलाई तो खा ले !
उसने उठ कर मेरे मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और मुझे मुँह में ही चोदने लगा। एक-दो मिनट के बाद अब उसने मेरी चुदाई शुरू की और 3-4 मिनट के बाद हम
दोनों शान्त हो गए।
कुछ देर बाद मैं कपड़े पहन कर बाहर आई तो दीदी और रोहन दोनों अपने अफ़िस में बैठे थे, वहीं मुझे मेरा मेहनताना मिला।
मैंने दीदी की तरफ़ देखा वो बिलकुल शान्त थी।
पता नहीं कि उन्हें इस फ़िल्म के बारे में मालूम था या नहीं। मगर मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया।
आज इस बात को को कई साल बीत गए हैं, मैंने किसी को भी यह बात नहीं बताई मगर आज आप लोगों को अपने जीवन की यह एक ना भूलने वाली घटना बता रही हूँ। आपका जो भी विचार हो मुझे Poonam.sachdeva.11@gmail.com पर देना। मैं आपके विचार का इन्जार कर रही हूँ।

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